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चंद मुट्ठी अशआर: इस पिघलती शाम.....
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Friday, September 11, 2009. इस पिघलती शाम. इस पिघलती शाम को अपना बनाया जाए. उसका ज़िक्र छेड़ो, कुछ सुना-सुनाया जाए. आंखों में खलल देती है शमअ बेवफा. बुझा दो इसे, वफ़ा का सबक सिखाया जाए. अक्सर ख़याल-ऐ-यार ही देता है खुमारी. ज़रा जाम भी भरो यारों, इसे और बढाया जाए. गहराया है नशा, ज़रा तेज़ रक्स हो. गहरा गई है रात, ख़्वाब कोई सजाया जाए. दुष्यंत. Labels: खुमारी. अनिल कान्त :. Mujhe aapki rachna padhkar bahut achchha laga. September 11, 2009 at 1:35 PM. बहुत उम्दा! September 11, 2009 at 11:51 PM. Congress must ser...
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चंद मुट्ठी अशआर: April 2008
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Wednesday, April 30, 2008. अपने होठों पर . अपने होठों पर सजाना चाहता हूँ. आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ. कोई आँसू तेरे दामन पर गिराकर. बूँद को मोती बनाना चाहता हूँ. थक गया मैं करते-करते याद तुझको. अब तुझे मैं याद आना चाहता हूँ. छा रहा है सारी बस्ती में अँधेरा. रोशनी हो घर जलाना चाहता हूँ. आखिरी हिचकी तेरे ही दर पर आए अब. मौत भी मैं शायराना चाहता हूँ. जनाब मोहतरम क़तील शिफाई . Wednesday, April 23, 2008. मैंने इस दिल पर. आजकल नई हवा बह रही है इस शहर में. दुष्यंत. दुष्यंत. Monday, April 7, 2008. सुख&...
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चंद मुट्ठी अशआर: January 2009
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Monday, January 5, 2009. चहुँ ओर यही हवा.युवा,युवा,युवा (१२ जनवरी 'युवा दिवस' पर विशेष0. दुष्यंत. Labels: article on youth day. The youth of india. Subscribe to: Posts (Atom). चंद मुट्ठी अशआर. अक्स मेरा पेश ऐ खिदमत है. मैं . मैं क्या हूँ? मैं तो इक अदना सा तिनका हूँ . जो हवा का रुख बताता है. View my complete profile. विजेट आपके ब्लॉग पर. विजेट आपके ब्लॉग पर. चहुँ ओर यही हवा.युवा,युवा,युवा (१२ जनवरी युवा दि. Dcember notes part 2. क्षितिज. ज़िंदगी इक दौड़ है. The Great Indian SAM. Keep distance horn please.
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चंद मुट्ठी अशआर: July 2009
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Thursday, July 16, 2009. मैं चला था जहाँ से . मुकाबला. लेंगे. दोनों. मुश्किल. क्षितिज. प्राप्त. दुष्यंत. Subscribe to: Posts (Atom). चंद मुट्ठी अशआर. अक्स मेरा पेश ऐ खिदमत है. मैं . मैं क्या हूँ? मैं तो इक अदना सा तिनका हूँ . जो हवा का रुख बताता है. View my complete profile. विजेट आपके ब्लॉग पर. विजेट आपके ब्लॉग पर. मैं चला था जहाँ से . Dcember notes part 2. क्षितिज. ज़िंदगी इक दौड़ है. The Great Indian SAM. Keep distance horn please. प्रेम उमरिया. Welcome to Pratham Path.
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चंद मुट्ठी अशआर: March 2008
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Saturday, March 29, 2008. एक वाकया चंद पंक्तियाँ . महफिलों मे आना जाना है तेरी बेतकल्लुफी. मुझे बेहयाई का गुमान हो गया. एक मन मुझसे कुछ कहे एक कहे कुछ. भीतर ही भीतर एक कत्ल ऐ आम हो गया . पगली सी इक लड़की . मैं जब चाँदनी के साथ. छत पर टहलता हूँ. चाँद हाथों से छुपाती है. वो पगली सी लड़की. उसकी इस चुहल पर. जब खीज उठता हूँ मैं. तो खिलखिलाती मुस्कुराती है. वो पगली सी लड़की. मैं जब कागज़ पर. स्याही से ग़ज़ल लिखता ह. तो संग संग गुनगुनाती है. वो पगली सी लड़की. वो पगली सी लड़की. दुष्यंत. दुष्यंत. ज़माने ...आओ हम व&#...
