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पलाश: March 2014
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Sunday, March 23, 2014. आलोक कुमार सातपुते की कथाए. Og tSls gh cl&LVS.M ig¡qpk] mldh cl fudy x;h A og ml cl dks dkslus yxk& lkyh jkbZV&VkbZe ij NwV x;h* A rHkh mlds vUnj dgha ls vkokt vk;h& eaSus fdruh ckj rqEgas le; dk egRRo crk;k gS] ij rqe gks fd cl- -A cl ugha NwVh I;kjs] NwV rks vki x;s gSaA*. Pqi jg] tc Hkh cksysxh] cqjk cksysxhA* mlus ml vkokt dks QVdkjrs gq, dgk A bl ij og vkokt O;aX;kRed g¡lh eas rCnhy gks x;h]. VkSj og [kh rk& hadrk gqvk okil vius? Kj dh vksj ykSVus yxkA. EaSus tc gks'k laHkkyk...
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पलाश: July 2014
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Thursday, July 3, 2014. उर्दु में डाँ शुक्ल की लघुकथाएं. हिन्दी - उर्दु गंगा जमुनी भाषा की सेतु डाँ शुक्ल की लघुकथाएं. 22 जून 2014जून! ये लघुकथाएं हिन्दी - उर्दू गंगा जमुनी की सेतु बन गयी है! डा शुक्ल की लघुकथाएं राष्ट्र की जडो से जुडी हुई है! वह पाठक को संस्कारित करती है! उन्हें राष्ट्र की मिट्टी से जोड़ती है! उनका व्यंग्य लघुकथा की मारक क्षमता को और अधिक बडा देता है! Labels: साहित्य समाचार. Subscribe to: Posts (Atom). ज्ञानसिंधु. मै वारी जांवा. अतिरिक्त. परावर्तन रमेश जैन अब नह&...हिन्द...कुर...
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पलाश: फेस बुक की एक पोस्ट
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Tuesday, October 29, 2013. फेस बुक की एक पोस्ट. फेस बुक की एक पोस्ट. फेसबुक की न्यूजफ़ीड पर एक फ़्रेंड. ने एक युवती का फोटो पोस्ट किया। जींस और टांप पहने. एक हाथ में सुलगती सिगरेट और दूसरे हाथ में थमी बोतल ओठों से लगाकर सुरापान कर ती हुई।कुछ ही मिनटों मे 312बार लाइक बटन दब गया. नाइस पिक्चर. क्या बात है. नौटी गर्ल. दो घुंट पिला दे साकिया. क्या मस्त लौंडिया है! बिंदास बिल्लोरानी. पी पी के बोतल खतम कर दित्ति. खाली हो गई अब रख दे. दो घूंट जिन्दगी की. नाईस बट्स. कौन है यह कमीनी. लव यू बेबी. आखिर मे...
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अविराम: 03/04/15
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समग्र साहित्य का मासिक संकलन (इस ब्लॉग पर प्रकाशित सामग्री मुद्रित प्रारूप में प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका "अविराम साहित्यिकी" से अलग है।). आपका परिचय. बुधवार, 4 मार्च 2015. ब्लॉग का मुखप्रष्ठ. अविराम ब्लॉग संकलन :. वर्ष : 4, अंक. जनवरी-फ़रवरी 2015. प्रधान संपादिका :. मध्यमा गुप्ता. संपादक :. डॉ. उमेश महादोषी. मोबाइल: 09458929004). संपादन परामर्श :. डॉ. सुरेश सपन. ई मेल :. लेवल/खंड में दी गयी है।. छाया चित्र : श्रद्धा पाण्डेय. 2404;।सामग्री।।. सम्पादकीय पृष्ठ. सम्पादकीय पृष्ठ. कविता अनवरत. महेश प...
