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कतरन | Katranज़िन्दगी से बातें करती कुछ बातें
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ज़िन्दगी से बातें करती कुछ बातें
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ज़िन्दगी से बातें करती कुछ बातें
कतरन | Katran: 01/24/15
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कुछ खुले ख़त. ज़िन्दगी के नाम. Jan 24, 2015. जिसकी हर बात नाज़ुकी की बात है. जैसे ओस की बूंदों में भरना. रंग मनचीते. प्रेम भी ऐसी ही. नाज़ुकी की बात है. जैसे भोर के आकाश में. उड़ती चिड़िया ने. छेड़ा हो कोई मधुर राग. प्रेम भी ऐसी ही नाज़ुकी की बात है. जैसे वेणु में हवा. फूंकती है चहक. प्रेम ने फूंका है. जीवन में जीवन. कि इसकी हर बात नाज़ुकी की बात है. जैसे फूटी हो एक. नई कोपल अभी. और हौले से झुक आया हो आकाश. उसके आलिंगन को. कि जब प्रेम हो तो हर बात. नाज़ुकी की बात है. किसी तितली का. अपनी याद के. और उस मजबूत द...
कतरन | Katran: 10/20/14
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कुछ खुले ख़त. ज़िन्दगी के नाम. Oct 20, 2014. मैंने जो देखा. उससे कोई ईर्ष्या नहीं मुझे. अपने कन्धों पर किसी. मर्द को लिए आओ,. या सैकड़ों मर्दों को अपनी ज़ुल्फों में उलझाकर लाओ,. ले आओ हज़ारों मर्दों को अपने सीने और तलवों के बीच. डूबे हुए मर्दों की लाशों से भरी. एक नदी की तरह आओ. जो घुल जाती है उन्मत्त समुद्र में. शाश्वत लहर में, समय में! ले आओ उन सब को. वहीँ, जहाँ मैं तुम्हारी राह देख रहा हूँ. हम फिर भी एकाकी रहेंगे सदा,. रहेंगे सिर्फ तुम और मैं. अकेले इस धरती पर. Subscribe to: Posts ( Atom ). धूप-छ...
कतरन | Katran: 12/04/14
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कुछ खुले ख़त. ज़िन्दगी के नाम. Dec 4, 2014. मैं रोया अपने आंसूओं के सूख जाने तक. मोमबत्तियों के बुझ जाने तक मैंने की दुआ. झुका रहा सजदे में जब तक दरकने न लगी ज़मीन. मैंने पूछा मोहम्मद और ईसा के बारे में. ओ यरूशलेम, जिसकी हवा में है पैगम्बरों की ख़ुशबू. जहाँ से सबसे क़रीब है जन्नत. ओ यरूशलेम, दीन के गढ़. एक ख़ूबसूरत बच्चे से तुम,. झुलस गयी हैं जिसकी उंगलियाँ और झुकी हैं निगाहें. तुम गर्म रेगिस्तान के बीच वह सरसब्ज़ ज़मीन हो. जहाँ से गुज़रते हैं पैगम्बर. कहो. शनिवार की सुबह. बाप-बेटे. Subscribe to: Posts ( Atom ).
कतरन | Katran: 04/28/15
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कुछ खुले ख़त. ज़िन्दगी के नाम. Apr 28, 2015. रेखाएं. 8216; होने. इसलिए मेरा परिचय लगभग वही है जो मेरे जैसी तमाम औरतों का है. जो अपना परिचय देने में इसलिए भी संकोच करेंगीं कि वो शायद बहुत प्रभावी न लगे सुनने में. शायद कुछ विरोधाभास भी हो उसमें. शायद उसमें मायूसी और असंतोष के शब्द छिटके पड़े मिल जाएँ. शायद वो कुछ सवाल पैदा कर दे सामने वाले के मन में. बात सिर्फ़ इतनी सी है. अंतराल निकालकर झाँक लेती हैं अपने अन्दर. टटोलती रहती हैं मन को. वो तलाशती हैं जवाब रेखाओ...रेखाएं. हथेलियाँ. कि हथेली ...या हम ज&#...
