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..इन्तेखाब..: मौसी (2)
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इन्तेखाब. एहसास-ए-इन्तेखाब. जुबां से नहीं. आँखों से.दिल से. Friday, December 26, 2008. मौसी (2). घर के तिनके को जोड़ने का दर्द मौसी की आँखों में उभर आया. और फिर मौसी चुपचाप फिर आने का कह कर निकल गयी.मैं उन्हें ओझल होते तक जाता देखता रहा! कृतिकार : रूपेश सिंघारे. Subscribe to: Post Comments (Atom). विजेट आपके ब्लॉग पर. Indore MP India, Aliso Viejo Orange County California USA, India. View my complete profile. मौसी (2). मौसी (1). ख्वाब (२ ). चिंगारी. ख्वाबगाह. Get Your Own Visitor Globe!
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..इन्तेखाब..: कहाँ से लाऊं ??
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इन्तेखाब. एहसास-ए-इन्तेखाब. जुबां से नहीं. आँखों से.दिल से. Friday, February 4, 2011. कहाँ से लाऊं? बिलखती रोती कराहती हुयी सी इस दुनिया में. तुम ही बताओ खुशियों भरे ज़ज्बात कहाँ से लाऊं? जा बज़ा भूख और इफ़्लास की सूरत में क़ज़ा फिरती है. हँसना चाहता हूँ मगर हंसने के हालात कहाँ से लाऊं? सूना सूना सा लगता है ज़माना सारा. रोशन रोशन से वो दिन रात कहाँ से लाऊं? बयान करता है कोई दिल के नेह कानो में. कृतिकार : रूपेश सिंघारे. Subscribe to: Post Comments (Atom). विजेट आपके ब्लॉग पर. View my complete profile.
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..इन्तेखाब..: June 2008
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इन्तेखाब. एहसास-ए-इन्तेखाब. जुबां से नहीं. आँखों से.दिल से. Monday, June 30, 2008. खुश आमदीद. कुछ हर्फों. और कुछ लफ्जों से. मैंने बुना था एक ताना बाना! और ज़ज्बातों की रौ में,. लिखा था एक फ़साना! मेरे अक्स का एक नशा है -. जो तेरे बदन का बोसा है! खुश आमदीद है तेरा. मेरे इस ताने बाने में -. सबसे पहला तेरा आगाज़ हुआ. तेरी झुकी पलकों में॥. अपने अक्स के नशे का एहसास हुआ ! कृतिकार : रूपेश सिंघारे. लघ्जिशों की तमन्ना है ये. ख़यालों की बरसात. सम्हल कर रहना हमदम मेरे. कभी कभी ये बरसात. विस्तार. बचपन कि तरह! इस ज&#...
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..इन्तेखाब..: भागम-भाग
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इन्तेखाब. एहसास-ए-इन्तेखाब. जुबां से नहीं. आँखों से.दिल से. Friday, February 4, 2011. कमरे के कोने से. धूप का एक छोटा सा टुकड़ा -. अब भी कह रहा है :. अभी दिन ढला नही है. फिसल गए जो लम्हे. दुआओं कि गिरिफ्त से. उन्हें ढूंढ लाने की कवायद है. लम्हों की खोज मे. कभी वक्त से आगे कभी. ख़यालों के पीछे. बस भागम-भाग चल रही है! January 30, 2008. कृतिकार : रूपेश सिंघारे. Subscribe to: Post Comments (Atom). विजेट आपके ब्लॉग पर. Indore MP India, Aliso Viejo Orange County California USA, India. View my complete profile.
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..इन्तेखाब..: ख्वाब (२ )
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इन्तेखाब. एहसास-ए-इन्तेखाब. जुबां से नहीं. आँखों से.दिल से. Wednesday, December 17, 2008. ख्वाब (२ ). कुछ बारिश की बूंदों को. अठखेलियाँ करते मैंने देखा. रूबरू हुईं - तो कहने लगी. तुम बरसते क्यूँ नही? आओबरसो, बरसो हमारे साथ. तभी तो रीते होओगे. और जी सकोगे कुछ नया नया. अपनी जद्दोजहद में. ना ही जिस्म में समेटा उन्हें. ना ही बरसा उनके साथ. वो फिर भी बरसती और खेलती रही. मेरे अकेलेपन को भरती रही. यकायक कुछ सुर्ख बूँदें देखी मैंने -. और चिढाती हुयी सी बाक़ी सब. कुछ पीली कुछ लाल. उनमे समा गयी! मौसी (2).
