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हृदय गवाक्ष: September 2013
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हृदय गवाक्ष. नित्य समय की आग में जलना, नित्य सिद्ध सच्चा होना है। माँ ने दिया नाम जब कंचन, मुझको और खरा होना है! Sunday, September 22, 2013. लंचबॉक्स, विवाह संस्था और जाने क्या क्या. हर तरफ, हर जगह बेशुमार आदमी. फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी।. और उस शेर से भी कि. सबके दिल में रहता हूँ पर दिल का दामन खाली है,. खुशियाँ बाँट रहा हूँ मै और अपना ही दिल खाली है।. पति या पत्नी संतुष्ट क्यों नही? ये मनचाहा बंधन, अनचाहा कैसे हो गया है? ढूँढ़ते रहने की? क्या कहा? कंचन सिंह चौहान. Subscribe to: Posts (Atom). सरî...
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: February 2010
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. मंगलवार, फ़रवरी 02, 2010. गणतंत्र दिवस, 2010. Posted by संजीव गौतम. Links to this post. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). कुल घुमंतु. मेरा भारत महान, तिरंगा मेरी शान. अपने बारे में. संजीव गौतम. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. सुबीर संवाद सेवा. 4 घंटे पहले. 2 सप्ताह पहले. अंकित "सफ़र" की कलम से. ग़ज़ल - इस लम्हे का हुस्न यही है. 3 माह पहले. 4 माह पहले. 4 माह पहले. आज हम बात करत&...
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: January 2010
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. मंगलवार, जनवरी 19, 2010. वसंत पंचमी है. हम कलमकारों के लिये सबसे बडा दिन. माता सरस्वती की पूजा और साथ ही. महाप्राण निराला का जन्म दिवस. सभी मित्रों और ब्लागर्स भाइयों को. वसंत पर्व की आत्मिक शुभकामनाओं के साथ. अपनी पूजा में ऍक गीत के साथ. आप सबको साझा करना चाहता हूँ॑. गीत उस समय का है जब लय से जान पहचान में. लेकिन फिर भी. आ गया है नव वसंत. जिस तरफ उठे नजर. उसी तरफ बहार है. हर तरफ वसंत की. मेरì...
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: कश्मीर में तीन दिन भाग-3
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. मंगलवार, अक्तूबर 27, 2009. कश्मीर में तीन दिन भाग-3. गतांक से आगे- -. Posted by संजीव गौतम. 9 टिप्पणियां:. योगेन्द्र मौदगिल. ने कहा…. अच्छी प्रस्तुति. 27 अक्तूबर, 2009 09:21. ने कहा…. बहुaत अच्छे संस्मरण ःाइं शुभकामनायें. 27 अक्तूबर, 2009 10:34. नीरज गोस्वामी. ने कहा…. 27 अक्तूबर, 2009 10:38. गौतम राजरिशी. ने कहा…. 27 अक्तूबर, 2009 10:59. मुनीश ( munish ). ने कहा…. 27 अक्तूबर, 2009 11:33. पाल ल&#...
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: June 2009
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. शनिवार, जून 20, 2009. नवगीत की पाठशाला में. मेरा नवगीत पढें-. Http:/ navgeetkipathshala.blogspot.com/2009/06/blog-post 05.html. Posted by संजीव गौतम. Links to this post. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). कुल घुमंतु. मेरा भारत महान, तिरंगा मेरी शान. अपने बारे में. संजीव गौतम. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. सुबीर संवाद सेवा. 4 घंटे पहले. 2 सप्ताह पहले. 3 माह पहले. आज हम बात क...
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: April 2009
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. सोमवार, अप्रैल 13, 2009. लकीरों को मिटाना चाहता हूँ।. हदों के पार जाना चाहता हूँ।. विरासत में मिले हैं चन्द सपने,. उन्हें सूरज दिखाना चाहता हूँ।. सुफल लगते हैं मेहनत के शजर पर,. ये बच्चों को बताना चाहता हूँ।. बहुत ख़ुश दीखती हो तुम कि जिसमें,. वही किस्सा सुनाना चाहता हूँ।. मेरी ग़ज़लो मैं अपनी मौत के दिन,. Posted by संजीव गौतम. Links to this post. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. संजीव गौतम. सच को लि...6 वरî...
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: October 2009
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. मंगलवार, अक्तूबर 27, 2009. कश्मीर में तीन दिन भाग-3. गतांक से आगे- -. Posted by संजीव गौतम. Links to this post. रविवार, अक्तूबर 25, 2009. कश्मीर में तीन दिन भाग-2. गतांक से आगे- -. Posted by संजीव गौतम. Links to this post. गुरुवार, अक्तूबर 22, 2009. यात्रा-1. कश्मीर में तीन दिन- - - - -. क्रमश: शीघ्र ही - - -. Posted by संजीव गौतम. Links to this post. बुधवार, अक्तूबर 07, 2009. Links to this post. मí...
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: ग़ज़ल-11
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. रविवार, सितंबर 06, 2009. अपनी कमज़ोरियां छिपाते हैं. और हैं और ही जताते हैं. कौन सा रोग ये है हमको लगा. हमको दुनिया के ग़म सताते हैं. अपना क्या है फ़क़ीर ठहरे हम,. सुख के बदले में दुख कमाते हैं. मेरी कमियां मुझे बताते नहीं,. दोस्त यूं दुश्मनी निभाते हैं. हक़ बयानी ज़रूर होगी वहां,. सच को सूली जहां चढाते हैं. क्यों उठाते हैं लोग यूं पत्थर,. जब कभी हम ग़ज़ल सुनाते हैं. Posted by संजीव गौतम. आपने शायद ...दोस...
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. बुधवार, मई 13, 2009. नवगीत की पाठशाला में मेरा नवगीत पढें. Http:/ navgeetkipathshala.blogspot.com/2009/05/blog-post.html. Posted by संजीव गौतम. 3 टिप्पणियां:. ने कहा…. ये मेरा पुराना वाला आगरा का मित्र है क्या? जो ऑनलाईन कवि सम्मेलनों में मेरे साथ होता था? बताओ जरा? 13 मई, 2009 08:07. गौतम राजरिशी. ने कहा…. 26 मई, 2009 22:43. गौतम राजरिशी. ने कहा…. 28 मई, 2009 21:53. नई पोस्ट. 3 माह पहले. ग़ज़ल क&...
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰: ग़ज़ल-12
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कभी तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. कभी तो नाप लेंगे दूरियां ये आसमानों की, परिन्दों का यकीं कायम तो रहने दो उडानों में. रविवार, सितंबर 13, 2009. पूरे सात वर्ष अवसाद में रहने के पश्चात इस वर्ष इस ग़ज़ल से मेरे साहित्यकार. पहले से बेहतर हूं मैं. सन्डे है घर पर हूं मैं. दुनिया से वाबस्ता हूं,. आख़िरको शायर हूं मैं. बच्चे हैं तो मैं,. मैं हूं,. उनकी खातिर घर हूं मैं. दुनिया जिससे दुनिया है,. वो ढाई आखर हूं मैं. जैसा चाहे वैसा कर,. अब तेरे दर पर हूं मैं. Posted by संजीव गौतम. 26 टिप्पणियां:. विनय ‘नज़र’. ने कहा…. जब पहली ब...
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