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हमारी आवाजहमारी आवाज. मुखपृष्ठ. महाराणा प्रताप :- कवि अमृत 'वाणी'. एक दोहा रे मायने जाण्या, माण्या कविराज अमृत वाणी अणी रहस्य रो वर्णन यूं कर्यो -. 8216;‘लव बेटा जो राम रा, जांको सूरज वंश।. सब राणा मेवाड़ रा, सियाराम रा अंश।।. 8216;‘लिखती-लिखती थाकगी, ये कलमां कविराज।. तड़के पाछी चालसी, दनड़ो आंथ्यो आज।।. 8216;‘मरजी आवे जैय्या नाळै,. गलत गेला पे चाले।. मुसीबतां में पड्या पाछे,. आका घरका को जीव बाळै।।. जय हिन्द।. कवि अमृत 'वाणी'. कोई टिप्पणी नहीं:. Links to this post. इसे ईमेल करें. Labels: KAVI AMRIT WANI. नवीव...
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