manishi11.blogspot.com
मोरपंख.....: April 2008
http://manishi11.blogspot.com/2008_04_01_archive.html
Tuesday, April 22, 2008. दरख़्त की ख्वाइश और यीशू. संभाले. माँगे. माँगते. बहुत दिन हुए, के पतझड़ नही बीता. बड़े दिनो से है मन भी मेरा रीता ;. कब से पुरवा ने भी इधर रुख़ नही किया. के धूप में है मन मेरा जला किया. बरखा भी बरसती नही है. मृगतृष्णा है के हटती नही है. ख्वाबों पे जम गयी है बर्फ सी. ना आती है जां ना है निकलती. ज्यों ज्यों बर्फ की परतें बढ़ती हैं. ख्वाबों पर बोझ बदता जाता है. अपने ही पाँव बोझिल लगते है. अपना ही दिल भर सा आता है. एक किरण चमकी है आज कहीं. Subscribe to: Posts (Atom).
manishi11.blogspot.com
मोरपंख.....: August 2008
http://manishi11.blogspot.com/2008_08_01_archive.html
Friday, August 29, 2008. सफर बनारस का. सांस्कृतिक विरासत का. पार्ट 3. थोड़ा सा नज़र उठा कर देखा तो किन्शु. भी नज़र आ गई।. तुम कैसे जाने वाली हो? पहले सोच रही थी, सिड. को फ़ोन करके एड्रेस लेने का, पर अब सोचती हूँ हम लोग साथ चल सकते हैं। How are you going? Do you know the address? क्यों. टेंशन ले रही हो।. सिड का cousin. आया है लेने,. तुम भी साथ चलो। ". Sounds perfect। चलो ". हाय किन्शु, हाय .". कैसे जा रहे हैं हम लोग? ऑटो में। ". ऑटो में हम साढे. सौरभ नही आया? ठीक से बैठे हो न! अरे तुम सब लो...हम मुट...
manishi11.blogspot.com
मोरपंख.....: October 2008
http://manishi11.blogspot.com/2008_10_01_archive.html
Tuesday, October 7, 2008. सफर बनारस का. सांस्कृतिक विरासत का part 4. इतनी देर में कुछ समझ पाते, ये तो समझ में आ गया था के शाम के लिए मुसीबत का इतंजाम हो चुका था।. अरे गीतांजलि, चलो यार थोड़ा मार्केट घूम आते हैं। " kinshu. हाँ हाँ चलो, चलते हैं। ". सबका घूमने का प्लान बन रहा था, किसको क्या काम है मार्केट में। कुछ खास देखना हो तो।. जैसे तैसे लंका बाज़ार पहुंचे,. गगन पान वाले से, " भइया यहाँ पिज्जा हट होगा? बरिस्ता होगा? पर दिल नही।. और दिमाग, वो तो पहले से ही भरì...किशु, यार एक छो...पता नही, ...मरती...
manishi11.blogspot.com
मोरपंख.....: December 2016
http://manishi11.blogspot.com/2016_12_01_archive.html
Saturday, December 17, 2016. दिल्ली का बहिखाता. शुरुआत करते हैं हल्के फुल्के मीठे क़िस्सों से ।. १ दिल्ली police -. एकऐसे ही एक दिन हम गैस डलवा कर आ रहे थे तो एक ४५-५० साल के police वाले ने रोक लिया।. कहाँ जा रहे हो सुबह सुबह? थोड़ा हिचकिचाते हुए हमने कहा ," बस यही पीछे स्टेशन से गैस डलवाने आए थे सर। क्या हुआ? तुम्हारी नम्बर प्लेट से नम्बर ग़ायब हैं! मैंने देखा नहीं, १-२ दिन में ठीक कर लूँगी।". दिल्ली के तो नहीं लगते! कहाँ से हो? Subscribe to: Posts (Atom). Manisha - Goddess of mind, intelligence, desire.
manishi11.blogspot.com
मोरपंख.....: May 2008
http://manishi11.blogspot.com/2008_05_01_archive.html
Saturday, May 31, 2008. उनसे मुलाक़ात. छुपाते. किस्से. ज्यों. ज्यों. नज़रें. गुल्मोहर. बेचैनी. सँवारता. निहारता. ज्यों. बिगड़ी. Sunday, May 25, 2008. इंतज़ार. खामोशी. किनारे. हंसाना. इंतज़ार. Saturday, May 24, 2008. आख़िरी. जिंदगी. आख़िरी. आख़िरी. रफ़्तार. आख़िरी. आख़िरी. आख़िरी. चिन्हो. काग़ज़. आख़िरी. आख़िरी. आख़िरी. तेरे लिए. आँखों. आँखों. ख्वाबों. पहुँचने. ख्वाबों. अरमानों. अरमानों. ज़ज्बात. दीवारों. जीवनपर्यंत. खुश्बू. उनीन्दे. ढूँढे. ढूँढे. कस्तूरी. दीवाने. ढूढ़े. बातें. बातें. बेनाम- -.
