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चर्चामंच: सिद्धार्थ – गौतम बुद्ध; चर्चा मंच 1966
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Tuesday, May 05, 2015. सिद्धार्थ – गौतम बुद्ध; चर्चा मंच 1966. सिद्धार्थ – गौतम बुद्ध. अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com). अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ). पूरे भारत से प्रस्ताव आ रहे हैं " सनातन-वेब. ग्रन्थ "की रचना में सहयोग करने हेतु "! आप भी अपना नाम पते सहित आज ही भेजें! पीताम्बर दत्त शर्मा (लेखक-विश्लेषक). 5TH Pillar Corruption Killer. कहो ना प्यार है.और मैं. एक ग़ज़ल : इधर गया या उधर गया था. आनन्द पाठक. आपका ब्लॉग. मेरे गीत! जिज्ञासा. हेतु तुम्हारे. काव्य मंजूषा. बतंगड़ BATANGAD. केवल...
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चर्चामंच: "चहकी कोयल बाग में" {चर्चा अंक - 1970}
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Saturday, May 09, 2015. चहकी कोयल बाग में" {चर्चा अंक - 1970}. मित्रों।. शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।. देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।. डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'). रोज होता है. होता चला आ रहा है. बस मतलब रोज का रोज. बदलता चला जाता है. उलूक टाइम्स. पर सुशील कुमार जोशी. दो कुण्डलियाँ-कोयल चहकी". कह “मयंक” कविराय, आज शाखाएँ बहकी।. होकर भावविभोर, तभी तो कोयल चहकी।।. पथ का मूयांकन. पथिक नहीं. मंजिल करती है. पर udaya veer singh. पर विशाल चर्चित. नहीं बजाती. आस का दीपक. बावरा मन. MaiN Our Meri Tanhayii.
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चर्चामंच: बावरे लिखने से पहले कलम पत्थर पर घिसने चले जाते हैं; चर्चा मंच 1967
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Wednesday, May 06, 2015. बावरे लिखने से पहले कलम पत्थर पर घिसने चले जाते हैं चर्चा मंच 1967. बावरे लिखने से पहले. कलम पत्थर पर. घिसने चले जाते हैं. सुशील कुमार जोशी. उलूक टाइम्स. राजपथ तक पहुंचाते हाथ. KAVYASUDHA ( काव्य सुधा ). वही होता है जो निर्णायक चाहता है! कालीपद "प्रसाद". मेरे विचार मेरी अनुभूति. मील का पत्थर. अरुण चन्द्र रॉय. भोर का सपना". मेरा मन". यूं राजनीति में सभी भिखारी तो होते हैं. पर ४२ साल का बच्चा होने का अपना ही सुख है. ताक-झांक :. लो क सं घ र्ष! आवारा बादल. येल्लो! ओ बी ओ. तुम&#...
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चर्चामंच: "आशा है तो जीवन है" {चर्चा अंक - 1979}
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Monday, May 18, 2015. आशा है तो जीवन है" {चर्चा अंक - 1979}. मित्रों।. सोमवार की चर्चा में आपका स्वागत है।. देखिए मेरी पसन्द के कुछ लिंक।. डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'). जीवन और आशा. जीवन है तो गति है. गति है तो घर्षण है. घर्षण है तो संघर्ष है. संघर्ष है तो शुष्कता है. शुष्कता है तो भंगुरता है. कुछ चिर परिचित से. नहीं लगते ये शब्द. अगर हाँ तो क्या. ये जीवन है. ये संबंध है. ये रिश्ते हैं. या ये रिसते हैं. जीवन है तो गति है. गति है तो घर्षण है. घर्षण है तो ऊष्मा है. उर्जा है तो. अंत है तो. तेरी...
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Hindi Kavita Manch: रोटी, कपड़ा और मकान
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हिंदी काव्य का अनुठा संगम, मेरे नवोदित कविताओं का संग्रह. मुख्यपृष्ठ. मेरे मन की. हिंदी साहित्य का झरोख़ा. मेरी समस्त रचनाएं. मेरी प्रेरणा . विज्ञापन हेतु संपर्क करें. Sunday, February 8, 2015. रोटी, कपड़ा और मकान. आम आदमी के होते,. ज्यादा से ज्यादा तीन अरमान ।. दो वक्त की रोटी, तन भर कपड़ा,. और हो अपना एक मकान ॥. दो वक्त की रोटी के लिए,. दर-दर ढूढे कुछ भी काम ।. कठिन परिश्रम और मेहनत से,. फिर भी सेठ सुना देता फरमान ॥. सुना के मालिक सारे काम,. वो जाता अपने धाम ।. एक-एक ईंट जोड़कर भी,. आम आदमी के ...अब बदल रह...
