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सबद-नाद

अनुसिरजण /भारतीय कवितावां रो राजस्थानी अनुवाद : नीरज दइया. मुख्यपृष्ठ. हकीरत हीर री कवितावां. राजस्थानी अनुवाद नीरज दइया. लो नोच लो. म्हारो डील. उतार दो म्हारा गाभा. कर देवो भरै बजार नागी. म्हैं बा ई लुगाई हूं. जिकी थांनै जूण सूंपी! थांरै घर सूं. लेवती टैम सीख. छोड़िया जावूं म्हैं-. म्हारी पांख्यां. जद-कद बुलाओ. तो राखजो चेतो-. अबै कोनी हुवैला सारै म्हारै. पांखां वाळी उड़ारी. बो कदैई-कदैई. लुक-लुक’र मुळक्या करतो हो. जद-कद उण री बारी आगैकर जावती. पूछ्यो- कुण है थूं? पाछी आयगी! फोटुवां. समझ लेवै! की...

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अनुसिरजण /भारतीय कवितावां रो राजस्थानी अनुवाद : नीरज दइया. मुख्यपृष्ठ. हकीरत हीर री कवितावां. राजस्थानी अनुवाद नीरज दइया. लो नोच लो. म्हारो डील. उतार दो म्हारा गाभा. कर देवो भरै बजार नागी. म्हैं बा ई लुगाई हूं. जिकी थांनै जूण सूंपी! थांरै घर सूं. लेवती टैम सीख. छोड़िया जावूं म्हैं-. म्हारी पांख्यां. जद-कद बुलाओ. तो राखजो चेतो-. अबै कोनी हुवैला सारै म्हारै. पांखां वाळी उड़ारी. बो कदैई-कदैई. लुक-लुक’र मुळक्या करतो हो. जद-कद उण री बारी आगैकर जावती. पूछ्यो- कुण है थूं? पाछी आयगी! फोटुवां. समझ लेवै! की&#2...
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1 सबद नाद
2 पृष्ठ
3 कहाणी
4 लुगाई
5 उड़ारी
6 जीसा
7 प्रेम १
8 प्रेम २
9 प्रेम ३
10 अर बो
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सबद नाद,पृष्ठ,कहाणी,लुगाई,उड़ारी,जीसा,प्रेम १,प्रेम २,प्रेम ३,अर बो,फफोला,सुणो,posted by,dr neeraj daiya,अनुसिरजण,असमिया,उर्दू,कन्नड़,कशमीरी,डोगरी,तमिल,बोडो,मराठी,मलयालम,follow this blog
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अनुसिरजण /भारतीय कवितावां रो राजस्थानी अनुवाद : नीरज दइया. मुख्यपृष्ठ. हकीरत हीर री कवितावां. राजस्थानी अनुवाद नीरज दइया. लो नोच लो. म्हारो डील. उतार दो म्हारा गाभा. कर देवो भरै बजार नागी. म्हैं बा ई लुगाई हूं. जिकी थांनै जूण सूंपी! थांरै घर सूं. लेवती टैम सीख. छोड़िया जावूं म्हैं-. म्हारी पांख्यां. जद-कद बुलाओ. तो राखजो चेतो-. अबै कोनी हुवैला सारै म्हारै. पांखां वाळी उड़ारी. बो कदैई-कदैई. लुक-लुक’र मुळक्या करतो हो. जद-कद उण री बारी आगैकर जावती. पूछ्यो- कुण है थूं? पाछी आयगी! फोटुवां. समझ लेवै! की&#2...

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सबद-नाद : हकीरत हीर री कवितावां

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अनुसिरजण /भारतीय कवितावां रो राजस्थानी अनुवाद : नीरज दइया. मुख्यपृष्ठ. 16 जुलाई, 2015. हकीरत हीर री कवितावां. राजस्थानी अनुवाद नीरज दइया. लो नोच लो. म्हारो डील. उतार दो म्हारा गाभा. कर देवो भरै बजार नागी. म्हैं बा ई लुगाई हूं. जिकी थांनै जूण सूंपी! थांरै घर सूं. लेवती टैम सीख. छोड़िया जावूं म्हैं-. म्हारी पांख्यां. जद-कद बुलाओ. तो राखजो चेतो-. अबै कोनी हुवैला सारै म्हारै. पांखां वाळी उड़ारी. बो कदैई-कदैई. लुक-लुक’र मुळक्या करतो हो. जद-कद उण री बारी आगैकर जावती. पाछी आयगी! फोटुवां. समझ लेवै! जद घाव छ&...

