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साहित्य सभा कैथल: June 2010
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साहित्य सभा कैथल. रविवार, 20 जून 2010. सुनसान क्यूं है. प्रिय पाठको. आज आपके लिए गज़लकार ' ईश्वर चंद गर्ग' की एक रचना (सही देखने के लिए रचना पर एक चटका लगायें):-. प्रस्तुतकर्ता. साहित्य सभा कैथल. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. लेबल: ईश्वर चंद गर्ग. साहित्य सभा कैथल. रविवार, 6 जून 2010. बना गया कोई. मेरी दुनिया से चला गया कोई. जख्म दिल पे बना गया कोई. नींद उड़ गई चैन जाता रहा. हाले-दिल ऐसा बना गया कोई. मैं बेबस ,वह भी मजबूर है. कैसी ये पट्टी पढ़ा गया कोई. ललित कुमार "दिलकश". लेबल: गज़ल. मेरी...अमन स...
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साहित्य सभा कैथल: August 2010
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साहित्य सभा कैथल. बुधवार, 11 अगस्त 2010. वार्षिकोत्सव. साहित्य सभा कैथल २२ अगस्त २०१० को अपना वार्षिकोत्सव मनाने जा रही है।जिस अवसर पर कई पुस्तकों का लोकार्पण होगा तथा बहुभाषायी कवि सम्मेलन का आयोजन होगा ।. स्थान- सभागार (आर.के.एस.डी कालेज) कैथल (हरियाणा) भारत. मुख्यातिथि- डा.मुक्ता (निदेशक, हरियाणा साहित्य अकादमी). आप सादर आमंत्रित हैं ।. डा.अमृत लाल मदान. साहित्य सभा कैथल. प्रस्तुतकर्ता. साहित्य सभा कैथल. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. प्रेरणा.
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साहित्य सभा कैथल: January 2011
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साहित्य सभा कैथल. शनिवार, 1 जनवरी 2011. बेटियाँ. आओ बुद्ध राम, पानी पी लो बड़ी गर्मी है. वह रूक गया मैंने अपने कमरे में बिठा कर पानी पिलाया। पानी पी कर वह माथे और चेहरे का पसीना पोछने लगा।. क्या बात है बई रोज से लगता है तुम परेशान हो? नहीं बाबू जी ऐसी कोई खास बात नहीं है। उस ने कह तो दिया मगर वह अपनी पीड़ा छपा न सका।. देखो बुद्धराम नहीं बताना चाहते तो तुम्हारी मर्जी।. नहीं बाबू जी, ऐसी कोई बात नही है. लेकिन मुझ से तो नहीं पूछा? कितनी कमी रह गई? यही पांच हजार रूपये. बेटियाँ. नई पोस्ट. 11 माह पहले. द्व...
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साहित्य सभा कैथल: May 2011
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साहित्य सभा कैथल. गुरुवार, 19 मई 2011. तीसरा घर. शादी की सभी रस्में अदा करके शुचि अपने तीसरे घर में कदम रखने लगी तो उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े । वह पलभर को रूकी और फिर अश्रुकणों पर पैर रखकर दहलीज़ लांघ गई ।. प्रस्तुतकर्ता. साहित्य सभा कैथल. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. लेबल: कहानी. गुलशन मदान. तीसरा घर. साहित्य सभा कैथल. मंगलवार, 17 मई 2011. लघुकथाएं. ईनाम का हकदार. नमस्ते वर्मा जी. वर्मा के स्वर में व्यंग्य का पुट था।. कुछ खास नही बस वो. एक रांऊड लिया तो देखì...देखिए मि0 वर...जी सर, आप...
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साहित्य सभा कैथल: February 2011
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साहित्य सभा कैथल. बुधवार, 16 फ़रवरी 2011. कमाल पत्थर का. किसने देखा मलाल पत्थर का. किसने पूछा है हाल पत्थर का ।. नींव का दर्द कोई क्या जाने. सबने देखा जमाल पत्थर का ।. कोई हलचल नही हुई अबके. दिन थे पत्थर के साल पत्थर का ।. गर्मजोशी से कोई क्या मिलता. दिल में था हर ख़्याल पत्थर का ।. इक किला है पुरानी दिल्ली में. वो किला भी है लाल पत्थर का ।. ताज में भी तो संगमरमर है. है वहाँ भी कमाल पत्थर का ।. गुलशन मदान. प्रस्तुतकर्ता. साहित्य सभा कैथल. प्रतिक्रियाएँ:. 1 टिप्पणी:. लेबल: गज़ल. गुलशन मदान.
