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तीन पत्ती: July 2012
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तीन पत्ती. विजेट आपके ब्लॉग पर. मंगलवार, 10 जुलाई 2012. बाज़ार. Monday, July 2, 2012. बादल हैं या. हवा के जाल फँसी. ह्वेल मछलियाँ हैं ,. घसीटता मछुआरा. ले जाता खैंच. पश्चिमी बाज़ार. क्या इनको भी. डालेगा बेंच? प्रस्तुतकर्ता. अरुण चवाई. 2 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. ऐसे भागा. जैसे गलत पते पर बरस गया हो ,. अपने उस भाई से. जो सूरज ढके हुए था. हटने को बोल गया. ताकि बरसा हुआ पानी. जल्दी सूख जाए. और इस तरह उसने. बीज क...
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तीन पत्ती: May 2012
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तीन पत्ती. विजेट आपके ब्लॉग पर. शनिवार, 26 मई 2012. अक्लमंदी. झोपड़ी में. दस लोग खड़े थे. पाँच ने सोंचा पाँच ही होते. तो बैठ सकते थे. दो ने सोंचा दो ही होते. तो लेट सकते थे. एक ने सोंचा केवल मैं ही होता. तो बाकी जगह. किराए पर उठा देता! प्रस्तुतकर्ता. अरुण चवाई. 3 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. अपने घर को घुमा कर मैंने. उसका रुख समंदर की ओर कर दिया है. वह पोखर जो कभी घर के सामने था. हुमक कर आ जाता है. अरुण चवाई. क्य&#...
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मेरे सपनों की दुनिया: August 2011
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मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Thursday, August 11, 2011. क्षणिकाएं. पतझड़ का मौसम. महकते जीवन में,. बरसों से तेरी चाहत ने. तेरी यादों ने,. खिलाये कई फूल गुलमोहर के. आज तू नहीं,. तेरी चाह नहीं,. तेरी याद नहीं,. तेरे ख़्वाब नहीं. ज़िंदगी भी बस यूँ ही. धीरे-धीरे कट रही है ऐसे,. जिसे देख कर. कोई भी कह दे कि. बिखर गए हैं. फूल गुलमोहर के. और आ गया है. मेरे जीवन में. पतझड़ का मौसम. अधूरी तस्वीर. कहीं से. एक और रंग मिल जाये,. तो बरसों से. अधूरी रही ये तस्वीर. बदले हुए रंग से. और फिर,. उस मौन पड़ी. वो ...
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ज़िन्दगी-ऐ-ज़िन्दगी: March 2013
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ज़िन्दगी-ऐ-ज़िन्दगी. शनिवार, 2 मार्च 2013. बहाने ढूंढता है. गढ़ता है. और मढ़ देता है. भाषा का लेप. एक अतिरेक. और अतिरिक्त. अनावश्यकता को. जन्मता है. संवेदना का पूरक नहीं. आभास है. प्रस्तुतकर्ता. चैन सिंह शेखावत. शनिवार, मार्च 02, 2013. प्रतिक्रियाएँ:. 1 टिप्पणी:. इस संदेश के लिए लिंक. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). कुल पेज दृश्य. ब्लॉग सूची. अघायी औरतें. 3 दिन पहले. Image: pi...
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ज़िन्दगी-ऐ-ज़िन्दगी: July 2010
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ज़िन्दगी-ऐ-ज़िन्दगी. बुधवार, 28 जुलाई 2010. कविता और रोहिडे का फूल. एक रोहिड़े का फूल है. गर्मियाँ कसमसाती हैं. भीतर कहीं गहरे तो. रोहिड़ा सुर्ख़ सा सिर तान. धरा पर कौंध उठता है. आस पास जब. सारी निशानियों के पर उतर जाते हैं. अस्तित्वों के ढूह. शुष्क और बंजर नज़र आते हैं. न मालूम. कहाँ से शेष बची कुछ लालिमा को. यत्न से निथारकर. रोहिड़ा. तड़पती प्रेमिका की धरती पर. प्रेम के दो फूल टांक देता है. रोहिड़े का यह फूल. मेरी कविता है. हवा की बेचैनियाँ. जब करवट बदलती हैं. ठीक वैसे ही. उफ़ तक न करना. पाँव...शिक...
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तीन पत्ती: February 2012
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तीन पत्ती. विजेट आपके ब्लॉग पर. रविवार, 26 फ़रवरी 2012. धूमिल आकाश पर. शाम जब इधर-उधर. लाल लाल खून फ़ैल गया था ,. जान लिया था हमने. कि रात के काले बिलार ने. आज फिर अपना शिकार कर लिया है! सहमें सिकुड़ रहे दिन औ' फूल रही रातें! डरता हूँ. दिन न कहीं रह जाएँ. हल्की -सी कौंध भर. वह भी यदा-कदा! प्रस्तुतकर्ता. अरुण चवाई. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. चुनावों का मौसम ,. प्रस्तुतकर्ता. अरुण चवाई. होंठों...प्रसî...
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तीन पत्ती: January 2012
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तीन पत्ती. विजेट आपके ब्लॉग पर. शुक्रवार, 27 जनवरी 2012. Shashikant: आम जनता को मिले संविधान की सत्ता : उदय प्रकाश. Shashikant: आम जनता को मिले संविधान की सत्ता : उदय प्रकाश. प्रस्तुतकर्ता. अरुण चवाई. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. सोमवार, 23 जनवरी 2012. विद्ध्वंस की दया पर? तुम्हारी भुजाओं की पेशियों से. कहीं मजबूत हैं. मेरी कोख की पेशियाँ ,. बस इन्हें. भुजाओं की तरह ,. रहना होगा. अरुण चवाई. मुम्बई कí...हम अपन...
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सप्तरंगी प्रेम: June 2015
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सप्तरंगी प्रेम. शनिवार, 13 जून 2015. जब से मैं रंगा हूँ तेरे प्रेम रंग में रंग रसिया. सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर आज प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती सुभाष प्रसाद गुप्ता की कविताएं. आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा. जब से मैं रंगा हूँ तेरे प्रेम रंग में रंग रसिया,. मेरा तन मन सब इंद्रधनुषी होने लगा हैI. जब से मिला है धरकन तेरे सुर में प्रेम पिया,. मध्यम के बिना सुर सप्तक सजने लगा हैI. जब से चला है तेरे प्रेम का जादू मन माहिया,. नाम : सुभाष प्रसाद गुप्ता. जन्म तिथि : ०७/ १/ १९७५. जन्म स्थì...शिक...
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सप्तरंगी प्रेम: November 2013
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सप्तरंगी प्रेम. रविवार, 3 नवंबर 2013. यही प्यार है. दो अजनबी निगाहों का मिलना. मन ही मन में गुलों का खिलना. हाँ, यही प्यार है! आँखों ने आपस में ही कुछ इजहार किया. हरेक मोड़ पर एक दूसरे का इंतजार किया. हाँ, यही प्यार है! आँखों की बातें दिलों में उतरती गई. रातों की करवटें और लम्बी होती गई. हाँ, यही प्यार है! सूनी आँखों में किसी का चेहरा चमकने लगा. हर पल उनसे मिलने को दिल मचलने लगा. हाँ, यही प्यार है! चाँद व तारे रात के साथी बन गये. हाँ, यही प्यार है! कृष्ण कुमार यादव. नई पोस्ट. ब्लॉग के स...और वर्ष 2...