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मस्तराम की आवारा डायरी

प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से

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मस्तराम की आवारा डायरी | mastrama.blogspot.com Reviews
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प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से
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मस्तराम की आवारा डायरी | mastrama.blogspot.com Reviews

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प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से

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मस्तराम की आवारा डायरी: मार्च 2008

http://mastrama.blogspot.com/2008_03_01_archive.html

मस्तराम की आवारा डायरी. प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से. रविवार, 30 मार्च 2008. फूलों की खुशबू से नहीं महकता चमन-हिंदी शायरी. खिलौने से बच्चे अब कहाँ खेलते. दिन रात घर में अपने बडों को. इंसानों से जो खेलते देखते. बड़े भी क्या सिखाएं छोटों को. अपने बडों से ही सीखे क्या. बस जिन्दगी एक नौकरी या व्यापार. जिसमें समेटो दौलत और शौहरत अपार. जमाने के बिगड़ जाने की शिकायत में. करते हैं अपना वक्त बरबाद लोग. आदमी के मन में बसी है. नहीं चाहता अमन. 1 टिप्पणी:. लेबल: मस्ती. सजते है...लोग...

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मस्तराम की आवारा डायरी: जुलाई 2007

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मस्तराम की आवारा डायरी. प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से. गुरुवार, 26 जुलाई 2007. प्रात:काल की बेला. प्रात:काल की बेला. वर्षा के मौसम में. रिमझिम होती फुहार. शीतल पवन का स्पर्श. एक ऐसे आनन्द की. अनुभूति का आनद कराता है. जी शब्दों में व्यक्त करना. सहज नहीं कोई पाता है. न गद्य और पद्य में. न गीत से न संगीत से. न श्रवण न न अध्ययन. यह एक अनुभूति है जिसे. वह कर पाते हैं. जो समय पर जाग जाते हैं. देर से जागने पर. संसार स्वत: ही नरक सा लगता है. भोर का हर एक -एक पल. हिंदी. पिछल&#237...

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मस्तराम की आवारा डायरी: छिः भतीजी के मौसी-मौसाजी क्रिकेट देखते हैं-हास्य व्यंग्य

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मस्तराम की आवारा डायरी. प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से. शनिवार, 7 जून 2008. छिः भतीजी के मौसी-मौसाजी क्रिकेट देखते हैं-हास्य व्यंग्य. इससे पहले मैं कुछ कहता भतीजा बोला-‘इधर हाल में हमारे मौसा और मौसी सो रहे हैं। उनकी नींद टूट जायेगी।’. भतीजी बोली-‘‘क्या आप आराम नहीं करोगे।’’. मैने कहा-‘नहीं ट्रेन में सोता हुआ आया हूं।’’. मैने कहा-‘पंद्रह मिनट पहले।’. भतीजी ने मुझे पूछा-‘‘इसका क्या मतलब? भतीजी बोली-‘हमारी मौसी और मौस&#2...जब उठें तो पूछ लेना क...भतीजा बोल&#2366...मैं...भती...

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मस्तराम की आवारा डायरी: जुलाई 2008

http://mastrama.blogspot.com/2008_07_01_archive.html

मस्तराम की आवारा डायरी. प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से. शनिवार, 5 जुलाई 2008. खुशी हो या गम-हिंदी शायरी. अपनी धुन में चला जा रहा था. अपने ही सुर में गा रहा था. उसने कहा. 8216;तुम बहुत अच्छा गाते हो. शायद जिंदगी में बहुत दर्द. सहते जाते हो. पर यह पुराने फिल्मी गाने. मत गाया करो. क्योंकि इससे तुम्हारे दर्द पर. किसी को रोना नहीं आयेगा. क्यों नहीं नये गाने गाते. शोर सुनकर लोगों के. हृदय में भावनाओं का ज्वार आयेगा. समझ में कुछ नहीं आयेगा. लेबल: शेर. शेर-ओ-शायरी. नई पोस्ट. अगर हम ओल&...

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मस्तराम की आवारा डायरी: नवंबर 2007

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मस्तराम की आवारा डायरी. प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से. रविवार, 4 नवंबर 2007. घट-घट में बसे राम, यही है उनके होने का प्रमाण. कुछ विद्वान लोग बहुत परेशान हैं कि अगर यह समाज पूजा के मामले में बदलता क्यों नहीं? जिन लोगों को समाज में बदलाव करने का शौक है वह यहीं आकर मात खा जाते हैं।. प्रस्तुतकर्ता मस्तराम आवारा. 4 टिप्‍पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: अनुभूति. दृष्टांत. श्रीराम. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). 8 वर्ष पहले. आमतौर से बड़&#...खरे...

