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प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry): October 2012
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प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry). देश विदेश. विषय सूची (Content). Sunday, October 28, 2012. नींद में डूबी हुई कमजोरियाँ. नींद में. डूबी हुई कमज़ोरियाँ. अचानक सातवें स्वर में. जब फूटती हैं. और घर की रोशनी का आँचल पकड़ कर. ज़र्द चेहरे. भूख की दुर्गध लेकर डोलते हैं-. हम समझते हैं-. यही है भोर की बेला! बन-पाखियों के स्वर,. प्रभाती लोरियाँ. सारंग की भीनी पखावज,. गुलाबों सी महकती सुबह. फिर किस दिशा से झांकती है? खीज का सूरज. जब तमतमाता है,. गीले कोलतार की सड़क पर. लेखनी को. हम समझते हैं-. धूप को. बहु...
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प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry): September 2012
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प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry). देश विदेश. विषय सूची (Content). Tuesday, September 25, 2012. दबेगी कब तलक आवाज़ -ए -आदम. दबेगी कब तलक आवाज़ -ए -आदम , हम भी देखेंगे. रुकेंगे कब तलक जज़्बात -ए -बरहम , हम भी देखेंगे. चलो यूं ही सही ये जौर -ए -पैहम , हम भी देखेंगे. दर -ए -ज़िन्दान से देखें या उरूज -ए -दार से देखें. तुम्हें रुसवा सर -ए -बाज़ार -ए -आलम हम भी देखेंगे. ज़रा दम लो माल -ए -शौकत -ए -जम हम भी देखेंगे. करोगे कब तलक नावक फ़राहम हम भी देखेंगे. विक्रम प्रताप. Labels: जनता के गीत. कमला भसीन. प्रगत&...
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प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry): February 2013
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प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry). देश विदेश. विषय सूची (Content). Monday, February 18, 2013. संतोष करो, संतोष करो ।'. खाने की टेबल पर जिनके. पकवानों की रेलमपेल. वे पाठ पढ़ाते हैं हमको. संतोष करो, संतोष करो ।'. उनके धंधों की ख़ातिर. हम पेट काट कर टैक्स भरें. और नसीहत सुनते जाएँ. त्याग करो, भई, त्याग करो ।'. मोटी-मोटी तोन्दों को जो. ठूँस-ठूँस कर भरे हुए. हम भूखों को सीख सिखाते. सपने देखो, धीर धरो ।'. बेड़ा ग़र्क देश का करके. हमको शिक्षा देते हैं. तेरे बस की बात नहीं. उस आदमी की आवाज. मेरे ग...वे ...
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प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry): विषय सूची (Content)
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प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry). देश विदेश. विषय सूची (Content). विषय सूची (Content). एशिया जाग उठा" से. 1857 : सामान की तलाश. अकाल और उसके बाद. अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ. अपने लिए जिए तो क्या जिए. अब किसी को भी नज़र आती नहीं कोई दरार. अभी वही है निज़ामें-कोहना. अरे अब ऐसी कविता लिखो. आ कि वाबस्ता हैं. आ गए यहां जवां कदम. आ रे नौजवान. आओ कि कोई ख़्वाब बुनें. आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी. आज़ादी कैसी? आदमी का गीत. आने वाले दिन अपने है. आप की हँसी. आये दिन बहार के. उदास न हो. गुलामी. घर मे...
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प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry): May 2013
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प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry). देश विदेश. विषय सूची (Content). Wednesday, May 15, 2013. काश ऐसा हो सहमी आंखों में. काश ये बेटियां बिगड़ जाएं. इतना बिगड़ें के ये बिफर जाएं. उन पे बिफरें जो तीर-ओ-तेशा लिए. राह में बुन रहे हैं दार ओ रसन. और हर आजमाइश – ए -दार -ओ – रसन. इनको रस्ते की धूल लगने लगे. काश ऐसा हो अपने चेहरे से. अंचलों को झटक के सबसे कहें. ज़ुल्म की हद जो तुमने खेंची थी. उसको पीछे कभी का छोड़ चुके. काश चेहरे से खौफ का ये हिजाब. यक-ब-यक इस तरह पिघल जाएं. गौहर रज़ा. Subscribe to: Posts (Atom).
