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रश्मिरथी ...: सेल्फी ...
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रश्मिरथी . Monday, April 28, 2014. सेल्फी . थोड़ा सा हँस देंगे हम,. और थोड़ा सा शरमाएंगे,. फिर 'सेल्फी' वाले पिक पे जब,. अपने हन्ड्रेड लाइक्स आयेंगे ,. फिर हम भी डॉक्टर इंजिनियर से,. सेलेब्रिटी बन जायेंगे . अपने को लोग 'वॉव' कहेँगे,. शोहरत ऐसी पायेंगे ,. अपना स्टेटस चेंज हुआ जो,. FB पे छा जायेंगे,. हम भी फिर कन्फ्यूज़्ड लवर से,. सेलेब्रिटी बन जायेंगे . घर में चाहे मारा-मारी,. किसी से बात नहीं कर पायेंगे ,. पर लिखेंगे FB पे हम ,. सहानुभूति फिर पायेंगे,. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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रश्मिरथी ...: बेटा तुमसे ना हो पायेगा ...
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रश्मिरथी . Monday, April 28, 2014. बेटा तुमसे ना हो पायेगा . कॉलेज खतम हुआ नहीं की,. बाबूजी सिर चढ़ कर बोले,. अब तुम सीना तान खड़े हो,. और जिम्मेदारी के झेलो गोले,. हमने कहा पिताजी देखो,. हम हैं थोड़े अलग किस्म के,. बड़े बड़ों से टक्कर लेंगे,. खूब पिलायेंगे हम पानी,. और कुछ सालों में अपने पीछे ,. होंगे टाटा और अंबानी. उनकी मुख खुली रह गयी,. फिर धीरे से ऐनक खोले,. बेटा भांग चढ़ गयी क्या? जा अब थोड़ा सा सो तू सो ले . तूने सोच लिया भी कैसे,. और अपने घर के बाहर तू ,. गेट्स से बीवì...मैं पक...मै&...
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रश्मिरथी ...: October 2012
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रश्मिरथी . Thursday, October 18, 2012. जब फिर स्वराज निर्णय होगा . रोटी के भूख की मारी है,. ये जनता जुल्म से हारी है,. जब जिद्द पे अड़ जाए शासक,. समझो तख़्त-पलट की बारी है . जो इनकी तो मनमानी है,. तो हमने भी हठ पे ठानी है,. चाहे छलनी हो जाएँ मगर,. फिर से तहरीर बनानी है . फिर वात-वृक्ष जड़ से हिल जाए,. जब चाकू की धार सजेगी,. फिर होगा श्रृंगार लहू से,. जब बारूदी बन्दूक बजेगी . फिर होगा न फेर-बदल हिस्सों का. फिर होगी न भूमि अष्ट-भाग,. फिर इन्द्र-धनुष उदय होगा,. Subscribe to: Posts (Atom).
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रश्मिरथी ...: क्या मुश्किल जासूस ने पूछा ...
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रश्मिरथी . Friday, January 02, 2015. क्या मुश्किल जासूस ने पूछा . क्या मुश्किल जासूस ने पूछा ,. लॉलीपॉप फिर चूस के पूछा ,. क्या विघ्न है आई कुछ तो बोलो. अपने दिल का दुखड़ा खोलो,. मैं सौ मुश्किल की चाभी हूँ ,. मैं बड़े बड़ों पे हावी हूँ ,. मैं हर हालात प्रभावी हूँ . मेरे मुह में शब्द रुके थे,. ग्लानि-भाव से नैन झुके थे,. महाराज क्या छिपा आपसे,. साथ में अपने गेम हुआ है . इस ढलती उम्र में फिर से मुझको ,. इक कन्या से प्रेम हुआ है . पल भर में जासूसी उसकी ,. पर हमको इतना सिखलाओ,. प्राण-प्र&#...परमाण...
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रश्मिरथी ...: धोबी का कुत्ता; ना घर ना घाट का ...
