mitali-mylife.blogspot.com
मेरे सपनों की दुनिया: January 2012
http://mitali-mylife.blogspot.com/2012_01_01_archive.html
मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Wednesday, January 18, 2012. ख़्वाब टूट गया. कितनी मुद्दतों के बाद. कल रात मिले थे. जब ख़्वाबों में हम,. तुम्हारे अक्स को देखा. और हकीकत मान लिया मैंने. कंपकंपाती हुयी उँगलियों से. छूकर तुम्हारे चेहरे को. महसूस करना चाहा था जब,. बड़ा सर्द था वो एहसास. तुम्हारी छुअन का. महकती हुयी सी खुशबू. जो हर घड़ी, हर लम्हा. मेरे अरमानों से जुड़ी रहती है,. ख़्वाबों में भी बांधे रखती थी. मेरा तुम्हारा दामन. आज क्यूँ ऐसा हुआ. मुझे प्रतीत न हुआ! पर एक रोज़,. मिताली. ना ही ज...हाथ...
mitali-mylife.blogspot.com
मेरे सपनों की दुनिया: July 2011
http://mitali-mylife.blogspot.com/2011_07_01_archive.html
मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Sunday, July 24, 2011. तुम्हारी अभिलाषा. तुम्हारे सिवा बाकि नहीं रही. मेरी कोई और अभिलाषा. मेरे सपनों की कल्पना भी जैसे. दूर तक भटकने के बाद,. तुम पर ही आकर ठहर सी गयी है. शायद तुम्हारा स्पर्श ही. मेरे सपनों को यथार्थ बनाता है. मेरे जीवन-संगीत का सुर भी. तुम्हें सोच कर, तुम्हें चाह कर. छेड़ देता है एक मधुर तान. शायद तुम्हारा ख्याल ही मेरे. सुरों को संगीत देता है. और मेरे जीवन को झंकृत करता है. सावन में बरसता रिमझिम पानी,. जैसे पल भर में. मिताली. अनामिक...ओ रे...
mitali-mylife.blogspot.com
मेरे सपनों की दुनिया: May 2011
http://mitali-mylife.blogspot.com/2011_05_01_archive.html
मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Sunday, May 8, 2011. माँ,. एक ऐसा शब्द. जो समेटे है अपने आप में एक दुनिया,. जो बाँट दे निःस्वार्थ भाव से सारी खुशियाँ. माँ,. एक ऐसा शब्द. जो है सहनशीलता की निशानी,. झेलती आई है पीड़ा सदियों पुरानी. हर इंसान का अस्तित्व माँ ने बनाया है,. फिर क्यों इंसान. अपनी माँ को ही छलता आया है? लोगों की इस भीड़ में,. दुनिया की इस लडाई में,. अपनी माँ को ही भुलाता आया है. और अपनी हर गलती के लिए,. माँ को ही रुलाता आया है. फिर भी. पर हमेशा खुश रहती है. पर क्यों,. Tuesday, May 3, 2011.
mitali-mylife.blogspot.com
मेरे सपनों की दुनिया: May 2013
http://mitali-mylife.blogspot.com/2013_05_01_archive.html
मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Wednesday, May 8, 2013. यादों की पोटली . चुन-चुन कर मैंने. समेट लिया. तुम्हारी यादों का कारवाँ. और बना ली एक पोटली . दिल की ना सुन कर. लगाया जोर दिमाग पर. कि कहीं कोई याद. बाकी तो ना रह गयी . दिमाग ने भी चुपचाप. लगा दी मुहर. और मार दिया ताना. मुझ पर हँसते हुए. कि 'सब समेटने के बाद. कुछ भी बिखरा नहीं रहता-. ओ पागल लड़की' . अब बस मैं थी, तन्हाई थी,. और थी मेरी नज़रों के सामने. तुम्हारी यादों की पोटली,. तुम्हारे दिए हुए. कभी मैं देखती. कभी महसूस करती. ऐसा लगा. तुम&...
mitali-mylife.blogspot.com
मेरे सपनों की दुनिया: March 2011
http://mitali-mylife.blogspot.com/2011_03_01_archive.html
मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Tuesday, March 29, 2011. बनके खुश्बू हवाओं में बिखर जाने की चाहत,. आवारा उड़ते हुए बहुत दूर तक पँहुच जाने की चाहत. सागर की उन्मादी लहरों में सबकुछ लिखने की चाहत,. बूँद-बूँद में इक नज़्म को समा लेने की चाहत. घण्टों एकटक सूरज को आँखें दिखाने की चाहत,. हाथ बढ़ा कर उस चमकते चाँद को पा लेने की चाहत. बिना चिंगारी के गीली लकड़ियाँ सुलगाने की चाहत,. बिना सोए पलकों में हसीन ख़्वाब जगाने की चाहत. प्रस्तुतकर्ता. मिताली. प्रतिक्रियाएँ:. Subscribe to: Posts (Atom). Awaz Do Hum Ko.
