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नेपाली मनहरू nepalimanharu.com (शिव प्रकाश ): November 2012
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असल हुनलाई केही गर्नु पर्दैन खराब नगरे पुग्छ ।. कथा / कविता / गीत/ गजल. Friday, November 30, 2012. शिव प्रकाश. चिन्नु थियो- चिन्यौ. चिन्नु थियो- चिने. हिजोसम्म. एउटा यात्रा. बढाउनै परेन. बढिरह्यो. अन्जानमा/जानाजानमा. नचिनेरै चिने जस्तो. नि नचिने जस्तो. कस्तो प्रेमपूर्ण. बिराला र मुसाको खेल जस्तै! चिन्नु थियो. चिनियो. अब छुट्टिन. पुग्नु पर्दैन दोबाटो. मूलबाटो नै चिर्न सकिन्छ. एकाघरका भाइले धूरी चिरे जस्तै! सायद यस्तै हुन्छ. मान्छे. मान्छे. को पहिचान. थहा छैन. मलाई र तिमीलाई. नोभेम्बर ३०. Links to this post.
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नेपाली मनहरू nepalimanharu.com (शिव प्रकाश ): June 2012
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असल हुनलाई केही गर्नु पर्दैन खराब नगरे पुग्छ ।. कथा / कविता / गीत/ गजल. Sunday, June 17, 2012. शिव प्रकाश. त्यो दिन पनि दिन नियमितरुपले ढल्दै थियो ।. कुनै पहाडले छेकेको छैन त्यो विरानो आकाशलाई । हुन त यहाँ न पहाड नै छन,् न पहाड जस्ता मान्छे नै– न धैर्य र स्थिर! न ठूलो मन भएका, न विचार भएका! म मेरै एक गजलको एक शेर सम्झन्छु –. वशमा छैन वासना फूलको के दोष? मनमा छैन तीर्सना मूलको के दोष? 8216;समर’ सुरु भएको छ । जुलाईको हल्का गर्मी! हुन त देखेर पनि के गर्ने? एकदमै हतारमा! सिमेटरीमा अन&...फेरि सम&#...शार...
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धनात्मक चिन्तन: February 2010
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धनात्मक चिन्तन. Thursday, February 18, 2010. वो कहते है की हम "दंगाई" है! उम्दा सोच. Http:/ umdasoch.blogspot.com/2010/02/blog-post.html. ए भैया फिर ब्लॉग पर हिन्दू-मुस्लिम दंगा न करवाना यार। बड़ी मुश्किल से बंद हुआ है।. Wednesday, February 17, 2010 9:47:00 PM GMT 05:30. इ देखो! बवाल भाई तो हमको दंगाई बना गए! अरे बवाल भाई ये आप को नया एंगिल कहा से मिला? हम कब बोले इस देश पर मुसलमानों का हक़ नहीं है? हम कब बोले सारे मुसलमान आतंकवादी है? हमने कहा उलेमाओं से जेह...हमने कहा बता दो...Links to this post.
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धनात्मक चिन्तन: June 2007
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धनात्मक चिन्तन. Friday, June 22, 2007. सभी ब्लागिओ को मेरा नमस्कार है! नाम के अनुसार अपना मत जल्द ले कर आप के सामने हाज़िर हो रहा हु! उम्दा सोच. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom). काल फ़ुन्तणु. चिंतित मैं. उम्दा सोच. अब दिल्ली के बडॆ दिल मे समा गया हूँ! View my complete profile. गठरी से निकालें अजय जी. उड़नतश्तरी पर बैठ कर. मयंकजी की राय में. बैडफ़ेथ गुडथाट. विमलजी ठुमरी सुनावैं. विस्फ़ोट करते संजय तिवारीजी. वसुधैव कुटुम्बकम. असल कश्मीरी की पीड़ा. Http:/ kashmiris-in-exile.blogspot.com/.
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नेपाली मनहरू nepalimanharu.com (शिव प्रकाश ): July 2012
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असल हुनलाई केही गर्नु पर्दैन खराब नगरे पुग्छ ।. कथा / कविता / गीत/ गजल. Tuesday, July 31, 2012. ढिस्को. शिव प्रकाश. उहाँ मान्छे त खासा हो नि! यति भनेर रोकिन्थे मान्छे । केही दिनदेखि ऊ आत्मसंवादमा हराउन थालेको छ. उसले त्यो. को अर्थ धेरै दिन बुझेन. उहाँ त मान्छे खासा हो नि! उसको मनमा यही कुरा दोहोरिरन्छ. तेहिरिन्छ । त्यो. ऊ सोच्छ. 8211; “. यो चिन्तन हो कि चिन्ता हो. क्षीण निष्कर्श निकाल्छ. 8211; “. चिन्ता पनि एक चिन्तन हो ।. उहाँका बारेमा सुनेका लघì...समयको कुचक्रले गुड...8211; “. यो ।. अग्र&#...
