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जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां: May 2011
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जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां. लावण्या (पार्ट-3). प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (7). लावण्या (पार्ट-3). इस संदेश के लिए लिंक. लावण्या (पार्ट-2). प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (6). लावण्या धीरे-धीरे अपने आज में वापस आने लगी। अब क्या वो खुश है. बेशक थी। फिर. फिर वो अचानक अजीब सी बेचैनी क्यों महसूस करने लगी थी. इस संदेश के लिए लिंक. लावण्या. प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (4). इस संदेश के लिए लिंक. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. सदस्यता लें संदेश (Atom). लावण्या (पार्ट-3). लावण्या. रात मे&#...जयपु...
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जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां: March 2010
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जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां. दो कंधे. प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (17). दो नाज़ुक मासूम कंधे. बोझ उठाये फिरते है. किसी की उम्मीदें. किसी के सपने. पूरा करते वो कंधे. वो झुकते है. वो थकते है. ज़िम्मेदारियों के बोझ तले दबे कंधे. बनते है किसी का सहारा. किसी का दिलासा वो कंधे. सूरज से तपते कभी. बारिश से भीगते कंधे. दर्द सहते. टूटते जुङते. दो नाज़ुक मासूम कंधे. इस संदेश के लिए लिंक. नई पोस्ट. पुराने पोस्ट. सदस्यता लें संदेश (Atom). कब क्या लिखा मैंने. दो कंधे. अभिव्यक्ति. दिल्ली, India. जयपुर म...
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कुछ कहना चाहता हूँ: ट्रेन और ज़िंदगी
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कुछ कहना चाहता हूँ. ट्रेन और ज़िंदगी. ट्रेन की खिड़की से एक-एक करके पीछे छूटते स्टेशनों को देखकर वो सोच रहा था कि ज़िंदगी और ट्रेन में कितना कुछ एक जैसा है। ज़ि. गाड़ी छूटने के वक़्त में अभी लगभग चार घण्टे का समय बाकी था।. यहां से कहां जायेंगे" - लड़की ने पूछा।. कहीं नहीं.थोड़ी देर यहीं टहलते हैं फिर स्टेशन चलेंगे" - उसने कहा।. हमें अब चलना चाहिए. उसने कहा।. प्रस्तुतकर्ता. अमृत पाल सिंह. लेबल: ज़िंदगी. July 16, 2011 at 3:15 PM. July 16, 2011 at 10:55 PM. शुभकामनाएं. July 17, 2011 at 10:03 PM. आजकल नई कह&...
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जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां: March 2013
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जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां. तू सिर्फ इंसान है. प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (7). पैदाइश के फौरन बाद. मैं खुद ब खुद हिस्सा हो गई. कुल आबादी के. आधे कहलाने वाले. एक संघर्षशील. कानों से गुज़रती. हर एक महीन से महीन आवाज़. ये अहसास दिलाती रही. तुझे कुछ सब्र रखना होगा. कुछ और सहना होगा. कुछ और लड़ना होगा. और दिल से आती. हर ख़ामोश सदा ने कहा,. तुझे नहीं बदलना. बिगड़ा नज़रिया किसी बेअक़्ल का. तुझे नहीं बनानी नई दुनिया. विशेष के लिए. और न ही. तुझे करना है साबित. किसी को कुछ भी. अपने लिए. राजकोट...जयपु...
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कुछ कहना चाहता हूँ: May 2010
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कुछ कहना चाहता हूँ. हमारे रिश्तो के बीच का " मैं ". रात के अंधेरे में घास के शीर्ष पर चमकती उस ओस की बूँद को समर्पित जिसने मुझे जीवन का आईना दिखाया.तुम्हारा शुक्रिया।). तेरे और मेरे बीच. इस " मैं " का आना मुझे अखरता है. बहुत अखरता है।. मैं ". ऐसा शब्द. जिसके आने से रिश्ते अपने नहीं लगते. एक अलगाव सा महसूस होता है।. इस " मैं " के दखल से. ऐसा महसूस होता है. जैसे कोई तीसरा आ जाता है हमारे दरमियाँ।. कभी तुम्हारा यह कहना कि. मैं यह नहीं चाहती हूँ ". हमारे बीच में. प्रस्तुतकर्ता. Subscribe to: Posts (Atom).