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रश्मिरथी . Friday, January 02, 2015. धोबी का कुत्ता ना घर ना घाट का . इक बड़े बियावह जंगल में ,. छोटा सा इक श्वान मगन था . पीने को था मीठा पानी,. और सर के उपर नील गगन था . इक दिन बीच राह में उसको,. रस्ते पर एक गधा मिला . लाल रंग के खूँटे से वो,. घाट किनारे बँधा मिला . कहाँ जा रहा नालायक,. कहा गधे ने बड़े शान से . यूँ मस्ती मे चला ना कर तू,. दूँगा नीचे एक कान के . देख यहाँ पे हर दिन मैं ,. अरबों के भाव कमाता हूँ . और दिन ढ़लने पर हर दिन ऐसे ,. अपने सूत्रधार ने अब तक ,. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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रश्मिरथी ...: January 2012
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रश्मिरथी . Monday, January 16, 2012. हार जीत अब प्रश्न नहीं है . हार जीत अब प्रश्न नहीं है, प्रश्न नहीं तेरी अभिलाषा . प्रश्न नहीं मेरा यह चिंतन, प्रश्न नहीं अब कोई ज़रा सा . तुम अर्धसत्य , तुम विवरण मेरे ,तुम मेरी ही संरचना हो . तुम दर्द कहीं, मुस्कान नहीं, तुम कहीं व्यूह की रचना हो . तुम काल कहीं, तुम रूप कहीं ; कहीं पे तुम खुद मौलिकता हो ,. कहीं अणु हो, कहीं अनुशाशन ; कहीं छंद हो, कहीं नाद तुम ,. Subscribe to: Posts (Atom). View my complete profile. Travel template. Powered by Blogger.
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रश्मिरथी ...: पर वीरों का कुछ तो दाम रख ...
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रश्मिरथी . Friday, January 02, 2015. पर वीरों का कुछ तो दाम रख . हैं सज्ज पितामह तीरों से ,. है भूमि रिक्त अब वीरों से ,. बलराम शिष्य तू नाम रख ,. तुू अपने हित पांचों ग्राम रख . पर वीरों का कुछ तो दाम रख . पर वीरों का कुछ तो दाम रख . तू बाँध सका ना अट्टहास,. तू कर दुर्योधन फिर प्रयास ,. तूने मुट्ठी में रेत दबाया है ,. पर रेत कहाँ रुक पाया है? ले कर दुर्योधन हर एक श्वास,. मुझपे तू फिर से फेंक पाश . तू कर दुर्योधन फिर प्रयास . तू कर दुर्योधन फिर प्रयास . चहुँ ओर तीर सा बरस रहा,. View my complete profile.
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रश्मिरथी ...: अब तो मुझको उड़ जाने दो ...
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रश्मिरथी . Monday, April 28, 2014. अब तो मुझको उड़ जाने दो . कुछ वर्षों के बाद हुआ है ,. मन थोड़ा आज़ाद हुआ है . फिर आसमान जुड़ जाने दो,. अब तो मुझको उड़ जाने दो,. अब ना मुझको तुम दाने दो . बस अपने सपनों को पाने दो,. अब मुझको उड़ जाने दो . मैं देव नहीं बन पाउँगा,. पर मुझको दानव ना बन जाने दो . ना करुण रहे मेरे मन में,. ऐसा मानव ना बन जाने दो . आशायें स्वच्छन्द रहें,. मेरी मुट्ठी बंद रहे. पर धीरे धीरे आशाओं में ,. थोड़े अंकुर तो आने दो . मन ही मन बुन जाने दो ,. अद्भुत.।. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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रश्मिरथी ...: December 2009
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रश्मिरथी . Wednesday, December 30, 2009. तुम बिन जाने किन चिन्हों से . तुम बिन जाने किन चिन्हों से , अपना मन बहलाऊँगा . तुम से ही तो अब तक मैं , जाना जाता हूँ दुनिया में . तुम जाओगे फिर ना जाने , मैं खुद को क्या कहलाऊँगा . कुछ शब्द कहूँगा तुम से मैं , दो हाथ बढ़ेंगे जोकर से . फिर अपने इक करतब से तुमको , मैं तुमको यूँ सहलाऊँगा . फिर सतरंगी पिचकारी से, मैं तुमको यूँ नहलाऊँगा . फिर एक सदी जो बीतेगी , तुम बिन फिर चौराहे पर . Subscribe to: Posts (Atom). View my complete profile.
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