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मेरी डायरी के पन्ने...poems... stories... pictures; the blog is an account of what we live...see...say and write
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मेरी डायरी के पन्ने... | aboojh.blogspot.com Reviews
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अबूझ : July 2015
http://www.aboojh.blogspot.com/2015_07_01_archive.html
सोच का - ख्यालों का . ज़िंदगी का - सवालों का . सफरनामा. मंगलवार, 28 जुलाई 2015. अलविदा .डॉक्टर कलाम. मैं एक गहरा कुआं हूं इस ज़मीन पर. बेशुमार लड़के-लड़कियों के लिए कि उनकी प्यास बुझाता रहूं।. उसकी बेपनाह रहमत उसी तरह ज़र्रे-ज़र्रे पर बरसती है. जैसे कुआं सबकी प्यास बुझाता है।. इतनी सी कहानी है मेरी. मैं दूसरों के लिए मिसाल नहीं बनना चाहता,. खुदा की रहमत उनकी विरासत है।. शब्द गुलज़ार साहब के हैं . औऱ उनकी कहानी. एक बार उन्होंने कहा था . अलविदा डॉक्टर कलाम . प्रस्तुतकर्ता. भारत रत्न. Dr APJ Abdul Kalam.
अबूझ : October 2013
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सोच का - ख्यालों का . ज़िंदगी का - सवालों का . सफरनामा. गुरुवार, 31 अक्तूबर 2013. शुक्रिया . आकाश के रचयिता . समर और प्रभा . उस वक्त सिर्फ दो किरदार नहीं थे . वो एक बाल-मन की सोच का सच बन चुके थे।. साहित्य क्या होता है? यथार्थपरक. यथार्थपूरक या फिर इससे परे . एक अलग ही दुनिया।. बचपन इस जद्दोजहद से परे था. Image Ctsy - Google. सारा आकाश . कितनी बार पढ़ी , याद नहीं. अपने कितने मित्रों को भेंट की. तमाम जिंदगियों को समेटे साहित्य . और साहित्य में बसा सच . प्रस्तुतकर्ता. हेमन्त वशिष्ठ. सवाल दिल...राज...
अबूझ : December 2009
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सोच का - ख्यालों का . ज़िंदगी का - सवालों का . सफरनामा. गुरुवार, 24 दिसंबर 2009. ये आखिर क्या है. कुछ एबस्ट्रैक्ट सा है. बिना किसी शेप में. अबूझ सा. या फिर एकदम एबसर्ड. बिना किसी मतलब के. जबरदस्ती.एक हठ की तरह. शायद बेतरतीब भी. वाहियात. किसी कूड़े की तरह. जैसे कोई इंटेलेक्चुअल खरपतवार हो. नकारा विचारों को समेटे. किसी पंगु सोच का प्रतिबिंब. या फिर.शायद वो एक इमेज है. बहुत स्ट्रॉंग. एकदम ब्राइट कलर्स वाली. हाई कंट्रास्ट इमेज. कोलाज भर है. कोलाज .इमोशंस का कोलाज. भाव भी नहीं . अवशेष है. है वो. जो श...
अबूझ : April 2014
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सोच का - ख्यालों का . ज़िंदगी का - सवालों का . सफरनामा. शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014. आधी बची है रात . एक लफ्ज़ भिजवाया है . ढलती शाम के साथ. लिख रहा हूं बाकी पयाम. अभी आधी बची है रात. हर पहर से इकरार है इंतज़ार का . आहिस्ता आहिस्ता हर लम्हा चुन रहा है अल्फाज़. एक लफ्ज़ भिजवाया है . ढलती शाम के साथ. लिख रहा हूं बाकी पयाम. अभी आधी बची है रात . हरफ उठा लेना तुम . स्याही बदल - बदल कर. भेजी है बैरंग लिफाफों में. हर मुख्तसर सी मुलाकात. एक लफ्ज़ भिजवाया है . ढलती शाम के साथ. मजमून पर ना जाना. वो सड़क. हर शाम .
