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सर्जना: February 2016
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Thursday, February 11, 2016. एक नए बंध के साथ गीत पुनः प्रस्तुत कर रहा हूं. यूं संवारों तुम स्वयं को न्यास बन जाओ. ऐसे डूबो प्रेम में , संन्यास बन जाओ. वेग में आवेग में ,आवेश के परिवेश में. धीर ना छूटे कभी निज देश में परदेश में. हम रिषि संतान है, व्यवहार में दीखे. सत्य के सन्मार्ग का अभ्यास बन जाओ. ऐसे डूबो ग्यान में,कि व्यास बन जाओ. यूं संवारों तुम स्वयं को न्यास बन जाओ. ऐसे डूबो प्रेम में , संन्यास बन जाओ. सत्य का सहभाग का सहयोग का सन्मान. गर्दूं-गाफिल. Subscribe to: Posts (Atom). MEN WILL BE MEN.
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सर्जना: April 2009
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Monday, April 27, 2009. मनोज भाई. यह गजल आपको समर्पित कर रहा हूँ. आंखों के सामने नहीं दिल में ख्याल में. हरदम रहा वो साथ ,खुशी में मलाल में. जागी जो रात साथ, बुरा मान गया दिन. शक हो गया खलल का हक में हलाल में. उल्फत के राग मैंने आंखों से सुन लिए. खोया हुआ था वोमेरे खत में ख्याल में. सुलगता हुआ मिला ,हंसता हुआ सितारा. बैचेन हो रहा था , .खुदी के सवाल में. गर्दूं को बहुत ढूंढा , .अब जाके मिला है. बैठा हुआ था बन्दा कबीर-ओ-जमाल में. गर्दूं-गाफिल. Tuesday, April 21, 2009. Sunday, April 19, 2009. वो र...
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सर्जना: March 2012
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Saturday, March 24, 2012. गर्दूं-गाफिल. Subscribe to: Posts (Atom). विजेट आपके ब्लॉग पर. Assets of my blog life. :). गर्दूं-गाफिल. View my complete profile. I like these blog posts. महाजाल पर सुरेश चिपलूनकर (Suresh Chiplunkar). Demonetization and Mobile Banking. उजाले के दरीचे खुल रहे हैं. Diwaan-e-Khaas (नज़्म उलझी है! Alasan Kita Menunda Pekerjaan. तमसो मा ज्योतिर्गमयः. थिंचौणी. संचिका. The Great New Cars In 2015: Toyota Camry 2015. हिन्दी मैं मस्ती. कठोर मोलभाव". स्वप्नलोक. दैवीय आपदा. MEN WILL BE MEN.
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सर्जना: October 2010
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Monday, October 18, 2010. चिंता क्यों करते हो. हुत दिनों से कुछ लिखना ब्लॉग्गिंग करना बंद रहा सिलसिला शुरू हो सके इसलिए मेरे परम आदरणीय मुकुट बिहारी सरोज की एक रचना. आपके लिए प्रस्तुत है. चिंता क्यों करते हो गलत बयानी प़र बूढ़ी दुनिया की. न्यायाधीश समय निर्णय कर देगा अपनेआप एक दिन. व्यर्थ नहीं जाता है बोया हुआ पसीना. अलबत्ता उगने में देर भले हो जाये. एक न एक रोज़ सुनवाई होगी श्रम की. मौजूदा युग में अंधेर भले हो जाये. इन सबके मुहं बंद कर गयी है तरुणाई. गर्दूं-गाफिल. Subscribe to: Posts (Atom). हि...
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संदीपन : शिलांग मारवाड़ी समाज: श्री मारवाड़ी पंचायत : पदाधिकारी
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संदीपन : शिलांग मारवाड़ी समाज. शिलांग मारवाड़ी समाज का हार्दिक स्वागत! शनिवार, 29 अक्तूबर 2011. श्री मारवाड़ी पंचायत : पदाधिकारी. मेघालय सोसाइटी एक्ट के अंतर्गत श्री मारवाड़ी पंचायत का रजिस्ट्रेसन १९८३ में किया गया. रेजिस्ट्रेसन नंबर : ई. १६ (आर एस ) ३०/२००१/२८२. श्री गिरधारीलाल शर्मा : अध्यक्ष. श्री बिमल कुमार बजाज : उपाध्यक्ष. श्री ओमप्रकाश अगरवाल : सचिव. श्री मुरारीलाल चोखानी : कोषाध्यक्ष. श्री बजरंगलाल शर्मा : पंच. श्री कुंजबिहारी अजमेर : पंच. प्रस्तुतकर्ता. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. स्मार...कमज़...
