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सरगम: December 2007
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बस एक एहसास की ख़ामोशी है -गूँजती है………. सोमवार, 24 दिसंबर 2007. रागों मे जातियां. दामोदर पंडित द्वारा रचित संगीत दर्पण मे कहा गया है……. ओडव: पंचभि:प्रोक्त: स्वरै: षडभिश्च षाडवा।. सम्पूर्ण सप्तभिर्ज्ञेय एवं रागास्त्रिधा मत: ॥. ओडव जाति= 5 स्वर वाले राग. षाडव जाति = 6 स्वर वाले राग. सम्पूर्ण जाति = 7 स्वर वाले राग. औडव-सम्पूर्ण. औडव-औडव- जिनके आरोह मे 5 व अवरोह मे भी 5 स्वर प्रयोग होते हो ।. कुछ रागों की जातियां उनके आरोह अवरोह के...राग भैरव-सम्पूर्ण जाति. अवरोह-सां,नि प,म र...राग भीमपल...आरो...
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सरगम: February 2014
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बस एक एहसास की ख़ामोशी है -गूँजती है………. शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014. संक्षिप्त परिचय. थाट - कल्याण. जाति - सम्पूर्ण. वादी - गंधार. संवादी - निषाद. तीव्र स्वर - मध्यम बाक़ी सभी स्वर शुद्ध. समय - रात्रि का प्रथम प्रहर. प्रकृति - गंभीर. कई लोग इसे कल्याण. भी कहते हैं।. आरोह - .नि रे ग म. प ध नि सां. अवरोह - सां नि ध प म. ग रे सा. पकड़ - .नि रे ग रे सा, प म. ग रे सा. सुनें विदुषी प्रभा अत्रे. और अंत में तराना. चित्र-कैमरे से. प्रस्तुतकर्ता. पारुल "पुखराज". कोई टिप्पणी नहीं:. नई पोस्ट. राग देश. राग ललित.
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सरगम: November 2009
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बस एक एहसास की ख़ामोशी है -गूँजती है………. बुधवार, 25 नवंबर 2009. कैसी लगन लागी उन संग/संजीव अभयंकर/जौनपुरी. 1- मै ना जानू रे मै ना जानू. कैसी लगन लागी उन संग री मै ना जानु. कछु न कियो बात मै तो उन साथ. जब मिले नैन सो नैन तब लगन लागि उन संग ।. 2- मोसे न करो बात. दिखावत मोपे प्रीत औरन को चाहत तुम. कछु न मोहे समुझावो कछु न सुनावो. काहे ऐसी करत प्रीत पिया. संजीव अभयंकर. राग जौनपुरी संक्षिप्त परिचय. ग ध नि स्वर कोमल रहे,आरोहन ग हानि ।. और निषाद. और सम्वादी स्वर गंधार. है ।. पारुल "पुखराज". अजय पोहंक...कई दì...
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सरगम: यमन
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बस एक एहसास की ख़ामोशी है -गूँजती है………. शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014. संक्षिप्त परिचय. थाट - कल्याण. जाति - सम्पूर्ण. वादी - गंधार. संवादी - निषाद. तीव्र स्वर - मध्यम बाक़ी सभी स्वर शुद्ध. समय - रात्रि का प्रथम प्रहर. प्रकृति - गंभीर. कई लोग इसे कल्याण. भी कहते हैं।. आरोह - .नि रे ग म. प ध नि सां. अवरोह - सां नि ध प म. ग रे सा. पकड़ - .नि रे ग रे सा, प म. ग रे सा. सुनें विदुषी प्रभा अत्रे. और अंत में तराना. चित्र-कैमरे से. प्रस्तुतकर्ता. पारुल "पुखराज". लेबल: प्रभा अत्रे. मुख्यपृष्ठ. राग देश.
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सरगम: September 2008
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बस एक एहसास की ख़ामोशी है -गूँजती है………. बुधवार, 24 सितंबर 2008. मारू बिहाग -झूला -शुभामुदगल. राग मारू बिहाग. के संक्षिप्त परिचय के साथ आज सरगम. पर प्रस्तुत हैं शुभा मुद्गल ( मुदगल). के स्वर मे सावनी झूला. राग मारू बिहाग का संक्षिप्त परिचय. थाट-कल्याण. गायन समय-रात्रि का द्वितीय प्रहर. जाति-ओडव-सम्पूर्ण (आरोह मे रे,ध स्वर वर्जित हैं). माने जाते हैं. इस राग के समप्रकृति राग -बिहाग,कल्याण व मार्ग बिहाग हैं ।. मारू बिहाग का आरोह,अवरोह पकड़-. प्रस्तुतकर्ता. पारुल "पुखराज". जो आकाशवाणी क...के कई प्र...पहली...
