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क्षितिज...: 2007/11
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मेरी ऑनलाइन दुनिया. Http:/ www.youtube.com/puneetbhardwaj1. कैसा अजीब है ये शहर. यहां शाम हो या दोपहर. चीखें इमारतों से टकराती हैं. हर आह यहां गम से पहले ही जमींदोज़ हो जाती हैं. पंछियों के साये यहां छोटे लगते हैं. रिश्ते सिक्कों से खोटे लगते हैं. आवाजें अपनों तक नहीं पहुंचती. जिंदगी यहां सिर्फ अपने ही बारे में है सोचती. लोग तस्वीरों में यहां तकदीरें तलाशते हैं. फिर हताश से गांव लौट जाते हैं।. जब ये शहर करता है खुद को बेनकाब।. तुषार उप्रेती. तुषार उप्रेती. शनिवार, नवंबर 24, 2007. Links to this post.
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क्षितिज...: 'SAVE ME', 'SAVE MAA'
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मेरी ऑनलाइन दुनिया. Http:/ www.youtube.com/puneetbhardwaj1. SAVE ME', 'SAVE MAA'. सदियों से जो बोझ सहती रही हमारा, आओ हम भी बनें इसका सहारा. इसको मां कहते हम. जिस धरती पर रहते हम. पेड़-पौधे.जिसका श्रृंगार. आज उस पर होता अत्याचार. ना कुचलो मां के आंचल को. ना काटो घने इस जंगल को. इस दर्द का बोझ सहती है मां. मुझे बचाओ.', कहती मां. धरती मां की लाज बचाओ. धरती मां को आज बचाओ. पुनीत बालाजी भारद्वाज. शुक्रवार, जून 15, 2012. Labels: ग़ौर फ़रमाए. कोई टिप्पणी नहीं:. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. क्षितिज. खबरें ...दुन...
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क्षितिज...: 2008/08
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मेरी ऑनलाइन दुनिया. Http:/ www.youtube.com/puneetbhardwaj1. कुछ आवाज़ें. आज मन हुआ कि कान. में एक सुऱाख करुं. इसे शोर सुनाई देता है. पर पचा नहीं पाता ये. वो महीन आवाज़ें. ये चीखों को निगल जाता है. पर पेड़ के पत्तों की सांय-सांय. को समझता नहीं,. ये गालियां बरर्दाश़्त करता है. पर पहचानता नहीं मां की आवाज़. कभी जब कोई रोता है अकेले में. ये अनसुनी करता है सिसकियां. जब कभी दुहाई देता है. कोई किसी संबंध की. तब दोनों कान टालते हैं. दुहाई को भी. इसलिए मन होता है. ताकि वो कम-से-कम. Links to this post. आज फि...
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क्षितिज...: 2008/11
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मेरी ऑनलाइन दुनिया. Http:/ www.youtube.com/puneetbhardwaj1. ऐश्वर्या राय.तारीफ करूं क्या उसकी जिसने. मिस वर्ल्ड. हिंदी फिल्मों की सफल हीरोइन.मशहूर मॉडल या फिर कुछ और? तुषार उप्रेती. तुषार उप्रेती. शनिवार, नवंबर 01, 2008. 1 टिप्पणी:. Links to this post. Labels: शख़्सियत. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). क्षितिज. कितनी भागम-भाग है यहां,. नफ़रतों से ना जाने. कितने दिल चाक (ज़ख़्मी) हैं यहां,. सबको अपनी ही फ़िक्र है. किसको किसकी क़द्र है. 3 वर्ष पहले. दीपक शर्मा. सिर्...ऐश्...
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क्षितिज...: 2008/10
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मेरी ऑनलाइन दुनिया. Http:/ www.youtube.com/puneetbhardwaj1. फैशन का पैशन! हालाकि सारी फिल्म देखने के बाद एक भी ऐसा किरदार नहीं है.जो आपको याद रह जाये.फिल्हाल इतना ही कहेंगे कि फैशन में मधुर का पैशन तो दिखता ही है. तुषार उप्रेती. तुषार उप्रेती. शुक्रवार, अक्तूबर 31, 2008. कोई टिप्पणी नहीं:. Links to this post. Labels: मैटिनी शो. शाहरुख खान.एक महानायक का उदय! The rising of a star…. Mumbai -City of dreams- -. Rise of a King- -. तुषार उप्रेती. तुषार उप्रेती. सोमवार, अक्तूबर 27, 2008. Links to this post.
