grihsajja-thelightbyalonelypath.blogspot.com
grihsajja: एक और angle
http://grihsajja-thelightbyalonelypath.blogspot.com/2009/03/angle_17.html
मंगलवार, 17 मार्च 2009. Faraway is dining area. A view from the living area. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). ब्लॉग आर्काइव. दरो-दीवार. कुछ मैंने ख़ुद डिजाइन किया फर्नीचर. बैठक मे सजा कुछ साजो सामाँ! बैठक की तस्वीर.एक अलग angle से. मेरे घरकी कुछ तस्वीरें. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. Aaj tak Yahan tak.
sansmaran-thelightbyalonelypath.blogspot.com
sansmaran: जा, उड़ जारे पंछी ! ५
http://sansmaran-thelightbyalonelypath.blogspot.com/2009/09/blog-post.html
Aaj tak Yahan tak. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. ब्लॉग आर्काइव. शहीद तेरे नाम से. जा, उड़ जारे पंछी! ६ ( अन्तिम). जा, उड़ जारे पंछी! शनिवार, 12 सितंबर 2009. जा, उड़ जारे पंछी! माँ का अपनी बेटीसे मूक संवाद). और,हाँ.स्नानगृह भी बैठक जितनाही सुंदर दिखना चाहिए! राघव के लिए अभी चूडीदार पजामे-कुरते लाने हैं! आगेभी जाने ना तू, पीछेभी जाने ना तू, जोभी है, बस यही एक पल है"! पंक्तियों का सिलसिला ग़लत हो सकता है! मै पूछ ही लेती! क्रमशः।. प्रस्तुतकर्ता shama. 1 टिप्पणियाँ:. डा० अमर कुमार.
grihsajja-thelightbyalonelypath.blogspot.com
grihsajja: बैठक......
http://grihsajja-thelightbyalonelypath.blogspot.com/2009/03/blog-post_17.html
मंगलवार, 17 मार्च 2009. Living room from a diagnal angle. प्रस्तुतकर्ता. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). ब्लॉग आर्काइव. दरो-दीवार. कुछ मैंने ख़ुद डिजाइन किया फर्नीचर. बैठक मे सजा कुछ साजो सामाँ! बैठक की तस्वीर.एक अलग angle से. मेरे घरकी कुछ तस्वीरें. मेरे बारे में. मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें. Aaj tak Yahan tak.
lalitlekh.blogspot.com
Lalitlekh: जा, उड़ जारे पंछी १)(एक माँ का अपनी दूर रहनेवाली बिटिया से किया मूक sambhashan
http://lalitlekh.blogspot.com/2009/12/sambhashan.html
A human being( trying to be good one).A staunch Indian and an environmentalist. View my complete profile. जा, उड़ जारे पंछी! जा, उड़ जारे पंछी १)(एक माँ का अपनी दूर रहनेवाली बि. Http:/ lalitlekh.blogspot.com. Tuesday, December 15, 2009. जा, उड़ जारे पंछी १)(एक माँ का अपनी दूर रहनेवाली बिटिया से किया मूक sambhashan. मै पागलों की भाँती इनकी शक्ल देखती रह गयी! आँखों मे अश्रुओने भीड़ कर दी. तेरी प्यारी मासी जो उस समय मुंबई मे पढ़ती थ&...तू जब भी बीमार पड़ती मेरी न...तू दो सालकी भी ...ज़िंदग...पलकोæ...
kavitasbyshama.blogspot.com
Kavita: November 2011
http://kavitasbyshama.blogspot.com/2011_11_01_archive.html
Wednesday, November 30, 2011. दुल्हनिया! ना,ना,न छूना घूंघटा,. सहमी सिमटी है दुल्हनिया,. अभी छलके हैं इस के नैना,. यादों में है बाबुल अपना! आँखों से कजरा बह गया,. बालों में गजरा मुरझाया,. हैं हिनाभरी हथेलियाँ,. याद आ रही हैं सहेलियाँ. दादी औ माँ में उलझा है ज़ेहन,. उसमे बसा है नैहरका आँगन,. धूप में बरसती सावनी फुहार,. फूल बरसाता हारसिंगार. गीली मिट्टी पे मोलश्री के फूल,. नीम के तिनकों में पिरोये हार,. मेलों के तोहफे,बहनका दुलार,. अभी यही है,इसका सिंगार! Links to this post. दुल्हनिया. Links to this post.
lalitlekh.blogspot.com
Lalitlekh: June 2009
http://lalitlekh.blogspot.com/2009_06_01_archive.html
A human being( trying to be good one).A staunch Indian and an environmentalist. View my complete profile. प्यारी माँ! माँ, प्यारी माँ! Http:/ lalitlekh.blogspot.com. Thursday, June 18, 2009. The Commission to its credit did deliver. It produced a comprehensible document recommending sweeping police reforms along with the path forward suggested clearly. It was a report any commission in the world would be proud of. The reforms suggested included secure tenure. Law in India is a state subject. Administ...
kavitasbyshama.blogspot.com
Kavita: March 2012
http://kavitasbyshama.blogspot.com/2012_03_01_archive.html
Sunday, March 25, 2012. कविता पर भी. और हाँ, अजीबो गरीब! मुरझाये,. कुम्हलाये,. हर्षाये,. घबराये,. शर्माये,. हसींन,. बेहतरीन,. पुराने. जाने,. पहचाने,. और हाँ ’कुछ कुछ’ जाने पहचाने,. अन्जाने,. बेगाने,. दीवाने. काले-गोरे,. और कुछ न काले न गोरे,. कुछ कि आँखों में डोरे,. कोरे,. छिछोरे,. बेचारे,. थके से,. डरे से,. अपने से,. सपने से,. मेरे,. तेरे,. न मेरे न तेरे,. आँखें तरेरे,. कुछ शाम,. कुछ सवेरे,. घिनौने,. खिलौने,. कुछ तो जैसे. गैईया के छौने,. चेहरे ही चेहरे! पर कभी कभी,. मिल नही पाता,. Also at 'सच मे'.
kavitasbyshama.blogspot.com
Kavita: June 2011
http://kavitasbyshama.blogspot.com/2011_06_01_archive.html
Sunday, June 19, 2011. उतारूँ कैसे? इक बोझ-सा है मनमे,. उतारूँ कैसे? कहने को बहुत कुछ है,. कहूँ कैसे? वो अल्फाज़ कहाँसे लाऊं,. जिन्हें तू सुने? वो गीत सुनाऊं कैसे,. जो तूभी गाए? लिखा था कभी रेत पे,. हवा ले गयी उसे. गीत लिखे थे पानी पे,. बहा गयी लहरें उन्हें! ना कागज़ है, ना क़लम है,. दास्ताँ सुनाऊँ कैसे? ख़त्म नही होती राहें,. मै संभालूँ कैसे? इक बोझ-सा है मनमे,. उतारूँ कैसे? Links to this post. दास्ताँ. Subscribe to: Posts (Atom). Http:/ kavitasbyshama.blogspot.com. Aaj tak Yahan tak.