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#दर्द के #व्यापारी-#हिन्दीकवितायें | *** दीपक भारतदीप की हिंदी सरिता-पत्रिका*** mastram Deepak Bharatdeep ki hindi patrika***
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द पक भ रतद प क ह द सर त -पत र क * * mastram Deepak Bharatdeep ki hindi patrika* *. ल खक स प दक- द पक भ रतद प, ग व ल यर. दर द क #व य प र -#ह न द कव त य. अनज न म भटक. स झ सकत ह. ज नकर चल तब ह क र स त. उस समझ त ह ए अपन अक ल क. च र ग ब झ सकत ह. कह द पक ब प शहर बड़ ह. ह दस क डर स सहम ज त. एक वहम स बचत. अ ग र ज म भटक इस तरह. उनक ख श करन क ल य. च ह जब ब झ सकत ह. 8212;—————. कभ अपन च हर पर भ. जख म कर ल त ह. तब भर ब ज़ र रक त. बह न क रस म भ कर ल त ह. कह द पक ब प ख श स. ज न नह स ख ज़म न. झगड़ क ढ ढत बह न. वह अमन क घर भ.
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दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका: पहरेदार-हिंदी लघुकथा (paharedar-hindi laghu katha)
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दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका. समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-. दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका. Sunday, July 26, 2009. पहरेदार-हिंदी लघुकथा (paharedar-hindi laghu katha). मित्र ने कहा-‘अरे, तू मेरी बात सुन! उसने जवाब दिया-‘यार, तुम फिर कभी बात करना। अभी मैं जल्दी में हूं! मित्र ने कहा-‘पर यह तो बता! किस पद के लिये साक्षात्कार देने जा रहा है।’. क्या तम्हें कोई लूट करने का अभ्यास है? उसने कहा-‘नहीं! उसने कहा-‘नहीं! उसने कहा-‘अगर वह ऐसा न करे तो? मित्र ने कहा-‘...हां, जब शहì...पर लì...
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दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका: ईमानदारी नहीं बनती आदत-हिन्दी व्यंग्य कविता (Imandari Nahin Banti Adat-Hind
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दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका. समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-. दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका. Wednesday, December 21, 2016. ईमानदारी नहीं बनती आदत-हिन्दी व्यंग्य कविता (Imandari Nahin Banti Adat-HindiSatirePoem). सौदागर बेचते. मासूमों के बाजार में. ज़माने की भलाई।. सौदे में चीज. कभी देनी नहीं. मुंह में मिलती मलाई।. कहें दीपकबापू मधु का मेह. इतना हो गया है. फिर भी स्वाद. उनका मिटता नहीं. बेईमानों के लिये. ईमानदारी की आदत. कभी नहीं बनती दवाई।. दीपक भारतदीप. चलो अच्छा ह&...प्रचì...
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दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका: लोकतंत्र में सेवक स्वामी-हिन्दी व्यंग्य कविता (Loktantra
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दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका. समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-. दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका. Wednesday, November 2, 2016. लोकतंत्र में सेवक स्वामी-हिन्दी व्यंग्य कविता (Loktantra mein Sewas Swami-Hindi Satire Poem). लोकतंत्र के पर्दे पर कलाकार. कभी नायक. कभी खलनायक की. भूमिका निभाते हैं।. कभी परस्पर मित्र. कभी शत्रुता निभाते हैं।. कहें दीपकबापू यह खेल है. पैसा फैंकने वाले. बन जाते निदेशक. लेने वाले इशारा मिलते ही. कभी सेवक. दीपक ‘भारतदीप’-. दीपक भारतदीप. चलो अच्छा ह&...प्रचì...
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दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका: अमेरिका व रूस के तेवर से विश्वयुद्ध के आसार-हिन्दी लेख (A
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दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका. समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-. दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका. Thursday, October 13, 2016. अमेरिका व रूस के तेवर से विश्वयुद्ध के आसार-हिन्दी लेख (America And Russia Preparing Third Worldwar-Hindi Article). दीपक भारतदीप. Subscribe to: Post Comments (Atom). लोकप्रिय पत्रिकायें. शब्दलेख सारथी. दीपक भारतदीप की ई-पत्रिका. दीपक भारतदीप की हिंदी पत्रिका. प्रचार माध्यम पाकिस्तान से बदला लेने...भारत पाकिस्तान सीमा पर चल र...विश्व पटल पर यह पहली ...अंतरî...
