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चेतावनी
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व द य तत त वम पद धत - स स र क समस त समस य ओ क एक म त र सम ध न * *शर र-ज व-ईश वर-परम श वर यथ र थत : य च र ह च र क द खल न और म क त -अमरत द न ह त भगव न ल त अवत र ह * *. सम प र ण व श व क एक च त वन. सर व त तम उप लब ध क स प र प त कर? मह प र षत त व एव सत प र षत त व ह त य वक क आहव न. अन य महत वप र ण ल क. न श ल क प स तक प र प त कर. सम प र ण व श व क एक च त वन -. ह धरत व स य! ब त अब यह तक नह रह गय ह क यह क तन व क त ह गय ह , बल क ब त अब यह तक पह च च क ह क आख रक र व न श य प रलय म अब द र क य ह रह ह? 1 ग र जन बन ध ओ स.
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VidyaTattvam(विद्यातत्त्वम्)
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व द य तत त वम पद धत - स स र क समस त समस य ओ क एक म त र सम ध न * *शर र-ज व-ईश वर-परम श वर यथ र थत : य च र ह च र क द खल न और म क त -अमरत द न ह त भगव न ल त अवत र ह * *. सम प र ण व श व क एक च त वन. सर व त तम उप लब ध क स प र प त कर? मह प र षत त व एव सत प र षत त व ह त य वक क आहव न. अन य महत वप र ण ल क. न श ल क प स तक प र प त कर. 15 आध य त म क मह त मन स आग रह. य न इन त न म स व स तव म असल ‘हम’ क न ह? Go to Top ». सच च भगवदवत र क पहच न ‘तत त वज ञ न’ स. क य यह ‘सच’ ह नह ह? क य क ब र स भ अध क धन ह गय ह? द ख य त सह!
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VidyaTattvam(विद्यातत्त्वम्)
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व द य तत त वम पद धत - स स र क समस त समस य ओ क एक म त र सम ध न * *शर र-ज व-ईश वर-परम श वर यथ र थत : य च र ह च र क द खल न और म क त -अमरत द न ह त भगव न ल त अवत र ह * *. सम प र ण व श व क एक च त वन. सर व त तम उप लब ध क स प र प त कर? मह प र षत त व एव सत प र षत त व ह त य वक क आहव न. अन य महत वप र ण ल क. न श ल क प स तक प र प त कर. व द य तत त वम क च थ अ ग 10.4 तत त वज ञ न (True Supreme and Perfect KNOWLEDGE) क व स तव क स थ त. सद भ व सत य न व ष प ठक एव श र त बन ध ओ! सद भ व सत य न व ष प ठक एव श र त बन ध ओ! 24 व द य...
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VidyaTattvam(विद्यातत्त्वम्)
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व द य तत त वम पद धत - स स र क समस त समस य ओ क एक म त र सम ध न * *शर र-ज व-ईश वर-परम श वर यथ र थत : य च र ह च र क द खल न और म क त -अमरत द न ह त भगव न ल त अवत र ह * *. सम प र ण व श व क एक च त वन. सर व त तम उप लब ध क स प र प त कर? मह प र षत त व एव सत प र षत त व ह त य वक क आहव न. अन य महत वप र ण ल क. न श ल क प स तक प र प त कर. 11 ज र-ज ल म-भ रष ट च र म ह भगवद वत र. सदभ व सत य न व ष प ठक एव श र त बन ध ओ! Go to Top ». 111 भगवद वत र क स क भ न न दक व र ध नह अप त ‘सत य-धर म स स थ पक’. Go to Top ». टर र य न हट ज!
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सर्वोत्तम उप्लब्धि कैसे प्राप्त करें?
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व द य तत त वम पद धत - स स र क समस त समस य ओ क एक म त र सम ध न * *शर र-ज व-ईश वर-परम श वर यथ र थत : य च र ह च र क द खल न और म क त -अमरत द न ह त भगव न ल त अवत र ह * *. सम प र ण व श व क एक च त वन. सर व त तम उप लब ध क स प र प त कर? मह प र षत त व एव सत प र षत त व ह त य वक क आहव न. अन य महत वप र ण ल क. न श ल क प स तक प र प त कर. सर व त तम उप लब ध क स प र प त कर? इस स स र म ऐस क न ह ज सर व त तम ज वन ज न नह च हत? ज वन म सर व त तम उपलब ध प न क इच छ क स नह ह? परम श वर म लन पर क य ह ग? अर ग र कह भगव न ह त ह? ल इस न...
