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गीत गाना चाहता हूँ: उसने देखा
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गीत गाना चाहता हूँ. गीतकार - डॉ. अजय पाठक). Thursday, August 24, 2006. उसने देखा. उसने देखा आज हमारी आँखों में,. जैसे बिजली चमकी हो बरसातों में ।. सहारा ने सागर का पानी सोख लिया,. ऐसा ही एहसास हुआ जज़्बातों में ।. तन्हाई में रहना अच्छा लगता है,. खुद ही से बातें करते हैं रातों में ।. आँखों में रंगीन फ़िज़ाओं का मंज़र,. सच्चाई को ढूँढ़ रहा है बातों में ।. रूह तलक महके हैं ऐसा लगता है,. कोई खुशबू घोल गया है साँसों में ।. Posted by जयप्रकाश मानस. Subscribe to: Post Comments (Atom). डॉ. पाठक.
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गीत गाना चाहता हूँ: क्यों गीत गाना चाहते हैं अजय पाठक ?
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गीत गाना चाहता हूँ. गीतकार - डॉ. अजय पाठक). Tuesday, August 08, 2006. क्यों गीत गाना चाहते हैं अजय पाठक? ऐसी ही परिस्थिति में गीत गाने की चाहत रखनेवाले अजय पाठक के गीतों को जाँचने-परखने के पहले उन्हें आत्मसात करना पहली शर्त है ।. मानो लंबी काली रात के बाद नए बिहान लगते हैं ।. डाँ. चित्त रंजन कर. अध्यक्ष,. साहित्य एवं भाषा- अध्ययनशाला,. पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय,. रायपुर (छ,ग.). Posted by जयप्रकाश मानस. Subscribe to: Post Comments (Atom). डॉ. पाठक. मुख्य पृष्ठ.
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गीत गाना चाहता हूँ: वही पखेरू
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गीत गाना चाहता हूँ. गीतकार - डॉ. अजय पाठक). Thursday, August 24, 2006. वही पखेरू. कई बरस तक, मन के भीतर,. बैठा रहा अबोला ।. आज भोर में वही पखेरू,. ज़ोर-जोर से बोला ।. धीरे-धीरे खामोशी की,. टूटी है तनहाई,. सपने सारे जाग उठे हैं,. ले-ले कर अगड़ाई ।. तेज़ हवाएँ चली,. पेड़ का पत्ता-पत्ता होला ।. आज भोर में वही पखेरू,. ज़ोर-ज़ोर से बोला ।. सर्द हवाएँ सम्मोहित कर,. बाँ गई बंधन में ।. चांदी-जैसी धूप सुबह की,. बैठ गई आँगन में ।. सुधइयों ने चुपचाप कथा का,. पट धीरे से खोला ।. सपना देखा. डॉ. पाठक.
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गीत गाना चाहता हूँ: मौन हूँ मैं
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गीत गाना चाहता हूँ. गीतकार - डॉ. अजय पाठक). Thursday, August 24, 2006. मौन हूँ मैं. मौन हूँ मैं, मौन हो तुम! मैं व्यथा हूँ, कौन हो तुम? मैं गहन संवेदना की,. बात तुमसे रह रहा हूँ ।. रिक्त अंतर है, उसी की-. शून्यता को भर रहा हूँ ।. चाहता विस्तार हूँ मैं,. किन्तु केवल गौण हो तुम? साधना के पंथ पर मैं,. चल रहा हूँ पग पढ़ाए मैं,. चल रहा हूँ पग बढ़ाए ।. चाहता हूँ इस विजन में,. साथ कोई और आए ।. जानकर मेरी विकलता,. अब भला क्यों मौन हो तुम? देख लो मुझको निकट से,. स्वप्न देखा जो,. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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गीत गाना चाहता हूँ: बाते कर तलवार की
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गीत गाना चाहता हूँ. गीतकार - डॉ. अजय पाठक). Thursday, August 24, 2006. बाते कर तलवार की. मृगनयनी के नयन कटीले,. कुंतल केश, सिंगार की ।. गुलशन गुलचें और गुलों की,. भंवरे और बहार की ।. महासमर में क्यों करता है,. बातें यह बेकार की ।. मृगनयनी के नयन कंटीले,. कुंतल केश, सिंगार की ।. सागर की लहरों पर उठता,. कैसा घोर उफान यहाँ ।. देख इधर आने को आतुर,. लगता है तूफ़ान यहाँ।. गिनता है क्यों आज लहर को,. चिंता कर पतवार की ।. हाथ मिलाने से क्या होगा? अपनी ऊर्ज़ा संचित कर ले,. Posted by जयप्रकाश मानस.
