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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): June 2012
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Monday, June 4, 2012. कभी भीड़ से. कभी अकेले से. कभी धुंधले से. कभी दूर से. कभी करीब से. कभी अजनबी से. कभी अपने से. मिलते,बिछड़ते चेहरे. आँखों से ओझल हुए. बहुत चेहरे. कुछ अपने से ! शोभा ). Labels: कविता. तुम प्राणवायु हो. शीतल छाया हो. लाल फूलों से सजे. तुम बहुत लुभावने हो. और 'मैं'. मर्यादा से बंधी. वो पवित्र धागा हूँ. जो किस्तों में कई बार बाँधी जाती हूँ. कभी बरगद,कभी पीपल के तने से. मैं बंधी हूँ. परम्पराओं की मजबूत डोर से. मैं एक अनजाने. पर छा जाती. तुम संग. अस्ति...
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): September 2012
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Sunday, September 30, 2012. कृतिम' 'चाँद'. तुम्हारा दावा है. सात फेरों वाली. तुम्हारी कविता. तुम्हारी सात बेड़ियों में. सुरक्षित है. सात परतों में उसे छिपा. तुम सराहते हो उन्हें. जो तुम्हारी नज़रों में. निरंकुश' कविता है. सराही जाती है तुम्हारी. दोहरे मानसिकता वाली कविता. कृतिम' 'चाँद' के रूप में ! Labels: कविता. Friday, September 28, 2012. बात कुछ भी नहीं थी. बात कुछ भी नहीं थी. आस-पास का माहौल. कुछ ठीक नहीं था. कुछ बिखरा हुआ था. झलक सी दिखाई दी. चुप ही रहे. फिर भी. बिन&...
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): December 2012
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Friday, December 28, 2012. दामिनी है. रोई नहीं थी. नहीं थी. बेबस नहीं थी. वो लड़ रही थी. दुस्साहसियों के साहस. पस्त कर रही थी. चीख नहीं. फ़रियाद नहीं. एक ललकार थी. अब सब जाग जाओ. पुकार थी. देह नहीं. दामिनी है. भीतर कुछ मरा. वहाँ जिन्दा है. कहीं गयी नहीं. जाने भी मत देना. उसे जिन्दा रखना. खुद से एक वादा करना . Labels: कविता. Monday, December 10, 2012. अनुभूति. Labels: अनुभूति. Thursday, December 6, 2012. अदृश्य है. किसी आँगन के पेड़ से. उस पेड़ के लिए. Labels: कविता. एक बे...
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): July 2012
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Saturday, July 14, 2012. एक थीं भंडारिन * * * *. एक थीं भंडारिन * * * *. आज बिरझन बहुत सहमा हुआ था. उसके लिए बड़ी असमंजस की स्थिति खड़ी हो गयी थी. भूमिहारों. ठाकुरों. ब्राह्मणों के घर के रिश्ते तय करवाना बिरझन का काम है. देवघाट गाँव के लोग उसे बिचवानी कहकर संबोधित करतें हैं. ठाकुर रणवीर शाही देवघाट के बहुत ही समृद्ध जमींदार हैं. बिरझन भी इसी गाँव में रहता है. पहले तो बिरझन ने इनकार किया. अपने परिवार के जान की सलामती के ल...आज से सौ साल पहले ( गा...लड़के व&#...फिर...
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): February 2014
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Thursday, February 27, 2014. गुल्लक में. कभी-कभी पकड़े भी जाते . खूब जमकर धुनाई होती थी! अतीत की यादों से . Devesh Tripathi. Subscribe to: Posts (Atom). Searchttp:/ fargudiya.blogspot.in/h This Blog. अनुभूति. कवितायें. कहानी - शोभा मिश्रा. कुछ यादें. प्रकाशित आलेख. प्रकाशित कविता. रेड लाइट पर बिलखती भूख". स्त्री-जीवन पर लिखी कविता. मेरी प्यारी बिटिया रानी तुम्हारा जो जिंदगी...प्रेम की पाती. गौरैया. मैं पंछी हूँ हाँ मै...ये तुम्हारे शब्...स्त्री जी...कभी सिहरत...प्र...
