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कविता मंच: January 2015
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कविता मंच. 27 जनवरी 2015. विशाल पीपल की छाँव - अर्चना तिवारी. विशाल पीपल की छाँव. देती है सबको ठाँव. खड़ा रहता है धूप में. सदा अटल रूप में. सदा रहती है जीवन की लहर. कोमल पत्तियों में ठहर. रहती है शाखों पे उमंग. हवाओं से पाकर तरंग. देती है जीवन की आशा. दूर करके सबकी निराशा. पाते हैं नीचे इसके. ज्ञान ध्यान अंतर्मन. लेखक परिचय - अर्चना तिवारी. प्रस्तुत कर्ता संजय भास्कर. 1 टिप्पणी:. Links to this post. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. 15 जनवरी 2015. अपना स...
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कविता मंच: April 2015
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कविता मंच. 16 अप्रैल 2015. कविता/ मरा हुआ आदमी-Brijesh Neeraj. इस तंत्र की सारी मक्कारियाँ. समझता है आदमी. आदमी देख और समझ रहा है. जिस तरह होती है सौदेबाज़ी. भूख और रोटी की. जैसे रचे जाते हैं. धर्म और जाति के प्रपंच. गढ़े जाते हैं. शब्दों के फरेब. लेकिन व्यवस्था के सारे छल-प्रपंचों के बीच. रोटी की जद्दोजहद में. आदमी को मौका ही नहीं मिलता. कुछ सोचने और बोलने का. और इसी रस्साकसी में. एक दिन मर जाता है आदमी. असल में आदमी मरता नहीं है. मार दिया जाता है. यह एक साजिश है. आदमी के लिए. बृजेश नीरज. इसे बî...
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कविता मंच: August 2014
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कविता मंच. 26 अगस्त 2014. पीछे मुडकर देखना जिंदगी को - आशा जोगळेकर :). फोटो : गूगल से साभार. अब अच्छा लगता है. देखना जिंदगी को. पीछे मुडकर।. जब पहुंच गया है. मंजिल के पास. अपना ये सफर।. क्या पाया हमने. क्या खोया. सोचे क्यूं कर।. अच्छे से ही. कट गये सब. शामो सहर।. सुख में हंस दिये. दुख में रो लिये. इन्सां बन कर।. कुछ दिया किसी को. कुछ लिया. हिसाब बराबर! लेखक परिचय - स्वप्नरंजिता ब्लॉग से आशा जोगळेकर. प्रस्तुत कर्ता संजय भास्कर. 6 टिप्पणियां:. Links to this post. इसे ईमेल करें. 21 अगस्त 2014. ईश सब सन...
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मन का मंथन [man ka manthan]: December 2014
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मन का मंथन [man ka manthan]. स्वागत व अभिनंदन।. मुखपृष्ठ. रचनाओं की सूचि।. मेरे बारे में. मुझे संपर्क करें।. रचनाकार में[november 2014] में प्रकाशित रचनाएं।. शुक्रवार, दिसंबर 19, 2014. भाग्यशाली और बदनसीब. भाग्यशाली है वो कुत्ते. जिन का लालन पालन. बड़ी बड़ी कोठियों में. किसी राजकुमार की तरह हो रहा है. निछावर है जिनपर. शहर की सुंदरियों का सकल प्रेम. उन्ही कोठियों में. बदनसीब वो बच्चे भी रहते हैं. जिन्हे रोटी भी. ताने सुन सुनकर. काम के बदले मिलती है।. प्रेम पाने की तो. Links to this post. हाहाक...खाक...
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मन का मंथन [man ka manthan]: July 2015
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मन का मंथन [man ka manthan]. स्वागत व अभिनंदन।. मुखपृष्ठ. रचनाओं की सूचि।. मेरे बारे में. मुझे संपर्क करें।. रचनाकार में[november 2014] में प्रकाशित रचनाएं।. शुक्रवार, जुलाई 31, 2015. मेरी भारतीय रुह. मेरी भारतीय रुह भी. आहत होती है. ऊधम सिंह की. रुह की तरह. जब देखती हैं मानव संहार. कहीं भी. भारत से दूर. मदन लाल ढींगरा. या ऊधम सिंह की. फांसी की खबर सुनकर. वो भी बहुत रोई थी. अपने वतन में. अपनों के साथ।. भगत सिंह, सुखदेव. और राजगुरु. की फांसी से. भारत मां के साथ. मेरी रुह भी. आहत है आज तक. अफजल, कसाब.
