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मेरी सोच .....मेरे शब्द: 02/01/2008 - 03/01/2008
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मेरी सोच .मेरे शब्द. काश मिल पाती". जिस बेबाकी से बाते करती हूँ. काश उतनी बेबाकी से मिल पाती. शाम ढले, काले अम्बर फैले. तारो को हाथो से चुन पाती. भर सतरंगी आँचल अपना. प्रेम तुम पर बरसा पाती. अनकही वो सब बातो का. काश, सारा हिसाब ले पाती. सूनी बैरंग शामो को. तुम संग गुलाबी बना पाती. कीर्ती वैद्य. Links to this post. आस पास टूट फुट हो,. तो हाथो में समेट लूँ. मन भर कर अफ़सोस. फ़िरे बहार फेंक भि दूँ. पर आज कया करूं? दिल अपना टूटा सा है,. इन फ़ैली भावनाओ को. सुलझाऊ तो केसे? कुछ ऐसे ही . Links to this post. उमड...
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मेरी सोच .....मेरे शब्द: 03/01/2008 - 04/01/2008
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मेरी सोच .मेरे शब्द. हमे आज फिर. कुछ आवाजे बेवजह कानो में गूंजे. हाथ रख कितना भि चाहे रोकू इन्हे. आँखों से बन आंसू दिल पिघला जाये. कितना भि भाग, परछाइयों से बचा जाये. ज़िन्दगी फिर मुलाकात उनसे करवा जाये. उफ़.यह दर्द देती सिस्किया. हमे आज फिर बर्बाद ना कर जाये. कीर्ती वैद्य .२९ मार्च २००८. Links to this post. क्यों? मैं क्यों किस के लिए हंसती रोती हूँ. शायद अपनी ही हस्ती मिटाती हूँ. कागज़ की नाव बना, पानी में बहा. पता है जब मिटटी के घर कच्चे है. Links to this post. क्यों. तुम्हारी. Links to this post.
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मेरी सोच .....मेरे शब्द: 11/01/2007 - 12/01/2007
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मेरी सोच .मेरे शब्द. अपने प्यार की रस्म. तुम्हारी. सांसो. ज़सबातो. सुनेगा. पौछेंगा. तुम्हे. जाउंगी. निभाउंगी. कीर्ती. Links to this post. ज़िंदगी का इक दिन. अन्बुझे. धुयां. ज़िंदगी. कीर्ती. Links to this post. फिर पीयेंगे. दोस्ती. शादीशुदा. क्यों. तुम्हे. प्रेमीका. पीयेंगे. कीर्ती. वैद्या. Links to this post. भीगे नैन अब. माँगा था 'रब' से. मिला न कभी तब. आस भी छुटी सब. तक-तक हारी जब. बुझ गए दीप. कीर्ती वैदया. Links to this post. एहसास क्यूँ रहे. हरी झील आँखों का रंग. कीर्ती. Links to this post. नन्ह&...
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मेरी सोच .....मेरे शब्द: 01/01/2009 - 02/01/2009
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मेरी सोच .मेरे शब्द. सुनो, जाना है. सारे बंधन तोड़. नील गगन उड़. अपने को अपने से. कुछ पल ढूँढना. क्यों जीती हूँ, ऐसे. अपने से ही है पूछना. जब मिल गई, मैं. चली आउंगी वापिस. फिर तुम्हे, तुमसे पूछने . कीर्ती वैद्या 05/01/2009. Links to this post. शाम.किसी का आना. कविता. कब की सूख, हवा हो गयी. मानो, पतझड़ के झडे पत्ते, जों कभी. वापिस, शाख पे ना आयेंगे . अब, बसंत का भी इंतज़ार ना रहा. और ना बचा अब मौसम, सावन का. फिर क्यों, कोई दस्तक दे रहा . जब, खोले अपने बन्ध दरवाजे. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom).
