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मायड़ रो हेलो: October 2010
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Friday, October 8, 2010. रूठ्ग्या म्हारा रामजी. भगवान है. आ सुणी है. बात-ख्यात इतिहास में. पण म्हे सेन्दे देख्या है. भगवान ने म्हारे. बापजी रे रूप में. वाऱी छतर छाया. में पलयो, मोटो विहयो. मनचाही रळी पूरी! वारे राज में. आज वाऱी ओळयू में. नेण भर भर आवे. कुण देवे ओळमा? कुण देवे साची सीख? म्हारो रू रू है. वारो करजायत. विधना रो ओ किस्सों. म्हे अभागो. नी दे सक्यो. वाऱी अरथी रे खान्धो! जीवण भर जीवा-जूण. सू जूझता. परिवार री खेतरपाळ. ने आपरो धरम मान. बगता रेया. जीवण -जुध रे मारग. बीकानेर. आडी नी आई. संप...
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मायड़ रो हेलो: September 2010
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Sunday, September 26, 2010. धरम री बाड़ रूखाळ करै. धरम री बाड़ रूखाळ करै. माण-मरजादा री. काण-कायदा री. रीत- रिवाजां री. तीज- तिंवारा री. धरम री बाड़ रूखाळ करै. रिस्ता-नातां री. गांव-गवाड़ी री. खेत-खळां री. देस-दिसावर री. धरम री बाड़ रूखाळ करै. राज-समाज री. लाज-सरम री. बिणज-बौपार री. धरम री बाड़ रूखाळ करै. भूल्या-भटक्यां री. पापी-दुस्मियां री. जीव-जिनावरां री. भूखा-तिरसा री. धरम री बाड़ रूखाळ करै. भाईचारै-मिनखाचारै री. बोल-बतळावण री. नाप-तोल री. धरम री बाड़ रूखाळ करै. भूंड-भलाई री. गुण-औगण री. लाजै म&...गढपतì...
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कागज़ काले: January 2010
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म्हारा ब्लॉग. सत्यनारायण सोनी री राजस्थानी कहाण्या. 2404; जनवाणी परलीका. 2404; राजस्थानी खबरां रो सांतरो संगम. 2404; मायड़ रो हेलो. 2404; मनवार. इकराम राजस्थानी. आपणी भाषा-आपणी बात. Sunday, January 31, 2010. बेटी जब पंख फैलाती है. 2405; बेटी जब पंख फैलाती है॥. जवान होता बेटा. जब उडारी भरने लगता है. दूर-दूर तक. तो मां-बाप के फख्र का. पार नहीं रहता।. और बेटी. जब पंख फैलाती है. तो मां-बाप के फिक्र का. पार नहीं रहता।. 2405; त्रिभुज के बीच॥. विधायक की ड्योढ़ी के. ठीक सामने. यह भी तो. छत पर खड़ी. शिक...
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मायड़ रो हेलो: February 2010
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Monday, February 22, 2010. जगत मायड़ भासा दिवस. जगत मायड़ भासा दिवस. जद इण झार-झार आंसूड़ा राळती मायड़ भासा मरू-वाणी री दाद-पुकार कुण सुणै।. सारस्वत,. बीकानेर. मायड़ रो हेलो. Subscribe to: Posts (Atom). जगत मायड़ भासा दिवस. मायड़ रो हेलो. Bikaner, राजस्थान, India. View my complete profile. वेब सलाहकार. अजय कुमार सोनी, परलीका, कानाबती- 92695-67088. बादळी — चंद्रसिंह. Blogger: Login to read. परलीका के फोटो- photo gallery. जनवाणी परलीका. अंधविश्वास के खिलाफ एक मुह&...राजस्थानी. सहज और गंभीर सृज...
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मायड़ रो हेलो: आखड़ी उदाळ खेमली!
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Friday, October 8, 2010. आखड़ी उदाळ खेमली! भाषा छोडी, बेस छोड्या. रीत-रिवाज जात-समाज रा. . नूवा बेस धारया. नूवे जमाने री चाल रा. मदमाती चाल धारी. जोबनियो गरमाती चाली. चूनगरा री हेली सामी. झाला सू बुलाती छेली. भर जोबन मे आंटी. आखड़ी उदाळ खेमली. लाज-सरम खूंटी टाँगी. जोबनियो लूंटाती चाली. चूनगरा रे छोरे साथे. भाजगी उदाळ खेमली. माइत्डा रोवे माही-माही. कर-कर ख्यात जूने. जमाने री! काई इस्सी हवा. एक चूनगर एक बाम्णी. ने टोळी मे सू टाळली. जीव्त्डा हाँ,. मरये सरीखा. इस्सी उदाळ घर मे आई. आडी नी आई. अब से द...
