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इंतिहा: July 2012
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इंतिहा. ख़्वाब है कि हर जु़र्म की इंतिहा से मिलूं. रविवार, 15 जुलाई 2012. जो प्रेमी के नाम सी. ज़बान पर चढ़ जाती है. हम उँगलियों से आसमान को टटोलते रहते हैं. कि इस दफ़ा बरसे तो पूरा आसमान पी जाएँ. और जब टूटके गिरते हैं कांच के मोती. समूचा आसमान जैसे त्वचा में निचुड़ आता है. दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMA. 2 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. कुछ मैं! अपना सबका. कड़क चाय. उड़न तश्तरी . ऋण मí...
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इंतिहा: January 2013
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इंतिहा. ख़्वाब है कि हर जु़र्म की इंतिहा से मिलूं. सोमवार, 7 जनवरी 2013. मुझे तब तक प्यार करना जब तक. मेरे बदन की सारी झुर्रियों को नाम से न बुलाने लगो तुम. जब तक मेरी लटों में तुम्हारी उँगलियाँ अटकती हों. जब तक कि मेरी आँख के शीशे में देख पाते हो तुम ज़िक्र अपना. जब तक तुम मेरी साँसों में अपनी दास्ताँ पाते हो. जब तक मेरे होठों पर तुम्हारे नाम के कई महकते गुलाब खिलें. जब तक तुम मेरी आवाज़ से उठकर मेरी आह को पढ़ने लगो. दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMA. 4 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. 1 रंग सब ...
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इंतिहा: December 2011
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इंतिहा. ख़्वाब है कि हर जु़र्म की इंतिहा से मिलूं. मंगलवार, 27 दिसंबर 2011. गृहिणी करे याद. मुझे तुम्हारी याद आती है जब. शेम्पू की डिब्बी सीटी फूंकने लगती है. पतला साबुन टूट कर. मेरे हाथ में रह जाता है. जब कनिस्तर बजने लगते हैं. या सिलेंडर लेट जाता है. चित्र कर्ट्सी - http:/ www.alborques.com/files/21 11 2009 02 45 55 Array.jpg. दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMA. 4 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. Labels: अपना सबका. इस गí...
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इंतिहा: December 2010
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इंतिहा. ख़्वाब है कि हर जु़र्म की इंतिहा से मिलूं. बुधवार, 22 दिसंबर 2010. मुंबई हो या बॉम्बे- खूबसूरत है! बड़ा खूबसूरत शहर है,. जहाँ आसमान रात,. ज़मी पर लोटता है! लहरों पे रात-दिन. कश्तियाँ मदमदाती. रहती हैं! मटमैली रोशनी में. सरसराते पत्ते. लम्बा, मीठा इतिहास. गुनगुनाते हैं. और हर चौराहे पे. लगा वो स्लेटी पुतला. घूरता रहता है. आते जाते जल्दबाज़. मुंबईयो को. मुंबई हो या बॉम्बे- खूबसूरत है! दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMA. 1 टिप्पणी:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Labels: हाल का कुछ. घन झम बरसा,. र...
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इंतिहा: October 2011
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इंतिहा. ख़्वाब है कि हर जु़र्म की इंतिहा से मिलूं. शनिवार, 15 अक्तूबर 2011. भाषा धुंए की तरह असहनीय हो जायेगी. और हम ताज़ा हवा के लिए. उस बंद कमरे से बाहर निकलेंगे. दिमाग में कुछ सवालों की खनक होगी. हम सब कुछ महसूस करेंगे. हम सभी . . . सब कुछ महसूस करेंगे. दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMA. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. Labels: कुछ अनुवाद. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. कुछ मैं! अपना सबका. कड़क चाय. Painting : ...
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इंतिहा: February 2011
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इंतिहा. ख़्वाब है कि हर जु़र्म की इंतिहा से मिलूं. शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011. खूबसूरत नहीं. तुम्हारे पास हूँ,. तुम्हें छू सकती हूँ,. पर ये उतना खूबसूरत नहीं. जितना खूबसूरत. तुम्हें पाने का ख्वाब था. दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMA. 6 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011. बयार मिस्त्र की. पयामी हवा है,. पंखो पे रखके. सन्देश, बदलाव. इस मारुथल से उस. मारुथल . . एक आंधी उठाएगी. 1 टिप्पणी:. नई पोस्ट. 1 रं...
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अलबेला खत्री की चिट्ठों पर चुटकी: वनस्पतियों का सौन्दर्यशास्त्र __मल्लिका शेरावत के
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अलबेला खत्री की चिट्ठों पर चुटकी. AN NEW CREATION BY LAUGHTER CHAMPION ALBELA KHATRI. Tuesday, November 24, 2009. वनस्पतियों का सौन्दर्यशास्त्र मल्लिका शेरावत के सौन्दर्य शास्त्र से भिन्न है. चुटकियाँ. लीजिये. Posted by rastogi।v@gmail.com (Vivek Rastogi) at. ब्लॉगिंग के कीड़े के कारण अपने सारे कमिटमेंन्ट्स की वाट लग गई…. Posted by khbro ka khulasa at. भड़ास blog. बन्दूक धारी पत्रकार. विज्ञापन. Posted by अजय कुमार झा at. कुछ भी.कभी भी. Posted by रचना at. नोंचता. क्यों. मिलीं. Posted by Vibha Rani at.
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अलबेला खत्री की चिट्ठों पर चुटकी: November 2009
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अलबेला खत्री की चिट्ठों पर चुटकी. AN NEW CREATION BY LAUGHTER CHAMPION ALBELA KHATRI. Tuesday, November 24, 2009. वनस्पतियों का सौन्दर्यशास्त्र मल्लिका शेरावत के सौन्दर्य शास्त्र से भिन्न है. चुटकियाँ. लीजिये. Posted by rastogi।v@gmail.com (Vivek Rastogi) at. ब्लॉगिंग के कीड़े के कारण अपने सारे कमिटमेंन्ट्स की वाट लग गई…. Posted by khbro ka khulasa at. भड़ास blog. बन्दूक धारी पत्रकार. विज्ञापन. Posted by अजय कुमार झा at. कुछ भी.कभी भी. Posted by रचना at. नोंचता. क्यों. मिलीं. Posted by Vibha Rani at.
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Chhutpan ki Kavitayen: 05/20/14
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This blog is "Poetry meant for Children" so that children of all age group can pick up their favorite from here. You may also participate. Send poems, written or heard by you on gonujha.jha@gmail.com. poems will be published with your name. मंगलवार, 20 मई 2014. वह चिड़िया जो! आज प्रस्तुत है 7वीं कक्षा के छात्र शिवम नारायण. की याद से ली गई सुप्रसिद्ध कवि श्री केदारनाथ अग्रवाल. की यह कविता।. वह चिड़िया जो! वह चिड़िया जो. चोच मारकर,. दूध भरे जुण्डी के दाने. वह चिड़िया जो. कंठ खोल कर. चोच मारकर. Chhutpankikavita...
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