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य: जिन्दगी का सच कोई नहीं जानता-हिंदी शायरी

http://mastram-zee.blogspot.com/2008/04/blog-post_05.html

मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Saturday 5 April 2008. जिन्दगी का सच कोई नहीं जानता-हिंदी शायरी. कुछ सवालों के जवाब नहीं होते. कुछ सवाल ही अपने आप में जवाब होते. लाजवाब हैं वह लोग जो. सवालों के जाल से दूर होते. किसी के सवाल को दो जवाब. कुछ का कुछ समझ जाये. तो फिर बवाल मच जाये. न दो जवाब तो भी मुसीबत. ऐसे में बेहतर हैं न किसी की सुने. न किसी को कुछ बताएं. जिन्दगी के कई सवाल ऐसे हैं. वह कभी नहीं होते. व्यंग्य. साहित्य. उसे जल्द&#...हमन&#2375...

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य: देखने का होता है अपना-अपना नजरिया-हिंदी शायरी

http://mastram-zee.blogspot.com/2008/04/blog-post_13.html

मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Sunday 13 April 2008. देखने का होता है अपना-अपना नजरिया-हिंदी शायरी. देखने का होता है. नजरिया अपना-अपना. किसी के लिये कोई चीज हकीकत है. किसी के लिये होती है सपना. कोई कार पर कार बदलता है. कोई पैदल ही चलता. उसके लिए अपनी कार होती है सपना. कोई रहता है ऊंची इमारतों और. चमकदार महलों में. तो कोई ईंट और पत्थर ढोकर. उनका निर्माण कर मजदूर. और अपनी देह पर भी होता बस. अपने दिल का सच बताकर वह. व्यंग्य. अपनी ध&#23...

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य: July 2008

http://mastram-zee.blogspot.com/2008_07_01_archive.html

मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Saturday 5 July 2008. ऐसे में कहां जायेंगे यार-हिंदी शायरी. कहीं जाति तो कहीं धर्म के झगड़े. कहीं भाषा तो कहीं क्षेत्र पर होते लफड़े. अपने हृदय में इच्छाओं और कल्पनाओं का. बोझ उठाये ढोता आदमी ने. उड़ने से पहले ही अपने पर खुद ही कतरे. शहर हो गये हैं जैसे युद्ध के मैदान. किले बन गये हैं रहने के मकान. पत्थर फिर बने लगे हैं हथियार. कौन करेगा किससे प्यार. गूंजता स्वर है. पर फिर भी जमीन पर. Links to this post.

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य: दिखावे के लिए अमन का पैगाम-हिंदी शायरी

http://mastram-zee.blogspot.com/2008/04/blog-post_12.html

मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Saturday 12 April 2008. दिखावे के लिए अमन का पैगाम-हिंदी शायरी. आदमी देखना चाहता. हर चीज पर लिखा अपना नाम. जिंदगी भर करता इसके लिए काम. अपनी ख्वाहिशें पूरी करने के लिये. कई जगह टेकता अपना मत्था. ले जाता अपने घर के लोगो का जत्था. नख से शिख तक माया का मोह. मूंह में जपता राम. देखें हैं मस्तराम आवारा ने. इस दुनियां में कई लोग. बंदा उसे समझ लेता अपना काम. सब मिल जाता है पर. व्यंग्य. साहित्य. हमने एक ल&#2375...

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य: ऐसे में कहां जायेंगे यार-हिंदी शायरी

http://mastram-zee.blogspot.com/2008/07/blog-post.html

मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Saturday 5 July 2008. ऐसे में कहां जायेंगे यार-हिंदी शायरी. कहीं जाति तो कहीं धर्म के झगड़े. कहीं भाषा तो कहीं क्षेत्र पर होते लफड़े. अपने हृदय में इच्छाओं और कल्पनाओं का. बोझ उठाये ढोता आदमी ने. उड़ने से पहले ही अपने पर खुद ही कतरे. शहर हो गये हैं जैसे युद्ध के मैदान. किले बन गये हैं रहने के मकान. पत्थर फिर बने लगे हैं हथियार. कौन करेगा किससे प्यार. गूंजता स्वर है. पर फिर भी जमीन पर. हिन्दी. अपनी ध&#2...