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कागज़ काले: बेटी जब पंख फैलाती है
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म्हारा ब्लॉग. सत्यनारायण सोनी री राजस्थानी कहाण्या. 2404; जनवाणी परलीका. 2404; राजस्थानी खबरां रो सांतरो संगम. 2404; मायड़ रो हेलो. 2404; मनवार. इकराम राजस्थानी. आपणी भाषा-आपणी बात. Sunday, January 31, 2010. बेटी जब पंख फैलाती है. 2405; बेटी जब पंख फैलाती है॥. जवान होता बेटा. जब उडारी भरने लगता है. दूर-दूर तक. तो मां-बाप के फख्र का. पार नहीं रहता।. और बेटी. जब पंख फैलाती है. तो मां-बाप के फिक्र का. पार नहीं रहता।. 2405; त्रिभुज के बीच॥. विधायक की ड्योढ़ी के. ठीक सामने. यह भी तो. छत पर खड़ी. Jhakjhorti hu...
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Eakata Prkashan: परिचय
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प्रविष्ठियां. साहित्य. द्वारा प्रकाशित पुस्तकों की एक झलक 'प्रकाशित साहित्य' शीर्षक पर क्लिक कर देखी जा सकती है।. प्रकाशन का डाक का पता है- एकता प्रकाशन, गाँधी नगर, पोस्ट- चूरू -३३१००१ राजस्थान (भारत). अतिथि देवो भव:. Free website url submission. सूची पत्र. मिणियां मोती. बात न बीती. म्हारी धरती. कन्हैयालाल सेठिया. प्रभा खेतान. राजस्थानी साहित्यकार सूची. जंगळ दरबार. क्रिकेट रो कोड. दुर्गेश. चांदी की चमक. हिन्दी साहित्यकार सूची. शंकरदान सामौर. प्रकाशित साहित्य. दुलाराम सहारण्. Churu, Rajasthan, India.
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Eakata Prkashan: बात न बीती
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प्रविष्ठियां. बात न बीती. करज- डॉ. मंगत बादल. रचनाकार परिचय :. अठै छपी थकी कहाणी 'करज` नै प्रयास राजस्थानी कहाणी सनमान-२००७ (प्रयास संस्थान, चूरू) दिरीज्यो है।. ठिकाणो : शास्त्री कॉलोनी, रायसिंहनगर-३३५ ०५१ श्रीगंगानगर. कानाबाती ०१५०७-२२०७१७/ ९४१४९ ८९७०७. कै रै चकवा बात! कटै ज्यूं रात! आ` काळी घणी अंधारी रात कियां ई तो कटै! गैली है तूं चकवी! इब कठै है बै बातां अर कठै है बै बात कैवणियां! कठै गया इब बै? अर थे इतरा निसांसूं क्यूं हो? चकवी ओजूं सवाल कर्यो।. गया कठै! है तो अठै ई! रगत पड़ै! आदमी मरै! आ` को...
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कागज़ काले: February 2010
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म्हारा ब्लॉग. सत्यनारायण सोनी री राजस्थानी कहाण्या. 2404; जनवाणी परलीका. 2404; राजस्थानी खबरां रो सांतरो संगम. 2404; मायड़ रो हेलो. 2404; मनवार. इकराम राजस्थानी. आपणी भाषा-आपणी बात. Monday, February 22, 2010. उस पार की जमीन. 2405; उस पार की जमीन॥. बच्चे के पास. नहीं है कोई जेट विमान. कोई रॉकेट. या हवाई सर्वेक्षण करता. कोई हैलिकौप्टर।. उसके पास है. प्यार की डोरी में बंधी. उड़ते-उड़ते पहुंच गई जो. सरहद पार के आसमान में. बांट रही. एक अदद मुस्कान।. कोई शक की नजरों. सरहद पार।. कोई मिसाइल. 2 ज्ञान ...3 रा...