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गिरीश पंकज: आज़ादी का मतलब ये है जन-जन को अधिकार मिले
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सद्भावना दर्पण'. दिल्ली, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरस्कृत ' सद्भावना दर्पण. पिछले 20 वर्षों से प्रकाशित ' सद्भावना दर्पण'. पढ़ने के लिये अनुवाद-साहित्य में रूचि रखने वाले साथी शुल्क भेज सकते है. .वार्षिक100 रूपए, द्वैवार्षिक-. 200 रूपए. ड्राफ्ट या मनीआर्डर के जरिये ही शुल्क भेजें. संपर्क-. 28 fst floor, ekatm parisar, rajbandha maidan रायपुर-४९२००१ (छत्तीसगढ़). COPY गिरीश पंकज संपादक सदभावना दर्पण. Powered by Blogger. गिरीश पंकज. Girish pankaj ke vyangya. 8 उपन्यास-. आज़ाद&#...
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गिरीश पंकज के व्यंग्य: March 2011
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गिरीश पंकज के व्यंग्य. हर हाल में हम सच का बयान करेंगे. बहरे तक सुन लें वो गान करेंगे . 16 मार्च 2011. ऑफ दि रिकार्ड' की जय हो . दूसरे को गाली दे दो, फिर कहो - 'यह ऑफ दि रिकार्ड है।'. नेताओं का तकिया कलाम है - 'ऑफ दि रिकार्ड'। मन की भड़ास निकाल कर उस पर 'ऑफ दि रिकार्ड' चस्पा कर दो।. भ्रष्टाचार पर नेताजी बोलने लगे - ' देश का पतन हो रहा है साहब! और बता दूँ,कि उसकी पत्नी भी भ्रष्टाचारी है।'. आखिर विधायक ने गाली दी थी कि नहीं? अरे, दी तो थी मगर उन शब्दों को व&#...विधानसभा अध्यक्...लेबल: girish pankaj. पì...
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गिरीश पंकज के व्यंग्य: April 2014
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गिरीश पंकज के व्यंग्य. हर हाल में हम सच का बयान करेंगे. बहरे तक सुन लें वो गान करेंगे . 22 अप्रैल 2014. हम न जइबू विमोचन समारोह देखन बाबा! हम न जइबू विमोचन समारोह देखन बाबा! गिरीश पंकज. हमारा मित्र पिछले दिनों एक पुस्तक के लोकार्पण में गया और उसने कसम खा ली कि. हम न जइबू विमोचन समारोह देखन बाबा, माँ क़सम! मैंने पूछा, ' ऐसा क्या हो गया भाई? और सीधे माँ कसम? मित्र बोला, ' हां, माँ कसम, खाओ तो ढंग की कसम खाओ. वैसे अब. प्रस्तुतकर्ता. 1 टिप्पणी:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! नई पोस्ट.
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काश मिले मंदिर में अल्लाह मस्जिद में भगवान मिले. | साझा-सरोकार
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मुखपृष्ठ. साझा-सरोकार. तेरी शर्ट हमसे ज्यादा सफ़ेद क्यों. की तर्ज़ पर मीनारों और. गुम्बदों को ऊँचा. करने और सड़कों पर. नमाज़ व आरती करने की आज होड़ लगी है.धार्मिक होने का प्रदर्शन खूब. हो रहा है जबकि ऐसी धार्मिकता हमें धर्मान्धता की ओर घसीट. ले जा रही है.जो खतरनाक है.देश की गंगा-जमनी संस्कृति को. इससे काफी चोट पहुँच रही है. सर्व-धर्म समभाव. विशवास है. मतभेदों का भी यहाँ स्वागत है.वाद-ववाद से ही तो. संवाद बनता है. On मंगलवार, 15 दिसंबर 2009. सुबह मोहब्बत शाम महब्बत. महत्वपूर्ण. अब तक आपके. आंखो...सहि...
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December 2009 | साझा-सरोकार
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मुखपृष्ठ. साझा-सरोकार. तेरी शर्ट हमसे ज्यादा सफ़ेद क्यों. की तर्ज़ पर मीनारों और. गुम्बदों को ऊँचा. करने और सड़कों पर. नमाज़ व आरती करने की आज होड़ लगी है.धार्मिक होने का प्रदर्शन खूब. हो रहा है जबकि ऐसी धार्मिकता हमें धर्मान्धता की ओर घसीट. ले जा रही है.जो खतरनाक है.देश की गंगा-जमनी संस्कृति को. इससे काफी चोट पहुँच रही है. सर्व-धर्म समभाव. विशवास है. मतभेदों का भी यहाँ स्वागत है.वाद-ववाद से ही तो. संवाद बनता है. रिजवाना : संस्कृत की नयी इबारत. On गुरुवार, 31 दिसंबर 2009. अरबी में पî...कडे़...