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संदीपन : शिलांग मारवाड़ी समाज: श्री राजस्थानी दुर्गा पूजा समिति : स्थापना
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संदीपन : शिलांग मारवाड़ी समाज. शिलांग मारवाड़ी समाज का हार्दिक स्वागत! शुक्रवार, 28 अक्तूबर 2011. श्री राजस्थानी दुर्गा पूजा समिति : स्थापना. श्री राजस्थानी दुर्गा पूजा समिति. स्थापना: १९६१. संस्थापक सदस्य. प्रयास चाहे छोटा था, पर भावना सच्ची थी, लगन और विश्वास पक्का था. करीब ४ वर्ष तक चुना गोदाम में ही यह आयोजन ऐसे ही सामान्य रूप से चलता रहा. धीरे धीरे समाज के अन्य लोग जुड़ते चले गए. और इसी तरह श्री राजस्थानी दुर्गा पूजा समित&#...प्रस्तुतकर्ता. प्रतिक्रियाएँ:. इसे ईमेल करें. नई पोस्ट. मो सम कौ...
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सर्जना: July 2015
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Monday, July 6, 2015. यूं संवारों तुम स्वयं को न्यास बन जाओ. ऐसे डूबो प्रेम में , संन्यास बन जाओ. वेग में आवेग में ,आवेश के परिवेश में. धीर ना छूटे कभी निज देश में परदेश में. हम रिषि संतान है, व्यवहार में दीखे. सत्य के सन्मार्ग का अभ्यास बन जाओ. ऐसे डूबो ग्यान में,कि व्यास बन जाओ. यूं संवारों तुम स्वयं को न्यास बन जाओ. ऐसे डूबो प्रेम में , संन्यास बन जाओ. त्याग का उत्सर्ग का ,उत्कर्ष का उन्वान. सत्य का सहभाग का सहयोग का सन्मान. इस जगत की मौज के मधुमास बन जाओ. गर्दूं-गाफिल. 8:37AM, 30/04/2015] jgdis Gupt:.
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सर्जना: July 2009
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Saturday, July 4, 2009. अपने ही अवरोध बनेंगे अपने ही पतवार. मझधारों तक लायें अपने ,वे ही लगायें पार. नित्य निकलता सूर्य तमस से नित्य उसीमें लीन. गौरव की ऊंची उड़ान तब ,बाँध रहा क्यों हीन. अपनी ही परछाईं जीते ,जाए उसी से हार. अपना ही संघर्ष आपसे ,अपना ही विस्तार. बाहर से अर्गला है बंधन ,भीतर से आश्वस्ति. निज दृष्टी में उज्जवल रहना ,सबसे बडी प्रशस्ति. अपनों पर ही क्रोध हमारा अपनों पर आभार. अपनापन ही बोझ जगत का अपना ही विस्तार. गर्दूं-गाफिल. Wednesday, July 1, 2009. औ प्रतिष्ठा. Subscribe to: Posts (Atom).
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सर्जना: February 2009
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Wednesday, February 25, 2009. क्यूँ आप समझते हैं निज को निर्बल और निसहाय भला. जो आग छुपी है हृदय में उसको थोड़ा सा और जला. निजता को बचाए रखने से मिलता कोई विस्तार नहीं. बीज बिना माटी मिले कभी ब्रक्छ हुआ क्या बताओ भला. अब हल्कापन है लोगों में ,उड़ते हैं हवा के झोंकों में. गुरुता के लिए ,गिरिता के लिए ,अपने अहम को और गला. भारत की संस्कृति का वचन ,परहित सा कोंई धर्म नहीं. शुचिता के सुमन शुभता के कंवल अपने जीवन कुछ और खिला. गर्दूं-गाफिल. Saturday, February 21, 2009. गर्दूं-गाफिल. Thursday, February 19, 2009.