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Poem of Harish Bhadani: December 2008
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Saturday, December 6, 2008. आडी तानें सीधी तानें. आडी तानें सीधी तानें - हरीश भादानी. हरीश भादानी जी का परिचय यहाँ देखें।. प्रकाशक: कवि प्रकाशन, डी-2, मुरलीधर नगर, बीकानेर - 334004. संस्करण : 2006 मूल्य: 120/- ISBN 81-86436-41-3. ई-हिन्दी साहित्य प्रकाशन,. एफडी.-453, साल्टलेक सिटी,. कोलकाता-700106 मो.-09831082737. Email: E-Hindi Sahitya Prakashan. BIN Code: INHN 01-330001-033-1]. Script: AADI TANE SEEDHI TANE (Poem) By Harish Bhadani]. सरला माहेश्वरी. हरीश भादानी. E-Mail to BiN Code. साक्ष...बड़ी...
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हरीश भादानी: हरीश भादानी: विद्रोही रचनाशीलता के सतरंगी आयामों एक बड़ा कवि
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हरीश भादानी. Some Books of Shri Harish Bhadani. शुक्रवार, 25 जुलाई 2008. हरीश भादानी: विद्रोही रचनाशीलता के सतरंगी आयामों एक बड़ा कवि. अरुण माहेश्वरी. तुम्हें ही दूंगा आवाज/संयोग लिये/गर्भा लिये जाने मेरे वर्तमान से /समय नहीं/शरीर नहीं/ रोशनी! प्रस्तुतकर्ता. नया समाज. 1 टिप्पणी:. Dr Uday 'Mani' Kaushik. ने कहा…. मैं तो इनके (भादानी जी )के लिए यही कह सकता हूँ की. ये सूरज हैं इनकी ज़रूरत है हमको. इनसे रोशन है सारा शहर देखता हूँ. सच-मुच मेरा दिल बहुत कँपता है. डॉ.उदय 'मणि' कौशिक. नई पोस्ट. Jai Kumar ' Ruswa'.
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हरीश भादानी: मेरे पिता : हरीश भादानी
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हरीश भादानी. Some Books of Shri Harish Bhadani. शुक्रवार, 15 अगस्त 2008. मेरे पिता : हरीश भादानी. सरला माहेश्वरी. प्रस्तुतकर्ता. नया समाज. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). श्री हरीश भादानी. Poem of Harish Bhadani. Khule Alav Pakaee Ghati. Poem of Harish Bhadani. सन्नाटे के शिलाखंड पर. आडी तानें सीधी तानें. ई-हिन्दी साहित्य सभा. नया समाज. परिचयः सज्जन भजनका. सीताराम महर्षि. प्यार को नमन करो! Jai Kumar ' Ruswa'.
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Poem of Harish Bhadani: खुले अलाव पकाई घाटी
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Tuesday, April 14, 2009. खुले अलाव पकाई घाटी. हरीश भादानी. प्रकाशकः धरती प्रकाशन, गंगा शहर, बीकानेर (राज0). प्रथम संस्करणः 1981 मूल्यः 25/-. Script Code: Khule Alav Pakaee Ghati (Poem) By Harish Bhadani ]. छबीली घाटी, बीकानेर (राजस्थान), दूरभाष: 2530998. ई-प्रकाशकः. ई-हिन्दी साहित्य प्रकाशन. एफडी.-453, साल्टलेक सिटी, कोलकाता-700106. अपना ही आकाश. 1 ड्योढ़ी. ड्योढ़ी रोज शहर फिर आए. कुनमुनते ताम्बे की सुइयां. खुभ-खुभ आंख उघाड़े. रात ठरी मटकी उलटा कर. ठठरी देह पखारे. सारा घर पहनाए. टकरा कर अलगाए. सूज...
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हरीश भादानी: October 2009
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हरीश भादानी. Some Books of Shri Harish Bhadani. गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009. विद्रोही रचनाशीलता के एक कवि श्री हरीश भादानी जी नहीं रहे़. लेखक: शम्भु चौधरी, कोलकाता. हिन्दी में प्रकाशित पुस्तकें:. अधूरे गीत (हिन्दी-राजस्थानी) 1959 बीकानेर।. सपन की गली (हिन्दी गीत कविताएँ) 1961 कलकत्ता।. हँसिनी याद की (मुक्तक) सूर्य प्रकाशन मंदिर, बीकानेर 1963।. सुलगते पिण्ड (कविताएं) वातायान प्रकाशन, बीकानेर 1966. रोटी नाम सत है (जनगीत) कलम प्रकाशन, कलकत्ता 1982।. सयुजा सखाया (ईशोपनिषद, असव...आड़ी तानें...राजस्थ...बाथ...
