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आवाज़: August 2010
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Saturday, August 14, 2010. मेरे ब्लॉग के सभी सदस्यों को आज़ादी का ये महापर्व शुभ हो. स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई. वन्दे मातरम. रोली पाठक. Links to this post. Wednesday, August 11, 2010. कश्मीर की सरकार से गुहार. सुलग रहा है मेरा मन क्यों. जल रहा है मेरा तन क्यों. मेरी बर्फीली वादियों में,. नफरत की लगी अगन क्यों. मेघाच्छादित हिम पर्वत पर,. बरस रहें है शोले क्यों. मेरी शीतल डल-झील का,. रंग हो गया रक्तिम सा क्यों. कहाँ गए वो रंगीं शिकारे,. देवदार औ चीड पर मेरे,. रोली पाठक. रोली पाठक. Links to this post.
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आवाज़: January 2011
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Monday, January 3, 2011. ना जाने क्यों ऐसे हालात हो गए हैं. बदले-बदले से सबके, खयालात हो गए हैं. हम तो पहले जैसे ही, अब भी हैं मगर. बदले-बदले से सबके जज़्बात हो गए हैं. वो निगाहें भी हैं बदली-बदली. अंदाज़ भी बदला सा लगता है,. मौसम के साथ बदल जाना,. सबके ऐसे,खयालात हो गए हैं. बदले-बदले से सबके जज़्बात हो गए हैं. बहुत खायी थीं कसमें,. वादे भी बहुत किये थे मगर,. अब तो पहचानते तक नहीं,. उफ़, ये कैसे हालात हो गए हैं. रोली पाठक. Http:/ wwwrolipathak.blogspot.com/. रोली पाठक. Links to this post. 160;सर्व ...
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आवाज़: February 2010
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Saturday, February 27, 2010. सबसे बड़ा रुपैया. फिर चरम पे है आई.पी.एल. यानि इंडियन प्रीमिअर लीग का खुमार! फिर हो चुकी शीर्ष स्तर के क्रिकेट खिलाडियों की नीलामी! बिक चुके ये. चोटी के खिलाडी कहीं किसी उद्योगपति के हाथों तो कहीं किसी फिल्म. सितारे के हाथों! एक बार फिर होंगे आई.पी.एल. के मैच! हर चौके-छक्के पे. बार बालाओं की तरह संगीत की धुन पर थिरकती अर्धनग्न सुंदरियां,. भारतीय टीम के. एकता भी छिन्न-भिन्न हो जाती है! हरभजन सिंग का चांटा आज भी. ही बनता है! नाम भले ही दिल्ली ...लेकिन क्या...कि कई नए ...
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आवाज़: October 2010
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Thursday, October 21, 2010. अधूरी दास्ताँ. एक सदा थी, एक अदा थी. एक हया थी, एक वफ़ा थी. एक प्रेम का वादा था. एक मज़बूत इरादा था. एक सुहाना सपना था. एक अफसाना अपना था. एक राह भी थी, एक मंजिल भी. दो कोमल प्यार भरे दिल भी. एक तरफ सारा संसार. एक तरफ था मेरा प्यार. फिर, वही हुआ जो जग की रीत. जग जीता, और हारी प्रीत. बिछड़ गया मेरा मनमीत. बिछड़ गया मेरा मनमीत. रोली पाठक. रोली पाठक. Links to this post. Tuesday, October 19, 2010. दुर्भाग्य. राह तकते. नयन सूने. ना काजल ना चूड़ी. आतंक का बम,. Links to this post.
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आवाज़: March 2011
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Saturday, March 19, 2011. आज है होलिका-दहन,. आओ इसकी ज्वाला में,. स्वाहा कर दें अहंकार,. क्रोध, स्वार्थ, अभिमान. किन्तु ना दें पीड़ा,. किसी वृक्ष को. ना करें आहत ,. गगन चुम्बी ज्वाला,. ही नहीं है दहन होलिका का,. चंद लकड़ियाँ, सूखे पर्ण, कंडे,. भी कर देंगे होलिका दहन,. प्रतीकात्मक दहन,. ही है उत्तम,. बचाना है यदि,. हमें पर्यावरण. होली भी खूब मनाएंगे,. सबके तन-मन पर,. रंगीन गुलाल लगायेंगे. सोचो उनके भी बारे में,. मीलों जाते जो लेने पानी,. वर्तमान ही नहीं,. हमें सावधानी. माथे पर रोली. Links to this post.