manishi11.blogspot.com
मोरपंख.....: June 2008
http://manishi11.blogspot.com/2008_06_01_archive.html
Sunday, June 29, 2008. रंजिश ही सही. पर शायद कुछ ख़याल होते हैं जो अपनी खूबसूरती बरकरार रखते हैं, मुद्दत बाद भी! मेंहदी हसन साहब के बाद ग़ुलाम अली और रूना लैला ने भी इस ख़याल को अपने अपने अंदाज़ से गाया, और इसकी खूबसूरती को निखारा! दुखाने. मारासिम. दुनिया. निभाने. बताएँगे. ज़माने. गिरिया. रुलाने. छुपाना. गायिका. Labels: बेहतरीन गज़लें - गायिकाओं की आवाजों में. Friday, June 27, 2008. आज जाने की ज़िद ना करो. जाएँगे. जाएँगे. बातें. क्यों. रोकें. तुम्हें. ज़िंदगी. घड़ियाँ. मल्लिका. Thursday, June 26, 2008.
manishi11.blogspot.com
मोरपंख.....: September 2011
http://manishi11.blogspot.com/2011_09_01_archive.html
Tuesday, September 6, 2011. कभी लफ्ज़ ज़रूरी नहीं थे! कभी लफ्ज़ बाकी नहीं थे! ख़ामोशी भी मूडी हो चली है! Friday, September 2, 2011. उँगलियाँ उलझती है उसकी उँगलियों में जब,. ये ज़िन्दगी सुलझी सी लगती है! Subscribe to: Posts (Atom). Manisha - Goddess of mind, intelligence, desire. View my complete profile. गुलज़ार नामा. गुलज़ार नामा. My Favourites. Other sources. Reviews - Movies/ Books. कहानी साँस लेती है. यात्राएं . मेरे पसंदीदा. उड़न तश्तरी.
manishi11.blogspot.com
मोरपंख.....: March 2009
http://manishi11.blogspot.com/2009_03_01_archive.html
Monday, March 9, 2009. परी कथा. न जाने क्यों, सुबह से एक गाना जेहन में गूँज रहा था, कुछ और सूझा नही तो यहाँ चले आए॥. न जाने क्या हुआ, जो तूने छु लिया,. खिला गुलाब की तरह मेरा बदन।. निखर निखर गई,सवंर सवंर gayi,. बना के aaina tujhe ओ जानेमन। '. कितना रोमांटिक और खूबसूरत है सोच। बस सोचने और गहराई का सिलसिला है प्यार का अहसास।. राबिया के सामने वाले घर में रहता था शिराज! अपने भाई और 2 दोस्तों के साथ! उठा कर दीदी को बोल ही दिया उसने! दीदी ने सुना , और सबसे पहले बो...वैसे अच्छा त...कहानी स&#...बेह...
manishi11.blogspot.com
मोरपंख.....: October 2012
http://manishi11.blogspot.com/2012_10_01_archive.html
Friday, October 26, 2012. शाम गुज़र गयी तेरे इंतजार में,. शब् भी कहीं यूँ ही ना गुज़र जाए! रुखसत किया उन्होंने कुछ इस तरह हमें,. फिर मिलने की उम्मीद में कहीं ज़िन्दगी न गुज़र जाए! Subscribe to: Posts (Atom). Manisha - Goddess of mind, intelligence, desire. View my complete profile. गुलज़ार नामा. गुलज़ार नामा. My Favourites. Other sources. Reviews - Movies/ Books. कहानी साँस लेती है. यात्राएं . मेरे पसंदीदा. उड़न तश्तरी.
manishi11.blogspot.com
मोरपंख.....: January 2008
http://manishi11.blogspot.com/2008_01_01_archive.html
Sunday, January 20, 2008. पूछा किसी ने, 'वो' क्या करते हैं? हमने कहा शायरी. फिर पूछा उसने, और आप? हमने कहा 'उनसे' लड़ाई. हैरान हो पूछा फिर उसने. पर क्यों? उनसे' लड़ाई का आलम अब क्या पूछिए. हम ख़फा हुए जाते हैं, वो शेर पढ़े जाते हैं. लगा आहट हुई, बाहर कोई आया है,. शायद किसी ने दरवाज़ा खटखटाया है. झाँका तो, अलाव की आग बुझी हुई थी. पास में ठीठूरति सी शाम खड़ी थी! कंपकपांती शाम पूरी भीगी हुई थी. शायद नदी में फिसल पड़ी थी. अंदर लाकर उसको जब बैठाया,. उपर मोटा सा कंबल ओढाया! मुझसे नज़र मि...रात न...