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अदीब {A Poetry Weblog }: इश्क की बेखुदी में
http://bareillyadab.blogspot.com/2008/01/blog-post_26.html
अदीब {A Poetry Weblog }. बरेली के शायरों और कवियों की चौपाल. मेरे बारे में . Bareilly, Uttar Pradesh, India. नाम: एम्. रबीअ 'बहार' सम्प्रति: शिक्षक (बेसिक शिक्षा विभाग, उ प्र.) पत्रकारिता व मल्टीमीडिया शिक्षक, स्वतन्त्र पत्रकारिता।. View my complete profile. Saturday, January 26, 2008. इश्क की बेखुदी में. इश्क की बेखुदी में ये क्या लिख गयी. आज काग़ज़ पे उनको खुदा लिख गयी. दिल के मंदिर में उस बुत को बैठा दिया. और दर पर उसे देवता लिख गयी. नाज़ बरेलवी. Subscribe to: Post Comments (Atom). 2344;ाज़.
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Mohatarma Naaz Barelvi: May 2012
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Sunday, May 13, 2012. 8216;‘चाँद तन्हा है’’ ग़ज़ल संग्रह से. वह रब मेरे ख़्आबों को ताबीर में लाना भूल गया,. लगता है जैसे वो मेरी तकदीर बनाना भूल गया।।. हमतो बना के बैठे थे इक अपने नशेमन का नक़्शा,. मगर वो वक़्ते-ऐन हसीं तामीर कराना भूल गया,. सज़ा मौत की दी उसने पर घायल करके छोड़ गया,. अजब शिकारी था वो क़ातिल तीर चलाना भूल गया।।. रुख़े-सनम को बसा के आँखों में वो वापस आया था,. कभी न पूरी होने पायी इस दिल की कोई हसरत,. Posted by Bahaar Bareilvi. Subscribe to: Posts (Atom). View my complete profile.
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अदीब {A Poetry Weblog }: मुझ को उस की याद न आए ,नामुमकिन /
http://bareillyadab.blogspot.com/2008/02/blog-post_16.html
अदीब {A Poetry Weblog }. बरेली के शायरों और कवियों की चौपाल. मेरे बारे में . Bareilly, Uttar Pradesh, India. नाम: एम्. रबीअ 'बहार' सम्प्रति: शिक्षक (बेसिक शिक्षा विभाग, उ प्र.) पत्रकारिता व मल्टीमीडिया शिक्षक, स्वतन्त्र पत्रकारिता।. View my complete profile. Saturday, February 16, 2008. मुझ को उस की याद न आए ,नामुमकिन /. मुझ को उस की याद न आए ,नामुमकिन /. ज़ख्म-दिल यूं ही भर जाए, नामुमकिन/. पत्थर आइना बन जाए मुमकिन है/. खौफ मुझे हक से भटकाए, नामुमकिन/. रबीअ बहार. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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अदीब {A Poetry Weblog }: दिलकश बदायूँनी की ग़ज़लें
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अदीब {A Poetry Weblog }. बरेली के शायरों और कवियों की चौपाल. मेरे बारे में . Bareilly, Uttar Pradesh, India. नाम: एम्. रबीअ 'बहार' सम्प्रति: शिक्षक (बेसिक शिक्षा विभाग, उ प्र.) पत्रकारिता व मल्टीमीडिया शिक्षक, स्वतन्त्र पत्रकारिता।. View my complete profile. Monday, May 14, 2012. दिलकश बदायूँनी की ग़ज़लें. एक संजीदा तबियत को हँसाने के लिये,. मुस्कुरा भी दो किसी के मुस्कुराने के लिये।।. आप खँजर तोलिये, गर्दन उड़ाने के लिये,. दिल में गुंजाइश भी है? इश्क़ के सहरा में R...Subscribe to: Post Comments (Atom).