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य: बेपरवाह होकर चलते वही अपनी मंजिल पाते-हिंदी शायरी

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Saturday 7 June 2008. बेपरवाह होकर चलते वही अपनी मंजिल पाते-हिंदी शायरी. अपनी इज्जत की खातिर लोग. कभी दिखाते हैं दरियादिली तो. कभी तंगदिल हो जाते. खुशफहमी में जीते हैं सभी इंसान कि. दुनियां वाले उनकी तरफ ही देखते है. दूसरों की नजरों की परवाह करते. अपनी राह से हटा लेते नजर. इसलिये चलते चलते ही भटक जाते. देखते हैं मस्तराम ‘आवारा’. ऐसा कोई आईना बना नहीं. यह गलतफहमी है कि. व्यंग्य. उसे जल्दी पत...हमने एक ल...

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य: May 2008

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Saturday 31 May 2008. छद्म नाम से मोहब्बत मोबाइल हो गयी-हास्य व्यंग्य. एक प्रेमी से उसके मित्र ने पूछा-‘तुम्हें यकीन है कि तुम्हारी प्रेमिका तुमको सच्चा प्यार करती है? प्रेमी ने पूछा-‘‘फिर वह तुम्हारा प्रेमी! उस बिचारे का क्या होगा? प्रेमी ने पूछा-‘‘तुम्हारा सही पता क्या है? Posted by मस्तराम आवारा. Links to this post. व्यंग्य. साहित्य. हिन्दी. Subscribe to: Posts (Atom). अपनी धुन में...हमने एक ल&#2375...

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य: April 2008

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Sunday 13 April 2008. देखने का होता है अपना-अपना नजरिया-हिंदी शायरी. देखने का होता है. नजरिया अपना-अपना. किसी के लिये कोई चीज हकीकत है. किसी के लिये होती है सपना. कोई कार पर कार बदलता है. कोई पैदल ही चलता. उसके लिए अपनी कार होती है सपना. कोई रहता है ऊंची इमारतों और. चमकदार महलों में. तो कोई ईंट और पत्थर ढोकर. उनका निर्माण कर मजदूर. और अपनी देह पर भी होता बस. अपने दिल का सच बताकर वह. Links to this post. फ&#23...

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य: छद्म नाम से मोहब्बत मोबाइल हो गयी-हास्य व्यंग्य

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Saturday 31 May 2008. छद्म नाम से मोहब्बत मोबाइल हो गयी-हास्य व्यंग्य. एक प्रेमी से उसके मित्र ने पूछा-‘तुम्हें यकीन है कि तुम्हारी प्रेमिका तुमको सच्चा प्यार करती है? प्रेमी ने पूछा-‘‘फिर वह तुम्हारा प्रेमी! उस बिचारे का क्या होगा? प्रेमी ने पूछा-‘‘तुम्हारा सही पता क्या है? Posted by मस्तराम आवारा. व्यंग्य. साहित्य. हिन्दी. यह व्यंग नही है यही सच्चाई है. 31 May 2008 at 12:56 PM. 1 June 2008 at 4:36 PM.

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य: माफ़ करना भाया-हिंदी शायरी

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Wednesday 2 April 2008. माफ़ करना भाया-हिंदी शायरी. प्रेमी ने लिखा अपनी प्रेमिका को. भूल जाना मुझको. मेरे दिल में अब किसी और का चेहरा भाया. अब तो तुम्हारी जगह उसका नाम. मेरी जुबान पर आता. नहीं चल सकता. तुम्हारे साथ अधिक. हालांकि मैंने अपने दिल को खूब समझाया'. नीचे उसने लिखा. देखो अप्रैल फूल बनाया'. दूसरे दिन जवाब आया. तुम्हारे सन्देश से. उड़ गए थे होश हमारे. Posted by मस्तराम आवारा. व्यंग्य. हमने एक ल&#...