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विकल्प: October 2012
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सामाजिक सांस्कृतिक चेतना और संवाद का मंच. Tuesday, October 30, 2012. कवि का दायित्व -पाब्लो नेरुदा. जो शख्स नहीं सुन रहा है समन्दर की आवाज़. आज, शुक्रवार की सुबह, जो शख्स कैद है. घर या दफ्तर, कारखाना या औरत के आगोश में. या सडक या खदान या बेरहम जेल के तहखाने में. आता हूँ मैं उसके करीब, और बिना बोले, बिना देखे,. जाकर खोल देता हूँ काल कोठरी का दरवाजा. और शुरू होता है एक स्पंदन, धुंधली और हठीली,. मिलती है धरती की धड़कन और समुद्री-झाग से,. वहाँ एक आवारा लहर की तरह,. अनुवाद - दिगम्बर ). Links to this post.
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प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry): October 2013
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प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry). देश विदेश. विषय सूची (Content). Thursday, October 24, 2013. ॐ शब्द ही ब्रह्म है. ॐ शब्द्, और शब्द, और शब्द, और शब्द. ॐ प्रणव, ॐ नाद, ॐ मुद्रायें. ॐ वक्तव्य, ॐ उदगार्, ॐ घोषणाएं. ॐ भाषण. ॐ प्रवचन. ॐ हुंकार, ॐ फटकार्, ॐ शीत्कार. ॐ फुसफुस, ॐ फुत्कार, ॐ चीत्कार. ॐ आस्फालन, ॐ इंगित, ॐ इशारे. ॐ नारे, और नारे, और नारे, और नारे. ॐ सब कुछ, सब कुछ, सब कुछ. ॐ नमक-तेल-हल्दी-जीरा-हींग. ॐ मारण मोहन उच्चाटन. विक्रम प्रताप. Subscribe to: Posts (Atom).
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प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry): April 2013
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प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry). देश विदेश. विषय सूची (Content). Sunday, April 7, 2013. कचोटती स्वतन्त्रता. तुम बेचते हो अपनी आँखों का शऊर, अपने हांथों की दृष्टि. तुम बनाते हो लोइयाँ दुनियाभर की चीजों की. बिना एक कौर चखे. अपनी महान आजादी के साथ तुम खटते हो गैरों के साथ. जो तुम्हारी अम्मा को कलपाते हैं, उन्हें. धन्ना सेठ बनाने की आजादी के साथ. तुम स्वतन्त्र हो।. अंत:करन की स्वतंत्रता के साथ. तुम स्वतन्त्र हो।. लटकती हैं बाहें आजू-बाजू. तुम स्वतन्त्र हो।. टाट तक की ओट नहीं. चोचों. कांपत...मुख...
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प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry): August 2013
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प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry). देश विदेश. विषय सूची (Content). Saturday, August 10, 2013. विदाई -देम्याँ बेदनी (रूसी कवि). यह एक रूसी कविता का भावानुवाद है जो "Soviet Russian Literature" पुस्तक से लिया गया है. अंग्रजी में इस कविता का नाम है -The Seeing-off). जब मेरी माँ ने तड़पकर. विदा किया मुझे स्टेशन पर,. मेरे सगे रोक न पाए. मेघ से घुमड़ते दिल के जज्बात को. आँसुओं की धार को. ओह, मेरे लाल, तू दिल से दूर न जा,. किस ओर जा रहा तू? रुक जा, रुक जा, रुक जा! घृणित आशावादी! पागल हो रही,. उनके स...
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प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry): April 2014
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प्रगतिशील काव्य (Progressive Poetry). देश विदेश. विषय सूची (Content). Sunday, April 6, 2014. लेनिन की एकमात्र कविता- वह एक तूफानी साल. लेनिन की कविता के बारे में. अरुण मित्र. शारदीय स्वाधीनता, 1947. वह एक तूफानी साल. वह एक तूफानी साल।. आँधी ने सारे देश को अपनी चपेट में ले लिया। बादल बिखर गए. तूफान टूट पड़ा हम लोगों पर, उसके बाद ओले और वज्रपात. जख्म मुँह बाए रहा खेत और गाँव में. चोट दर चोट पर।. बिजली झलकने लगी, खूँखार हो उठी वह झलकन।. और आग की छटा ने रोशन कर दिया. गुस्सा और र्दद लग&...एकदम सड़ते ह...