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सबद-नाद : कहाणी

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अनुसिरजण /भारतीय कवितावां रो राजस्थानी अनुवाद : नीरज दइया. मुख्यपृष्ठ. कहाणी : मरीन ड्राइव री खाली बोतल. मूल : रजनी मोरवाल,. अनुवाद : डॉ. नीरज दइया. रजनी मोरवाल रो जलम आबूरोड़ राजस्थान मांय एक अगस्त नै हुयो। हिंदी री गीतकार अर कहाणीकार रूप सांवठी ओळख। आपरी चर्चित पोथ्यां. 8211; सेमल के गाँव से. धूप उतर आई अर अँजुरी भर प्रीति। आपनै केई मान. पुरस्कार मिल्योड़ा।. रजनी मोरवाल. इण उमर मांय? ओ दुख अर हुबाड़ किण खातर? आभार : दैनिक युगपक्ष, बीकानेर). इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! मुख्यपृष्ठ. सिंधी.

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’कागद’ राजस्थानी: August 2013

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कागद राजस्थानी. 2405; ओम पुरोहित "कागद"-. हिंदी. राजस्थानी. 2405; कागद हो तो हर कोई बांचै. शुक्रवार, 9 अगस्त 2013. म्हे अर बै*. म्हे तो. बरसां खाई कोनीं. धाप'र रोटी. अर बै खाग्या. म्हारी बोटी-बोटी! घालता रैया बोट. बै छापता रैया नोट. म्हारै पल्लै आज. साल दर साल है. बोट ई बोट. अर बांरै पल्लै. अकरा अकरा नोट! प्रस्तुतकर्ता ओम पुरोहित'कागद'. 1 टिप्पणियाँ. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: कविता. 0 टिप्पणियाँ. लेबल: दूहा. म्हा&...बरस&#2366...

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’कागद’ राजस्थानी: January 2012

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कागद राजस्थानी. 2405; ओम पुरोहित "कागद"-. हिंदी. राजस्थानी. 2405; कागद हो तो हर कोई बांचै. शनिवार, 21 जनवरी 2012. एक कविता. बात री बात*. बात री कांईं बात. बात री कांईं बिसात. बात बात में. बात री बात चलै. बात बात में बात टळै. बाकी रैवै बात. बाकी बात सारु. फेर बात टुरै. बात फुरै. बात सारु बातेरी झुरै! बात हो जावै. बात रै जावै. बात बण जावै. बात ठण जावै. बात नै नट जावै. तो कोई बात सूं हट जावै. कोई बात डट जावै ।. बात कैवणी पड़ै. बात देवणी पड़ै. चुगलखोरां नै. बात लेवणी पड़ै. बात बिगड़ जावै. आगली बात. होठ&#23...

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’कागद’ राजस्थानी: June 2013

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कागद राजस्थानी. 2405; ओम पुरोहित "कागद"-. हिंदी. राजस्थानी. 2405; कागद हो तो हर कोई बांचै. शुक्रवार, 21 जून 2013. भाषा खातर- सतलड़ी*. अणबोल्या अब मरां कोनीँ ।. डरावणियां सूं डरां कोनीं ।. ले गै रैस्यां मात भाषा ।. पग तो पाछा करां कोनी ।।. भाषा खातर दिल्ली जास्यां।. खाली हाथां फुरां कोनीं ।।. झांसा देय टोरया म्हांनै ।. अब टोरो तो टुरां कोनीं ।।. भाषा अब देवणी पड़सी ।. सुक्कै झांसां पसरां कोनीँ ।।. भाषा आळी टाळो मांग ।. म्हे कोई मसखरा कोनीँ ।।. 0 टिप्पणियाँ. इसे ईमेल करें. लेबल: दूहा. मघली जाई. म्ह&#...

