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अंकित सफ़र की कलम से...

अंकित सफ़र की कलम से. ग़ज़ल - युग बदलती सोच की सौगात के. युग बदलती सोच की सौगात के. रंग बदले-बदले हैं देहात के. ख़्वाहिशें मेरी मुसलसल यूँ बढ़ीं. हो गईं बाहर मेरी औक़ात के. अलविदा जब दिन ने सूरज को कहा. शाम ने परदे गिराये रात के. ख़ामुशी कसने लगी है तंज अब. रास्ते कुछ तो निकालो बात के. कुछ दिनों तक मन बहकने दो ज़रा. ख़्वाहिशों पर रंग हैं जज़्बात के. खेलने के बस तरीके बदले हैं. खेल तो वैसे ही हैं शह-मात के. गोधरा पर ट्रेन जब ठहरी ज़रा. घाव फिर ताज़ा हुये गुजरात के. Painting (Checkmate) by Andrea Banjac. बहरे म...

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अंकित सफ़र की कलम से. ग़ज़ल - युग बदलती सोच की सौगात के. युग बदलती सोच की सौगात के. रंग बदले-बदले हैं देहात के. ख़्वाहिशें मेरी मुसलसल यूँ बढ़ीं. हो गईं बाहर मेरी औक़ात के. अलविदा जब दिन ने सूरज को कहा. शाम ने परदे गिराये रात के. ख़ामुशी कसने लगी है तंज अब. रास्ते कुछ तो निकालो बात के. कुछ दिनों तक मन बहकने दो ज़रा. ख़्वाहिशों पर रंग हैं जज़्बात के. खेलने के बस तरीके बदले हैं. खेल तो वैसे ही हैं शह-मात के. गोधरा पर ट्रेन जब ठहरी ज़रा. घाव फिर ताज़ा हुये गुजरात के. Painting (Checkmate) by Andrea Banjac. बहरे म...
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अंकित सफ़र की कलम से... | ankitsafar.blogspot.com Reviews

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अंकित सफ़र की कलम से. ग़ज़ल - युग बदलती सोच की सौगात के. युग बदलती सोच की सौगात के. रंग बदले-बदले हैं देहात के. ख़्वाहिशें मेरी मुसलसल यूँ बढ़ीं. हो गईं बाहर मेरी औक़ात के. अलविदा जब दिन ने सूरज को कहा. शाम ने परदे गिराये रात के. ख़ामुशी कसने लगी है तंज अब. रास्ते कुछ तो निकालो बात के. कुछ दिनों तक मन बहकने दो ज़रा. ख़्वाहिशों पर रंग हैं जज़्बात के. खेलने के बस तरीके बदले हैं. खेल तो वैसे ही हैं शह-मात के. गोधरा पर ट्रेन जब ठहरी ज़रा. घाव फिर ताज़ा हुये गुजरात के. Painting (Checkmate) by Andrea Banjac. बहरे म...

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अंकित सफ़र की कलम से...: 01/11/11

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अंकित सफ़र की कलम से. ग़ज़ल - काढ देंगे सहर उजालों की. पिछले महीने दीपावली में सुबीर संवाद सेवा. एक खूबसूरत सुबह गुप्त-काशी, उत्तराखंड की). क़र्ज़ रातों का तार के हर सू. एक सूरज नया उगे हर सू. काढ देंगे सहर उजालों की. बाँध कर रात के सिरे हर सू. तेरे हाथों का लम्स पाते ही. एक सिहरन जगे, जगे हर सू. रात टूटी हज़ार लम्हों में. ख़ाब सारे बिखेर के हर सू. मेरे स्वेटर की इस बुनावट में. प्यार के धागे हैं लगे हर सू. चाँद को गौर से जो देखा तो. जुगनुओं के लिबास थे हर सू. तरही मुशायेरा. बहरे ख़फ़ीफ़. Subscribe to: Posts (Atom).