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सरगम: November 2008
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बस एक एहसास की ख़ामोशी है -गूँजती है………. शनिवार, 1 नवंबर 2008. राग ललित-राशिद ख़ाँ. 8230;डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे. ज़र्द सा चेहरा लिये चाँद उफ़क़ पर पहुँचे. दिन अभी पानी में हो,रात किनारे के क़रीब. न अँधेरा,न उजाला हो,न ये रात न दिन……. गुलज़ार की इस नज़्म के समय ही बजता है राग ललित. 2404; ये तो ख़ैर मेरी अपनी बात है जिसका कोई प्रमाण नही ।. के स्वरों में । पहले राग का संक्षिप्त परिचय -. थाट-मारवा. वर्जित स्वर -पंचम. जाति- षाडव-षाडव. वादी स्वर-मध्यम. संवादी स्वर- षडज. लेबल: राग ललित. किसी...
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सरगम: July 2008
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बस एक एहसास की ख़ामोशी है -गूँजती है………. मंगलवार, 1 जुलाई 2008. दरबारी कान्हड़ा- उस्ताद राशिद खाँ. दरबारी कान्हड़ा. राग परिचय. 2404; इनमे से कुछ प्रकार आजकल बिलकुल भी प्रचार मे नहीं हैं।. गन्धार,निषाद व धैवत कोमल । शेष शुद्ध स्वरों का प्रयोग्।. सम्पूर्ण षाडव. वादी स्वर. सम्वादी स्वर. समप्रकृति राग. रात्रि का द्वितीय प्रहर. विशेषता. सा रे ग s म प ध - नि सां,. सां, ध॒ , नि॒, प, म प, ग॒, म रे सा ।. ग॒ रे रे , सा, ध़॒ नि़॒ सा रे सा. मे व द्रुत खयाल. की खूबसूरत आवाज़ में-. साभार-RPG MUSIC. नई पोस्ट. कमज़...
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सरगम: राग सोहनी
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बस एक एहसास की ख़ामोशी है -गूँजती है………. सोमवार, 4 जुलाई 2011. राग सोहनी. पारिजात झरते हैं निःशब्द जिस पहर. गोपियाँ पैर की झांझर उतार दबे पाँव. लौटती हैं रास से. रात समेटती है अपनी ओढ़नी जिस. योगी, उतरता है कोई ध्यान में ,. शिशु कुनमुनाता है नींद में भूख से,. कोयल कुहुकती है नीड़ में भूल से. सूर्य,यात्रा पूर्व करता है गंगा में स्नान. कृष्ण की बाँसुरी को उलाहना दे. राधा कह उठती है -काहे उजाड़ी मोरी नींद . मेरे गिर्द… सोहनी. ठीक इसी पहर. सजती है.बजती है. थाट-मारवा. वादी -धैवत. जाति-औडव-षाडव. निखिल...बंद...
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सरगम: April 2010
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बस एक एहसास की ख़ामोशी है -गूँजती है………. शनिवार, 24 अप्रैल 2010. बेग़म परवीन सुल्ताना-ठुमरी -तुम राधे बनो श्याम. ये आवाज़ - मानो नदी की कोई महीन धारा, कलकल करती, मधुर ध्वनि से आहिस्ता-आहिस्ता पहाड़ उतर रही हो. एक तारों भरी रात. १९५० में आसाम में जन्मी , पटियाला घराने की पद्मश्री बेग़म परवीन सुल्ताना. के अद्भुत स्वरों में ये ठुमरी -. तुम राधे बनो श्याम. चित्र-गूगल साभार. प्रस्तुतकर्ता. पारुल "पुखराज". 23 टिप्पणियां:. लेबल: बेग़म परवीन सुल्ताना. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. राग देश.
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सरगम: बेग़म परवीन सुल्ताना-ठुमरी -तुम राधे बनो श्याम
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बस एक एहसास की ख़ामोशी है -गूँजती है………. शनिवार, 24 अप्रैल 2010. बेग़म परवीन सुल्ताना-ठुमरी -तुम राधे बनो श्याम. ये आवाज़ - मानो नदी की कोई महीन धारा, कलकल करती, मधुर ध्वनि से आहिस्ता-आहिस्ता पहाड़ उतर रही हो. एक तारों भरी रात. १९५० में आसाम में जन्मी , पटियाला घराने की पद्मश्री बेग़म परवीन सुल्ताना. के अद्भुत स्वरों में ये ठुमरी -. तुम राधे बनो श्याम. चित्र-गूगल साभार. प्रस्तुतकर्ता. पारुल "पुखराज". लेबल: बेग़म परवीन सुल्ताना. 23 टिप्पणियां:. गिरिजेश राव. ने कहा…. वर्तनी संशोधन:. ने कहा…. आभार , ,. दí...