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कविता मंच: March 2014
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कविता मंच. 31 मार्च 2014. वेग पधारो सिंहवाहिनी हम करते आवाहन. हे माता पर्वतवाली त्रस्त. भक्तगण आज।. कृपा करो हे माता दुखिया सकल समाज।।. तुमने जाने कितने राक्षस हे माता संहारे।. मानव तन ले उनमें कुछ हैं आन पधारे।।. ललनाओं की लाज लूटते,करते ये हत्याएं।. पापकर्म में इतने डूबे रही ना अब सीमाएं।।. भारतवासी त्रस्त बहुत हैं जपते तेरा नाम।. इनके चलते दुख भरे हैं उनके सुबहो शाम।।. हे मां अपने गणों संग अब तो वेग. पधारो।. प्रस्तुत कर्ता. 3 टिप्पणियां:. Links to this post. इसे ईमेल करें. 25 मार्च 2014. इक नाग...
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कविता मंच: November 2014
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कविता मंच. 18 नवंबर 2014. अटक गया विचार- बृजेश नीरज. माथे पर सलवटें. आसमान पर जैसे. बादल का टुकड़ा थम गया हो. समुद्र में. लहरें चलते रूक गयीं हों,. कोई ख्याल आकर अटक गया।. धकियाने की कोशिश बेकार,. सिर झटकने से भी. निशान नहीं जाते।. सावन के बादलों की तरह. घुमड़कर अटक जाता है. उसी बिन्दु पर।. काफी वजनी है. सिर भारी हो चला. आंखें थक गईं,. पलकें बोझल।. सहा नहीं जाता. इस विचार का वजन।. आदत नहीं रही. इतना बोझ उठाने की. अब तो घर का राशन भी. आदत बनी रहे।. बहुत देर तक अटका रहा. झट खतम हो जाए।. फिर न अटके. प्र...
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कविता मंच: October 2014
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कविता मंच. 29 अक्तूबर 2014. गर आप फरमाइश करें. राजेश त्रिपाठी. हमने आज जलाये हैं, हौसलों के चिराग।. हवाओं से कहो, वे जोर आजमाइश करें।।. हम तो रियाया हैं, हमारी क्या बसर।. आप आका हैं, जो सात को सत्ताइश करें।।. झुनझुने की तरह , हम आगे-पीछे बजते रहे।. सजदे में झुक जायेंगे, गर आप फरमाइश करें।।. मुसलसल आपकी जफाओं ने, मारा है हमें।. कितने आंसू अब तक बहे, आप पैमाइश करें।।. हाथों को काम मुंह को निवाला मिलता रहे।. देश का अमनो अमान हो गया है काफूर।. प्रस्तुत कर्ता. 9 टिप्पणियां:. Links to this post. Facebook पर स...
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कविता मंच: July 2015
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कविता मंच. 30 जुलाई 2015. सुनो सुनो ऐ दुनिया वालो एपीजे की अमर कहानी. राजेश त्रिपाठी. अपने लिए कभी ना सोचा देश के हित दे दी जिंदगानी।. सुनो सुनो ऐ दुनिया वालो एपीजे की अमर कहानी ।।. एपीजे अब्दुल कलाम का बचपन से था सपना।. देश हित कुछ कर जायें ऐसे उठे कदम अपना।।. पुश्तैनी पेशे को छोड़ा जोड़ा शिक्षा से नाता।. बढ़ते कदम देख बेटे के खुश हो गये पिता-माता।।. बचपन से ही बड़े सपने की शुरू हो गयी थी ये कहानी।. डीआरडीओ में रह कर काम किया था खास।. भारत को आगे ले जाने का द...वह अवश्य पूरा हो...उनके सपन&...
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मन का मंथन [man ka manthan]: March 2014
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मन का मंथन [man ka manthan]. स्वागत व अभिनंदन।. मुखपृष्ठ. रचनाओं की सूचि।. मेरे बारे में. मुझे संपर्क करें।. रचनाकार में[november 2014] में प्रकाशित रचनाएं।. बुधवार, मार्च 12, 2014. जागो जंता, सोचो विचारो. आने वाले हैं अब मतदान,. आयेगा नेताओं को तुम्हारा ध्यान,. करेंगे वोही, जो अब तक किया,. जागो जंता,. सोचो विचारो,. शिक्षित हो, न अब अंजान,. अच्छे बुरे की है तुम्हे पहचान,. कौन है दुर्योधन, धर्मराज कौन है,. जागो जंता,. सोचो विचारो,. न वादों पर विश्वास करो,. जागो जंता,. सब को भारत में. Links to this post.