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गिरीश पंकज के व्यंग्य: 'ऑफ दि रिकार्ड' की जय हो ...
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गिरीश पंकज के व्यंग्य. हर हाल में हम सच का बयान करेंगे. बहरे तक सुन लें वो गान करेंगे . 16 मार्च 2011. ऑफ दि रिकार्ड' की जय हो . दूसरे को गाली दे दो, फिर कहो - 'यह ऑफ दि रिकार्ड है।'. नेताओं का तकिया कलाम है - 'ऑफ दि रिकार्ड'। मन की भड़ास निकाल कर उस पर 'ऑफ दि रिकार्ड' चस्पा कर दो।. भ्रष्टाचार पर नेताजी बोलने लगे - ' देश का पतन हो रहा है साहब! और बता दूँ,कि उसकी पत्नी भी भ्रष्टाचारी है।'. आखिर विधायक ने गाली दी थी कि नहीं? अरे, दी तो थी मगर उन शब्दों को व&#...विधानसभा अध्यक्...लेबल: girish pankaj. पí...
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गिरीश पंकज के व्यंग्य: February 2011
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गिरीश पंकज के व्यंग्य. हर हाल में हम सच का बयान करेंगे. बहरे तक सुन लें वो गान करेंगे . 26 फ़रवरी 2011. मजबूरी का नाम? ने कहा-' मै बहुत मजबूर हूँ' . इतना सुनना था, कि समेटनराम बोल पडा-' अरे मतलब तुम्हारा फ्यूचर ब्राईट है? तुम इस देश के प्रधानमंत्री भी बन सकते हो' . लपेटनराम चौंका-' तो क्या जो मजबूर होता है, वह प्रधानमंत्री बन सकता है? लपेटनराम गदगद- ' मतलब यह है, कि मेरे दिन फिरेंगे? वह दिन और आज का दिन है, लपेटनराम फूला-फूला फिरता ह...मै मजबूर हूँ. मजबूर हूँ. मजबूर हूँ. लेबल: girish pankaj. टै...
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गिरीश पंकज के व्यंग्य: मजबूरी का नाम...?
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गिरीश पंकज के व्यंग्य. हर हाल में हम सच का बयान करेंगे. बहरे तक सुन लें वो गान करेंगे . 26 फ़रवरी 2011. मजबूरी का नाम? ने कहा-' मै बहुत मजबूर हूँ' . इतना सुनना था, कि समेटनराम बोल पडा-' अरे मतलब तुम्हारा फ्यूचर ब्राईट है? तुम इस देश के प्रधानमंत्री भी बन सकते हो' . लपेटनराम चौंका-' तो क्या जो मजबूर होता है, वह प्रधानमंत्री बन सकता है? लपेटनराम गदगद- ' मतलब यह है, कि मेरे दिन फिरेंगे? वह दिन और आज का दिन है, लपेटनराम फूला-फूला फिरता ह...मै मजबूर हूँ. मजबूर हूँ. मजबूर हूँ. लेबल: girish pankaj. वाह ग&...
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गिरीश पंकज के व्यंग्य: May 2012
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गिरीश पंकज के व्यंग्य. हर हाल में हम सच का बयान करेंगे. बहरे तक सुन लें वो गान करेंगे . भेडिये के कार्टून. भेडिये के कार्टून. गिरीश पंकज. एक दिन सारे कार्टूनिस्ट मिले और विचार करने लगे. एक कार्टूनिस्ट ने कहा, ' अब तो एक ही रास्ता है. कार्टून बनाना ही बंद कर दिया जाये.'. आप पर कार्टून बना रहे हैं. कहो तो कर दें काम तमाम? चमचा बोला, ' फिकर नाट हम हूँ न.'. प्रस्तुतकर्ता. 3 टिप्पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. नई पोस्ट.
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गिरीश पंकज के व्यंग्य: चुल्लू भर पानी तो मुहैया हो
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गिरीश पंकज के व्यंग्य. हर हाल में हम सच का बयान करेंगे. बहरे तक सुन लें वो गान करेंगे . 12 फ़रवरी 2011. चुल्लू भर पानी तो मुहैया हो. टैंकर से कुछ बाल्टियां पानी टपकने पर दुखी लोग टैंकरवाले से पूछते हैं, ' क्यों जी, ये क्या तमाशा है, इतना कम पानी? रहिमन पानी राखिए,बिन पानी सब सून।. पानी गए न उबरै, मोती, मानस चून।. प्रस्तुतकर्ता. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. लेबल: girish pankaj. 6 टिप्पणियां:. उत्तर दें. मस्त जी. नई पोस्ट.