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’कागद’ राजस्थानी: May 2012

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कागद राजस्थानी. 2405; ओम पुरोहित "कागद"-. हिंदी. राजस्थानी. 2405; कागद हो तो हर कोई बांचै. बुधवार, 30 मई 2012. कुचरणीं. देखो रे लोगो. दारु रो सोखीन हो. झिमली रो धणी. फूंफलो फंडो. नित री. ऐक सीसी सिरकावंतो. टळतो कोनीं. संडो होवै या मंडो. धणी लुगाई में होयगी. ईं बात पर राड़. झिमली मारयो डंडो. बो कूदग्यो डरतो बाड़. झिमली काढ़ी गाळ. मरयो कोनीं. साळो कुत्तो रंडो! बो अरड़ायो. देखो रै लोगो. आ आप तो मरै कोनीं. म्हारै मारै डंडो. थे ई बताओ स्याणों. ईयां तो आ ई होसी रांड. 0 टिप्पणियाँ. दस कुचरणीं. 2 जोड़ायत. थळी प...

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’कागद’ राजस्थानी: April 2012

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कागद राजस्थानी. 2405; ओम पुरोहित "कागद"-. हिंदी. राजस्थानी. 2405; कागद हो तो हर कोई बांचै. रविवार, 29 अप्रैल 2012. संसद में राजस्थानी री गूंज. श्री अर्जुन राम जी मेघवाळ सा संसद में बोल्या है जका. ऐ दोन्यूं दूहा म्हारा लिख्योडा़ है -. रोटी बेटी आपणीं , भाषा अर बोवार ।. राजस्थानी है भाया , आडो क्यूं दरबार ॥. मायड़भाषा भली घणीं ,ज्यूं व्है मीठी खांड ।. परभाषा नै बोलता , जाबक दीखां भांड ॥. प्रस्तुतकर्ता ओम पुरोहित'कागद'. 0 टिप्पणियाँ. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. अब ताईं र...अब त&#237...

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'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….: April 2014

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कागद’ हो तो हर कोई बांचे…. शुक्रवार, अप्रैल 25, 2014. फिर कविता लिखेँ. आज फिर कविता लिखें. कविता मेँ लिखेँ. प्रीत की रीत. जो निभ नहीँ पाई. याकि निभाई नहीँ गई! कविता मेँ आगे. रोटी लिखें. जो बनाई तो गई. मगर खिलाई नहीँ गई! रोटी के बाद. कपड़ा लिखें. जो ढांप सके. अबला की अस्मत. गरीब की गरीबी! आओ फिर तो. मकान भी लिख देँ. जिसमेँ सोए कोई. चैन की सांस ले कर. बेघर भी तो. ना मरे कोई! अब लिख ही देँ. सड़कोँ पर अमन. सीमाओँ पर सुलह. सियासत मेँ हया. जन जन मेँ ज़मीर! प्रस्तुतकर्ता. ओम पुरोहित'कागद'. असत्य ही. हम करे&#...

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'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….: May 2014

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कागद’ हो तो हर कोई बांचे…. गुरुवार, मई 22, 2014. बोलेगी नहीं यह मिट्टी. सचल थी तब. खुद लेती थी आकार. छोटा-बडा़ भू-मंडल में. तब बोलती थी मिट्टी. दिखाती थी दिशाएं. साथ-साथ चल कर. आज जब सचल से. अचल है मिट्टी. कलाकार के हाथ लग. ले रही है पुन: आकार. बोलेगी नहीं. डोलेगी नहीं. किसी चौक-चौराहे. भवन या दीवार में. ठिठक जाएगी. अपने होने का. महज़ देगी आभास. इसी से पा जाएगी मंज़िल. पा जाएगी दिशाएं. आज सचल पडी़. दिशा भटकी मिट्टी! प्रख्यात चित्रकार एवम. RAM KISHAN ADIG ]. प्रस्तुतकर्ता. नई पोस्ट. ५ जुलाई १९५७. हनुम...

