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BIZOOKA ON WHATSAPP: कविताएँ शहनाज़ इमरानी जी की हैं और उन पर टिप्पणी श्री अरुण आदित्य ने की है..
http://bizooka1111.blogspot.com/2015/02/blog-post_65.html
वाट्सएप बिजूका. बिजूका लोकमंच. कविताएँ शहनाज़ इमरानी जी की हैं और उन पर टिप्पणी श्री अरुण आदित्य ने की है. आज मैं आपको बिजूका एक में कल पोस्ट. की गयी कविताएँ और टिप्पणी पढ़ने के लिए. पोस्ट कर रहा हूँ. इन कविताओं और टिप्पणी पर बिजूका एक में ख़ूब बातें हुई. है. 1 शब्दों का जाल. शब्द छोटे बड़े. शब्द हलके वज़नदार. शब्द कड़वे, मीठे, तीखे. शब्द दुश्मन शब्द ही दोस्त. शब्द बोलते अन्दर और बाहर. शब्द उलझ जाते बातों में. शब्द बहे जाते भावनाओं में. शब्द भाषण की आग बनते है. शब्द फटते बम कि तरह. कुछ नए आये. मज़बूत द...
BIZOOKA ON WHATSAPP: कविताएँ डॉ. आशा पाण्डेय जी की हैं..और टिप्पणी श्री राजेश झरपुरे जी की हैं...
http://bizooka1111.blogspot.com/2015/02/blog-post_71.html
वाट्सएप बिजूका. बिजूका लोकमंच. कविताएँ डॉ. आशा पाण्डेय जी की हैं.और टिप्पणी श्री राजेश झरपुरे जी की हैं. मित्रो आप सभी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ. आज बातचीत के लिए कविताएँ और टिप्पणी प्रस्तुत है. कविताएँ. 1- बड़ा कोन-. तुम बड़े गर्व से पूछते हो. धरती बड़ी है या आकाश? नदी बड़ी है या सागर? मै मुस्करा देती हूँ. तुम्हारा आशय समझ कर. तुम्हेँ क्यों है इतनी शंका? सृष्टि के आदि से अब तक. बिना प्रतिवाद के. लेकिन आज. जब तुम पूछते हो. तब कहती हूँ मै भी. बड़े आदर के साथ. बड़ा तो आकाश है. 2-मै एक नदी -. पित&#...
BIZOOKA ON WHATSAPP: हाँ! मैं इस दुनिया का/ सबसे नाकाम प्रेमी हूँ! : अमृत सागर
http://bizooka1111.blogspot.com/2015/02/blog-post_78.html
वाट्सएप बिजूका. बिजूका लोकमंच. मैं इस दुनिया का/ सबसे नाकाम प्रेमी हूँ! अमृत सागर. 1 हाँ! मैं इस दुनिया का/ सबसे नाकाम प्रेमी हूँ! जो अंत तक. नहीं कर सका/ तुम्हारे दोनों हाथों में अंतर! और न ही/ पार कर सका/ तुम्हारे आँखों का समंदर! क्योंकि तुम्हारी आँखें/ मुझे हमेशा. किसी कराहते कांच सी लगीं. जिन्हें किसी नरम दिल में/ बेवजह. धंसने और विलगने की प्रक्रिया से. गुजार दिया गया था! असल में/ मुझे तुममें/ प्रेमिका कम. मां ज्यादा नजर आती रही! शायद/ तभी मैं. इसलिए ही मैंने. और भूल गया. 9725;अमृत सागर. बरसो&#...
BIZOOKA ON WHATSAPP: कविताएँ श्रुति जी की हैं...और उन पर टिप्पणी प्रेमचंद गाँधी जी की है
http://bizooka1111.blogspot.com/2015/02/blog-post_69.html
वाट्सएप बिजूका. बिजूका लोकमंच. कविताएँ श्रुति जी की हैं.और उन पर टिप्पणी प्रेमचंद गाँधी जी की है. मित्रो आज बातचीत के लिए कविताएँ और टिप्पणी. प्रस्तुत है. ये कविता आज़म खान की भैसों को समर्पित. कौन जात तुम. सुनउ महाराज. तुम्हारी भैस कौन जात है. कि उसे ढूंढने खातिर. पुलिस महकमा हलकान हो गया. हमारी तो बिटिया खो जाने पर भी. दारोगा ने नहीं लिखी थी रिपोर्ट. सुनउ महाराज. कौन जात है तुम्हारे घर पिसा गेहूं. कि सबके चेहरों पर ताब ही ताब है. सुनउ महाराज. हो जाते है अपवित्तर. सुनउ महाराज. समय पर करें. शताब...
BIZOOKA ON WHATSAPP: पटरी, होलिका दहन, मौसम, बिटिया, ना जाने क्या बात हुई : कवि विदुषी जी हैं.. कविताओं
http://bizooka1111.blogspot.com/2015/02/blog-post_37.html
वाट्सएप बिजूका. बिजूका लोकमंच. पटरी, होलिका दहन, मौसम, बिटिया, ना जाने क्या बात हुई : कवि विदुषी जी हैं. कविताओं पर टिप्पणी हमारे साथी डॉ.शशांक शुक्ला जी ने की है. मैं खड़ी थी जहाँ. मेरे पैरों के नीचे की मिट्टी मेंथे. कंकर पत्थर और काँच के टुकड़े. जो चुभते मैं दुखी हो जाती. बैठ जाती वहीं. देखती रहती अपने लहूलुहान पैरों को. एक दिन मुझे लकड़ी की एक पटरी मिली. मैं खड़ी हो गई उस पर. मिट्टी को छानकर. अलग कर लिए कंकर पत्थरऔर काँच के टुकड़े. बहुत खुश हूँ मैं. होलिका दहन. भले ही पहने हो. नई फ़सल के. पकते ब...
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वाट्सएप बिजूका. बिजूका लोकमंच. कवितांए तितिक्षा जी की और टिप्पणी तुषार धवल जी की हैं।. मित्रो आज बातचीत के लिए कविताएँ और. टिप्पणी प्रस्तुत है. कविताएँ. 1 चले आना. चले आना जब मेरी याद आए. चले आना जब दिल भर आए. चले आना जब कोई पास न हो. चले आना जब कोई राह न मिले. चले आना गर कुछ तुम्हारे पास न रहे. चले आना जब सुकून तलाशते थक जाओ. चले आना. चले आना. चले आना कि तुम्हें तुम्ही से मिला सकूँ. वो तुम जो मुझमें बसते हो. 2 अनकहे शब्द. शब्द चले गए. कई दफा की गई. सब अनसुना किया गया. वे चले गए. और छोड़ गये. अस्व&#...
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कविता कृष्णपल्लवी की कविताएं. कविता कृष्णपल्लवी. नगर में बर्बर. नगर द्वार पर बर्बरों की प्रतीक्षा करते. डरे हुए लोगों ने शाम ढले. वापस लौटकर पाया कि. बर्बरों के गिरोह शहर में. पहले से ही मौजूद हैं।. आश्चर्य के साथ उन्होंने पाया कि. धीरे-धीरे अपनी संख्या और आक्रामक क्षमता बढ़ाते. बैक्टीरिया की तरह वे उनके बीच. पहले से ही अपनी जड़ें मजबूत कर रहे थे. और उनकी सरगर्मियाँ लगातार जारी थीं. और अब वे खुलकर अपने मंसूबों को. अंजाम दे रहे हैं. रिस रही है पीली रोशनी. या वह लेकर आया है. विशाल भवî...जिन...
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