अबूझ : November 2013
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सोच का - ख्यालों का . ज़िंदगी का - सवालों का . सफरनामा. शनिवार, 30 नवंबर 2013. ये रंग जिंदगी के . . . ये हाथ कागज़ों से. ये लफ्ज़ बादलों से. लिखते हुए किस्सा तेरा. हुआ ज़िक्र फासलों से . . . पगडंडियों सी लिखावट. धुलती चली गई वो. हर शाम तुम्हें लिखा. बेताब बारिशों से . . . हर रंग से लिपटकर. ख्वाबों ने जी समेटा. हुई धड़कनें मलंग सी. थामा जो हसरतों से . . . उस धूप की इबारत. है वक्त के सफे पर. वो हाशिये पर लिखना. फिर रोज़ आदतों से . . . दुआओं की ली स्याही. लिखा इबादतों से. हर राह पर भटक कर. जिसे ...जूठ...
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सरल की डायरी Saral ki Diary: July 2015
http://saralkidiary.blogspot.com/2015_07_01_archive.html
सरल की डायरी Saral ki Diary. कुछ दूर चलके रास्ते सब एक-से लगे/मिलने गए किसी से मिल आए किसी से हम-निदा फ़ाज़ली. मुख्यपृष्ठ. ठिकाने, नये-पुराने. सदियों की ख़ता और लम्हों को सज़ा-8. पिछला भाग). अजीब बात है कि इन दोनों बिलकुल विपरीत स्थितियों पर एक साथ ख़ुश कैसे हुआ जा सकता है! तो फिर वो कौन है जो लोगों को हक़ लेने से रोक रहा है! यह लड़ाई लड़नी पड़ेगी, यह ज़रुरी है।. अगला भाग). कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Labels: इज़्ज़त. मर्दानगी. Dum Laga Ke Haisha.
सरल की डायरी Saral ki Diary: December 2011
http://saralkidiary.blogspot.com/2011_12_01_archive.html
सरल की डायरी Saral ki Diary. कुछ दूर चलके रास्ते सब एक-से लगे/मिलने गए किसी से मिल आए किसी से हम-निदा फ़ाज़ली. मुख्यपृष्ठ. ठिकाने, नये-पुराने. क्यों है ज़रुरी, ग़ज़ल हो पूरी! संकोच भी होता है इस तरह सोचते मगर क्या करें कि जो सोचा उसे कैसे झुठला दें, क्यों सेंसर कर दें! तो लीजिए फिर. हथेली पर कोई गर जान रक्खे. तो मुमकिन है कभी ईमान रक्खे 13-11-2010. पहले रस्ता रोकेंगे फिर राह बनाना सिखलाएंगे. इस घिनौनी शक्ल को मैं हाय! कैसे दूं ज़ुबां 26-03-2011. इक मैं हूं और इक तुम हो. भरम का धुंआæ...उसे म...
सरल की डायरी Saral ki Diary: May 2011
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सरल की डायरी Saral ki Diary. कुछ दूर चलके रास्ते सब एक-से लगे/मिलने गए किसी से मिल आए किसी से हम-निदा फ़ाज़ली. मुख्यपृष्ठ. ठिकाने, नये-पुराने. ईमानदार बाल मामाजी की बेईमान यादें-2. बाद में जो कुछ अनुभव मुझे ख़ुद हुए, मैंने पाया कि सच्चाई वाक़ई बेहद कड़वी है।. क्या यह सीधे-सीधे बेईमान पक्ष को बढ़ावा या खुली छूट देना नहीं है? तीसरा, जो मां-बाप अपने आदर्शवादी बच्चों का साथ नहीं दे सकते वे उन&...आज अगर बाल मामाजी होते तो कोई वजह नहीं थी कि ...संजय ग्रोवर. पिछला हिस्सा. इसे ईमेल करें. Labels: डायरी. आज सोच...
सरल की डायरी Saral ki Diary: February 2013
http://saralkidiary.blogspot.com/2013_02_01_archive.html
सरल की डायरी Saral ki Diary. कुछ दूर चलके रास्ते सब एक-से लगे/मिलने गए किसी से मिल आए किसी से हम-निदा फ़ाज़ली. मुख्यपृष्ठ. ठिकाने, नये-पुराने. मिनी स्कर्ट और करवा चौथ. 8216;मेरे ख़्वाबों में जो आए.’. यूं सरल ऐसा नहीं मानता कि स्कर्ट पहनने वाली महिला आधुनिक या हर हाल में तार्किक होगी ही होगी. लड़के या मर्द तो कबसे नेकर पहन रहे हैं.सब आधुनिक तो नहीं हो सके. 8216;‘जब भी मुझे ज़रुरत होगी आप आ जाया करोगे? जवाब न देने से कैसी छटपटाहट बची रह गयी! कमाल है! कौन है यह? इस ठग-संस्कृति सí...इधर विरोध...दूस...