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साहित्य सभा कैथल: दीवाली के शुभावसर पर
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साहित्य सभा कैथल. शुक्रवार, 5 नवंबर 2010. दीवाली के शुभावसर पर. दीवाली के शुभावसर पर हमारी और से हार्दिक शुभकामनाएँ. इस अवसर पर कैथल के प्रसिद्ध हास्य कवि श्री तेजिन्द्र के क्षणिकाएँ. चोट्टी. पत्नी की. चोट्टी गूंथते-गूंथते. वे इस कला में. होशियार हो गए हैं. चोट्टी के. कलाकार हो गए हैं. दोस्ती. कुछ इस तरह. दोस्ती निभाता है. सिगरेट खुद पीता है. धुंआ मुझे पिलाता है. मेजबानी. मेजबानी महंगाई में. निभाई नहीं जाती. चाय पूछी जाती है. पिलाई नहीं जाती. तेजिन्द्र. प्रस्तुतकर्ता. लेबल: कविता. Please Visit My Blog.
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साहित्य सभा कैथल: तीसरा घर
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साहित्य सभा कैथल. गुरुवार, 19 मई 2011. तीसरा घर. शादी की सभी रस्में अदा करके शुचि अपने तीसरे घर में कदम रखने लगी तो उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े । वह पलभर को रूकी और फिर अश्रुकणों पर पैर रखकर दहलीज़ लांघ गई ।. प्रस्तुतकर्ता. साहित्य सभा कैथल. प्रतिक्रियाएँ:. लेबल: कहानी. गुलशन मदान. तीसरा घर. साहित्य सभा कैथल. कोई टिप्पणी नहीं:. एक टिप्पणी भेजें. नई पोस्ट. पुरानी पोस्ट. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom). मेरे बारे में. साहित्य सभा कैथल. कैथल, हरियाणा, India. तीसरा घर. लघुकथाएं.
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साहित्य सभा कैथल: November 2010
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साहित्य सभा कैथल. शुक्रवार, 5 नवंबर 2010. दीवाली के शुभावसर पर. दीवाली के शुभावसर पर हमारी और से हार्दिक शुभकामनाएँ. इस अवसर पर कैथल के प्रसिद्ध हास्य कवि श्री तेजिन्द्र के क्षणिकाएँ. चोट्टी. पत्नी की. चोट्टी गूंथते-गूंथते. वे इस कला में. होशियार हो गए हैं. चोट्टी के. कलाकार हो गए हैं. दोस्ती. कुछ इस तरह. दोस्ती निभाता है. सिगरेट खुद पीता है. धुंआ मुझे पिलाता है. मेजबानी. मेजबानी महंगाई में. निभाई नहीं जाती. चाय पूछी जाती है. पिलाई नहीं जाती. तेजिन्द्र. प्रस्तुतकर्ता. लेबल: कविता. नई पोस्ट. मात म&#...
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साहित्य सभा कैथल: May 2010
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साहित्य सभा कैथल. सोमवार, 24 मई 2010. ऐतबार की बातें. रंग, खुशबू, बहार की बातें. कीजिए कुछ तो प्यार की बातें ।. उम्र काटी है बेकरारी में. अब तो कीजे करार की बातें ।. आ भी जाओ कि हो चुकी है बहुत. आपके इन्तज़ार की बातें ।. झूठी बातों से दिल नहीं लगता. कुछ करो ऐतबार की बातें ।. बज़्म में देर तक हुई कल तो. हुस्न की और प्यार की बातें ।. ज़िक्रे-‘गुलशन’ हुआ तो होंगी ही. फूल के साथ ख़ार की बातें ।. गुलशन मदान. प्रस्तुतकर्ता. साहित्य सभा कैथल. प्रतिक्रियाएँ:. कोई टिप्पणी नहीं:. लेबल: इंतजार. सोचकर ही. आ लौट च...