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मयंक की डायरी: December 2013
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अमर भारती". एग्रीगेटर-ब्लॉगमंच". चर्चा मंच". नन्हें सुमन". बालचर्चा मंच". शब्दों का दंगल". कृति.से यूनिकोड. यूनि.से कृति. यह ब्लॉग खोजें. लोड हो रहा है. . . मंगलवार, दिसंबर 31, 2013. दोहे-धरती का शृंगार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'). नये साल का आज।. श्रमिक-किसान-जवान से. जीवित देश समाज।१।. गुलदस्ते में सजे हैं. सुन्दर-सुन्दर फूल।. सुमनों सा जीवन जियें. बैर-भाव को भूल।२।. शस्य-श्यामला धरा है. जीवन का आधार।. आओ पौधों से करें. धरती का शृंगार।३।. जनमानस पर कर रहे. प्रतिक्रिया. लिंक्स. 1459 पोस्ट. Nov 24, 2...
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Hindi Kavita Manch: शादीशुदा आदमी की हालत
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हिंदी काव्य का अनुठा संगम, मेरे नवोदित कविताओं का संग्रह. मुख्यपृष्ठ. मेरे मन की. हिंदी साहित्य का झरोख़ा. मेरी समस्त रचनाएं. मेरी प्रेरणा . विज्ञापन हेतु संपर्क करें. Monday, October 6, 2014. शादीशुदा आदमी की हालत. बीबी क्या बला है हम आपको क्या बताये,. आप भी तो उस दर से वाकिफ होंगे! अगर ना मारे जाते होंगे तो क्या गम है,. रोज-रोज मुर्गे बनाए जाते होंगे! सुबह में उठते ही अरे ज़रा चाय तो बनाओ,. और कम से कम ब्रेड पर माखन तो लगाओ! और ऑफिस से घर जल्दी आना! और अगर वही से आओगे तो,. ऋषभ शुक्ला. Poem on married man.
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Hindi Kavita Manch: नारी (एक बेबसी)
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हिंदी काव्य का अनुठा संगम, मेरे नवोदित कविताओं का संग्रह. मुख्यपृष्ठ. मेरे मन की. हिंदी साहित्य का झरोख़ा. मेरी समस्त रचनाएं. मेरी प्रेरणा . विज्ञापन हेतु संपर्क करें. Thursday, December 4, 2014. नारी (एक बेबसी). जब नारी ने जन्म लिया था! अभिशाप ने उसको घेरा था! अभी ना थी वो समझदार! लोगो ने समझा मनुषहार! उसकी मा थी लाचार! लेकीन सब थे कटु वाचाल! वह कली सी बढ्ने लगी! सबको बोझ सी लगने लगी! वह सबको समझ रही भगवान! लेकीन सब थे हैवान! लेकीन सबने उसे गिराया जमी पर! न दे सके बेचकर घर-बार! अब बहुत हो च&#...आम आदम...
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Hindi Kavita Manch: मेरा बचपन
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हिंदी काव्य का अनुठा संगम, मेरे नवोदित कविताओं का संग्रह. मुख्यपृष्ठ. मेरे मन की. हिंदी साहित्य का झरोख़ा. मेरी समस्त रचनाएं. मेरी प्रेरणा . विज्ञापन हेतु संपर्क करें. Tuesday, June 2, 2015. मेरा बचपन. मै था माँ के गर्भ में एकदम महफूज,. लिये एक सुन्दर एहसास. मै था उतावला आने को बाहर ,. माँ के पास. वो भी थी मन ही मन,. प्रसन्न और पुलकित. वो मुझे बिना छुए ही,. वो थी मेरे बारे में जानने को,. जिज्ञासु और उत्कंठित. एक अलग स्पर्श का अनुभव करती थी. प्रस्तुतकर्ता. मेरा बचपन. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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Hindi Kavita Manch: मैं और मेरे खटमल मित्र
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हिंदी काव्य का अनुठा संगम, मेरे नवोदित कविताओं का संग्रह. मुख्यपृष्ठ. मेरे मन की. हिंदी साहित्य का झरोख़ा. मेरी समस्त रचनाएं. मेरी प्रेरणा . विज्ञापन हेतु संपर्क करें. Friday, April 10, 2015. मैं और मेरे खटमल मित्र. मैं और मेरे खटमल मित्र,. हमेशा साथ मे रहते है. जब मैं घर पर होता हू,. तो सुख दुख की बाते करते है. मेरे खटमल मित्र,. मुझसे बहुत प्यार करते है।. और मेरे साथ मजे से,. मेरी खोली मे ही रहते है।।. जब घर पर मैं ना होऊ,. हो जाते है अकेले।. घंटों बैठकर दरवाजे पर,. अगर बजती घंटी।. आम आदमी के...अब बदल रह...
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