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भरत ...: 2/1/13 - 3/1/13
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मेरी पसन्द. नवभारत टाइम्स. सब कुछ एक साथ. 4 टिप्पणियां:. परिंदा बन रहा हूँ. परों पर कोपलें. उग रही हैं. सुना है. सात आकाश बनाये हैं. मुझे आठवां देखना है. और तुम जिस आकाश से देखते हो. उसमें तुम्हे. देख लेता हूँ. खिड़की का पर्दा हटा कर. This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivs 3.0 Unported License. इस संदेश के लिए लिंक. बड़े दिन पर खिला है गुल bade din par khila hai gul. 5 टिप्पणियां:. इस संदेश के लिए लिंक. है पता उसको hai pata usko. This work is licensed under a ...
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भरत ...: 6/1/13 - 7/1/13
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मेरी पसन्द. नवभारत टाइम्स. सब कुछ एक साथ. ले गया वो चैन बिस्तर का गया जब ghazal ग़ज़ल غزل. 1 टिप्पणी:. ले गया वो चैन बिस्तर का गया जब. फूल रहते थे जहाँ काँटे वहां अब. काश के ये जाँ निकल जाए बदन से. करवटें बदलीं न जाती ए खुदा अब. हर तरफ़ है शान और पहचान उसकी. सच सुना है के मुहब्बत मे मिले रब. ख़्वाब पर पाबंदियां लगती नहीं हैं. जाना मैंने साथ उसके मैं रहा जब. दर्द ए दिल का उस से है नाता पुराना. धडकनें बढ़ने लगीं लो आ गयी शब. चूम कर तस्वीर सीने से लगा ली. Le gaya vo chain bistar ka gaya jab. دھڑکنیں بڑھنے ...
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भरत ...: 1/1/14 - 2/1/14
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मेरी पसन्द. नवभारत टाइम्स. सब कुछ एक साथ. कोई टिप्पणी नहीं:. मैं इस किनारे बैठा था. दूसरे किनारे से भी दूर. कही छुप के बैठी रही,. खड़े हो कर मैंने जोर से आवाज़ लगाई. पानी में पत्थर की तरह आवाज़,. दो-तीन टिप्पे खा कर. गुडुप. कम से कम किनारे पर ही जाओ -. रात में टॉर्च को जला-बुझा कर बातें कर लेंगे. सुना है, रौशनी की गति आवाज़ से तेज होती है. This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivs 3.0 Unported License. इस संदेश के लिए लिंक. नई पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. Chaos after the news by...
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भरत ...: 12/1/13 - 1/1/14
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मेरी पसन्द. नवभारत टाइम्स. सब कुछ एक साथ. कोई टिप्पणी नहीं:. मैं जा रहा हूँ मंदिर बनाने।. अब बहुत व्यस्त रहूँगा।. देश को तोड़ कर पत्थर इकट्ठे करने हैं,. कुछ बच्चे चाहिए होंगे,. पत्थरों को तर्शवाना होगा।. सबसे ज्यादा ज़रूरत इसे मजबूत बनाने की है. इतना मजबूत -. कोई तोड़ ना सके।. बुर्ज पर चाँद की रौशनी ना पड़े ये भी देखना है।. मजबूती कैसे लायी जाये - हल मिल गया है।. खून के रिश्ते,. और उनके रिश्तों के रिश्ते,. सब को बुलाना है,. मसाला बनाना कोई मजाक नहीं है,. एक-छः का मजबूत मसाला! ये लोग ।. This work is licensed ...
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भरत ...: कीड़ा Kida
http://www.tiwari.me/2011/11/kida.html
मेरी पसन्द. नवभारत टाइम्स. सब कुछ एक साथ. कीड़ा Kida. Click to read in Roman. This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivs 3.0 Unported License. 7 टिप्पणियां:. 3:55 pm, नवंबर 15, 2011. Chha gaye Bharatji.sochne pe majboor karti hui.lal batti. उत्तर दें. 9:21 am, नवंबर 16, 2011. उत्तर दें. डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति. 8:54 pm, नवंबर 16, 2011. उत्तर दें. 10:06 pm, नवंबर 18, 2011. बहुत खूब शानदार रचना बढ़िया पोस्ट . उत्तर दें. 8:16 pm, मार्च 15, 2012. नई पोस्ट. अपनी...