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'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….: कुं.चन्द्रसिंह बिरकाळी जयन्ति 27 अगस्त

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कागद’ हो तो हर कोई बांचे…. गुरुवार, अगस्त 28, 2014. कुं.चन्द्रसिंह बिरकाळी जयन्ति 27 अगस्त. प्रस्तुतकर्ता. ओम पुरोहित'कागद'. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). ५ जुलाई १९५७. केसरीसिंहपुर (श्रीगंगानगर). बी.एड. अर राजस्थानी विशारद. छप्योड़ी. पोथ्यां. हिन्दी. आदमी नहीं है. कवितासंग्रह). मानी (बाल कहानी). बात तो ही. कुल पृष&...ब्ल...

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'कागद’ हो तो हर कोई बांचे….: September 2012

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कागद’ हो तो हर कोई बांचे…. मंगलवार, सितंबर 25, 2012. उनकी रसोई मेँ. पकते रहे. वे कबूतर. जो कभी हम नेँ. शांति और मित्रता की. तलाश मेँ. उड़ाए थे ।. शांति और मित्रता की. तलाश मेँ हैँ. कबूतरोँ की फिराक मेँ! प्रस्तुतकर्ता. ओम पुरोहित'कागद'. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. करते हुए याचना. समूचे देश में. त्यौहार है आज. सजे हैं वंदनवार. बंट रहे हैं उपहार. हो रही हैं उपासनाएं. और अधिक की याचनाएं! बत्तीस भोजन. भर भर पेट. अपन&#237...

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Trochę tego i tamtego . MOJE KORALIKI / MY BEADS AND STONES. FILCE / NUNO FELT. MÓJ OGRÓD / MY GARDEN. Moja stronka na fb. Aronek zaprasza do siebie :). Linki do tego posta. Drzwi do Lwowa . To tylko zwyczajne drzwi w zwyczajnych kamienicach. Na zwyczajnych lwowskich ulicach. Ale jednak są zupełnie niezwykłe. Linki do tego posta. Cada loco . :). Cada loco con su cuento. Jak mówią Hiszpanie, czyli każdy wariat ma swoją bajeczkę. Moja bajka znów będzie o Lwowie, zapraszam. Linki do tego posta. Ja - wodołaz .

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Feng shui is an ancient Chinese system of aesthetics believed to use the laws of both Heaven (astronomy) and Earth (geography) to help one improve life by receiving positive qi.The original designation for the discipline is Kan Yu. Feng Shui principles have been used successfully for thousands of years by the elite, rich and powerful. You too can use these same principles to enhance your life and your feng shui wealth. ¬ read more. Everyone wants more from their job, but what can you do to get more?

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प्रयास संस्थान रा दूजा छापा:. लीलटांस. आलोचना शोध पत्रिका. अनुसिरजण, जनवरी-मार्च, 2013. अनुसिरजण, अक्टूबर-दिसम्बर, 2012. अनुसिरजण, बानगी अंक. Subscribe to: Posts (Atom). बानगी अंक. प्रयास संस्थान रा दूजा छापा. लीलटांस. आलोचना शोध पत्रिका. Prayas Sansthan, CHURU. Simple template. Powered by Blogger.

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Środa, 7 stycznia 2009. A może to nie przewidzenie. Jak to zawsze, no prawie, siedzę sobie za biureczkiem, jak furia Prezes wpada. jedziemy. A uprzedzić nie łaska .to naprawdę jest z jego strony niewykonalne. Dobrze, że atak zimy nastąpił, jakoś cieplej się ubrałam. A może to 24 zmysł. Tak, wiem, podpisać się za mnie nikt nie podpisze, a no, niechby spróbował. Dałam karcie wolne, znalazłam kawiarenkę. Przy samym wyjściu. Wspaniałe ciasteczko, kawa. Laptop łączy się i zrywa, są maile, forum cz...Może to a...