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अलाव: एसपी के बहाने
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Friday, June 26, 2009. एसपी के बहाने. कहां रहा बेलौस होकर सच को सामने रखने का माद्दा? कहां रही पत्रकारिता को बुनियादी सवालों से जोड़ने की अकुलाहट? कहां रही पत्रकारिता की बनी-बनायी लीक को छोड़कर एक नई राह अपनाने की कोशिश? गिरिजेश राव. श्रद्धांजलि. June 26, 2009 at 5:17 PM. सुशील कुमार छौक्कर. काफी हद तक सही कहा है आपने।. June 26, 2009 at 9:05 PM. Subscribe to: Post Comments (Atom). एसपी के बहाने. अच्छे कल के लिए जरूरी है आपातकाल की याद. View my complete profile. अलाव के अतिथि. मेरी पसंद.
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अलाव: June 2009
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Friday, June 26, 2009. एसपी के बहाने. कहां रहा बेलौस होकर सच को सामने रखने का माद्दा? कहां रही पत्रकारिता को बुनियादी सवालों से जोड़ने की अकुलाहट? कहां रही पत्रकारिता की बनी-बनायी लीक को छोड़कर एक नई राह अपनाने की कोशिश? Thursday, June 25, 2009. अच्छे कल के लिए जरूरी है आपातकाल की याद. Saturday, June 6, 2009. किन महिलाओं के लिए महिला आरक्षण? पहला सवाल यह है कि महिलाओं को आरक्षण का मतलब क्या है? विचित्रमणि. Subscribe to: Posts (Atom). एसपी के बहाने. View my complete profile. मेरी पसंद.
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समय: July 2008
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Monday, July 28, 2008. मैं मिट्टी से बना हूं, मिट्टी में मिल जाऊंगा. मैं मिट्टी से बना हूं. महसूस करता हूं. धरती का एक टुकड़ा. अपने भीतर, हर पल. कुछ रेत, कुछ कीचड़. कुछ करैली, कुछ दोमट. इसलिए शायद. मुझे पसंद है मिट्टी. याद है आज भी. बचपन के वो दिन. गर्मी की वो सुबहें. नदी किनारे जाना. साबुन की जगह. देह में मलना. काली मिट्टी. बेझिझक रगड़ना. चेहरे पर. इसलिए शायद. मुझे पसंद है मिट्टी. मुझे याद है आज भी. बरसात के वो दिन. लोटना साथियों संग. गांव की परती में. मिट्टी में. इसलिए शायद. इसलिए शायद. ओस की नम&...
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समय: June 2008
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Friday, June 20, 2008. कहीं मेरा हिस्सा तो नहीं मारा. कल मैं कनॉट प्लेस में घूम रहा था. शूट बूट पहने. एन ९२ हाथ में लिये. दोस्त से बतिया रहा था. तभी एक भीखमंगा सामने आ गया. मेरा रास्ता रोक कर खड़ा हो गया. मैंने बचने की बहुत कोशिश की. लेकिन जैसे वो मुझे दबोच लेना चाहता था. फिर मैं भी रुक गया. पूछा भाई क्या बात है. ऐसे रास्ता रोक क्यों खड़े. लगता है कुछ ठान कर आए हो. किसी जिद पर अड़े हो. बस एक सवाल का जवाब दे दो. तुम शूट बूट पहने हो. मैं फटे हाल हूं. तुम मोबाइल लिये हो. सच सच बोलना. झूठ मत कहना. काश&...
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अलाव: किन महिलाओं के लिए महिला आरक्षण ?