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भरत ...: 8/1/13 - 9/1/13
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मेरी पसन्द. नवभारत टाइम्स. सब कुछ एक साथ. क्या करें کیا کریں kya kareN #ghazal #ग़ज़ल غزل#. कोई टिप्पणी नहीं:. इन हुक्मरानों पर ज़रा सा भी भरोसा क्या करें. इनको खबर खुद भी नहीं, कब ये तमाशा क्या करें. शर्म ओ हया से दूर तक, जिसका न हो कुछ वास्ता. वही आबरू-ए—मुल्क का, जब हो दरोगा क्या करें. इक नौकरों का शाह है, इक बादशाह बेताज़ है. दोनों का मकसद लूटना, अब बापदादा क्या करें. काला बना पैसा हमारा, भेज दे स्विस बैंक में. ان حکمرانوں پر ذرا سا بھی بھروسہ کیا کریں. شرم و حیا سے دور تک، جن کا نہ ہو کچھ واسطہ.
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भरत ...: 12/1/12 - 1/1/13
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मेरी पसन्द. नवभारत टाइम्स. सब कुछ एक साथ. तुमको पता होगा tumko pata hoga. 3 टिप्पणियां:. सुनो तुमको पता होगा. जब हम पहले-पहले मिले थे. तब की जो तस्वीरें हैं. उन सब में. तुम अब भी उतने ही खूब दिखते हो. और मैं. बेरोजगार. अपने को उन तस्वीरों में देख. समझ नहीं पाता. आखिर तुमने तब ऐसा क्या देखा था मुझमे. जो मुझे नहीं दिखता. तुमको पता होगा. Suno tumko pata hoga. Jab ham pahle-pahle mile the. Tab ki jo tasveereN haiN. Tum ab bhi utne hi khoob dikhte ho. Apne ko un tasveeroN me dekh. Jo mujhe nahi dikhta. ब...
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भरत ...: 2/1/14 - 3/1/14
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मेरी पसन्द. नवभारत टाइम्स. सब कुछ एक साथ. कोई टिप्पणी नहीं:. मेरे तेरे उसके. उतरे हुए कपड़े. पूरी तरह नग्न. चीरे गये कपड़े. उसके हाँथों मेरे. मेरे हाँथों तेरे. शहर का शहर नंगा. चीथड़ों से उठता धूंआ. धूएँ में तैरते. स्कूल का मैदान. राख हुए. सारे-सम्बन्ध. जब सब नंगे हों. तो झूठ? झूठ सफ़ेद कपड़ा पहन. कुछ नग्न ले गया साथ. सुना है -. अब वो भी वैसे ही कपड़े पहनते हैं. नग्न की परिभाषा,. अब बदल गई है. This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-NoDerivs 3.0 Unported License. Chaos after t...
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भरत ...: 5/1/13 - 6/1/13
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मेरी पसन्द. नवभारत टाइम्स. सब कुछ एक साथ. कैसे मुझे अब नींद, इस बिस्तर पे आयेगी कभी / kaise mujhe ab neeNd iss, bistar pe aayegi kabhi / کیسے مجھے اب نیند اس، بستر پے آے گی کبھی. 7 टिप्पणियां:. Urdu: courtesy dear friend Samina Mir. کیسے مجھے اب نیند اس، بستر پے آے گی کبھی. یادوں بھری سلوٹ تیری، دل سے نہ جاۓ گی کبھی. بس یاد تیری رہ گیئ، میرے دل برباد میں. پرچھایوں سے تو نکل، اب جسم پاے گی کبھی. دے تو مجھے اب موت دے، ربا نہیں جینا مجھے. اب یہ سزا تو ختم کر، اب وہ نہ آے گی کبھی. لہو کی گرم جوشی اور جوانی ...