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मन की दुनिया: विवाद -एक लघुकथा डा. अनवर जमाल की क़लम से Dispute (Short story)
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जब अहसास की रूह अल्फ़ाज़ के जिस्म में दाखि़ल होकर ज़ाहिर होती है तो ज़माना उसे साहित्य के नाम से जानता है।. Saturday, April 28, 2012. विवाद -एक लघुकथा डा. अनवर जमाल की क़लम से Dispute (Short story). जंगल में लकड़बग्घों का एक समूह रहता था। जवान लकड़बग्घे शिकार करते, बच्चे खिलवाड़ करते और बूढ़े इंतेज़ार।. Labels: DR. ANWER JAMAL. शिखा कौशिक. April 28, 2012 at 6:30 PM. रविकर फैजाबादी. आभार भाई जी. April 28, 2012 at 7:50 PM. मनोज कुमार. April 28, 2012 at 8:32 PM. कुमार राधारमण. April 28, 2012 at 10:48 PM. सारगर&...
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मन की दुनिया: August 2011
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जब अहसास की रूह अल्फ़ाज़ के जिस्म में दाखि़ल होकर ज़ाहिर होती है तो ज़माना उसे साहित्य के नाम से जानता है।. Monday, August 29, 2011. दस दिन का अनशन - हरिशंकर परसाई. नाम के ब्लॉग से लिया है।. सोचकर बोला, " मगर इसके लिए अनशन हो भी सकता है? सुरेन्द्र वहां बैठा था. बोला, " यार कैसी बात करते हो! किसी की बीवी को हड़पने के लिए अनशन होगा? हमें कुछ शर्म तो आनी चाहिए. लोग हँसेंगे.". बन्नू ने कहा," सफलता मिल जायेगी? मुझे तो उसके नाम से भी डर लगता है.". सन्मति दे भगवान्! बन्नू उदास हो गया&#...बन्नू भूख...मैं...बाब...
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मन की दुनिया: March 2013
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जब अहसास की रूह अल्फ़ाज़ के जिस्म में दाखि़ल होकर ज़ाहिर होती है तो ज़माना उसे साहित्य के नाम से जानता है।. Friday, March 22, 2013. पीपल और खजूर, कब तक रहेंगे दूर? कोई पूछ बैठे कि किससे कर रहे हैं तो कहते हैं कि खजूर वालों से! कोई पूछता है कि किस से कर रहे हो तो कहते हैं कि पीपल वालों से! 8216;ज़रा नम हो तो ये मिट्टी बड़ी ज़रख़ेज़ है साक़ी‘. मिट्टी सचमुच अच्छी है, बस एक साक़ी चाहिए।. अल्लामा इक़बाल ने ये भी कहा था कि. Links to this post. Labels: DR. ANWER JAMAL. Monday, March 11, 2013. डॉक्टर ब&#...डॉक...
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मन की दुनिया: May 2011
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जब अहसास की रूह अल्फ़ाज़ के जिस्म में दाखि़ल होकर ज़ाहिर होती है तो ज़माना उसे साहित्य के नाम से जानता है।. Tuesday, May 24, 2011. अल्बर्ट पिंटो को ग़ुस्सा क्यों आता है? Part 1 (गहन विश्लेषण पर आधारित भविष्य की सुरक्षा का उपाय बताती एक प्रतीक कथा ) - Dr. Anwer Jamal. 8216;अरे मूर्ख, अल्पविश्वासी स्त्री! क्या तू नहीं जानती कि तू किसके साथ जा रही है? 8216;-ध्यानी जी ने अपनी भोली पत्नी को लताड़ा।. 8216;किसके साथ जा रही हूं मैं? 8216;-वह सचमुच ही भोली थी।. 8216;तू यहीं रूक।‘-ग...8216;ज़ेवर औरत कì...जय हí...
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मन की दुनिया: January 2013
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जब अहसास की रूह अल्फ़ाज़ के जिस्म में दाखि़ल होकर ज़ाहिर होती है तो ज़माना उसे साहित्य के नाम से जानता है।. Tuesday, January 22, 2013. एक बूढा व्यक्ति था। उसकी दो बेटियां थीं। उनमें से एक का विवाह एक कुम्हार से हुआ और दूसरी का एक किसान के साथ।. बस यदि वर्षा न आए तो हमारा कारोबार खूब चलेगा।. बेटी ने पिता से आग्रह किया कि वो भी प्रार्थना करे कि बारिश न हो।. Links to this post. Labels: DR. ANWER JAMAL. Friday, January 11, 2013. आलोक पुराणिक ). इकॉनमिक टाइम्स. Links to this post. Labels: DR. ANWER JAMAL.