mitali-mylife.blogspot.com
मेरे सपनों की दुनिया: August 2011
http://mitali-mylife.blogspot.com/2011_08_01_archive.html
मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Thursday, August 11, 2011. क्षणिकाएं. पतझड़ का मौसम. महकते जीवन में,. बरसों से तेरी चाहत ने. तेरी यादों ने,. खिलाये कई फूल गुलमोहर के. आज तू नहीं,. तेरी चाह नहीं,. तेरी याद नहीं,. तेरे ख़्वाब नहीं. ज़िंदगी भी बस यूँ ही. धीरे-धीरे कट रही है ऐसे,. जिसे देख कर. कोई भी कह दे कि. बिखर गए हैं. फूल गुलमोहर के. और आ गया है. मेरे जीवन में. पतझड़ का मौसम. अधूरी तस्वीर. कहीं से. एक और रंग मिल जाये,. तो बरसों से. अधूरी रही ये तस्वीर. बदले हुए रंग से. और फिर,. उस मौन पड़ी. वो ...
mitali-mylife.blogspot.com
मेरे सपनों की दुनिया: December 2010
http://mitali-mylife.blogspot.com/2010_12_01_archive.html
मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Thursday, December 2, 2010. सुबह-सुबह जब आँखें खोलूँ,. याद तुम्हारी आ जाती है. पलकोँ के बंद दरवाज़े से भी. अंतर्मन मेँ बस जाती है. कभी नहीं श्रँगार किया पर,. अब सजना अच्छा लगता है. पहले मिलन की बेला का,. हर सपना सच्चा लगता है. बारिश की बूँदों में अब तो,. अक्स तुम्हारा दिखता है. अनजानी सी इस दुनिया में,. एक शख़्स हमारा दिखता है. लम्बी काली रातें कटती हैं,. तारों से बातें कर-कर के. हर पल तुमको याद करुँ मैं,. मन में आहें भर-भर के. मिताली. Subscribe to: Posts (Atom).
mitali-mylife.blogspot.com
मेरे सपनों की दुनिया: September 2013
http://mitali-mylife.blogspot.com/2013_09_01_archive.html
मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Saturday, September 7, 2013. एक रोज़ हुआ था कुछ ऐसा. कि हाथ खाली थे मेरे,. ना संभावनाएं थी,. ना संवेदनाएं थी,. और ना ही था. परिस्थितियों के हिसाब से. अधबुनी उम्मीदों का ताना-बाना…. उस रोज़,. पहली बार निकला था. मेरे मुंह से. सच्चाई की मानिंद. सबके दिलों में उतरता,. सबको खुश रखता,. एक सफ़ेद झूठ…. कभी सुना था. ना जाने किस के मुंह से,. कि एक झूठ. जो दे जाये किसी को. तमाम खुशियाँ,. तकलीफ देने वाले सच से. कहीं बेहतर है,. पर इस कथ्य के बाद. किस कदर उसे. उस रोज़,. पिथ...
mitali-mylife.blogspot.com
मेरे सपनों की दुनिया: November 2011
http://mitali-mylife.blogspot.com/2011_11_01_archive.html
मेरे सपनों की दुनिया. मेरी कलम से सजी. Tuesday, November 8, 2011. बड़ी-बड़ी काली आँखों के सपने. वो करती थी मुझसे. अपने सपनों की बातें. मेरे सीने से लिपट कर,. और चौंधियां जाती थी. उसकी बड़ी-बड़ी काली आँखें. ढेर सारी खुशियों से. उसका चहकना वैसा ही होता,. जैसे पहली बार. किसी चिड़िया का बच्चा. अपने पंख फैला कर. फुदकता हुआ निकल पड़ता हो. नापने सारा आसमान. उसके सपने भी. कुछ ऐसे ही मदमस्त होते,. हाथ बढ़ा कर आसमान छूने की चाहत. किसे नहीं होती आखिर. बयां कर देती. फिर अचानक होता था,. लेकिन हर बार. वहीं ...और मí...