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श्रीमती सपना निगम (हिंदी ): January 2012
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श्रीमती सपना निगम (हिंदी ). Tuesday, January 31, 2012. प्रियतम मेरे परदेस बसे. बसंत को सखा जान मनुहार करती विरहिणी के भावों पर रचा यह गीत पुन: पोस्ट कर रहा हूँ. मैं किस मन से श्रृंगार करूँ? तुम बतलाओ, कैसे आदर-सत्कार करूँ. प्रियतम मेरे परदेस बसे, मैं किस मन से श्रृंगार करूँ? फिर पवन - बसंती झूमेगी,. हर कलि, भ्रमर को चूमेगी. चुन-चुन मीठे -मीठे गाने. कोयलिया मारेगी ताने. मधुगंध बसाये पोर-पोर. चंदा संग खेलेगा चकोर. तुम उनके देस चले जाना. धर बाँह, यहाँ पर ले आना. लिपि नयन-पटल पर उभरेगी. शान से. वन उपवन न...
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श्रीमती सपना निगम (हिंदी ): December 2011
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श्रीमती सपना निगम (हिंदी ). Tuesday, December 27, 2011. 8220;नन्हीं सी आशा.”. 8216; बिटिया. 8217; मेरे जीवन की नन्हीं – सी आशा. वात्सल्य - गोरस. डूबा हुआ. तुतली बोली. डगमग चलना और शरारत. नया -नया नित दिखलाती है खेल-तमाशा. पल में रूठे – माने. पल में रोये – हँस दे. बिटिया का गुस्सा है. रत्ती- तोला- माशा. दिनभर दफ्तर में थककर जब घर मैं आऊँ. देख मुझे. मुस्काकर. दूर हताशा. सुख -दु:ख दोनों धूप -छाँव से आते –जाते. ठहर न पाई इस आंगन में कभी निराशा. हाथों. ब्रम्हा जी ने. अरुण कुमार निगम. आदित्य नगर.
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अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ): April 2015
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Tuesday, April 28, 2015. 8220;शब्द गठरिया बाँध" छन्द संग्रह का विमोचन इलाहाबाद में. छत्तीसगढ़ अंचल के कवि अरुण निगम की छन्द संग्रह की किताब "शब्द गठरिया बाँध" का. विमोचन अंजुमन. प्रकाश मिश्र सभागार. महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्व विद्यालय. क्षेत्रीय केन्द्र इलाहाबाद में संपन्न हुआ. इलाहाबाद के प्रसिद्ध गीतकार श्री यश मालवीय ने कार्यक्रम का सफल सञ्चालन किया. अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com). Subscribe to: Posts (Atom). अरुण कुमार निगम. ब्लॉग्स. Arun Kumar Nigam Tippani.
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अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ): July 2015
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Wednesday, July 1, 2015. एलोरा :. एलोरा :. बियाबान. चमगादड़ कर गये बसेरा. सूने और वीरान. सदियों. गुमान खंडहर. पत्थरों. ऊँकेरी किसने. कह न सके. बेजुबान. पाषाणी जीवंत मूर्तियाँ. बता रहीं प्रमाण खंडहर. दीवारों की अद्भुत नक्काशी. करती हैं हैरान खंडहर. प्रकृति की विनाश लीलायें देखी. मिट न सकी पहचान खंडहर. वैभवकालीन. निगम - -. अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com). Labels: एलोरा :. Subscribe to: Posts (Atom). अरुण कुमार निगम. ब्लॉग्स. श्रीमती सपना निगम (हिंदी). Arun Kumar Nigam Tippani. एलोरा :.
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अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ): December 2014
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Monday, December 15, 2014. भारत बनाम इण्डिया. भारत बनाम इण्डिया. बाबूजी जब डैड हो गये , माता हो गई माम. पूरब में उस दौर से छाई,. एक साँवली शाम. अब गुरुकुल गुरु-शिष्य कहाँ, बस कागज के अनुबंध. सर-मैडम, अंकल-आंटी में, सरसे कहाँ सुगंध. कहाँ कबड्डी, गिल्ली-डंडा, छुआ छुऔवल खेल. कहाँ अखाड़े कंदुक-क्रीड़ा, छुक-छुक करती रेल. खेल फिरंगी अब क्रिकेट का,दिखलाता है शान. समय-शक्ति का नाश कर रहा,फिर भी पाता मान. एबीसीडी. सिर चढ बैठी , पश्चिम वाली डॉल. असहाय - सी अआइई ,. भटक रही बदहाल. Subscribe to: Posts (Atom).