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गीत गाना चाहता हूँ: मेरे कवि
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गीत गाना चाहता हूँ. गीतकार - डॉ. अजय पाठक). Thursday, August 24, 2006. मेरे कवि. मेरे कवि तुम कब सोते हो. कलम चलाकर रात-रात भर,. जगती के कल्मष धोते हो ।. मेरे कवि तुम कब सोते हो. वंचित इच्छाओं की खातिर,. तुम पाते हो कष्ट अपरिमित ।. सोचा करते हो शोषण की,. काया कैसे होगी सीमित ।. हँसते हो निष्प्राण जगत पर,. और द्रवित होकर रोते हो ।. मेरे कवि तुम कब सोते हो. कंचन वर्ण कुसुम कलियों का,. सौरभ-गंध लिए तन-मन में,. ताल, सरोवर, नदियाँ, झरनें,. अपलक देखा करते हो तुम,. Posted by जयप्रकाश मानस.
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रंग-झांझर/ लघुकथा संग्रह: लघुकथाएं
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रंग-झांझर/ लघुकथा संग्रह. डॉ.जे.आर.सोनी. Saturday, September 09, 2006. लघुकथाएं. 2404;। रचना-क्रम ।।. सिफारिश. सूक्ष्म शिल्पकारी. रंग-झांझर. बाल खड़े होना. मच्छरदानी. हाथी वाले भीखमंगे. कमरा नं.20. कलेक्टर ने भूत से कहा. मधुमेह की गोली. मुहुर्त. कोलिहा संघ(लाफिंग क्लब). तेरही भोज. अंतिम इच्छा. 16 ब्रह्म भोज. बंटवारा. मोहल्ला समिति. कंजूसी का कड़वा फल. चुनरी बनी. Posted by जयप्रकाश मानस. Subscribe to: Post Comments (Atom). महत्वपूर्ण वेबसाइट. स्वागतम्. किताब पर कुछ बातें. लघुकथाएं.
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गीत गाना चाहता हूँ
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गीत गाना चाहता हूँ. गीतकार - डॉ. अजय पाठक). Thursday, August 24, 2006. गीत गाना चाहता. आज मन की रुद्र वीणा को,. बजाना चाहता हूँ ।. मैं तुम्हारी अस्मिता के गीत,. गाना चाहता हूँ ।. आज बरसों बाद सुधियों की,. नई खिड़की खुली है ।. तारिकाएँ झिलमिलाती,. चाँदनी-रस में घुली है ।. प्राण है बिलकुल अकेला,. मंदिरों की मूर्तियों-सा ।. इसलिए उसको कहानी,. मैं सुनाना चाहता हूँ ।. कौन जान कब तलक है. आज पलकों पर सवेरा. कालिमा की रात लेकर. आ न जाए फिर अँधेरा ।. रोशनी का एक दीपक. हर तरफ अंधड़-बगूले. डॉ. पाठक.
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गीत गाना चाहता हूँ: सपने सजाऊँ
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गीत गाना चाहता हूँ. गीतकार - डॉ. अजय पाठक). Thursday, August 24, 2006. सपने सजाऊँ. आँख में सपने सजाऊँ. प्रेम की बाती जलाऊँ,. कौन-सा मैं गीत गाऊँ, यह समझ आता नहीं है ।. गीत का मुखड़ा तुम्हारे बिन सँवर पाता नहीं है ।. चाँदनी बेचैन होकर,. देखती है राह कब से ।. खुशबुओं से तर हवाएँ,. पूछती हैं बात हमसे ।. लाज के परदे हटाओ,. दूरियाँ अब तो घटाओ,. रूप के लोभी नयन से अब रहा जाता नहीं है ।. आज खाली है जिगर में,. प्रीत की पीली हवेली ।. बन गई अन्जान सारी,. आज मन में नेह भर दो,. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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रंग-झांझर/ लघुकथा संग्रह
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रंग-झांझर/ लघुकथा संग्रह. डॉ.जे.आर.सोनी. Saturday, September 09, 2006. रंग झांझर(लघु कथा संग्रह). आवरण-रेखांकन-. श्री चम्पक भट्टाचार्य, रायपुर. सर्वाधिकार. लेखकाधीन. मूल्य50 रु. (पचास रुपए). प्रयास प्रकाशन, सी-62,अज्ञेय नगर,. बिलासपुर(07752) 221838. वैभव प्रकाशन, रायपुर. शब्द-संयोजन. वैभव कंप्यूटर्स एवं पब्लिशर्स280,. उद्भव, सेक्टर-4,पं. दीनदयाल उपाध्याय नगर,. डगनिया,रायपुर (छत्तीसगढ़) -492010फोन-2262338. इंटरनेट संस्करण. सृजन-सम्मान, छत्तीसगढ़. Posted by जयप्रकाश मानस. Subscribe to: Post Comments (Atom).