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धनात्मक चिन्तन: August 2007
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धनात्मक चिन्तन. Thursday, August 2, 2007. राष्ट्रवादी "मूस मुटाये लोढा होए". आज देश में जो कुछ भी गलत हो रहा हैं उसका दोष लोग नेता,सरकारी तंत्र,पुलिस और भ्रष्ट प्रशासन को देते हैं! यानी भ्रष्ट नेता,भ्रष्ट सरकारी तन्त्र, भ्रष्ट पुलिस. तमाम भ्रष्ट! तो समस्या जन्म लेती है भ्रष्ट आचरण. से यानी इन सभी के पीछे है भ्रष्टाचार. और भ्रष्टाचार क्यो है? नैतिक मूल्यों की कमी से! राष्ट्रवादी मूल्यों के अव्मूल्यन सें! तो भईया नैतिकता आये कहाँ से? उम्दा सोच. Links to this post. Subscribe to: Posts (Atom).
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धनात्मक चिन्तन: October 2009
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धनात्मक चिन्तन. Thursday, October 8, 2009. मर्द बेचारा भाग-१. तुम जाओ यार मेरी बीवी नही आनें दे रही है! ग्रहस्थों की वर्तमान अवस्था को देखकर एक विचार मन मे आता है , की यदि कोलंबस शादीशुदा होता तो शायद कभी भी अमरीका की खोज नही कर पाता! सम्भवतः उसे पहले निम्नलिखित का सामना करना पड्ता! कहाँ जा रहे हों? किसके साथ? क्यों? कैसे जा रहे हो? क्या खोजने? क्यों सिर्फ़ तुम ही जा रहे हो? मै यहाँ अकेले क्या करुँगी? क्या मै भी तुमहारे साथ चलूँ? कब वापस लौटोगे? डिनर घर पर ही करोगे ना? झूठ मत बोलो. Links to this post.
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धनात्मक चिन्तन: January 2010
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धनात्मक चिन्तन. Friday, January 15, 2010. जहाँपनाह तुस्सी ग्रेट हो! तोहफा क़ुबूल करो! Jahapana tussi great ho……. Tohfa kubool karo…. हमारे जीने का मकसद चिता तक एक लंबा सुरक्षित सफ़र तय करना भर नहीं है , ये सफ़र है खुशिया बिखेरते और गम बटोरते चलते रहने का! परिस्थितिया चाहे कोई भी हो दिल से सदा कहो. भैया आल इज्ज़ वेल! उम्दा सोच. Links to this post. Wednesday, January 13, 2010. उसने कहा था" पर किसने कहा? ये किसकी ऊँगली है,जो ऊँगली कर रहा है? गिरीन्द्र नाथ झा. संजय तिवारी. अर्शिया. Dr Smt. ajit. आदि ज&...
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धनात्मक चिन्तन: हिन्दू मर रहा था , पर किसी ने नहीं बचाया !!!
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धनात्मक चिन्तन. Friday, December 3, 2010. हिन्दू मर रहा था , पर किसी ने नहीं बचाया! लीकाप्टर में चार सवार थे हिन्दू , मुसलमान , सिक्ख , इसाई! विमान दुर्घटनाग्रस्त होने वाला था सो चारो कूद गए! हिन्दू को छोड़कर सारे बच गए! हिन्दू की आत्मा को यमराज लेकर जाने लगे तो उसने यमराज से पूछा की "मै ही सिर्फ क्यों मरा बाकी कैसे बच गए? यमराज ने कहा की. विपदा में. उम्दा सोच. सुनील दत्त. मकसद तो ठीक है पर विवरण सही नहीं है।. Friday, December 3, 2010 at 6:26:00 PM GMT 5:30. राहुल पंडित. सुनील जी मरन...चिं...अब दì...
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नेपाली मनहरू nepalimanharu.com (शिव प्रकाश ): January 2013
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असल हुनलाई केही गर्नु पर्दैन खराब नगरे पुग्छ ।. कथा / कविता / गीत/ गजल. Thursday, January 31, 2013. शिव प्रकाश. जीवन र मृत्युको दशगजामा उभिएर ऊ आफ्नै मृत्युको शोकधून सुनिरहेको छ । धूनसँगै बाँकी जीवन बाँच्नुको आनन्द पनि लिइरहेको छ ।. एकदिन उसले आफू एकाएक हराउने सूचना दियो हामीलाई– अपार्टमेन्ट छोड्ने सूचना जस्तो! यसअघि ऊ पूरै छ महिना हराएको थियो । हामी कसैलाई केही थाह भएन, कहाँ गयो? के भयो? अन्त कतै गयो कि? अनन्ततिर गयो? राज हरायो! कहाँ गयो होला? फर्किने भए किन आउनु? छोराका पीडì...लक्ष्म...एका...
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