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मस्तराम का दर्शन और साहित्य

मस्तराम का दर्शन और साहित्य. मस्तराम "आवारा" कभी कभी कविता और कहानी लिखने की भी मूर्खता करता है,. Saturday 5 July 2008. ऐसे में कहां जायेंगे यार-हिंदी शायरी. कहीं जाति तो कहीं धर्म के झगड़े. कहीं भाषा तो कहीं क्षेत्र पर होते लफड़े. अपने हृदय में इच्छाओं और कल्पनाओं का. बोझ उठाये ढोता आदमी ने. उड़ने से पहले ही अपने पर खुद ही कतरे. शहर हो गये हैं जैसे युद्ध के मैदान. किले बन गये हैं रहने के मकान. पत्थर फिर बने लगे हैं हथियार. कौन करेगा किससे प्यार. गूंजता स्वर है. पर फिर भी जमीन पर. Links to this post.

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मस्तराम की आवारा डायरी

मस्तराम की आवारा डायरी. प्रेम में नाकाम, लिखने में बदनाम और बडबोले शख्स की कलम से. शनिवार, 5 जुलाई 2008. खुशी हो या गम-हिंदी शायरी. अपनी धुन में चला जा रहा था. अपने ही सुर में गा रहा था. उसने कहा. 8216;तुम बहुत अच्छा गाते हो. शायद जिंदगी में बहुत दर्द. सहते जाते हो. पर यह पुराने फिल्मी गाने. मत गाया करो. क्योंकि इससे तुम्हारे दर्द पर. किसी को रोना नहीं आयेगा. क्यों नहीं नये गाने गाते. शोर सुनकर लोगों के. हृदय में भावनाओं का ज्वार आयेगा. समझ में कुछ नहीं आयेगा. लेबल: शेर. शेर-ओ-शायरी. ऐसा लगा ...अभी...

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Saturday, February 19, 2011. Posted by Mast Ram. Subscribe to: Posts (Atom). View my complete profile. Picture Window template. Powered by Blogger.

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Mastram Ki Khaniya | Sexy Hindi Story

नई कह न य. हवस क म र (Sex Scandal). कमस न कल (Owner Sex). स य क र म ट क ज द(Hot Night Honeymoon). द वर न म र प य र क ब ज (Hot Bhabhi). न कर क ब ह म म लक न क ज स म(Hot Sex). रचन क गर म म य ज क क ल स(Asocial Love). हवस क म र (Sex Scandal). असम क ध बड़ ज ल म रहन व ल क .क . व श न ई लगभग 50 वर ष क थ वह श क षक म सबस य ग य एव व द व न म न ज त थ छ त र क स थ क ई भ दभ व नह […]. March 17, 2017. March 17, 2017. कमस न कल (Owner Sex). March 17, 2017. March 17, 2017. स य क र म ट क ज द(Hot Night Honeymoon). March 17, 2017.

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mastram ki chudai

Thursday, March 31, 2011. स्नानगृह में जैसे ही नहाने को मैं निर्वस्त्र हुई. मेरे कानों को लगा सखी दरवाज़े पे दस्तक कोई हुई. धक्-धक् करते दिल से मैंने दरवाज़ा सखी री खोल दिया. उस रात की बात न पूंछ सखी जब साजन ने खोली अँगिया. आते ही साजन ने मुझको अपनी बाँहों में कैद किया. होठों को होठों में लेकर उभारों को हाथों से मसल दिया. उस रात की बात न पूंछ सखी जब साजन ने खोली अँगिया. फिर साजन ने सुन री ओ सखी फब्बारा जल का खोल दिया. चूमत-चूमत, चाटत-चाटत साजन पंजे पर बैठ गए. मैंने कन्धो&#2306...मैं मस्त&...साजन क&#2...

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Tuesday, 22 February 2011. Mail me any unsatisfied ladies on callboy.delhincr01@gmail.com. For sexy chat and sexy relations. प्रिया की चुदाई. Kissa do baato ka. किस्सा दो बातों का. हाय दोस्तों. आज मैं आप के लिये कोई कहानी नहीं लाया लेकिन मैं आपसे केवल 2 बातें करने आया हूं।. और ये दो बातें केवल लड़कियों के लिये हैं।. तो लेडीज़- -गौर फ़रमायें।. आप या तो कुंवारी होंगी या फ़िर शादी शुदा. या तो आप शादी करेंगी या नहीं।. या तो आपका पति ठरकी होगा या नहीं. किसी और को तो ढूंढन&#2366...कुंवारा ह...चोद देग&#...आपक&#2379...

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