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सचिन का ब्लाग: January 2012
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सचिन का ब्लाग. जरूरी यह नहीं कि हम कितना जीते हैं, जरूरी यह है कि कैसे जीते हैं। खुश रहो, वक्त बचा ही कितना है, महज ७० साल. January 4, 2012. चेहरे जो छाए रहे 2011 में. चेहरे जो छाए रहे 2011 में. अन्ना हजारे : जनता के लिए, जनता का चेहरा. ममता बनर्जी : ऐतिहासिक जीत. महेंद्र सिंह धौनी : दबाव में धैर्य की परख. सलमान खान : अव्वल खान. राहुल गांधी : अपनी जमीन पर हमलों के बीच. Links to this post. अन्ना हजारे. ममता बनर्जी. महेंद्र सिंह धौनी. राहुल गांधी. सलमान खान. Subscribe to: Posts (Atom). और पैसा. यह एक पन...
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सचिन का ब्लाग: April 2011
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सचिन का ब्लाग. जरूरी यह नहीं कि हम कितना जीते हैं, जरूरी यह है कि कैसे जीते हैं। खुश रहो, वक्त बचा ही कितना है, महज ७० साल. April 28, 2011. ऐतिहासिक विदाई से पहले. 18 मई को बंगाल चुनाव के नतीजे आएंगे तो अखबारी दिमागों में किस तरह की हेडलाइन्स कुलबुलाएंगी? वाम विदाई का अफसोस यानी बदलते वक्त में कुछ तो नया है. राजनीति. 34 वर्षीय " कुशासन". और ममतामयी " संघर्ष". 28 अप्रैल 2011 को दैनिक. में प्रकाशित). Links to this post. Labels: आजादी. जर्नलिज्म. पत्रकारिता. पश्चिम बंगाल. राजनीति. Subscribe to: Posts (Atom).
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सचिन का ब्लाग: May 2012
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सचिन का ब्लाग. जरूरी यह नहीं कि हम कितना जीते हैं, जरूरी यह है कि कैसे जीते हैं। खुश रहो, वक्त बचा ही कितना है, महज ७० साल. May 5, 2012. नई नक्सल रणनीति के संकेत. Guerrilla warfare is a people's warfare; an attempt to carry out this type of war without the population's support is a prelude to inevitable disaster. The guerrilla is supported by the peasant and worker masses of the region and of the whole territory in which it acts. Without these prerequisites, guerrilla warfare is not possible. May 2, 2012.
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सचिन का ब्लाग: May 2011
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सचिन का ब्लाग. जरूरी यह नहीं कि हम कितना जीते हैं, जरूरी यह है कि कैसे जीते हैं। खुश रहो, वक्त बचा ही कितना है, महज ७० साल. May 28, 2011. एक अधूरी रिहर्सल के साथ. पन्नों. का अखबार भी निकाला जिसकी जेपीजी फाइल उपलब्ध हैं।. उन पन्नों की जेपीजी फाइल उपलब्ध हैं, जिन्हें बच्चों ने तीन दिन की मेहनत में तैयार किया है।. Links to this post. पत्रकारिता. Subscribe to: Posts (Atom). सचिन महज सचिन. बुरा नहीं है वक्त. जरूरी कविता. सोचो तो. मामूली तौर पर. जो अनाज उगाते हैं. उनके पास कपडे. मगर सोचो तो. और पैसा. अजय ब...
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सचिन का ब्लाग: April 2012
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सचिन का ब्लाग. जरूरी यह नहीं कि हम कितना जीते हैं, जरूरी यह है कि कैसे जीते हैं। खुश रहो, वक्त बचा ही कितना है, महज ७० साल. April 11, 2012. 11 अप्रैल को जनवाणी में प्रकाशित संपादकीय. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). सचिन महज सचिन. बुरा नहीं है वक्त. जरूरी कविता. सोचो तो. मामूली तौर पर. जो अनाज उगाते हैं. उन्हें दो जून अन्न. ज़रूर मिलना चाहिए. उनके पास कपडे. ज़रूर होने चाहिए. जो उन्हें बुनते हैं. और उन्हें प्यार मिलना ही चाहिए. जो प्यार करते हैं. मगर सोचो तो. और पैसा. नफरत को भी. अजय बî...