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अंकित सफ़र की कलम से...: 01/05/12

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अंकित सफ़र की कलम से. ग़ज़ल - समझौतों से समझौता कर बैठे हैं. समझौतों से समझौता कर बैठे हैं. क्या करने निकले थे, क्या कर बैठे हैं. शब की गिरहें खोलेंगे ये सोचा था. नीदों से आँखें उलझा कर बैठे हैं. फर्क़ नहीं अब कुछ बाकी हम दोनों में. अपना लहजा भी तुझ सा कर बैठे हैं. भूल गए असली शक्लें धीर-धीरे. लोग मुखौटों को चेहरा कर बैठे हैं. आज मुखालिफ़ है अपना साया तक भी. हम कितना ख़ुद को तन्हा कर बैठे हैं. आज ख़रीदी झोली भर के खुशियाँ पर. पत्रिका. साढ़े पांच फेलुन. Subscribe to: Posts (Atom). गुरु जी.

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अंकित सफ़र की कलम से...: 01/03/13

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अंकित सफ़र की कलम से. समीक्षा - महुवा घटवारिन की छवियाँ. यह समीक्षा द्विमासिक पत्रिका "परिकथा" के जनवरी - फरवरी 2013 (वर्ष 7, अंक 42) में प्रकाशित हुई है। आप इसे यहाँ. पर भी पढ़ सकते हैं।. कहानी संग्रह. महुवा घटवारिन और अन्य कहानियाँ". कहानीकार. पंकज सुबीर. कहानी संग्रह की शुरुआत होती है "सदी का महानायक उर्फ़ कूल-कूल तेल का सेल्समेन" नामक कहानी से।. जहाँ तक मुझे याद पड़ता है. पंकज सुबीर की. प्रदुमन का प्रदु और. जहाँ एक तरफ. राज्य का शासक. कहानी शासन के रचे तंत्र क&#...फारुकी ने. ब्रह्मस्वर...ब्रह&#238...

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अंकित सफ़र की कलम से...: 01/09/13

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अंकित सफ़र की कलम से. नज़्म - आसमान से शहद बनायें. फोटो - निखिल कुँवर. फूलों के आबाद नगर से चुनती हैं रस के धागे. कैद घरों में हौले-हौले बुनती हैं रस के धागे. बरसाती मौसम के साथ आई हैं कुछ पाबंदी. फूलों से रस चुनने की पहले सी नहीं आज़ादी. तिस पर देखो आसमान ने फूलों से रंग चुरा लिये. पहले ही था रंग-बिरंगा और रंग क्यूँ चढ़ा लिये. रंग छोड़ के नीला आसमान अब,. थोड़ा काला. थोड़ा पीला. रंगीला-सा दिखता है. आओ इसको सबक सिखायें,. आसमान से शहद बनायें।. Subscribe to: Posts (Atom). गुरु जी. पत्रिका. बहरे ख़फ़ीफ़.

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अंकित सफ़र की कलम से...: 01/04/15

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अंकित सफ़र की कलम से. ग़ज़ल - ज़रा आवाज़ दे उसको बुला तो. ज़रा आवाज़ दे उसको बुला तो. न लौटे, फिर वो शायद, अब गया तो. तेरी आँखों का साहिल है कहाँ तक! मैं उस से पूछता ये.… पूछता तो. भरा है खुश्बुओं से तेरा कमरा. पुराने ख़त सलीक़े छुपा तो. मैं ख़ुद को लाख भटकाऊँ भी तो क्या! तुम्हीं तक जायेगा हर रास्ता तो. मेरी ख़ामोशियाँ पहचान जाता. मुझे अच्छे से गर वो जानता तो. है जिनकी सरपरस्ती हम पे काबिज़. बुतों में ढल गये वो देवता तो. बिना सोचे ही तुम ठुकरा भी दोगे. Painting by Andrea Banjac}. Subscribe to: Posts (Atom).

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हृदय गवाक्ष: September 2013

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हृदय गवाक्ष. नित्य समय की आग में जलना, नित्य सिद्ध सच्चा होना है। माँ ने दिया नाम जब कंचन, मुझको और खरा होना है! Sunday, September 22, 2013. लंचबॉक्स, विवाह संस्था और जाने क्या क्या. हर तरफ, हर जगह बेशुमार आदमी. फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी।. और उस शेर से भी कि. सबके दिल में रहता हूँ पर दिल का दामन खाली है,. खुशियाँ बाँट रहा हूँ मै और अपना ही दिल खाली है।. पति या पत्नी संतुष्ट क्यों नही? ये मनचाहा बंधन, अनचाहा कैसे हो गया है? ढूँढ़ते रहने की? क्या कहा? कंचन सिंह चौहान. Subscribe to: Posts (Atom). सर&#238...