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दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका: नोटबंदी के बाद सामान्य स्थिति की कामना यानि कालेधन
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दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका. समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-. दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका. Tuesday, January 3, 2017. उस दिन एक टीवी चैनल पर भवन निर्माता मोदी जी के भाषण पर चर्चा करते हुए कह रहा था कि उन्होंने सब बताया पर यह नहीं स्पष्ट किया कि नकदी निकालने की...हमने मजदूर निकाल दिये क्योंकि उनको देने के लिये पैसा नहीं मिल पा रहा। फिर ह...दीपक भारतदीप. Subscribe to: Post Comments (Atom). लोकप्रिय पत्रिकायें. शब्दलेख सारथी. अमेरिका ने अफगानिस्...चलो अच्छा ही ह&...प्रचार म&...भार...
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दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका: एकता की मेलागिरी-हिन्दी हास्य कविता (ekta ki melagiri-hindi hasya kavita)
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दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका. समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-. दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका. Thursday, August 12, 2010. एकता की मेलागिरी-हिन्दी हास्य कविता (ekta ki melagiri-hindi hasya kavita). च्रेले ने कहा गुरु से. 8216;आप समाज में एकता की बात. हमेशा लोगों के सामने चलाते हो,. उनसे तालियां बजवाते हो,. पर एक बात समझ में नहीं आयी. आप ही जाति, भाषा और धर्म का नाम लेकर. लोगों के आपस में बंटे होने की तरफ. करते हैं इशारा,. इन छोटी बातों को लेकर. एकता का मसीहा. यह आलेख/हिं...पर लì...
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दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका: नेकी कर दरिया में डाल-हिन्दी कविता (neki kar dariya mein daal-hindi kavita or poem)
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दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका. समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-. दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका. Sunday, February 26, 2012. नेकी कर दरिया में डाल-हिन्दी कविता (neki kar dariya mein daal-hindi kavita or poem). वादे कर मुकरने से. तुम क्यों घबड़ाते हो।. जमाने को लग गया है यह रोग. तुम क्यों अपने को बचाते हो।. कहें दीपक बापू. नेकी कर दरिया में डाल. करना किसी का भला हो तो. मत ठोको ताल,. छल, कपट और चालाकी फंसे लोग. नित नए प्रपंच रचेंगे,. मतलब की खातिर. अपनी बनाए नेक राह पर. अमेरिक...एशि...
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दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका: नववर्ष के दिन-हिन्दी शायरी (hindi shayri on new year first day)
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दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका. समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-. दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका. Tuesday, December 29, 2009. नववर्ष के दिन-हिन्दी शायरी (hindi shayri on new year first day). एक वर्ष में दो बार उसके आने का स्वागत करते दिखेंगे।. पहले ईसवी फिर विक्रम संवत् पर जश्न मनते दिखेंगे।. बस एक दिन नयी सोच का वादा,. नये सपनों के साथ जीने का इरादा,. फिर पुरानी राह पर कदम बढ़ते दिखेंगे।. रोज नया सजाकर दिखाते हैं,. क्या जाने हर पल नया होता है,. Http:/ dpkraj.blogspot.com. This comment has ...
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दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका: चेहरों की चमक कृत्रिम लेप से बढ़ी-दीपकबापूवाणी (Chehron ki Chamak krit
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दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान- पत्रिका. समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-. दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका. Sunday, September 25, 2016. चेहरों की चमक कृत्रिम लेप से बढ़ी-दीपकबापूवाणी (Chehron ki Chamak kritri lep se badhi-DeepakBapuWani). बाज़ार से सामान खरीदते रहे घर सजाने के लिये।. फिर भी मन नहीं भरा चल पड़े कबाड़ जलाने के लिये।. कत्ल तलवार से ही नहीं जुबान से भी किये जाते हैं।. 8216;दीपकबापू’ आंखों पर चढ़ाया चश्मा, चक्षुओ...सुविधाओं के महल में बैठ...सौदागरों के ज&#...8216;दीपकबाप...प्र...
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