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कुछ कहना चाहता हूँ: November 2009
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कुछ कहना चाहता हूँ. एक सवाल. सिर्फ तुम्हारे लिए. ये तेरे शब्द ही हैं. जो मुझे तेरे पास खींच लाते हैं. तेरे ख़्याल मुझे. अपने से लगते हैं. महसूस करता हूँ कि. कोई मुझसा भी सोचता है. कोई है जो. मुझको भी समझता है. बावजूद इसके. मैं चाहता हूँ तुझसे. सुनना कुछ ख़ास. कुछ बातें. जो हो सिर्फ मेरे लिए. जानता हूँ कि तेरे लिए. मेरे वक़्त में. शब्दों के मायने बदल जाते हैं. जानता हूँ कि. मेरे सामने होने पर. शब्दों की जगह. भावनायें ले लेती हैं. और रह जाती है. सिर्फ ख़ामोशी. प्रस्तुतकर्ता. समझते हैं. दरअसल आज जब कु...
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जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां: January 2013
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जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां. अपने हिस्से का प्यार. प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (19). चांद तारों की म. हफिल लगने से. आसमान में सूरज लहराने तक. बादल के आखिरी टुकड़े से. बारिश की हर बूंद निचुड़ जाने तक. घर के बाहर लगे गुलाब के पौधे में. एक नया फूल उग के सूख जाने तक. सड़क पर लगे गाड़ियों के मजमें से. उसके ख़ामोश सुनसान हो जाते तक. चूड़ियों की सजी खनखनाहट से. ड्राउर के लकड़ी के केस में रखे जाने तक. करीने से बनी ज़ुल्फों के. कंधों पर बिखर जाने तक. मैंने कर लिया. नई पोस्ट. दिल्ली, India. जयपुर म...
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कुछ कहना चाहता हूँ: May 2011
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कुछ कहना चाहता हूँ. मैं, तुम और शून्य. प्रस्तुतकर्ता. अमृत पाल सिंह. इस संदेश के लिए लिंक. Subscribe to: Posts (Atom). अमृत पाल सिंह. View my complete profile. मुझे चाहने वाले. मेरी डायरी. मैं, तुम और शून्य. ज़रा इन्हें भी देखिये. मसिजीवी. बेउम्मीदी की उम्मीद में. देशनामा. मुलायम कुनबे की कलह में मौजूद है बॉलिवुड का पूरा मसाला.खुशदीप. शरद कोकास. देह नहीं मनुष्य की यह वसुंधरा है. 3 मर्डर 3 मंगलवार और “ स्टोन कीलर “. हमारे तुम्हारे बीच. जाते-जाते. Kyunki me jhooth nahi bolti.
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जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां: October 2011
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जुदा जुदा सा, अंदाज़-ए-बयां. झांसी का किला देखिए तस्वीरों में. प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (9). कुछ दिन पहले झांसी जाना हुआ. वहां झांसी की पहचान 'झांसी का किला ' देखा. ऊंचाई पर बसा ये किला वाकई बहुत खूबसूरत है. इस संदेश के लिए लिंक. लेबल: झांसी. झांसी का किला. रानी लक्ष्मीबाई का किला. नया रिश्ता. प्रस्तुतकर्ता शबनम खान. टिप्पणियाँ (18). सुबह-सुबह दरवाज़े पर. सूरज की पहली किरण. संग आज ले आई. एक नया महमान. एक ताज़ी हवा का झोंका,. मुझे देख. वो कुछ मुस्कुराया. एक रिश्ता नया,. रिश्ता. कब क्यì...
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