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मन की दुनिया: July 2012
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जब अहसास की रूह अल्फ़ाज़ के जिस्म में दाखि़ल होकर ज़ाहिर होती है तो ज़माना उसे साहित्य के नाम से जानता है।. Sunday, July 29, 2012. फूलो का कुर्ता -यशपाल. सुबह से जारी बारिश थमकर कुछ धूप निकल आई थी। घर में दवाई के लिए कुछ अजवायन की जरूरत थी। घर से निकल पड़ा कि बंकू साह के यहां से ले आऊं।. संतू को खेल में आया देखकर सुनार का छह बरस का लड़का हरिया चिल्ला उठा। आहा! Source : http:/ www.aparajita.org/read more.php? Links to this post. Labels: DR. ANWER JAMAL. Subscribe to: Posts (Atom). प्रेम रस.
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मन की दुनिया: December 2013
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जब अहसास की रूह अल्फ़ाज़ के जिस्म में दाखि़ल होकर ज़ाहिर होती है तो ज़माना उसे साहित्य के नाम से जानता है।. Tuesday, December 3, 2013. लिफ़्ट Lift. भारतीय नारी ब्लॉग पर हिन्दी ब्लॉगर शिखा कौशिक जी की लघुकथा ‘पुरूष हुए शर्मिन्दा’. Links to this post. Labels: DR. ANWER JAMAL. Subscribe to: Posts (Atom). हिन्दुस्तान की परंपराओं के भीतर झांकने-झांकाने का सार्थक प्रयास. साजिद की क़लम. प्रेम रस. मेरा वजूद बदलता दिखाई देता है. ब्लॉग 4 वार्ता. घर की बीवी. 1992 और उसके बाद. लिफ़्ट Lift. चिट्ठाजगत.
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मन की दुनिया: July 2014
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जब अहसास की रूह अल्फ़ाज़ के जिस्म में दाखि़ल होकर ज़ाहिर होती है तो ज़माना उसे साहित्य के नाम से जानता है।. Thursday, July 3, 2014. दज्जाल के रंगरूट. कर रहे हैं। खुद मर रहे हैं लेकिन दज्जाल के दुश्मनों को भी मार रहे हैं। जिहाद इसलाम (? के लिए हो रहा है और उसका फ़ायदा दज्जाल को पहुँच रहा है।. चल रहा है, चलता रहेगा।. दज्जाल यही चाहता है।. Links to this post. Labels: DR. ANWER JAMAL. Subscribe to: Posts (Atom). साजिद की क़लम. प्रेम रस. ब्लॉग 4 वार्ता. घर की बीवी. 1992 और उसके बाद. चिट्ठाजगत.
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मन की दुनिया: पीपल और खजूर, कब तक रहेंगे दूर ? peepal & khajoor
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जब अहसास की रूह अल्फ़ाज़ के जिस्म में दाखि़ल होकर ज़ाहिर होती है तो ज़माना उसे साहित्य के नाम से जानता है।. Friday, March 22, 2013. पीपल और खजूर, कब तक रहेंगे दूर? कोई पूछ बैठे कि किससे कर रहे हैं तो कहते हैं कि खजूर वालों से! कोई पूछता है कि किस से कर रहे हो तो कहते हैं कि पीपल वालों से! 8216;ज़रा नम हो तो ये मिट्टी बड़ी ज़रख़ेज़ है साक़ी‘. मिट्टी सचमुच अच्छी है, बस एक साक़ी चाहिए।. अल्लामा इक़बाल ने ये भी कहा था कि. Labels: DR. ANWER JAMAL. March 22, 2013 at 7:48 PM. कविता रावत. November 26, 2013 at 6:26 PM.
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मन की दुनिया: April 2012
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जब अहसास की रूह अल्फ़ाज़ के जिस्म में दाखि़ल होकर ज़ाहिर होती है तो ज़माना उसे साहित्य के नाम से जानता है।. Saturday, April 28, 2012. विवाद -एक लघुकथा डा. अनवर जमाल की क़लम से Dispute (Short story). जंगल में लकड़बग्घों का एक समूह रहता था। जवान लकड़बग्घे शिकार करते, बच्चे खिलवाड़ करते और बूढ़े इंतेज़ार।. Links to this post. Labels: DR. ANWER JAMAL. Monday, April 16, 2012. हम्ममम. तो आप लंबी. कुछ और टिप्स. आर्गेज्म के लिए कोशिश करें. उम्र बढ़ी: आठ साल तक. साल बढ़े: दो साल तक।. गाबा ( GABA. तो दोस्त...इस बार क&...