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बात बोलेगी: 08/02/12
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बात बोलेगी. समकालीन लेखन और सिनेमा पर बतकही. Thursday, August 2, 2012. नित्यानंद की कविताओं पर महेश पुनेठा. न बिकने के संकल्प से फूटी कविताएं. महेश चंद्र पुनेठा. 8216; की कुछ पंक्तियाँ याद आती हैं- कल्पना के पुत्र हे भगवान! नित्यानंद गायेन. व्यक्ति के विचारों के साथ? या फिर /गरीबी की .आतंक की? अपने हिस्से का प्रेम. कविता संग्रह), नित्यानंद गायेन. महेश चंद्र पुनेठा. समीक्षकः महेश चंद्र पुनेठा,. विमलेश त्रिपाठी. Subscribe to: Posts (Atom). कवियों के कवि शमशेर. कविता की किताब. पथ के साथी.
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सत्यापन : September 2013
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कविता - मराठी अनुवाद. कहानी - मराठी अनुवाद. समीक्षा. शब्द प्रभुनों - -कवि वामन निम्बाळकर. शब्द प्रभुनों . शब्दों से जलते है घर ,दार ,देश और इंसान भी /. शब्द बुझाते है शब्दों से जले हुए इंसानों को /. शब्द न होते तो आँखों से गिरे न होते आग के गोले /. न बहता आंसुओं का महापुर /. आता न कोई करीब /. जाता न दूर ,. शब्द न होते तो . कवि वामन निम्बाळकर. अनुवाद -कैलाश वानखेड़े. शब्दांनीच पेटतात घरे, दारे, देश /. आणि माणसेसुद्धा /. शब्द विझवतात आगही /. गेले नसते दूर /. शब्द नसते तर'. Subscribe to: Posts (Atom).
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सत्यापन : October 2011
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कविता - मराठी अनुवाद. कहानी - मराठी अनुवाद. समीक्षा. अटेस्टेड (' सत्यापित ' का मराठी अनुवाद ). मी वाट पाहत होतो की माझा नंबर येईल अन माझं अटेस्टेशनचं काम होईल. Labels: मराठी अनुवाद. Subscribe to: Posts (Atom). आन लाइन सत्यापन खरीदने के लिए. Http:/ www.itokri.com/products/satyapan. लेखक हूँ .म.प्र.राज्य प्रशासनिक सेवा में कार्यरत . सत्यापन' की कहानियों पर आलोचकों तथा पाठकों के विचार. Https:/ www.facebook.com/pages/Kailash-wankhede/357333650953027. हाँ मै दलित हूँ. सत्यापित. 160; कहानी :...सावì...
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सत्यापन : B B C में सत्यापन
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कविता - मराठी अनुवाद. कहानी - मराठी अनुवाद. समीक्षा. B B C में सत्यापन. Http:/ www.bbc.co.uk/hindi/indepth/2013/12/131230 editors booklist 2013 rns.shtml. सत्यापन: कैलाश वानखेड़े (आधार प्रकाशन). Labels: सत्यापन. समीक्षा. Subscribe to: Post Comments (Atom). आन लाइन सत्यापन खरीदने के लिए. Http:/ www.itokri.com/products/satyapan. लेखक हूँ .म.प्र.राज्य प्रशासनिक सेवा में कार्यरत . Https:/ www.facebook.com/pages/Kailash-wankhede/357333650953027. हाँ मै दलित हूँ. सत्यापित. कँटीले तार. 160; कहान...सा...
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सत्यापन : July 2012
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कविता - मराठी अनुवाद. कहानी - मराठी अनुवाद. समीक्षा. आलतू फालतू .आ बला को टाल तू .पाँच सौ परसेंट सिर खपाऊ. कौन पूछता है कि गैंग बनाकार आप गालियों को जस्टीफाई क्यों करते हो? इसे सहज सामान्य और नेचुरल बताते बताते भूला देते हो कि दलित साहित्य में आपको गाली के अलावा कुछ दिखता ही नहीं? न हत्याकांड दिखे न नरसंहार में बरी हुए फैसले की जानकारी मिलती है इन्हें. Subscribe to: Posts (Atom). आन लाइन सत्यापन खरीदने के लिए. Http:/ www.itokri.com/products/satyapan. हाँ मै दलित हूँ. मेरे माथे पर ...दिवस मावळ...160; ...