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सचिन का ब्लाग: November 2013
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सचिन का ब्लाग. जरूरी यह नहीं कि हम कितना जीते हैं, जरूरी यह है कि कैसे जीते हैं। खुश रहो, वक्त बचा ही कितना है, महज ७० साल. November 16, 2013. एक युग के अंत की शुरुआत. जी हां! इसी को कहते हैं, युग का अंत. शुक्रवार 15 नवंबर 2013 को वानखेड़े स्टेडियम में अपनी आखिरी. पारी खेलकर जाते सचिन तेंदुलकर।. Links to this post. Labels: क्रिकेट. जिंदगी. सचिन तेंदुलकर. Subscribe to: Posts (Atom). सचिन महज सचिन. बुरा नहीं है वक्त. जरूरी कविता. सोचो तो. मामूली तौर पर. जो अनाज उगाते हैं. उनके पास कपडे. और पैसा. अजय बî...
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सचिन का ब्लाग: September 2012
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सचिन का ब्लाग. जरूरी यह नहीं कि हम कितना जीते हैं, जरूरी यह है कि कैसे जीते हैं। खुश रहो, वक्त बचा ही कितना है, महज ७० साल. September 23, 2012. अपराध का रंग काला क्यों है? इसके बावजूद मुझे राजकमल चौधरी. की काली और अंधी गलियों में जाने की सलाह से चिढ़ है, तो इसके मजबूत कारण क्या हो सकते हैं? Links to this post. राजनीति. September 9, 2012. भाषण से मैदान मारने की बेबसी. आठ सितंबर को जनवाणी में प्रकाशित). Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). सचिन महज सचिन. जरूरी कविता. सोचो तो. और पैसा. यह एक पन...
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सचिन का ब्लाग: April 2013
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सचिन का ब्लाग. जरूरी यह नहीं कि हम कितना जीते हैं, जरूरी यह है कि कैसे जीते हैं। खुश रहो, वक्त बचा ही कितना है, महज ७० साल. April 13, 2013. फंतासी के धुंध के आगे की कवितायेँ. अमूमन ब्लॉग, फेसबुक आदि पर जो कविता लिखी जा रही है, उससे कभी कभी घिन आने लगती है। अभी कुछ दिन पहले मित्र संदीप पांडे. की कविताओं से परिचित हुआ। पता चला कि पंखुरी सिन्हा. की कविताएं इसकी मिसाल हैं।. 8216;‘मेरी पश्तो". मुश्किलों. आवाम के जीवन की बेहतरी के प्रति आश्वस्त. बिल्कुल. कुमाऊँनी. गढ़वाली. बिल्कुल. गुफाओं. झंडोत...बच्...
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सचिन का ब्लाग: June 2012
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सचिन का ब्लाग. जरूरी यह नहीं कि हम कितना जीते हैं, जरूरी यह है कि कैसे जीते हैं। खुश रहो, वक्त बचा ही कितना है, महज ७० साल. June 25, 2012. बंधक लोकतंत्र की याद. आपातकाल पर जनवाणी का विशेष पेज. या फिर सरकार अपना काम भूल जाए, तो जनता भी अपनी ओर से सरकार पर आपातकाल लगा सकती है? Links to this post. June 14, 2012. संघर्षरत जनता का वैश्विक प्रतिनिधि. सचिन श्रीवास्तव. क्यूबा. Links to this post. June 8, 2012. शिक्षा का सामाजिक रूपक. स्कूली. स्कूली. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). प्ला...
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सचिन का ब्लाग: October 2012
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सचिन का ब्लाग. जरूरी यह नहीं कि हम कितना जीते हैं, जरूरी यह है कि कैसे जीते हैं। खुश रहो, वक्त बचा ही कितना है, महज ७० साल. October 6, 2012. ये इश्क नहीं आसां. के साथ. अब तक क्या क्या हुआ. क्यों रहती है इतनी जिज्ञासा. पहले भी रहे हैं चर्चित जोड़े. कई राजनीतिक कॅरियर हो गए खत्म. और अंत में. आगे आगे देखिए होता है क्या? 30 सितंबर को जनवाणी के रविवारीय परिशिष्ट रविवाणी में प्रकाशित. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). सचिन महज सचिन. बुरा नहीं है वक्त. जरूरी कविता. सोचो तो. और पैसा. यह एक पन्...