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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: February 2010

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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. मंगलवार, फ़रवरी 02, 2010. गणतंत्र दिवस, 2010. Posted by संजीव गौतम. Links to this post. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). कुल घुमंतु. मेरा भारत महान, तिरंगा मेरी शान. अपने बारे में. संजीव गौतम. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. सुबीर संवाद सेवा. 4 घंटे पहले. 2 सप्ताह पहले. अंकित "सफ़र" की कलम से. ग़ज़ल - इस लम्हे का हुस्न यही है. 3 माह पहले. 4 माह पहले. 4 माह पहले. आज हम बात करत&...

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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: January 2010

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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. मंगलवार, जनवरी 19, 2010. वसंत पंचमी है. हम कलमकारों के लिये सबसे बडा दिन. माता सरस्वती की पूजा और साथ ही. महाप्राण निराला का जन्म दिवस. सभी मित्रों और ब्लागर्स भाइयों को. वसंत पर्व की आत्मिक शुभकामनाओं के साथ. अपनी पूजा में ऍक गीत के साथ. आप सबको साझा करना चाहता हूँ॑. गीत उस समय का है जब लय से जान पहचान में. लेकिन फिर भी. आ गया है नव वसंत. जिस तरफ उठे नजर. उसी तरफ बहार है. हर तरफ वसंत की. मेर&#236...

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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: कश्मीर में तीन दिन भाग-3

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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. मंगलवार, अक्तूबर 27, 2009. कश्मीर में तीन दिन भाग-3. गतांक से आगे- -. Posted by संजीव गौतम. 9 टिप्‍पणियां:. योगेन्द्र मौदगिल. ने कहा…. अच्छी प्रस्तुति. 27 अक्तूबर, 2009 09:21. ने कहा…. बहुaत अच्छे संस्मरण ःाइं शुभकामनायें. 27 अक्तूबर, 2009 10:34. नीरज गोस्वामी. ने कहा…. 27 अक्तूबर, 2009 10:38. गौतम राजरिशी. ने कहा…. 27 अक्तूबर, 2009 10:59. मुनीश ( munish ). ने कहा…. 27 अक्तूबर, 2009 11:33. पाल ल&#...

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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: June 2009

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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. शनिवार, जून 20, 2009. नवगीत की पाठशाला में. मेरा नवगीत पढें-. Http:/ navgeetkipathshala.blogspot.com/2009/06/blog-post 05.html. Posted by संजीव गौतम. Links to this post. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). कुल घुमंतु. मेरा भारत महान, तिरंगा मेरी शान. अपने बारे में. संजीव गौतम. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. सुबीर संवाद सेवा. 4 घंटे पहले. 2 सप्ताह पहले. 3 माह पहले. आज हम बात क...

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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: April 2009

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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. सोमवार, अप्रैल 13, 2009. लकीरों को मिटाना चाहता हूँ।. हदों के पार जाना चाहता हूँ।. विरासत में मिले हैं चन्द सपने,. उन्हें सूरज दिखाना चाहता हूँ।. सुफल लगते हैं मेहनत के शजर पर,. ये बच्चों को बताना चाहता हूँ।. बहुत ख़ुश दीखती हो तुम कि जिसमें,. वही किस्सा सुनाना चाहता हूँ।. मेरी ग़ज़लो मैं अपनी मौत के दिन,. Posted by संजीव गौतम. Links to this post. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. संजीव गौतम. सच को लि...6 वर&#238...

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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: October 2009

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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. मंगलवार, अक्तूबर 27, 2009. कश्मीर में तीन दिन भाग-3. गतांक से आगे- -. Posted by संजीव गौतम. Links to this post. रविवार, अक्तूबर 25, 2009. कश्मीर में तीन दिन भाग-2. गतांक से आगे- -. Posted by संजीव गौतम. Links to this post. गुरुवार, अक्तूबर 22, 2009. यात्रा-1. कश्मीर में तीन दिन- - - - -. क्रमश: शीघ्र ही - - -. Posted by संजीव गौतम. Links to this post. बुधवार, अक्तूबर 07, 2009. Links to this post. म&#237...