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हरीश भादानी: July 2008
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हरीश भादानी. Some Books of Shri Harish Bhadani. मंगलवार, 29 जुलाई 2008. श्री भादानी जी का संक्षिप्त परिचय. शम्भु चौधरी. हिन्दी में प्रकाशित पुस्तकें:. अधूरे गीत (हिन्दी-राजस्थानी) 1959 बीकानेर।. सपन की गली (हिन्दी गीत कविताएँ) 1961 कलकत्ता।. हँसिनी याद की (मुक्तक) सूर्य प्रकाशन मंदिर, बीकानेर 1963।. सुलगते पिण्ड (कविताएं) वातायान प्रकाशन, बीकानेर 1966. नश्टो मोह (लम्बी कविता) धरती प्रकाशन बीकानेर 1981. सयुजा सखाया (ईशोपनिषद, असवामीय सूत्र, अथर&#...आड़ी तानें-सीधी तì...राजस्थानी...बाथाæ...खण-खण उकळ...
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हरीश भादानी: सड़कवासी राम से
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हरीश भादानी. Some Books of Shri Harish Bhadani. बुधवार, 23 जुलाई 2008. सड़कवासी राम से. सड़कवासी राम! न तेरा था कभी, न तेरा है कहीं. रास्तों-दर-रास्तों पर. पांव के छापे लगाते ओ अहेरी. मन के किवाड़े सुन! सुन कि सपने की. किसी सम्भावना तक में नहीं. तेरा अयोध्या धाम. सड़कवासी राम! सोच के सिरमौर, ये दासियो दसानन. और लोहे की ये लंकाएं. कहां है कैद तेरी कुम्भजा. खोजता थक. बोलता ही जा भले तू. कौन देखेगा. ये चितेरे. अलमारी में रखे दिन. और चिमनी से निकलें शाम. सड़कवासी राम! पोर घिस-घिस. गिन सके तो. लम्बì...
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हरीश भादानी: आज की आंख का सिलसिला
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हरीश भादानी. Some Books of Shri Harish Bhadani. सोमवार, 28 जुलाई 2008. आज की आंख का सिलसिला. और ईसा नहीं. और ईसा नहीं. आदमी बन जिएं. सवालों की. फिर हम उठाएं सलीबें. बहते लहू का धर्म भूल कर. ठोकने दें शरीरों में कीलें. कल हुई मौत को. दुहरा दिए जाने से पहले. तेवर बदलते हुए आज को देख लें. बहुरूपियों की नक़ाबें उलटने. हक़िक़त को फुटपाथ पर. खोलने की सजा है ज़हर हम पिएं. सुकरात को. साक्षी बना देने से पहले. तेवर बदलते हुए आज को देख लें. साधु नहीं आदमी बन जिएं. कर लिए जाने से पहले. इतिहास का. न रहूं. अक्षर...
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हरीश भादानी: June 2008
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हरीश भादानी. Some Books of Shri Harish Bhadani. मंगलवार, 17 जून 2008. सरयु सखाया से. उतर कहां से आये हैं ये. वह घर मुझे बता! ऊपरवाले आसमान में. कभी न थमती. पिण्ड और ब्रह्माण्ड क्रिया को. समझ अधूरी. बता, इसे फिर समझूं कैसे? किसि ओर से देखं. दीसे चका चौंध ही. है केवल अचरज ही अचरज,. फिर जानूं, पहचानूं कैसे? रचना के अनगिन रूपों में. इस क्षण तक तो. किसी एक को. अथ ही न आया. आखर की सीमा में,. ओ मेधापत! तू इनका पहला प्रस्थान बता! उतर कहां से आये हैं ये. वह घर मुझे बता! ये सारे ही. रमें जगत के. Jai Kumar ' Ruswa'.
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Poem of Harish Bhadani: April 2009
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Tuesday, April 14, 2009. खुले अलाव पकाई घाटी. हरीश भादानी. प्रकाशकः धरती प्रकाशन, गंगा शहर, बीकानेर (राज0). प्रथम संस्करणः 1981 मूल्यः 25/-. Script Code: Khule Alav Pakaee Ghati (Poem) By Harish Bhadani ]. छबीली घाटी, बीकानेर (राजस्थान), दूरभाष: 2530998. ई-प्रकाशकः. ई-हिन्दी साहित्य प्रकाशन. एफडी.-453, साल्टलेक सिटी, कोलकाता-700106. अपना ही आकाश. 1 ड्योढ़ी. ड्योढ़ी रोज शहर फिर आए. कुनमुनते ताम्बे की सुइयां. खुभ-खुभ आंख उघाड़े. रात ठरी मटकी उलटा कर. ठठरी देह पखारे. सारा घर पहनाए. टकरा कर अलगाए. सूज...