कतरन | Katran: 12/17/14
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कुछ खुले ख़त. ज़िन्दगी के नाम. Dec 17, 2014. वहाबियत: खुर्शीद अनवर की नज़र से. हालांकि पहले भी आतंकवाद पर कोई बहस या बातचीत आम. जन के दिमाग़ को सीधे इस्लाम की तरफ खींच ले जाती थी. लेकिन विश्व व्यापार केन्द्र पर हमले और उसके बाद दो नारों. 8220;आंतकवाद के खिलाफ़ जंग”. 8220;दो सभ्यताओं के बीच टकराव. यह आतंकवाद सचमुच इस्लामी है या कुछ और. अगर इस्लाम ही है तो इसकी जड़ें कहाँ हैं? कुरान या हदीस में? परंपरागत इस्लामी मान्यताओं में? आखिर जिहाद है क्या? और आशय क्या था? सूरह अल-शम्स. सल्तनत-ए-उस्मान&#...हर रोज़ ज&...
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जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास.....: April 2016
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जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास. मैं बस अहसास लिखती हूँ। शब्द महज़ लिबास भर हैँ।. Monday, April 25, 2016. मेरे हिस्से की कहानी. बहुत - सा धुँआ और गर्द. स्मृति की पीठ पर जमी खरोंच होती है. जो आहिस्ता - आहिस्ता सोखती रहती है. उसकी तरलता. ऐसे में मैं किसी द्वंद्व से गुज़रती हूँ. जहाँ हर क्षण जीना, मरना ही है।. ढेर- सी चुप आवाज़ें भाप की तरह. मेरे भीतर उठती हैं. और फ़िर पर- कटे पक्षी की तरह. अपनी उड़ान खो देती हैं।. मेरे हिस्से की कहानी. Thursday, April 21, 2016. आदि और अंत से परे. Wednesday, April 20, 2016.
जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास.....: November 2015
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जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास. मैं बस अहसास लिखती हूँ। शब्द महज़ लिबास भर हैँ।. Wednesday, November 25, 2015. जब लौटना हो मुझ तक. उम्र की सड़क पर. तसल्ली भरी एक शाम ढूँढ लेना. जब-जब लौटना हो मुझ तक. ख़ुद को ढूँढ लेना. Friday, November 13, 2015. कुछ दुखता है. वो आँखोँ मेँ हँसती है. क्या ख़ुशी बहुत है! या कुछ दुखता है. अंदर ही अंदर. Monday, November 9, 2015. सफ़ेद गुड़हल. मुझे किसी वनकन्या के बालों में लगा. सफ़ेद गुड़हल होना था. स्वप्न बनाया. पथराया, कोर में अटका हुआ. Monday, November 2, 2015. काँ...160; एक थ...
जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास.....: October 2016
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जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास. मैं बस अहसास लिखती हूँ। शब्द महज़ लिबास भर हैँ।. Tuesday, October 25, 2016. आँख में सफ़ेद धुंध भरे. वो पीली धूप के स्वप्न बुनती है. पीड़ा के छिटके कणों को दोनों हाथों से समेटे. प्रेम के चेहरे पर जोड़ती जाती. हाँ और क्या करोंच सकी है वो उसमें. पीड़ा ही तो मन की प्रेरणा है. उसके और अपने बीच वो बस एक धुन सुन सकती है. माउथ ऑर्गन की उदास धुन. जो उसे किसी समुद्री यात्रा पर ले जाती है. कितना सुन्दर है ये दृश्य. जो उसने कभी जिया नहीं. कुछ' भी तो नहीं. Sunday, October 2, 2016. 160; ...
जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास.....: June 2016
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जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास. मैं बस अहसास लिखती हूँ। शब्द महज़ लिबास भर हैँ।. Saturday, June 25, 2016. दो किनारों के बीच का संवाद. रसोई के आले में रखकर भूल जाती हैं वो अक्सर. उदासी के मर्तबान को धूप दिखाना. उन काँच के मर्तबानों में पकती है उदासी. एक दिन देखना वो दरक जाएँगे और बह निकलेगी एक उफनती नदी. उसे समंदर में समाने की चाह न होगी. वो तो बस संवाद बन जाना चाहेगी. दो किनारों के बीच का. Wednesday, June 22, 2016. एक और नज़्म. मुस्कुराहट की डली है कोई. एक और नज़्म. गीले काजल की. Wednesday, June 1, 2016.
जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास.....: February 2016
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जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास. मैं बस अहसास लिखती हूँ। शब्द महज़ लिबास भर हैँ।. Monday, February 29, 2016. छूट गयी न मैँ तुमसे. तुम्हारी नज़र के धुँए मेँ. खो गया न मेरा अक्स. छूट गयी न मैँ तुमसे. जैसे रूठता है बचपन. टूट जाए बच्चे के हाथ से. उसका सबसे पसंदीदा खिलौना. ज़र्द हो जाए आसमान का माथा. भवोँ पर सिल जाए उदासी की सिलवट. गुम जाए ख़ुदा की आँखोँ से नूर. पांव तले रुल जाए आस कोई. ऐसे भी कोई किसी से. नज़रेँ फेरता है भला. इंतज़ार का चाँद. उम्मीद का सूरज. इंतज़ार के चाँद को. आवाज़ एहसास है. फ़िर भी ...प्र...
जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास.....: August 2016
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जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास. मैं बस अहसास लिखती हूँ। शब्द महज़ लिबास भर हैँ।. Monday, August 1, 2016. बेपर चिड़िया है प्रेम. कोरे कैनवस पर उड़ती. बेपर चिड़िया है प्रेम. जिसके लिए उसका कोरापन ही. एक मुकम्मल पेंटिंग है. Subscribe to: Posts (Atom). View my complete profile. बेपर चिड़िया है प्रेम. कहानी : मोगरे के फूल. यथार्थ का वार. ये मैं ही तो हूँ. ग़लत ठहरा दो मुझे. ख़ामोशी का शब्दकोश. रात मेंह बरस रहा था कितनी ही देर भीगती रह...कभी प्रेम में होकर देख...नन्ही उम्मीद. कितने प्...पहा...
जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास.....: December 2016
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जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास. मैं बस अहसास लिखती हूँ। शब्द महज़ लिबास भर हैँ।. Sunday, December 11, 2016. उसे बोलने से परहेज़ नहीं था. चाह बस इतनी भर थी. कोई अबोला भी सुन सके. Subscribe to: Posts (Atom). View my complete profile. कहानी : मोगरे के फूल. लड़की के रुमाल में बारिशें बंधी हैं, लड़के के रुमाल में…दुआएँ। (पेंटिंग : आरती). यथार्थ का वार. ये मैं ही तो हूँ. ग़लत ठहरा दो मुझे. ख़ामोशी का शब्दकोश. रात मेंह बरस रहा था कितनी ही देर भीगत...नन्ही उम्मीद. कितने प्यार से म&#...मीठा भ्रम. पहाड़ क...
जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास.....: July 2016
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जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास. मैं बस अहसास लिखती हूँ। शब्द महज़ लिबास भर हैँ।. Tuesday, July 5, 2016. एक बादल पानी वाला. अमलतास के झूमर से टपक कर. कुछ बूँदें बारिश की. भर जाती हैं भीतर भी. गीले मन से झरते हैं पीताम्बरी फ़ूल. कोई नहीं देख पाता उनका गिरना. पांव के पीछे एड़ी से चिपके अकेलेपन के ठीक पास. बनता है एक बादल पानी वाला. जो फूटता नहीं है भरता रहता है. हर गुज़रती सांस के साथ. Subscribe to: Posts (Atom). View my complete profile. एक बादल पानी वाला. यथार्थ का वार. रात मेंह बरस ...कभी प...
जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास.....: August 2015
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जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास. मैं बस अहसास लिखती हूँ। शब्द महज़ लिबास भर हैँ।. Thursday, August 27, 2015. प्रतिबिंब का अंतर. कभी सोचती हूँ क्यों पानी की तरह होता है. हम लड़कियों का मन. एक ज़रा सी फ़िक्र, छींट भर प्रेम. और दिखने लगता है उसमें उस शख़्स का प्रतिबिंब. आसमान के कैनवास पर घटते बनते बादलों की आकृतियों में. आँखें ढूंढ़ती है उसका चेहरा. इंतज़ार पुतलियों में नहीं मुट्ठी में भरती है. ताकि रेत की मानिंद बहता रहे वो क़तरा क़तरा. उँगलियों के बीच से. Sunday, August 16, 2015. कुछ देर. पर अश्क़ कभì...
जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास.....: October 2015
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जज़्बातों का दरिया, लफ़्ज़ों के लिबास. मैं बस अहसास लिखती हूँ। शब्द महज़ लिबास भर हैँ।. Monday, October 19, 2015. स्मृतिशेष. कुछ न बचकर भी. कुछ तो बचता ही है. बैंगनी से कासनी होने की यात्रा है. स्मृतिशेष. Sunday, October 18, 2015. Wednesday, October 14, 2015. जब तक दरवाज़े हैं. बची रहेगी संभावना. आवाजाही की. सूर्य की पहली किरण. मुझे सूर्य की पहली किरण बनकर. छूना है तुम्हेँ. जिस तरह जन्म के बाद. सबसे पहले माँ चूमती है. अपने शिशु का माथा. एक उम्मीद का टुकड़ा. जो बंधा रह गया है. सबसे सुंदर ख़त. लड़की के...का&...
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Bhavna Mehta - Bhavna Mehta - Artist
Once Upon a Body. What the south wind says. A month of actions. Once Upon a Body. What the south wind says. A month of actions.
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कुछ खुले ख़त. ज़िन्दगी के नाम. Aug 27, 2015. इज़ाडोरा डंकन. इज़ाडोरा डंकन. इज़ाडोरा हमें फिर तुम्हारी प्रतीक्षा है. इस शापित युग में. हमें प्रतीक्षा है. मानवता के नृत्य की. जिसमें झलकता हो सृष्टि का समन्वय. दुनिया के तमाम अश्लील और कामुक नृत्य के बीच. तुम्हारा अलौकिक नृत्य. जैसे सजदा है. बंदगी है. इलहाम की एक राह है. तुम्हारे पवित्र नृत्य का जादू. शायद उबार ले हमें. वासनाओं के भंवर से. हमारे बंजर मन में फिर उग सकें. संवेदनाओं के बिरवे. भटकते लोग हैं. प्रकृति के लिए सहज नेह. तुमने जर्मनी. और हमारे ...पैट...
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Just another WordPress.com site. December 8, 2015. Frustration, Face painting & Flowers. Some days are more manageable than others. Today wasn’t one of them. But I couldn’t cry, I was at office and there was work to do. Also, work wasn’t doing its usual job of being a distraction today. Instead, it was only adding to the frustration, the feeling of failure and of falling into a bottomless pit. I am good enough I guess, we all are-right? Why do we adults stop believing in ourselves? December 4, 2015.
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July 24, 2016. Nepal – Year 1 (already! Continue reading →. March 11, 2016. Continue reading →. January 14, 2016. January 15, 2016. Continue reading →. November 2, 2015. November 2, 2015. Continue reading →. October 1, 2015. October 1, 2015. Home away from home. Continue reading →. September 15, 2015. Continue reading →. August 22, 2015. August 22, 2015. Continue reading →. Nepal – Year 1 (already! Home away from home. On Spring is here! Marnie on Spring is here! On Spring is here! On A New Year.
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Bhavna have served for the past 33 years from hyderabad and are dedicated. To beautify the bride's hands and feet to give that extra touch. Marriages Add's Celebration to Life,. Music Add's Life to Celebration. Adrons the Hands and Life Takes on the. Many celebrities like Salman Khan Family,. Ramoji Roa Family (Ramoji Film City Owner), Sania Mirza, Ram Charan’s Wife Upasana,. Sridevi, Bollywood and Tollywood film fraternity, Politicians and. Bhavna Parekh for there mehendi functions. Our - Latest Designs.