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मेरी सोच .....मेरे शब्द: 07/01/2008 - 08/01/2008
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मेरी सोच .मेरे शब्द. जी, यह शहर बहुत अजीब है. चाँद छुपने से पहले जग जाए. रात के अलसाए खाव्बो को, किनारे रख. दफन ज़िन्दगी के बासी अफसानो को. अखबार की सुर्खियों में ढूंढता है . जी, यह शहर बहुत सख्त है. इंसानियत का मखोटा उतार,. साहब तो कभी गुलाम नामक. इक प्लास्टिक लेबल चिपका. पेट की बेबस भूख तो कभी. दुनियादारी के रिवाजो के लिए. झूठ के आगे आँखों का पर्दा खींच,. सेंकडो सच डकार जाता है. भीगी बिल्ली बन खोखली हंसी हंस. ना जाने कितनो के सपने डसता है. जी, यह शहर कुछ नमकीन है. Links to this post. Links to this post.
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मेरी सोच .....मेरे शब्द: 07/01/2010 - 08/01/2010
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मेरी सोच .मेरे शब्द. क्या बदला क्या नहीं. क्या बदला क्या नहीं. किसी शहर को. सालो बाद देख. सब मै बतला नहीं सकती . घुटनों का दर्द . बतला रहा है. जन्मदिन निकट आ रहा है. उम्र का एक पन्ना . बिन पूछे. आगे पलटा जा रहा है. अब आगे और क्या कंहूँ. कलमुहाँ. आईना भी अब. चिडा रहा है . कीर्ति वैदया .२३ जुलाई २०१०. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). बस लिखती हूँ जो महसूस करती हूँ. NEW DELHI, DELHI, India. View my complete profile. Get a free web page counter. FEEDJIT Live Traffic Feed.
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मेरी सोच .....मेरे शब्द: 06/01/2008 - 07/01/2008
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मेरी सोच .मेरे शब्द. आसमां का सिंदूरी रंग . हाँ, उस शाम मिलूँगी,. जब थक फीका सूरज,. सागर के आगोश में. उतर रहा होगा. लहरों में अब सी बेचैनिया नहीं. हाँ, शिकन की रेखाए जरुर होंगी. टूटे घरोंदे की रेत. नए मुसाफिरों की. राह तक रही होगी. शायद . फ़िर . तब. मैं तुम्हे मिलूं. इक बार फिर. पुरानी जिद्द करूं. अबके दिलवा दो. वो आसमां का सिंदूरी रंग . कीर्ती वैद्य .16 june 2008. Links to this post. रंगो के गुच्छे. हरदम संग रहे. कुछ पलकों तले. कुछ मुट्ठी धरे. कुछ चलते चलते. कुछ तोड लाऊं. कभी टकरा जाए. बस वंहा. खुश...
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मेरी सोच .....मेरे शब्द: 08/01/2007 - 09/01/2007
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मेरी सोच .मेरे शब्द. याद आया. बाहों. सांसों. बहुत तू. Links to this post. MERE KUCH SAPNE SOYE HAI. NA JANE VO KYUN KHOYE HAI. HAR ROZ UNHEY JAGATI HUN. PHIR AAP HE BHUJATI HUN. KABHI APNE KO SIMATTI HUN. KABHI AAP HE BIKHARTI HUN. ANKHO MEIN BHARE SITARE HAI. KABHI TOOTE KAR MUJHEY ULGHATEY HAI. DIL MEIN HANSTI TAMANNAYE HAI. KABHI TADAP KAR MUJHEY RULATI HAI. Links to this post. KUCH TO BAAT HAI. KUCH TO BAAT HAI. ASE TO NAHI HAI. JO ROZ TU MERI AUR. KHINCHA CHALA ATTA HAI. APNE DARD JO CHUPA. के...
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मेरी सोच .....मेरे शब्द: 12/01/2008 - 01/01/2009
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मेरी सोच .मेरे शब्द. कुछ ढका कुछ छुपा सा. गुमसुम बूंदों से तरा सा. झुरमुट मेघो से घिरा सा. शायद .कोई. दिल में छुपा दर्द रहा. जो, कभी बह ना सका. बस, चहरे पे उमड़ गया. कीर्ती वैद्या .११/१२/2008. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). बस लिखती हूँ जो महसूस करती हूँ. NEW DELHI, DELHI, India. Iam working in US based freight forwarding company at New Delhi.I belong to Shimla H.P.I love Music and Poetry. View my complete profile. Get a free web page counter. FEEDJIT Live Traffic Feed.