सरल की डायरी Saral ki Diary: September 2013
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सरल की डायरी Saral ki Diary. कुछ दूर चलके रास्ते सब एक-से लगे/मिलने गए किसी से मिल आए किसी से हम-निदा फ़ाज़ली. मुख्यपृष्ठ. ठिकाने, नये-पुराने. यहां हर कोई नहीं पहुंच सकता. 8216;आपका मेल मिला, मैं आपकी हर मुहिम में आपके साथ हूं।’. 8216;चलिए, किसीने तो जवाब दिया।’. 8216;यह तसवीर कैसी लगा रखी है आपने? 8216;क्यों ठीक नहीं है क्या? 8216;नहीं, नहीं, बहुत गोरे हो रहे हैं आप तो।. 8216;मैं क्यों डालूं? नेता जी आपके हैं, मुझे क्या लेना? 8216;हैं! 8216;अरे, पहले ही दिन से क्य...8216;एक साहब लेखक...8216;यह त...
सरल की डायरी Saral ki Diary: सारांश-2
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सरल की डायरी Saral ki Diary. कुछ दूर चलके रास्ते सब एक-से लगे/मिलने गए किसी से मिल आए किसी से हम-निदा फ़ाज़ली. मुख्यपृष्ठ. ठिकाने, नये-पुराने. सारांश-2. रोहिनी का मन बदल रहा है।. वह हिम्मत बांधकर घर से निकलती है।. 8216;जी मैम’, गुण्डा सर नवाकर कहता है।. 8216;‘देखिए, क्या ऐसा नहीं हो सकता कि आप ही हमारी बेटी की हड्डियां कस्टम से निकलवां दें! 8217;’ रोहनी डरी हुई है पर बदलने की पूरी कोशिश कर रही है।. 8216;‘ ओह! 8216;‘साधना पड़ता है, एकदम से तो कुछ होत...8216;कितना टैक्टफुल ग...8216;‘ओके! 8216;वाकई ...
सरल की डायरी Saral ki Diary: सदियों की ख़ता और लम्हों को सज़ा-8
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सरल की डायरी Saral ki Diary. कुछ दूर चलके रास्ते सब एक-से लगे/मिलने गए किसी से मिल आए किसी से हम-निदा फ़ाज़ली. मुख्यपृष्ठ. ठिकाने, नये-पुराने. सदियों की ख़ता और लम्हों को सज़ा-8. पिछला भाग). अजीब बात है कि इन दोनों बिलकुल विपरीत स्थितियों पर एक साथ ख़ुश कैसे हुआ जा सकता है! तो फिर वो कौन है जो लोगों को हक़ लेने से रोक रहा है! यह लड़ाई लड़नी पड़ेगी, यह ज़रुरी है।. अगला भाग). इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. Labels: इज़्ज़त. Dum Laga Ke Haisha.
सरल की डायरी Saral ki Diary: June 2014
http://saralkidiary.blogspot.com/2014_06_01_archive.html
सरल की डायरी Saral ki Diary. कुछ दूर चलके रास्ते सब एक-से लगे/मिलने गए किसी से मिल आए किसी से हम-निदा फ़ाज़ली. मुख्यपृष्ठ. ठिकाने, नये-पुराने. मर्द की इज़्ज़त. उसे न जाने कितनी घटनाएं याद आती हैं जब सुनने को मिलता था कि ‘देख, वह लड़की होकर कर लेती है और तुम लड़के होकर भी.’. क्या मैंने अपनी मर्ज़ी से ख़ुदको ऐसा बनाया है? देखो ज़रा दूसरे लड़कों को देखो, क्या भाग-भागकर फटाफट काम कर लाते हैं. वह डूबकर मर जाए क्या? समझ नहीं पाता। समझा नहीं पाता।. इज़्ज़त के अलावा और क्या? न जाने यह कैसे ह...इस संबंध ...सदस्...