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): November 2012
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Saturday, November 24, 2012. तपती धूप में छाँव. मम्मी से बात करने के बाद फेसबुक लॉगइन किया तो एक प्यारे दोस्त का प्यारा सा संदेस देखकर मन खुश हो गया, फिर कुछ देर हम दोनों . "ओक्का- बोक्का तीन -तडओक्का ". अटकन-चटकन दही-चटाकन". चिउंटी के झगडा छोडाहिया बड़का मामा". वाला खेल खेले .:). लिट्टी-चोखा की बात की. तपती धूप में छाँव है. तुम हो तो. शहर में भी गाँव है ". शोभा ). Labels: अनुभूति. Friday, November 16, 2012. इंसान कहाँ था. दिल ने जो महसूस किया. वो .सच था. इस देखने. रेड ल&...
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): school
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Thursday, February 27, 2014. गुल्लक में. कभी-कभी पकड़े भी जाते . खूब जमकर धुनाई होती थी! अतीत की यादों से . Devesh Tripathi. June 10, 2014 at 3:45 AM. Mere blog Unwarat.com par kbhI aaiye. Subscribe to: Post Comments (Atom). Searchttp:/ fargudiya.blogspot.in/h This Blog. अनुभूति. कवितायें. कहानी - शोभा मिश्रा. कुछ यादें. प्रकाशित आलेख. प्रकाशित कविता. रेड लाइट पर बिलखती भूख". स्त्री-जीवन पर लिखी कविता. मेरी प्यारी बिटिया रान&...प्रेम की पाती. गौरैया. मैं पंछ...ये तì...
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): October 2012
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Sunday, October 14, 2012. एक मिसाल -मलाला. पहले तालीम से डरे. नन्ही गुड़िया की कलम से डरे. हुकूमतें तुम्हारी क्यों हिलने लगी? नहीं बंद रही वो. घर की दहलीज़ के भीतर. नहीं रही सिमटी. तुम्हारे बिस्तरों. के सिलवटों में. विस्तार दे रही थी. अपने पंखों को. मिशाल बन रही थी. घोसले में सहमी फर्गुदियाओं के लिए. तुम्हारी सत्ता को ललकार नहीं रही थी. अपने वजूद का निर्माण कर रही थी. बुज़दिल. छिपकर निशाना साधते हुए. रूह न कांपी तुम्हारी. क्या कुसूर था उसका? Labels: कविता. एक धीमी आ...सुब...
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): March 2013
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Sunday, March 31, 2013. कुछ ऐसा हो जाए. कुछ ऐसा हो जाए. सब कुछ भूल जाऊं. कौन हूँ . क्या हूँ . क्या करना है . किसी को स्कूल भेजना है . किसी को ऑफिस भेजना है . कोई मेरा है . मैं किसी की हूँ ! कुछ ऐसा हो जाए . खो जाऊं कश्मीर के जंगलों में. बेताब वैली की वादियों में. पहलगाम में 'बशीर' के घर जाऊं. उसकी पत्नी से खूब बातें करूँ. उसके बच्चों के साथ खेलूं! कुछ ऐसा हो जाए. फिर बचपन में चली जाऊं. मामाजी के गाँव में रहने लगूं. कुछ ऐसा हो जाए. कुछ ऐसा हो जाए. Labels: कविता. नर्म र...
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ): September 2013
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उड़ान ( एक छोटी सी कोशिश ). Tuesday, September 10, 2013. चौथ का चाँद - शोभा मिश्रा. चौथ का चाँद. तुम हमेशा किचन या किताबों में ही बिजी रहती हो, मेरे लिए भी समय है तुम्हारे पास? सीख ही तो रहा हूँ, अब तुम ये बेलन लेकर मेरे सामने मत खड़ी रहो .बहुत डर लगता है यार तुमसे . तुम अब पहले जैसी नहीं रही . सुनो! चलो , आज तुम्हें कहीं घुमा लाऊं ". कहाँ घुमाने ले जाओगे? वहीँ माल या शोर शराबे वाली बेसिर पैर की कोई मूवी? तुम भी तो नहीं ". अर्र्र्र्र्र्र! अरे रुको तो . ये तुम्...मुझे मत रोको . ...Friday, September 6, 2013.
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