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Saturday, June 6, 2009. किन महिलाओं के लिए महिला आरक्षण? पहला सवाल यह है कि महिलाओं को आरक्षण का मतलब क्या है? विचित्रमणि. शरद यादव ने सही सवाल उठाये है! June 6, 2009 at 6:48 PM. Subscribe to: Post Comments (Atom). एसपी के बहाने. अच्छे कल के लिए जरूरी है आपातकाल की याद. किन महिलाओं के लिए महिला आरक्षण? View my complete profile. दुनिया में अलाव. अलाव के अतिथि. मेरी पसंद. एक नौसिखिया कवि. आओ सबकुछ उलट दें. एक हिंदुस्तानी की डायरी. चौखंबा. निर्मल-आनन्द. पत्रकार से सेल्समैन. मोहल्ला.
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अलाव: November 2007
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Friday, November 9, 2007. किसकी दिवाली, किसका दिवाला. विचित्रमणि. Subscribe to: Posts (Atom). किसकी दिवाली, किसका दिवाला. View my complete profile. दुनिया में अलाव. अलाव के अतिथि. मेरी पसंद. एक नौसिखिया कवि. आओ सबकुछ उलट दें. एक हिंदुस्तानी की डायरी. राजनीति के दल्ले कहीं के! चौखंबा. बिकता है कानून खरीदार चाहिये. निर्मल-आनन्द. अपने मन की करना ही ख़तरनाक राजनीति है! मेरे सपने, मेरी तमन्ना. पत्रकार से सेल्समैन. मोहल्ला.
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समय: भाग्य विधाता
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Saturday, August 2, 2008. भाग्य विधाता. वो भाग्य विधाता हैं मेरे और तुम्हारे. वो तय करते हैं मेरा और तुम्हारा भविष्य. मेरे और तुम्हारे पसीने की क़ीमत. मेरे और तुम्हारे लहू का मोल. एयरकंडिशन्ड दफ़्तर में बैठे. बिना एक बूंद पसीना बहाए. वाह समर क्या खूब दिया है,. सुंदर.अति उत्तम।।।।. August 2, 2008 at 8:12 AM. Bhut sundar likha hai. jari rhe. August 2, 2008 at 8:28 AM. Bhut khub. ati uttam. likhte rhe. August 2, 2008 at 8:31 AM. August 3, 2008 at 12:48 AM. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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समय: मैंने उसे देखा, ज़िंदगी के लिए लड़ते हुए
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Friday, August 1, 2008. मैंने उसे देखा, ज़िंदगी के लिए लड़ते हुए. मैंने उस मासूम को देखा. हर सांस लड़ते हुए ज़िंदगी के लिए. लेटा हुआ था वो खामोश. खून से सने सफेद बिस्तर पर. आंखें बंद, चेहरा स्थिर. सांसें वेंटिलेटर के सहारे. तभी धड़कन कुछ अटकी. जिस्म में हलचल हुई. सिर पीछे तन गया. धड़ थोड़ा अकड़ गया. अजीब आवाजें आने लगीं. जैसे कुछ अटक गया हो गर्दन में. और निकाले नहीं निकल रहा. फिर एक तेज हिचकी आई. और सबकुछ शांत. दो दिन बीत चुके हैं. मगर नहीं है कोई सुधार. वो तो तार-तार. उम्र आठ साल. मां-बí...मुझ...
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अलाव: June 2008
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Saturday, June 7, 2008. गलती करे जोलहा, मार खाये गदहा. लेकिन सबसे नाटकीय और अमानवीय विरोध रहा भारतीय जनता पार्टी का।. के बीच हक्के बक्के कार को खींच रहे थे। वो मन में सोच रहे होंगे कि गलती तो मनमोहन सिंह और मुरली देवड़ा की है, खामियाजा हम भुगत रहे हैं।. आखिर उन गधों की गलती क्या थी? इसकी चर्चा बाद में होगी।. Subscribe to: Posts (Atom). गलती करे जोलहा, मार खाये गदहा. View my complete profile. दुनिया में अलाव. अलाव के अतिथि. मेरी पसंद. एक नौसिखिया कवि. आओ सबकुछ उलट दें. चौखंबा. मोहल्ला.