सरल की डायरी Saral ki Diary: ईमानदार बाल मामाजी की बेईमान यादें-2
http://saralkidiary.blogspot.com/2011/05/2.html
सरल की डायरी Saral ki Diary. कुछ दूर चलके रास्ते सब एक-से लगे/मिलने गए किसी से मिल आए किसी से हम-निदा फ़ाज़ली. मुख्यपृष्ठ. ठिकाने, नये-पुराने. ईमानदार बाल मामाजी की बेईमान यादें-2. बाद में जो कुछ अनुभव मुझे ख़ुद हुए, मैंने पाया कि सच्चाई वाक़ई बेहद कड़वी है।. क्या यह सीधे-सीधे बेईमान पक्ष को बढ़ावा या खुली छूट देना नहीं है? तीसरा, जो मां-बाप अपने आदर्शवादी बच्चों का साथ नहीं दे सकते वे उन&...आज अगर बाल मामाजी होते तो कोई वजह नहीं थी कि ...संजय ग्रोवर. पिछला हिस्सा. इसे ईमेल करें. Labels: डायरी. स्त...
सरल की डायरी Saral ki Diary: February 2011
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सरल की डायरी Saral ki Diary. कुछ दूर चलके रास्ते सब एक-से लगे/मिलने गए किसी से मिल आए किसी से हम-निदा फ़ाज़ली. मुख्यपृष्ठ. ठिकाने, नये-पुराने. पिता की चिता के बहाने. जली पिता की चिता तो समझो. कोई मेरे साथ नहीं था. भीड़ बहुत थी. धक्के भी थे गलबहिंया भी. हाथ में कोई हाथ नहीं था. दोस्त बहुत थे. लेकिन उनसे बहुत ही ज़्यादा. सामाजिकता विद्यमान थी. दोस्त यकीनन मेरी समझ के आर-पार थे. लेकिन उनके. संस्कार थे. संस्कार और दुनियादारी. मौलिकता को खा जाते हैं. सच्चाई पर. सुंदर सा इक कफन डालकर. कौन समझता. मुझकí...
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Aboo Insurance Brokers | Insurance brokers in Mombasa Kenya
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خدا با ماست
ان ينصركم الله فلا غالب لكم. ما همان نسل جوانيم كه ثابت كرديم. در ره عشق جگر دارتر از صد مرديم. هر زمان بوي خميني بسرافتد ما را. دور سيد علي خامنه اي مي گرديم. وبلاگ محمد حسين رنجبران. پايگاه اطلاع رساني مقام معظم رهبري. پايگاه اطلاع رساني صبح. دست نوشته هاي بي معرفت. مرکز بررسیهای استراتژیک ریاست جمهوری اسلامی. رياست جمهوري اسلامي ايران. سايت گروه فرهنگي همين حالا. مركز اطلاع رساني شهيد آويني. شهيد دكتر مصطفي چمران. پايگاه اطلاع رساني امام خميني عليه الرحمه. پایگاه اطلاع رسانی جامع دفاع مقدس (ساجد).
سولماز وصمد
1587;ولماز وصمد. Thursday, July 15, 2004. Text-kashida:0%" اول سخن يك معذرت. Text-kashida:0%" من باكساني كه. 1605;يخواهيدبكنيد؟ Text-kashida:0%" يعني اينحضرات. 1576;الايي كه شبانه روزسنگشان را به سينه ميزنيدوضعيتي باقي گذا...1580;لوبدهدوحرف حق بزند؟ چرا ازكوره درميرويد؟ماك...1585;انگاهي بياندازيد. 1576;خداقسم قواعد بازي. 1585;ا نميدانيد كه هيچ! Text-kashida:0%" يعني شمافكرميكنيد. 1575;ين دوستمان هنوزبام...1605;تعهداست كه بر...1576;دارد.تفا...1711;زينش م&#...1603;ه رز...1608;ب...