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Srishti Rachna: चेतन (आत्मा) और योग(साधना)
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संसार की समस्त समस्याओं का एकमात्र समाधान. संसार की समस्त समस्याओं का एकमात्र समाधान - विद्यातत्त्वम् पद्धति. चेतन (आत्मा) और योग(साधना). वह न तो आत्मा है और न जीव ही है, वह शक्ति भी नहीं है, बुद्धि व मन तथा इन्द्रियों की बात क्या की जाय? अब देखा जाय कि आत्मा क्या है? जीव क्या है? शक्ति क्या है? चित्त क्या है? बुद्धि, मन तथा इंद्रियाँ क्या है? आत्मा (Soul)-. योग या साधना –. जीव या सूक्ष्म शरीर. 1) जाग्रतावस्था –. 2) आलस्य –. 3) स्वप्नावस्था-. 4) सुषुप्ति अवस्था –. जीव या सूक्ष...परमतत्त्व...बुर...
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Srishti Rachna: आज्ञा-चक्र आज्ञा प्रधान विधान
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संसार की समस्त समस्याओं का एकमात्र समाधान. संसार की समस्त समस्याओं का एकमात्र समाधान - विद्यातत्त्वम् पद्धति. आज्ञा-चक्र आज्ञा प्रधान विधान. 8216;टीका’ – कर्मकांडी, योगी तथा ज्ञानी की दृष्टि में. टीका का अर्थ. टिकना या ठहरना होता है परन्तु जितने भी. कर्मकांडी, पुजारी, साधु, पण्डित, रामायणी. करने लगते हैं। इसी को. टीका की यथार्तता योगी-महात्माओं के दृष्टिकोण में. और ध्यान करते-करते जब जीव. गुरु आज्ञानुसार आज्ञा-चक्र में आत्मा. पत्नी और भक्त एक ही समान –. कैसा है? कहाँ रहता है? Subscribe to: Posts (Atom).
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Srishti Rachna: गुण और दोष (Merit and Demerit)
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संसार की समस्त समस्याओं का एकमात्र समाधान. संसार की समस्त समस्याओं का एकमात्र समाधान - विद्यातत्त्वम् पद्धति. गुण और दोष (Merit and Demerit). गुण (Merit) –. किसी वस्तु या शक्ति विशेष की लक्ष्य प्राप्ति की अनुकूलता से युक्त विशेषता ही गुण है।. सत्त्व गुण-. रजो गुण-. तमो गुण-. मयाध्यक्षेण प्रकृतिः सूयते सचराचरम् ।. हेतुनानेन कौन्तेय जगद्विपरिवर्तते ॥. हे अर्जुन! तस्यावयवभूतैस्तु व्याप्तं सर्वमिदं जगत् ॥. श्वेता॰ 4/10). Subscribe to: Posts (Atom). पुरुषोत्तम धाम आश्रम. Email - bhagwadavatari@gmail.com.
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Srishti Rachna: शरीर (Body)
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संसार की समस्त समस्याओं का एकमात्र समाधान. संसार की समस्त समस्याओं का एकमात्र समाधान - विद्यातत्त्वम् पद्धति. शरीर कोषों (Cell) से निर्मित वह आकृति है, जिसमें आत्मा (Soul) जीव (Self) बनकर तथा जिससे संसार में कर्मकर तदनुसार भोग भोगती है।. हे काल भगवान! मुझे अपने बताया नहीं ओह! अब भी चेत जा! कैसे जाना है? किसके साथ जाना है आदि आदि! अरे मूढ़! जनम-मरण रूप चक्र –. जनम-मरण रूप चक्र है।. सृष्टि चक्र –. सृष्टि चक्र है।. आत्मा और शक्ति –. आत्मा (Soul). और शक्ति (Power). Subscribe to: Posts (Atom). पिण्...
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व द य तत त वम पद धत - स स र क समस त समस य ओ क एक म त र सम ध न * *शर र-ज व-ईश वर-परम श वर यथ र थत : य च र ह च र क द खल न और म क त -अमरत द न ह त भगव न ल त अवत र ह * *. सम प र ण व श व क एक च त वन. सर व त तम उप लब ध क स प र प त कर? मह प र षत त व एव सत प र षत त व ह त य वक क आहव न. अन य महत वप र ण ल क. न श ल क प स तक प र प त कर. भगव न सद नन द ब रम ह ण ड य ज ञ न लय क उद द श य-. ब ईम न -भ रष ट च र क म ल म. जड़प रध न ल क क श क ष पद धत. कह स आए ह? क सल ए आए? हम’ क उत पत त कर त , म त -प त क न ह? हम क सक प त र ह?