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प्रसून: जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत (21) चलो-चलो यह देश बचायें ! (‘शंख-नाद’ से)
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नयासन्देश. डैशबोर्ड. जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत (21) चलो-चलो यह देश बचायें! 8216;शंख-नाद’ से). 160;Friday, 14 November 2014 – गीत. सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार). चुपके-खुल कर अमन जलाते खिलता महका चमन जलाते. अशान्ति की जलती ज्वाला से- सुखद शान्ति का भवन जलाते. हिंसा के दुर्दम प्रयास से-. गांधी का सन्देश बचायें! चलो-चलो यह देश बचायें! भेद-भाव की राजनीति से जाति-धर्म की कूटनीति से. अलगावों के प्रचारकों से-. समता के परिवेश बचायें! चलो-चलो यह देश बचायें! 160; . 2 टिप्पणियाँ. 160; . 160; . जून 2...
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साहित्य प्रसून: 10/29/14
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द्वारा संचालित. बुधवार, 29 अक्तूबर 2014. झरीं नीम की पत्तियाँ (दोहा-गीतों पर एक काव्य) (13) मानवीय पशुता! ज) कूकर-बिलाव. सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार). क्या खूब है. यह युग का बदलाव. हारे हैं इंसान. कूकर और बिलाव. में देखिये. खुले खुले मैदान. कामुक कामुक धूप. छुपे हुये हर हर अंग. दो अंगुल का चीर. भर भर अंजुलि. पीजिये. खुला रूप का नीर. हर आयु में झेलिये. यौवन का सैलाव. हारे हैं इंसान. कूकर और बिलाव. फैशन टी. कामुक हुये किशोर! काम की मैली गर्द. गँदला उम्र का. कच्ची कच्ची आयु. बनी है फूल.
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प्रसून: जून-2013 के बाद के गीत/गज़लें (ब) गीत (3) कलेजा मुहँ को आता है ! (‘ठहरो मेरी बात सुनो !’ से)
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नयासन्देश. डैशबोर्ड. जून-2013 के बाद के गीत/गज़लें (ब) गीत (3) कलेजा मुहँ को आता है! 8216;ठहरो मेरी बात सुनो! 8217; से). 160;Wednesday, 12 November 2014 – गीत. सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार). देख घिनौने काम कलेजा मुहँ को आता है! पाप किये अविराम. कलेजा मुहँ को आता है! दिल में उनके कपट-छुरी है! नीयत उनकी बहुत बुरी है! हाँ जी केवल छल से उनके,. सम्बन्धों की डोर जुडी है! बगल में दुष्कर्मों की गठरी-. पूजा सुबहोशाम, कलेजा मुहँ को आता है! पाप किये अविराम. पाप किये अविराम,. 160; . 160; . 160; . Http:/ blogsm...
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प्रसून: August 2014
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नयासन्देश. डैशबोर्ड. जून २०१३ के बाद की गज़लें (२) न कर. 160;Sunday, 31 August 2014 – गज़ल. सरे चित्र 'गूगल-खोज' से साभार). 8216;प्रेम-नगरिया’ में रहता है तू, नफ़रत की बात न कर! 8216;कपट-मैल’ से मैले, दिल के ये ‘उजले जज्वात न कर! हिम्मत कर तू सच कहने की, हमें खुदा ने ताक़त दी-. लड़ना है, दरवाज़े पर आ, पिछवाड़े से घात न कर! उल्लू नहीं, आदमी है तू, छोड़ ‘अँधेरा दौलत का’-. अच्छे भले उजाले वाले दिन को ‘काली रात’ न कर! 160; प्रस्तुतकर्ता देवदत्त प्रसून. 160; . 160; . 160; . हो जायें द...बेमौसम क&...पीछ...
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प्रसून: February 2013
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नयासन्देश. डैशबोर्ड. धूप का स्वाद! सूर्य ने हास बिखेरा! 160;Tuesday, 26 February 2013 – प्रतीक-रूपक गीत. सारे चित्र गूगल खोज से उद्धृत). बहुत दिनों के बाद ‘सूर्य’ ने हास बिखेरा धरती पर. बहुत दिनों के बाद ‘धूप’ ने किया बसेरा धरती पर. भीषण सर्दी फैलाने में जब मानों ‘हेमन्त’ थका. 8216;अपने अनुज’ को देखा असफल, ‘शिशिर’ सहन कर नहीं सका. 8216;शीतलता के दैत्य’ बटोरे, करने उस की मदद चला-. जन को दुःख देने, सबको जन उस ने घेरा धरती पर. कई रोज़ तक. 8216;शिशिर’ ने. 8216;कोहरे. का आतंक’. मचाया था. निर्भय ह...बहु...