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Kavi Manch: October 2008
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कविगण अपनी रचना के साथ अपना डाक पता और संक्षिप्त परिचय भी जरूर से भेजने की कृपा करें।. आप हमें डाक से भी अपनी रचना भेज सकतें हैं। हमारा डाक पता निम्न है।. Kavi Manch C/o. Shambhu Choudhary, FD-453/2, SaltLake City, Kolkata-700106. अबकी दिवाली मनाएब कैसे. उजड़ि गेल घर बाढ़ में. डूबि गेल पूँजी व्यापार में. ना बा कहूँ रहे के ठिकाना. ना बा कुछु खाय के ठिकाना. दिया से अपन घर के सजाएब कैसे. जुआड़ी सैंया के हम मनाएब कैसे. अबकी दिवाली हम मनाएब कैसे. ना बा घर ना बा दुआर. हे दीपमालिके. और हमें सुपथ...परंपर...
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आवाज़: May 2010
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Monday, May 17, 2010. ह्रदय का द्वन्द. नहीं ले पा रहा. शब्दों का रूप,. विचारों की उथल-पुथल. नहीं मिलता एक निष्कर्ष. भाग रहे शब्द बेलगाम. मिलता नहीं छोर. कैसे पिरोउं उन्हें. कहाँ है डोर! है मस्तिष्क में संग्राम. क्या लिखूं,कैसे लिखूं. या दे दूं उन्हें विराम! प्रश्नवाचक चिन्ह. खडा है मुह बाये,. कैसे ये अजीब शब्द. मेरी लेखनी में समायें? क्या लिखूं कि कुछ,. पढने लायक बन जाये. एक पंक्ति के लगें हैं. चार-चार अर्थ,. पा रही आज स्वयं को. लिखने में असमर्थ. देखा जो वह ह्रदय को. कब तक होंगी ये. Links to this post.
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आवाज़: September 2011
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Friday, September 23, 2011. ज़िन्दगी. हौले से दबे पाँव,. कमरे में मेरे,. धूप के एक टुकड़े की तरह,. बेआवाज़ वो दाखिल हुयी. अनमना सा अधलेटा,. अपने बिछौने पर,. कोस रहा था उसे ही,. सकपका गया अचानक,. उसे देख सामने,. फिर उसके सितम याद आने लगे. तरेर के नज़रें मैंने कहा,. क्यूँ नहीं करती मुझ पे रहम,. क्यों लेती हो हर घडी मेरा इम्तेहान.". वो मुस्कुराई, इठला कर बोली -. जो बन जाऊं मै आसान ,. जीने न देगा तुम्हें ये ज़माना,. कठोरता तुम्हें सिखला रही हूँ,. हर रंजो-गम ताकि पी सको,. रोली पाठक. Links to this post. कभी...
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॥ संगम तीरे ॥ Sangam Teere: 2010-05-09
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2405; संगम तीरे ॥ Sangam Teere. Saturday, May 15, 2010. ब्लॉगरी में महानता के मानक : संदर्भ समसामयिक प्रश्न. ज्ञानदत्त जी की मानसिक हलचल में प्रश्न उठा कि कौन बड़ा ब्लॉगर, और शुरू हो गए पत्थर चलने, सिर-फुटव्वल।. 1) ब्लॉग पर कुल हिट्स. 2) ब्लॉग पर कुल टिप्पणियाँ. 3) ब्लॉग की उपयोगिता. 8) ब्लॉग पर सबके लिए उपयोगी सामग्री जो कॉपीराइट उल्लंघन से परे, नि:शुल्क डाउनलोड हो सकत...बिना पढ़े या टिपेरे कैसा मत? अब मेरे प्रश्न स्वयं से ही हैं कि-. 2) ज़्यादातर लोग जो ब्लॉगर...3) क्या विभिन&#...और अन्त मे...