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Abhilasha : November 2013
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Monday, November 25, 2013. आरुषि हत्याकांड . : कसूरवार कौन? नीलिमा शर्मा. Links to this post. Monday, November 11, 2013. 13 नवंबर: लक्ष्मी कृपा पाने का एक और दिन, करिए इन में से कोई 5 काम.साभार दैनिक भास्कर . कॉम. इस बुधवार से सभी मांगलिक कार्य पुन: प्रारंभ हो जाएंगे।. यह पोस्ट दैनिक भास्कर .कॉम से कॉपी की गयी हैं. Links to this post. Labels: #भक्ति #तुलसी # एकादशी # कार्तिक. Subscribe to: Posts (Atom). व्यक्तिगत ज़िन्दगी. गर्मी की छुट्टी और माँ. 160;पीछे मुढ कर देखती ह&...160; तुम्ह...अब तो थक...
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Abhilasha : October 2012
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Thursday, October 18, 2012. यह जीवन हैं. हर पल को भरपूर जियो. हर पल कुछ खास होता हैं. और दुबारा लौट कर नही आता. जियो जी भरकर. जीने के लिए बहाने की तलाश क्यों? एक जूनून हैं जिन्दगी. एक शतरंज हैं जिन्दगी. और तुम उसके प्यादे. ज्यादा सोचकर जो खेले तो. चाल बिगड़ जाएगी. पहले खुद को समझो. फिर उनको .जो प्यार करते हैं. बे-इन्तहा तुमको. जो चीज़ तुम्हे ख़ुशी देती हैं. शायद उनको न दे. सो अपने साथ उनको रख कर जियो. कभी बचपन को जियो इस उम्र में भी. एक बार जरा बच्चे की तरह बेसबब. Links to this post. इंसान एक...160;प...
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Abhilasha : September 2010
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Tuesday, September 7, 2010. Thanx rashmi for awekening . Thanx rashmi .tumne achanak se y prashan uthakr andolit sa kar diya man ko .k mai kya kar rahi hu .kyu nhi ek practical life ji rahi .y kya hai jo mai mrigtrishna mai fasi ja rahi hu . pata nhi jindgi mai kitne din hai kam se kam unko to kuch sarthak disha ji sakti hai na . . Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). व्यक्तिगत ज़िन्दगी. गर्मी की छुट्टी और माँ. आज माँ-दिवस हैं! 160; तुम्हे तो पता भी नह&...क्या कहूँ? अब तो थक गयी ह&...साध...
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): June 2012
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Monday, June 4, 2012. कभी भीड़ से. कभी अकेले से. कभी धुंधले से. कभी दूर से. कभी करीब से. कभी अजनबी से. कभी अपने से. मिलते,बिछड़ते चेहरे. आँखों से ओझल हुए. बहुत चेहरे. कुछ अपने से ! शोभा ). Labels: कविता. तुम प्राणवायु हो. शीतल छाया हो. लाल फूलों से सजे. तुम बहुत लुभावने हो. और 'मैं'. मर्यादा से बंधी. वो पवित्र धागा हूँ. जो किस्तों में कई बार बाँधी जाती हूँ. कभी बरगद,कभी पीपल के तने से. मैं बंधी हूँ. परम्पराओं की मजबूत डोर से. मैं एक अनजाने. पर छा जाती. तुम संग. अस्ति...
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): September 2012
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Sunday, September 30, 2012. कृतिम' 'चाँद'. तुम्हारा दावा है. सात फेरों वाली. तुम्हारी कविता. तुम्हारी सात बेड़ियों में. सुरक्षित है. सात परतों में उसे छिपा. तुम सराहते हो उन्हें. जो तुम्हारी नज़रों में. निरंकुश' कविता है. सराही जाती है तुम्हारी. दोहरे मानसिकता वाली कविता. कृतिम' 'चाँद' के रूप में ! Labels: कविता. Friday, September 28, 2012. बात कुछ भी नहीं थी. बात कुछ भी नहीं थी. आस-पास का माहौल. कुछ ठीक नहीं था. कुछ बिखरा हुआ था. झलक सी दिखाई दी. चुप ही रहे. फिर भी. बिन&...
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Abhilasha : May 2013
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Saturday, May 11, 2013. आज माँ-दिवस हैं! आज तुम गिफ्ट लेकर जब बच्चो सी खुश होती हो और हमें फ़ोन पर बताती हो के इस बार मुझे मदर डे पर गिफ्ट मिले तो लगता हैं जैसे कोई बचपन चहक रहा हैं. कर रखा हुआ हैं तुझे! तब सब जोर से हस देते हैं पर मेरी आँखे अन्दर तक भीग जाती हैं . जैसे तुम मुझे थपकी देकर सुला रही हो. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). व्यक्तिगत ज़िन्दगी. इंसान एक सामाजिक प्राणी हैं खाना पीना सोना ...गर्मी की छुट्टी और माँ. 160;पीछे मुढ कर देखती हू...160; तुम्हे त&...अब तो थक गय...
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): December 2012
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Friday, December 28, 2012. दामिनी है. रोई नहीं थी. नहीं थी. बेबस नहीं थी. वो लड़ रही थी. दुस्साहसियों के साहस. पस्त कर रही थी. चीख नहीं. फ़रियाद नहीं. एक ललकार थी. अब सब जाग जाओ. पुकार थी. देह नहीं. दामिनी है. भीतर कुछ मरा. वहाँ जिन्दा है. कहीं गयी नहीं. जाने भी मत देना. उसे जिन्दा रखना. खुद से एक वादा करना . Labels: कविता. Monday, December 10, 2012. अनुभूति. Labels: अनुभूति. Thursday, December 6, 2012. अदृश्य है. किसी आँगन के पेड़ से. उस पेड़ के लिए. Labels: कविता. एक बे...
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): July 2012
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Saturday, July 14, 2012. एक थीं भंडारिन * * * *. एक थीं भंडारिन * * * *. आज बिरझन बहुत सहमा हुआ था. उसके लिए बड़ी असमंजस की स्थिति खड़ी हो गयी थी. भूमिहारों. ठाकुरों. ब्राह्मणों के घर के रिश्ते तय करवाना बिरझन का काम है. देवघाट गाँव के लोग उसे बिचवानी कहकर संबोधित करतें हैं. ठाकुर रणवीर शाही देवघाट के बहुत ही समृद्ध जमींदार हैं. बिरझन भी इसी गाँव में रहता है. पहले तो बिरझन ने इनकार किया. अपने परिवार के जान की सलामती के ल...आज से सौ साल पहले ( गा...लड़के व&#...फिर...
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): February 2014
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Thursday, February 27, 2014. गुल्लक में. कभी-कभी पकड़े भी जाते . खूब जमकर धुनाई होती थी! अतीत की यादों से . Devesh Tripathi. Subscribe to: Posts (Atom). Searchttp:/ fargudiya.blogspot.in/h This Blog. अनुभूति. कवितायें. कहानी - शोभा मिश्रा. कुछ यादें. प्रकाशित आलेख. प्रकाशित कविता. रेड लाइट पर बिलखती भूख". स्त्री-जीवन पर लिखी कविता. मेरी प्यारी बिटिया रानी तुम्हारा जो जिंदगी...प्रेम की पाती. गौरैया. मैं पंछी हूँ हाँ मै...ये तुम्हारे शब्...स्त्री जी...कभी सिहरत...प्र...