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अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ): June 2014
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Sunday, June 1, 2014. आम पीर सहता क्यों, गुठलियाँ समझती हैं. संत - साधना कैसी , वेदियाँ समझती हैं. लाल की जवानी का , जश्न हो चुका काफी. खैर क्या मनाना अब, बकरियाँ समझती हैं. सास आज स्वागत में, सौंपने लगी किस्मत. नव-वधू करेगी क्या , चाबियाँ समझती हैं. छुप-छुपा के आया है , पास अपनी दादी के. कौन खुश हुआ ज्यादा, कुल्फियाँ समझती हैं. बात संसकारों की , फालतू नहीं होती. वक़्त बीत जाने पे , पीढ़ियाँ समझती हैं. भीड़ है हजारों की , कौन-कौन सच्चा है. अरुण कुमार निगम. Subscribe to: Posts (Atom). Arun Kumar Nigam Tippani.
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अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ): February 2015
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Sunday, February 22, 2015. कुकुभ छन्द. चित्र ओबीओ से साभार). कुकुभ छन्द – पहला दृश्य. एक सरीखी प्रात: संध्या,जीवन की सच्चाई रे. एक सूर्य को आमंत्रण दे , दूजी करे विदाई रे. कालचक्र की आवा-जाही, देती किसे दिखाई रे. तालमेल का ताना-बाना, सुन्दर बुनना भाई रे. कुकुभ छन्द – दूसरा दृश्य. दादा की बाँहों में खेले , बड़भागी वह पोता है. एकल परिवारों में पोता , मन ही मन में रोता है. हर घर की यह बात नहीं पर , अक्सर ऐसा होता है. कुकुभ छन्द – तीसरा दृश्य. अरुण कुमार निगम. Labels: कुकुभ छन्द. Subscribe to: Posts (Atom).
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अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ): September 2014
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Thursday, September 4, 2014. शिक्षक दिवस पर जनहित में जारी. क्या यह यूरोप का शहर है दोस्तों. हर शाला में “मैडम” और “सर” है दोस्तों. 8220;गुरुजी” का सम्बोधन कब. क्यों खो गया. खो जाये ना संस्कृति – डर है दोस्तों. 8220;गुरु” में श्रद्धा थी. आदर- सम्मान था. गुरु थे आगे फिर पीछे भगवान था. 8220;सर” का सम्बोधन बेअसर है दोस्तों. 8220;मैडम” आई और “बहन जी” खो गई. पावन रिश्ते का सम्बोधन धो गई. पश्चिमी संस्कृति का असर है दोस्तों. गुरु-शिष्य. पिता-पुत्र. सा नाता था. अरुण कुमार निगम. आदित्य नगर.
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श्रीमती सपना निगम (हिंदी ): July 2015
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श्रीमती सपना निगम (हिंदी ). Wednesday, July 8, 2015. तीर्थराज प्रयाग - सपना निगम. यहाँ माझी. नैय्या. की बहती. प्रयागराज. त्रिवेणी. का संगम. बहती यहाँ सत्संग. की बयार है. इन नदियों के पास मेरे देश का इतिहास. उपजाऊ जमीन रही भरमार है. मुगलों ने यहाँ. यही वो. कछार है. मंदिरों. की घंटियों में गूंजे है राम -राम. साधू संतन की श्रद्धा. अपार है. जाने कितने ही कर्मकांड. शर्मसार है. पार मैं. खड़ी हूँ. उस पार है जल धारा. ये तीनों लोकों. का शीर्ष. सपना निगम. Saturday, July 4, 2015. करते पठन संवाद.
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श्रीमती सपना निगम (हिंदी ): April 2011
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श्रीमती सपना निगम (हिंदी ). Friday, April 29, 2011. बेटी की व्यथा". क्यों भेजा था बाबुल तूने. दुनियाँ के गलियारों में? कैसे खुद की रक्षा करती. इन मदमस्त बहारों में? जान के बेटी ,मेरे संग क्यों. सौतेला व्यवहार किया. क्यों ना समझूँ औरों जैसा. तूने भी व्यापार किया. बेटा होता ,यदि मैं. करता तू परवाह हजारों में. सबकी आँखें गड़ी हुई थी. मेरी यौवन गगरी में. कब तक खुद को बाँध मैं पाती. संस्कार की गठरी में. गठरी खुली,भ्रमित हो गई मैं. प्रियतम की मनुहारों में. फिसल गई मैं,जगमग में. Wednesday, April 27, 2011. कल...