معرفت
حضرت زهرا(س)-دفاع از حریم ولایت. ﺍﮔﺮ ﺩﺷﻤﻦ ﮐﻨﺪ ﻧﻘﺶ ﺯﻣﯿﻨﻢ. ﺭﺳﺪ ﻇﻠﻢ ﺍﺯ ﯾﺴﺎﺭ ﻭ ﺍﺯ ﯾﻤﯿﻨﻢ. ﺑﻪ ﻗﺮﺁﻥ ﺗﺎ ﻧﻔﺲ ﺩﺍﺭﻡ ﺑﻪ ﺳﯿﻨﻪ. ﺍﮔﺮ ﭼﻪ ﮐﺲ ﻧﮑﺮﺩ ﺍﺯ ﻣﻦ ﺣﻤﺎﯾﺖ. ﺣﻤﺎﯾﺖ ﺍﺯ ﻋﻠﯽ ﺩ ﯾﻦ ﺍﺳﺖ ﻭ ﺩﯾﻨﻢ. ﺷﻮﺩ ﻗﺮﺑﺎﻥ ﯾﮏ ﻣﻮﯼ ﺍﻣﺎﻣﻢ. ﻫﺰﺍﺭﺍﻥ ﺑﺎﺭ ﻃﻔﻞ ﻧﺎﺯﻧﯿﻨﻢ. ﻧﮕﺎﻫﻢ ﺭﺍ ﺑﮕﯿﺮ ﺍﯼ ﺍﺑﺮ ﺳﯿﻠﯽ. ﮐﻪ ﻣﻈﻠﻮﻣﯽ ﺣﯿﺪﺭ ﺭﺍ ﻧﺒﯿﻨﻢ. ﻫﻤﻪ ﺩﺷﻤﻦ، ﻧﻪ ﯾﺎﺭﯼ ﻧﻪ ﻣﻌﯿﻨﯽ. ﻓﻘﻂ ﺩﯾﻮﺍﺭ ﺷﺪ ﯾﺎﺭ ﻭ ﻣﻌﯿﻨﻢ. ﺗﻨﻢ ﻣﺠﺮﻭﺡ ﺷﺪ ﺍﺯ ﺗﺎﺯﯾﺎﻧﻪ. ﺑﺰﻥ ﻗﻨﻔﺬ ﺑﺰﻥ ﻗﻨﻔﺬ ﻣﻦ ﺍﯾﻨﻢ. ﺍﻟﻬﯽ ﺑﺸﮑﻨﺪ ﺩﺳﺘﺖ ﻣﻐﯿﺮﻩ. ﺑﺰﻥ ﻣﻦ ﺩﺧﺖ ﺧﺘﻢ ﺍﻟﻤﺮﺳﻠﯿﻨﻢ. ﻃﻠﺐ ﮐﺮﺩﻡ ﺯ ﺩﺍﻭﺭ ﻣﺮﮒ ﺧﻮﺩ ﺭﺍ. ﺑﻮﺩ ﺩﺭ ﺭﺍﻩ ﻣﺮﻍ ﺁﻣ ﯿﻨﻢ. ﺗﻮ ﺑﺎﯾﺪ ﻣﯿﺜﻢ ﺍﺯ ﺯﻫﺮﺍ ﺑﮕﻮﯾﯽ.
Bespoke handmade sterling silver jewellery | aboojewellery Cambridge
Welcome to aboo jewellery. The online home of unique personalised sterling silver jewellery. Choose from a range of beautiful fingerprint keepsake necklaces, personalised bracelets and bangles and stunning one-of-a-kind silver rings - whichever item you choose, you'll be thrilled with the quality and design, as well as the highly personal service. Aboo Jewellery is born!
मेरी डायरी के पन्ने...
मेरी डायरी के पन्ने. यादों के सफे पर वक्त की इबारत. मंगलवार, 28 जुलाई 2015. अलविदा .डॉक्टर कलाम. मैं एक गहरा कुआं हूं इस ज़मीन पर. बेशुमार लड़के-लड़कियों के लिए कि उनकी प्यास बुझाता रहूं।. उसकी बेपनाह रहमत उसी तरह ज़र्रे-ज़र्रे पर बरसती है. जैसे कुआं सबकी प्यास बुझाता है।. इतनी सी कहानी है मेरी. मैं दूसरों के लिए मिसाल नहीं बनना चाहता,. खुदा की रहमत उनकी विरासत है।. शब्द गुलज़ार साहब के हैं . जो बयां कर रहे हैं एक रूह की खूबसूरती को. औऱ उनकी कहानी. अलविदा डॉक्टर कलाम . Dr APJ Abdul Kalam. एक गिलहर&...
Welcome to Abooji.com
Feel the Excitement Build. There are always new and exciting things happening at the Abooji Cafe'. Check out our weekly updates in the Abooji Blog. Ever wonder who we are and where we came from? Abooji Coffee Tastes Great to the Last Drop. Find the answers you seek by visiting our Virtual Store. Relax for a While. Meet new friends, sip some virtual cappuccino, and have some fun. Drink Coffee in 3D. There is magic in the air whenever you drink from one of our fantastic mugs. Best in the World. Hardwood fl...
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