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..इन्तेखाब..: "ईस्ट इंडिया कंपनी" खरीदा हिन्दुस्तानी ने...
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इन्तेखाब. एहसास-ए-इन्तेखाब. जुबां से नहीं. आँखों से.दिल से. Monday, June 7, 2010. ईस्ट इंडिया कंपनी" खरीदा हिन्दुस्तानी ने. जिस समय ये शानदार घटना हुयी - हमारी मीडिया तथाकथित सानिया और शोएब के निकाह की विडियो बना रहे थे! मीडिया के लिए शायद ये इतनी महत्वपूर्ण घटना नहीं थी.मेरे लिए तो है।. संजीव मेहता जी को सलाम. कृतिकार : रूपेश सिंघारे. The East India Company. ईस्ट इंडिया कंपनी. संजीव मेहता. हिन्दुस्तानी. June 7, 2010 at 5:54 PM. Subscribe to: Post Comments (Atom). View my complete profile.
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..इन्तेखाब..: December 2008
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इन्तेखाब. एहसास-ए-इन्तेखाब. जुबां से नहीं. आँखों से.दिल से. Friday, December 26, 2008. मौसी (2). घर के तिनके को जोड़ने का दर्द मौसी की आँखों में उभर आया. और फिर मौसी चुपचाप फिर आने का कह कर निकल गयी.मैं उन्हें ओझल होते तक जाता देखता रहा! कृतिकार : रूपेश सिंघारे. Thursday, December 25, 2008. मौसी (1). Concluding in part 2]. कृतिकार : रूपेश सिंघारे. Wednesday, December 17, 2008. ख्वाब (२ ). कुछ बारिश की बूंदों को. अठखेलियाँ करते मैंने देखा. रूबरू हुईं - तो कहने लगी. उनमे समा गयी! Monday, December 15, 2008.
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..इन्तेखाब..: June 2010
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इन्तेखाब. एहसास-ए-इन्तेखाब. जुबां से नहीं. आँखों से.दिल से. Monday, June 7, 2010. ईस्ट इंडिया कंपनी" खरीदा हिन्दुस्तानी ने. जिस समय ये शानदार घटना हुयी - हमारी मीडिया तथाकथित सानिया और शोएब के निकाह की विडियो बना रहे थे! मीडिया के लिए शायद ये इतनी महत्वपूर्ण घटना नहीं थी.मेरे लिए तो है।. संजीव मेहता जी को सलाम. कृतिकार : रूपेश सिंघारे. The East India Company. ईस्ट इंडिया कंपनी. संजीव मेहता. हिन्दुस्तानी. Subscribe to: Posts (Atom). विजेट आपके ब्लॉग पर. View my complete profile. ख्वाबगाह.
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..इन्तेखाब..: ख़्वाब सा....
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इन्तेखाब. एहसास-ए-इन्तेखाब. जुबां से नहीं. आँखों से.दिल से. Friday, February 4, 2011. ख़्वाब सा. नज़रों की सीमायें. जहां ख़त्म होती हैं. वो आसमान का दायरा होता है. उन ही सीमाओं से परे. एक नयी दुनिया का सिरा होता है. जो हाथों की उँगलियों में सिमटती नहीं. पलकों में कैद नहीं होती. बसजेहन में कौंधती है. और आसमान के दायरे से आँखों में समा जाती है. धडकनों कि जुम्बिश हवाओं में सरसराती है. बंद पलकों का वो ख़्वाब. वहीँ.शायद. आसमान के बाद - शायद! August 31, 2009. Subscribe to: Post Comments (Atom).