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पलाश: October 2014
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Thursday, October 23, 2014. पड़ाव व पड़ताल' का खण्ड चार. पड़ाव व पड़ताल' का खण्ड चार. पड़ाव व पड़ताल' का खण्ड चार दिशा प्रकाशन ,दिल्ली से प्रकाशित हो गया है इस खण्ड का संपादन भगीरथ ने किया है इसमें लघुकथा लेखक. हो गई है। अब ये पाठकों के हाथों में है असली मूल्यांकन तो पाठक ही करता है। इस श्रृंखला का के संयोजक मधì...२० खंड की योजना पूरी कर ली है और सात खंड प्रकाशित हो चुके है इस महत्वपूर्ण ...Subscribe to: Posts (Atom). ज्ञानसिंधु. मै वारी जांवा. अतिरिक्त. परावर्तन रमेश जैन अब नहì...हिन्द...कुर...
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पलाश
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Thursday, January 29, 2015. Subscribe to: Post Comments (Atom). ज्ञानसिंधु. मै वारी जांवा. अतिरिक्त. कुछ अनुत्तरित प्रश्न. परावर्तन रमेश जैन अब नहीं पसीजता मन किसी के रोने पर क्यों मुट्ठियां नहीं कसती किसी पर होता अत्याचार देखकर क्यों नहीं किटकिटा. दो कविताए. हिन्दी लघुकथाओं में दलित संघर्ष. शक्ति पुरूष. शहीद होने की घोषणा. 160; भगीरथ आज उसके समानान्तर चल रहा है मौत का शिकंजा खूनी पंजा! फेस बुक की एक पोस्ट. 22 जून 2014जून! पृथ्वीराज अरोड़ा स्मृति श...View my complete profile.
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पलाश: October 2011
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Saturday, October 29, 2011. शहीद होने की घोषणा. उसके समानान्तर. चल रहा है मौत का शिकंजा. खूनी पंजा! कुर्सियों से उठी हुई. प्रेतात्माएं पूरे. चीखतीं /चीत्कारती डोल रही है।. और वह मेमने सा भयभीत /. आंतंकित होकर. शक्ति संचित करने की. करता है. लेकिन वे प्रेततात्माएं एक जादुई शक्ति से. उसके खून को स्याही सोंख की तरह. चूस लेती है. और वह स्याह मौत का. इन्तजार करने लगता है।. लेकिन,. नहीं वे उसे जिंदा रखेंगे।. किसी भी कीमत पर् वरना. वे नित नयी योजनाएं -घोषणाएं. की बाबत! किन्तु. तब हम भी. Labels: कविता. हिन...
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पलाश: July 2011
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Wednesday, July 27, 2011. पहाड़ी चट. टानो के बीच. उगी लम्बी देहवाली. अभावों के बीच पली. कांटो भरी. किंतु. हरित देह की. संवेदनशीलता. कितनी गहन है. खरोंच भर से ही. दूध की तरह उफन कर. बह निकलती है।. Labels: कविता. Sunday, July 10, 2011. शक्ति पुरूष. भगीरथ की कविता. जब लबों को बींध दिया जाय. या जबानें काट दी जाये. तब भी जीजीविषा. जिन्दा होती है. चेतना तो फिर लपलपाती है. डसे कुन्द होने से बचा सकते थे. लेकिन नहीं. तुमने जबानें खुद काट ली है. घर के चाकू से. जो इतना मजबूत और ताकतवर. नजर आता है. रखा है. पराव...
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ज्ञानसिंधु: January 2013
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ज्ञानसिंधु. समकालीन साहित्य और संस्कृति का गुलदस्ता. Friday, January 11, 2013. सत्याग्रही. प्रभासिंह. वे सत्याग्रह करने आई थी। भुखमरी, बेरोजगारी, पिछड़ापन दूर करने और. शिक्षा व्यवस्था को नया मोड़ देने के लिए।. वे अपने अभियान में सफल रही थी, जबकि नेताओं का सत्याग्रह विफल गया था।. अतिरिक्त(मार्च1973). रेगिंग. कृष्णा अगिनहोत्री. ठीक है बच्चू गरीब है तो पढ़ने क्यों आया देख लेगे? छात्रों का झुण्ड चला गया।. रेगिंग लो रूपये मत लेना।. अतिरिक्त(मार्च1973) आई. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). शì...