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चंद मुट्ठी अशआर: February 2010
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Monday, February 1, 2010. घिर आये. घिर आये स्याह बादल सरे शाम. और उदास ये जेहन क्यूँ हुआ. पोशीदाँ अहसास क्यूँ उभर आये. ये दिल तनहा दफ्फअतन क्यूँ हुआ. यूँ तो अब तक चेहरे की ख़ुशी छुपाते थे. ग़म छुपाने का ये जतन क्यूँ हुआ. कोई चोट तो गहरी लगी होगी. ये संगतराश यूँ बुतशिकन क्यूँ हुआ. दुष्यंत. Subscribe to: Posts (Atom). चंद मुट्ठी अशआर. अक्स मेरा पेश ऐ खिदमत है. मैं . मैं क्या हूँ? View my complete profile. विजेट आपके ब्लॉग पर. विजेट आपके ब्लॉग पर. घिर आये. Dcember notes part 2. क्षितिज. The Great Indian SAM.
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चंद मुट्ठी अशआर: September 2009
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Tuesday, September 29, 2009. दियार-ऐ-इश्क से गुजर जाने से पहले. दियार-ऐ-इश्क़* से गुजर जाने से पहले,. थे होशमंद, न थे दीवाने से पहले. इश्क का शहर. सब्ज़ बाग़, सुर्ख गुल हम देख ही न पाये,. खिजां आ गई. बहार आने से पहले. बज़्म* में उनकी मुहब्बत एक तमाशा है,. मालूम न था हमें, वहां जाने से पहले. बज़्म- महफिल. मेरा नाखुदा* तो नाशुक्रा निकला,. रज़ा भी न पूछी, डुबाने से पहले. नाखुदा- मल्लाह, नाविक. राब्ता* रखिये जनाब, नए ज़माने से पहले. राब्ता- ताल्लुक, संपर्क. दुष्यंत. Friday, September 11, 2009. 8220;Pratham Path...
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चंद मुट्ठी अशआर: May 2008
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Friday, May 9, 2008. मन से नमन आज तेरा है माँ. तेरे नेह से, दुलार से, ममता की फुहार से. भीगता रहे ये जीवन, आज पुलकित है मन. तेरी महानता के आगे, आज छोटा पड़ गया आसमां. मन से नमन आज तेरा है माँ. तेरी गोद का बिछौना, तेरा आँचल मेरा खिलौना. तेरी प्यार भरी थपकी, वो सुकून भरी झपकी. तेरी प्यार भरी झिड़की, तेरे हाथों की मार. मैं पहचानता हूँ माँ उसमे छुपा दुलार. विधाता का रूप तू ही, सृष्टि का स्वरूप तू ही. मात्रत्व दिवस पर माँ तुझको मन से वंदन है. दुष्यंत. Thursday, May 1, 2008. बादलों का . प्यासी. Congress must se...
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चंद मुट्ठी अशआर: October 2009
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Tuesday, October 13, 2009. आज तिमिर का नाश हुआ. आज तिमिर का नाश हुआ. दीपों की लगी कतार. कार्तिक अमावस्या लेकर आई. यह आलोकित उपहार. द्वार द्वार पर दीप जलें. घर घर हुआ श्रृंगार. हर देहरी प्रदीप्त हुई. बिखरा हर्ष अपार. झाड़ बुहार आँगन को. लक्ष्मी को दें आमंत्रण. करबद्ध हो सब करें. मन से रमा का वंदन. सभी को शुभ दीपावली. दुष्यंत. Subscribe to: Posts (Atom). चंद मुट्ठी अशआर. अक्स मेरा पेश ऐ खिदमत है. मैं . मैं क्या हूँ? View my complete profile. विजेट आपके ब्लॉग पर. Dcember notes part 2. The Great Indian SAM.
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चंद मुट्ठी अशआर: दियार-ऐ-इश्क से गुजर जाने से पहले........
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Tuesday, September 29, 2009. दियार-ऐ-इश्क से गुजर जाने से पहले. दियार-ऐ-इश्क़* से गुजर जाने से पहले,. थे होशमंद, न थे दीवाने से पहले. इश्क का शहर. सब्ज़ बाग़, सुर्ख गुल हम देख ही न पाये,. खिजां आ गई. बहार आने से पहले. बज़्म* में उनकी मुहब्बत एक तमाशा है,. मालूम न था हमें, वहां जाने से पहले. बज़्म- महफिल. मेरा नाखुदा* तो नाशुक्रा निकला,. रज़ा भी न पूछी, डुबाने से पहले. नाखुदा- मल्लाह, नाविक. राब्ता* रखिये जनाब, नए ज़माने से पहले. राब्ता- ताल्लुक, संपर्क. दुष्यंत. Dil ko kahan maloom tha. Dcember notes part 2.