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हम बचे रहेंगे: March 2012
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हम बचे रहेंगे. Sunday, March 25, 2012. विमलेश त्रिपाठी. Subscribe to: Posts (Atom). हम बचे रहेंगे. सब कुछ के रीत जाने के बाद भी. मां की आंखों में इंतज़ार का दर्शन बचा रहेगा. अटका रहेगा पिता के मन में. अपना एक घर बना लेने का विश्वास. ढह रही पुरखों की हवेली के धरन की तरह. तुम्हारे हमारे नाम के. इतिहास में गायब हो जाने के बाद भी. पृथ्वी के गोल होने का मिथक. उसकी सहनशक्ति की तरह बचा रहेगा. और हम बचे रहेंगे एक दूसरे के आसमान में. आसमानी सतरंगों की तरह ।. व्यक्तिगत पन्ना. बात बोलेगी. 160; प्रौ...
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हम बचे रहेंगे: वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह
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हम बचे रहेंगे. Monday, August 6, 2012. वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह. प्रौढ़ता का आभास देने वाला संग्रह. केदारनाथ सिंह. 8216; हम बचे रहेंगे. 8216; उठा हुआ हाथ. इन कविताओं के एक अन्य चरित्र लक्षण ने भी ध्यान आकृष्ट किया। वह है इनकी गहरी स्थानीयता. 8211; किसी आंचलिक अर्थ में नहीं. 8216; पाम्ही. 8216; अनगराहित भाई. 8216; हम बचे रहेंगे. 8211; यह किताब अपने अभीष्ठ पाठक तक पहुंचने में सफल होगी और अपने प्रकाशक. 8216; नयी किताब. केदारनाथ सिंह. विमलेश त्रिपाठी. Subscribe to: Post Comments (Atom). जादुई समय...हम बच...
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हम बचे रहेंगे: मुश्किल दौर में उम्मीद की कविता - क्षमा सिंह
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हम बचे रहेंगे. Friday, August 17, 2012. मुश्किल दौर में उम्मीद की कविता - क्षमा सिंह. मुश्किल दौर में उम्मीद की कविता. क्षमा सिंह. ऐसे समय में जब कविता के मुश्किल दौर की चर्चा हो रही है. युवा कवि विमलेश का काव्य संग्रह. हम बचे रहेंगे. कविता के बचे रहने की. पर व्यंग करते हुए प्रार्थना कविता में वे कहते हैं -. शब्दों से अधिक महत्त्व अशब्दों का जहाँ. तिकड़मी दुनिया वह. नहीं चाहिए. नहीं चाहिए वह. की अर्थवत्ता को लेकर कितना गंभीर है।. और ये शब्द हैं-सुरीली गंध. बिअहुती. नुकारी. कवि ने पित...सुशा...
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समालोचन: सहजि सहजि गुन रमैं : कृष्णमोहन झा
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2404;। समालोचन के पांच साल ।।. अरुण देव. ई-पता : devarun72@gmail.com. समालोचन साहित्य की पत्रिका है. प्रकाशन के लिए. स्तरीय, अप्रकाशित. रचनाएँ ही विचारयोग्य हैं. ( पूर्वप्रकाशित रचना भेजते हुए प्रकाशन का सन्दर्भ या लिंक अवश्य दें). प्रकाशन के लिए रचनाएँ वर्ड फाइल तथा यूनिकोड हिंदी फॉट में ई -मेल से भेजी जा सकती हैं. सम्पर्क :. 5/ himalayan colony (nehar colony). Ll इस सप्ताह ll. सहजि सहजि गुन रमैं : गीत चतुर्वेदी. हिंदी की प्रतिष्ठा प्राप्...कविता भाषा की मिट्ट&#...कविताएँ. समीक्षा. सुमन केशर...हरि...
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