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प्रसून: जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत(19) पूजा करने चले (‘ठहरो मेरी बात सुनो !’ से)
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नयासन्देश. डैशबोर्ड. जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत(19) पूजा करने चले (‘ठहरो मेरी बात सुनो! 8217; से). 160;Tuesday, 4 November 2014 – गीत. सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार). पूजा करने चले बना के, ऊँची बड़ी इमारत! बिना प्यार के हो न सकेगी, सच्ची कभी इबादत! बजा के घंटी, चढ़ा मिठाई, भजन-कीर्त्तन करते! और कई तो रगड़ के माथा, हैं धरती पर झुकते! बिना ध्यान के, चंचल मन से, पाठ किया करते हैं! बिना आस्था-श्रद्धा-निष्ठा, पढ़ते कथा-तिलाबत! 160; . 160; . 160; . Subscribe to: Post Comments (Atom). आज का समय. Http:/ blog...
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प्रसून: March 2013
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नयासन्देश. डैशबोर्ड. होली आई है! १) बजा के मधुरिम ढोल,होली आई है. 160;Tuesday, 26 March 2013 – गीत(होली-गीत). बजा के मधुरिम ढोल, होली आई है. कर के प्रेम-किलोल, होली आई है. 8216;प्रेम’ में ‘निठुर विषाद’ न डालो. 8216;शान्ति’ में. अवसाद न डालो. वतन में ‘प्रान्त-वाद’ न डालो. 8216;फ़सल’ में ‘विष की खाद’ न डालो. जीवन है अनमोल, होली आई है. लगा के उस का मोल,. होली आई है. बजा के मधुरिम ढोल, होली आई है १. लोलुपता ‘यौवन’ पर धन की. कपटी और कुचाली-सनकी. नकाब डाले भोलेपन की. 160; . 160; . 160; . आज का समय. पि...
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प्रसून: जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत(20) अच्छे काम अकेला कर ! (‘शंख-नाद’ से)
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नयासन्देश. डैशबोर्ड. जून 2014 के बाद की गज़लें/गीत(20) अच्छे काम अकेला कर! 8216;शंख-नाद’ से). 160;Saturday, 8 November 2014 – गीत. सारे चित्र' 'गूगल-खोज' से साभार). इस दुनिया में माना थोड़ा, सच का बहुमत कठिन बहुत. बढ़ा आत्मबल और भरोसा, अच्छे काम अकेला कर! सभी गुरुजनों से तूने यह जीवन जीना सीखा है. उनकी कृपा से जिन्दा रहने, का आ गया सलीका है! तुम पर जो उपकार किये हैं, उनको मत अनदेखा कर! बढ़ा आत्मबल और भरोसा, अच्छे काम अकेला कर! 160; . 2 टिप्पणियाँ. 160; . 160; . 160;– (8 November 2014 at 04:06). जून...
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प्रसून: March 2014
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नयासन्देश. डैशबोर्ड. चुनाव की शंख-ध्वनि! आगामी लोक सभा के चुनावों के संधर्भ में विशेष) (१)सोच–समझ कर देना ‘वोट’! 160;Friday, 28 March 2014 – गीत (पीयूषवर्षी गीत). मित्रों! आइये कुछ दिन चुनाव चर्चा हों जाये! कुछ रचानायें दूषित चुभती क्न्तीकी राजनीति पर रचनायें प्रस्तुत हैं! सारे चित्र 'गूगल-खोज'से साभार). १)सोच–समझ कर देना ‘वोट’. 8216;असली-नक़ली’, ‘सच्चे-झूठे’ छाँट-फटक कर देना ‘वोट’! ओ भारत की ‘भोली जनता’! सोच-समझ’ कर देना ‘वोट’! ओ भारत की ‘भोली जनता’! 8216;छलिया’ ‘धर्म-महन&...ऐसे ‘नेत&...8216;उलूक...
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प्रसून: January 2013
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नयासन्देश. डैशबोर्ड. विवेकोर्मि (स्वामी विवेकानन्द पर आधारित एक अपूर्ण महाकाव्य ). 160;Wednesday, 30 January 2013 – गीत(महिमागीत). विवेकानन्द-महिमा). चतुर्थ अन्विति). 8216;तसल्लियों के कोमल कर’ से, ’पीडाओं’ को सहलाने. हुये अनमने, आर्त्तजनों को, ढारस देकर बहलाने. 8216;गहन रहस्यों के सागर’ से ‘सुरस जीव्य रस’ भर लाने. 8216;उलझी उलझी हर गुत्थी’ को, ‘विवेचना’ से सुलझाने. 8216;नीरस मन जकी मरुस्थली’ में, आये बन ‘रस का निर्झर’-. 8216;कैसे बच कर निकलें’, सब को चिन&...8216;इंसानों’ क...8216;कामकेल...8216;अग&#...