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बहरहाल...: September 2008
http://baharhal.blogspot.com/2008_09_01_archive.html
बीता हुआ कल लौटकर नहीं आता.खैर! Thursday, September 25, 2008. पुण्य प्रसून वाजपेयी जी…कम से कम आप से ये उम्मीद नहीं थी! वाजपेयी. Posted by विवेक सत्य मित्रम्. Tuesday, September 23, 2008. क्या आप लगाएंगे अपने फोन में कंडोम वाला रिंगटोन? जी नहीं, ये सवाल कतई नहीं. Posted by विवेक सत्य मित्रम्. Monday, September 22, 2008. मैं उस टाइप की लड़की नहीं हूं! Posted by विवेक सत्य मित्रम्. Labels: जिस पर कभी सोचा नहीं. Saturday, September 13, 2008. आ जा आई ब. हार, ओ.मेरे र. रही है।. जब वो टीवी पर...आज वो अखब...
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बहरहाल...: पुण्य प्रसून वाजपेयी जी…कम से कम आप से ये उम्मीद नहीं थी !
http://baharhal.blogspot.com/2008/09/blog-post_25.html
बीता हुआ कल लौटकर नहीं आता.खैर! Thursday, September 25, 2008. पुण्य प्रसून वाजपेयी जी…कम से कम आप से ये उम्मीद नहीं थी! वाजपेयी. Posted by विवेक सत्य मित्रम्. चलिये एक टिप्पणी हमारी भी ।. September 25, 2008 at 4:00 AM. September 25, 2008 at 7:58 AM. श्रीकांत पाराशर. September 25, 2008 at 9:31 AM. September 25, 2008 at 11:23 AM. सौदामिनी. September 25, 2008 at 1:20 PM. Dear u got great sense. Kindly check whether i am write or wrong. Visit my blog if possibe and having a time. September 25, 2008 at 1:43 PM.
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बहरहाल...: October 2008
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बीता हुआ कल लौटकर नहीं आता.खैर! Tuesday, October 7, 2008. क्योंकि ये लड़की मिडिल क्लास की है! Posted by विवेक सत्य मित्रम्. Sunday, October 5, 2008. क्या मिलेगा तुम्हें मुसलमानों को धोखे में रखकर! विवेक सत्य मित्रम्. विशुद्ध. ब्राह्मण. संस्कार. मिले।. निकाला. जाता।. जिसमें. मैंने. देखा।. लिहाजा. मिली।. बाबूजी. हूं।. बाबूजी. ब्राह्मण. होंगे।. विरोधों. भी मौजूद. बाबूजी. जिंदगी. ईमानदारी. फ्रेंड. उन्होंने. परीक्षा. बेइज्जती. दिक्कतों. परेशानियां. उन्हें. लगीं।. दुनिया. फ्रेंड. हैं।. लोगों.
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बहरहाल...: सामूहिक बलात्कार का हलफनामा...!
http://baharhal.blogspot.com/2008/11/blog-post.html
बीता हुआ कल लौटकर नहीं आता.खैर! Saturday, November 29, 2008. सामूहिक बलात्कार का हलफनामा! ताज से धुआं निकल रहा है-. गोलियों की गड़गड़ाहट में-. उत्तेजना का संगीत कौंध रहा है-. कैमरों की निगाह से कुछ भी-. कहीं भी बच नहीं सकता-. पुलिस, सेना और पत्रकार-. एकदम मुस्तैद.चौकस खड़े हैं-. जान जोखिम में डालकर-. बहुतों के सीने गर्व से फूले हुए हैं-. शायद चार या पांच इंच तक-. जिंदा बच गए लोग-. अपनी किस्मत पर आंसू बहा रहे हैं-. उन कायरों के सीने पर लटकना-. चमचमाता तमगा बनकर-. पर, अभी तक धरतीपुत्...शायद व...