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क्षितिज...: 2007/10
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मेरी ऑनलाइन दुनिया. Http:/ www.youtube.com/puneetbhardwaj1. पता नहीं कितना सही है पर नेरुदा याद आ रहे हैं- -. नापती हैं बमुश्किल मेरी आंखें तुम्हारा. और अधिक विस्तार पाने को. और मैं झुकाता हूं अपने आप को. तुम्हारे होठों पर समूची पृथ्वी को चूमने।. तुषार उप्रेती. बुधवार, अक्तूबर 31, 2007. 1 टिप्पणी:. Links to this post. Labels: मित्र-मंडली. ले आऊं एक जोड़ी सांस. पुरानी वाली. कभी कभी. बनना पड़ता है. सख्त दिल. इतना सख्त. इतना सख्त…. कभी कभी. जब अतीत के पंख लगे दिन. जंजीर बनकर गर्म गर्म. कभी कभी. कभी य&...
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क्षितिज...: 2007/12
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मेरी ऑनलाइन दुनिया. Http:/ www.youtube.com/puneetbhardwaj1. लकीरें. लकीरें हैं,लकीरों का क्या? साहिल पर खींचे तो लेहरों को रोकती हैं लकीरें. पेशानी पर खींचे तो किस्मत का मुंह नोचती हैं लकीरें. दहलीज़ पर खींचे तो सीता का अपहरण कराती हैं लकीरें. पत्थर पर खींचे तो जीवन और मरण कराती हैं लकीरें. कभी कभी सोचता हूं कि क्या ये लकीरों का दोष है? कोई जिंदगी में एक ही लकीर नापता है. तो कोई लकीरों से रास्ते तलाशता है।. हर कोई एक लकीर के सामने. तुषार उप्रेती. तुषार उप्रेती. Links to this post. जैसे गì...चाच...
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क्षितिज...: 2008/01
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मेरी ऑनलाइन दुनिया. Http:/ www.youtube.com/puneetbhardwaj1. दूरियां. माना के दूर होते हैं. जब हम पास होते हैं. और इन फ़ासलों में. भले ही मन उदास होते हैं. जितने भी दूर हो हम-तुम. तो क्या हुआ ऐ दोस्त. कुछ एहसास हैं जो. बेहद ख़ास होते हैं. ये फ़ासलें तो बस नज़र का धोख़ा है. हरदम तेरे ख़्याल तो मेरे आस-पास होते हैं. पुनीत भारद्वाज. सोमवार, जनवरी 21, 2008. 2 टिप्पणियां:. Links to this post. Labels: ग़ौर फ़रमाए. जियांशु. मासूम हंसी, चंचल छवि. घर-आंगन महकता गुलशन. कोई थाम ले डोर,. Links to this post. दि...
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क्षितिज...: 2008/03
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मेरी ऑनलाइन दुनिया. Http:/ www.youtube.com/puneetbhardwaj1. ये वो सहर तो नहीं.एक थी हॉकी. तुषार उप्रेती. तुषार उप्रेती. सोमवार, मार्च 10, 2008. कोई टिप्पणी नहीं:. Links to this post. Labels: ये दुनिया एक खेल है. मुझे कार्नर वाली सीट चाहिए.डोंबिविली फास्ट. हम चुप रहे कि सब चुप हैं. वो चुप रहे कि हम चुप हैं. आओ बात करें उस चुप्पी पर. जिसे लेकर हम इतने समय तक चुप्प रहे. वो जिंदगीभर खड़े खड़े ही सफर करता आया है. तुषार उप्रेती. तुषार उप्रेती. गुरुवार, मार्च 06, 2008. Links to this post. नई पोस्ट. क़...
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क्षितिज...: 2008/05
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मेरी ऑनलाइन दुनिया. Http:/ www.youtube.com/puneetbhardwaj1. पेन की स्याही, सूखी तो समझ आया. प्यासा छोड़ कर एक बार फिर थम गई बारिश. और बेचारा संमदर बह गया सब. रातभर की नींद को गिरवी रखा है. और दिन की चांदनी को पी गया रब. फिर मिलेगी तंग छुट्टी घूम आऊंगा. दूर. बहुत दूर. वहीं पर रह गया सब. जैसे नुकीली बालियां गेहूं की, सोने की. टकटकी में ही रहा और कट गया सब. मां का, पिताजी का, बहनों- दोस्तों का. ना पता ये सारा हिस्सा छंट गया कब. स्याह सा एक दौर था. और खप गया सब. रविवार, मई 25, 2008. Links to this post. प...