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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: ग़ज़ल-11

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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. रविवार, सितंबर 06, 2009. अपनी कमज़ोरियां छिपाते हैं. और हैं और ही जताते हैं. कौन सा रोग ये है हमको लगा. हमको दुनिया के ग़म सताते हैं. अपना क्या है फ़क़ीर ठहरे हम,. सुख के बदले में दुख कमाते हैं. मेरी कमियां मुझे बताते नहीं,. दोस्त यूं दुश्मनी निभाते हैं. हक़ बयानी ज़रूर होगी वहां,. सच को सूली जहां चढाते हैं. क्यों उठाते हैं लोग यूं पत्थर,. जब कभी हम ग़ज़ल सुनाते हैं. Posted by संजीव गौतम. आपने शायद ...दोस...

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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. बुधवार, मई 13, 2009. नवगीत की पाठशाला में मेरा नवगीत पढें. Http:/ navgeetkipathshala.blogspot.com/2009/05/blog-post.html. Posted by संजीव गौतम. 3 टिप्‍पणियां:. ने कहा…. ये मेरा पुराना वाला आगरा का मित्र है क्या? जो ऑनलाईन कवि सम्मेलनों में मेरे साथ होता था? बताओ जरा? 13 मई, 2009 08:07. गौतम राजरिशी. ने कहा…. 26 मई, 2009 22:43. गौतम राजरिशी. ने कहा…. 28 मई, 2009 21:53. नई पोस्ट. 3 माह पहले. ग़ज़ल क&...

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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. रविवार, सितंबर 13, 2009. पूरे सात वर्ष अवसाद में रहने के पश्चात इस वर्ष इस ग़ज़ल से मेरे साहित्यकार. पहले से बेहतर हूं मैं. सन्डे है घर पर हूं मैं. दुनिया से वाबस्ता हूं,. आख़िरको शायर हूं मैं. बच्चे हैं तो मैं,. मैं हूं,. उनकी खातिर घर हूं मैं. दुनिया जिससे दुनिया है,. वो ढाई आखर हूं मैं. जैसा चाहे वैसा कर,. अब तेरे दर पर हूं मैं. Posted by संजीव गौतम. 26 टिप्‍पणियां:. विनय ‘नज़र’. ने कहा…. जब पहली ब...

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આ સાલી જીંદગી. જીંદગી શું છે? અને કેવી રીતે જીવાય . સાથે સાથે મારા થોડા વિચારો. જિંદગી. સૌરાષ્ટ્ર ની સફર. મારા વિશે. શોર્ટ સ્ટોરી - જન્નતની હૂર! વિશ્વમાનવ - જીતેશ દોંગા. લાગે બાગે લોહી ની ધાર -અંકિત સાદરીયા. અહી પણ ફોલો કરો. આ સાલી જીંદગી - યુ ટ્યુબ ચેનલ. આ સાલી જીંદગી - instagram. આ સાલી જીંદગી - ફેસબુક પેજ. મંગળવાર, 20 ડિસેમ્બર, 2016. ઈમોશન્સ, ફીલિંગ્સ - માણસ ને માણસ બનાવતી લાગણીઓ. કેવી રીતે એક્સપ્રેસ કરવી? મારી બીજી પોપ્યુલર પોસ્ટ્સ -. 2 ટિપ્પણીઓ:. આ ઇમેઇલ કરો. આને બ્લૉગ કરો! જીંદગી. સૌને ...એ હવ&#275...

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Ankit Sahay | Searching Myself

The name of the geek is Ankit Sahay. He has been coding since the early 2000’s when he was in school and web designing since the mid-2007’s still in school. He suffers from chronic internet addiction and has been known to use phrases like “. I would love to change the world, but they won’t give me the source code. 8220; He takes pride in his “. There’s no place like 127.0.0.1. 8221; tee, as well as his “. When in doubt, Try another hole. How to know the up loader of any image downloaded from Facebook?

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Pearls of wisdom from our six year old. If Babies and Fish could fight. Cook of the house. Thursday, July 27, 2006. Ankit: There is anohter way to say donkey that adds a bad word to it. Ankit: The word is jackass. Jack and the 'a-word'. Ankit: Why do they call it the "a-word". What if there is more than one bad words that starts with 'a'. Then what do you call them. Mummy: (quiet, wondering how to distract the kid from this topic). Ankit: Also is there any "th word". Posted by Peeyush Ranjan @ 2:45 PM.

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