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बहरहाल...: November 2008
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बीता हुआ कल लौटकर नहीं आता.खैर! Saturday, November 29, 2008. सामूहिक बलात्कार का हलफनामा! ताज से धुआं निकल रहा है-. गोलियों की गड़गड़ाहट में-. उत्तेजना का संगीत कौंध रहा है-. कैमरों की निगाह से कुछ भी-. कहीं भी बच नहीं सकता-. पुलिस, सेना और पत्रकार-. एकदम मुस्तैद.चौकस खड़े हैं-. जान जोखिम में डालकर-. बहुतों के सीने गर्व से फूले हुए हैं-. शायद चार या पांच इंच तक-. जिंदा बच गए लोग-. अपनी किस्मत पर आंसू बहा रहे हैं-. उन कायरों के सीने पर लटकना-. चमचमाता तमगा बनकर-. पर, अभी तक धरतीपुत्...शायद व...
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बहरहाल...: मैं उस टाइप की लड़की नहीं हूं...!
http://baharhal.blogspot.com/2008/09/blog-post_22.html
बीता हुआ कल लौटकर नहीं आता.खैर! Monday, September 22, 2008. मैं उस टाइप की लड़की नहीं हूं! Posted by विवेक सत्य मित्रम्. Labels: जिस पर कभी सोचा नहीं. परमजीत बाली. अच्छी कहानी है।. September 22, 2008 at 10:28 PM. राज भाटिय़ा. बहुत ही सुन्दर कहानी ओर आप ने भी बेबाक सच लिख दिया. September 23, 2008 at 1:56 AM. सचिन मिश्रा. Bahut accha likha hai. September 23, 2008 at 2:11 AM. September 23, 2008 at 4:09 AM. September 23, 2008 at 1:43 PM. कुश एक खूबसूरत ख्याल. September 23, 2008 at 4:48 PM. अरे भइया...
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बहरहाल...: क्या मिलेगा तुम्हें मुसलमानों को धोखे में रखकर !
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बीता हुआ कल लौटकर नहीं आता.खैर! Sunday, October 5, 2008. क्या मिलेगा तुम्हें मुसलमानों को धोखे में रखकर! विवेक सत्य मित्रम्. विशुद्ध. ब्राह्मण. संस्कार. मिले।. निकाला. जाता।. जिसमें. मैंने. देखा।. लिहाजा. मिली।. बाबूजी. हूं।. बाबूजी. ब्राह्मण. होंगे।. विरोधों. भी मौजूद. बाबूजी. जिंदगी. ईमानदारी. फ्रेंड. उन्होंने. परीक्षा. बेइज्जती. दिक्कतों. परेशानियां. उन्हें. लगीं।. दुनिया. फ्रेंड. हैं।. लोगों. उन्हें. पढ़ाया. लिखाया।. पर्देदारी. लड़कियों. संस्कारों. लोगों. ज्यादातर. सहेलियां. ब्राह्मण. क्यो...
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बहरहाल...: ...क्योंकि ये लड़की मिडिल क्लास की है !
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बीता हुआ कल लौटकर नहीं आता.खैर! Tuesday, October 7, 2008. क्योंकि ये लड़की मिडिल क्लास की है! Posted by विवेक सत्य मित्रम्. राज भाटिय़ा. October 7, 2008 at 3:12 AM. दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi. October 7, 2008 at 5:17 AM. बहुत प्रभावी आलेख है. October 7, 2008 at 5:35 AM. पर आपके लेख मे धार हैं अंत तक पढ़ना पडा. October 7, 2008 at 7:25 AM. October 7, 2008 at 9:02 AM. October 7, 2008 at 9:31 AM. श्रीकांत पाराशर. October 7, 2008 at 9:39 AM. बिल्कुल सही कहा आपने....October 7, 2008 at 10:10 AM.
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बहरहाल...: बिल्कुल सही निशाने पर लगा जरनैल का जूता !
http://baharhal.blogspot.com/2009/04/blog-post.html
बीता हुआ कल लौटकर नहीं आता.खैर! Thursday, April 9, 2009. बिल्कुल सही निशाने पर लगा जरनैल का जूता! Posted by विवेक सत्य मित्रम्. April 10, 2009 at 2:00 AM. श्यामल सुमन. जूता की महिमा बढ़ी जूता का गुणगान।. चूक निशाने की भले चर्चित हैं श्रीमान।।. श्यामल सुमन. मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।. कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।. April 10, 2009 at 6:00 AM. परमजीत बाली. April 10, 2009 at 12:16 PM. April 10, 2009 at 6:25 PM. April 10, 2009 at 6:25 PM. April 11, 2009 at 5:59 PM.