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नारायण सिंह निर्दोष की कवितायेँ. Sunday, January 30, 2011. प्रेम पर शास्त्रार्थ्य. धर्माचार्य,. सत्ताखोर, चोर, कसाई. दूकानदार आदि सब. चुनौतिपूर्वक देते हैं. क़ि मै उनसे प्रेम पर करूं शास्त्रार्थ. मै तिलमिला गया हूँ. क्रोध से. पतला हो गया है मेरा वीर्य. मै लगा हूँ हांपने. कांपने लगी हैं मेरी इन्द्रियायें. जेसे क़ि. मैं बिना शास्त्रर्त्य किये ही. हो गया हूँ चित. प्रेम पर नये विवादों-व्याख्यानों - नारों. आदि सबसे हो गयी है मुझे चिड. भिड मैं जाना चाहता हूँ. रुई के pahadaun से. Links to this post. दूसर&...

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नारायण सिंह निर्दोष की कवितायेँ. Sunday, January 30, 2011. प्रेम पर शास्त्रार्थ्य. धर्माचार्य,. सत्ताखोर, चोर, कसाई. दूकानदार आदि सब. चुनौतिपूर्वक देते हैं. क़ि मै उनसे प्रेम पर करूं शास्त्रार्थ. मै तिलमिला गया हूँ. क्रोध से. पतला हो गया है मेरा वीर्य. मै लगा हूँ हांपने. कांपने लगी हैं मेरी इन्द्रियायें. जेसे क़ि. मैं बिना शास्त्रर्त्य किये ही. हो गया हूँ चित. प्रेम पर नये विवादों-व्याख्यानों - नारों. आदि सबसे हो गयी है मुझे चिड. भिड मैं जाना चाहता हूँ. रुई के pahadaun से. Links to this post. दूसर&...
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नारायण सिंह निर्दोष की कवितायेँ. Sunday, January 30, 2011. प्रेम पर शास्त्रार्थ्य. धर्माचार्य,. सत्ताखोर, चोर, कसाई. दूकानदार आदि सब. चुनौतिपूर्वक देते हैं. क़ि मै उनसे प्रेम पर करूं शास्त्रार्थ. मै तिलमिला गया हूँ. क्रोध से. पतला हो गया है मेरा वीर्य. मै लगा हूँ हांपने. कांपने लगी हैं मेरी इन्द्रियायें. जेसे क़ि. मैं बिना शास्त्रर्त्य किये ही. हो गया हूँ चित. प्रेम पर नये विवादों-व्याख्यानों - नारों. आदि सबसे हो गयी है मुझे चिड. भिड मैं जाना चाहता हूँ. रुई के pahadaun से. Links to this post. दूसर&...

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नारायण सिंह निर्दोष की कवितायेँ. Sunday, January 30, 2011. प्रेम पर शास्त्रार्थ्य. धर्माचार्य,. सत्ताखोर, चोर, कसाई. दूकानदार आदि सब. चुनौतिपूर्वक देते हैं. क़ि मै उनसे प्रेम पर करूं शास्त्रार्थ. मै तिलमिला गया हूँ. क्रोध से. पतला हो गया है मेरा वीर्य. मै लगा हूँ हांपने. कांपने लगी हैं मेरी इन्द्रियायें. जेसे क़ि. मैं बिना शास्त्रर्त्य किये ही. हो गया हूँ चित. प्रेम पर नये विवादों-व्याख्यानों - नारों. आदि सबसे हो गयी है मुझे चिड. भिड मैं जाना चाहता हूँ. रुई के pahadaun से. DELHI, DELHI, India.

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काव्य-कलश

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नारायण सिंह निर्दोष की कवितायेँ. Sunday, January 30, 2011. निहारती है आईने में. एक चिड़ी. आईने में खूब चौंच मरती है. वह करती है पुरजोर. आक्रमण , अपने ही बिम्ब पर. फलस्वरूप / लहूलुहान हो गयी है. उसकी इस अकलमंदी पर. हँसता है - - - - आइना. वह कब तक करती रहेगी. खुदको - - - - यूँ फ़ना? नारायण सिंह निर्दोष. Subscribe to: Post Comments (Atom). नारायण सिंह निर्दोष. DELHI, DELHI, India. View my complete profile. There was an error in this gadget. There was an error in this gadget.

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काव्य-कलश: चेहरा

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नारायण सिंह निर्दोष की कवितायेँ. Sunday, January 30, 2011. एक नकली चेहरा लगा है. तुम्हारे. कठोर एवं खुरदरे चेहरे पर. मासूमियत है- आकर्षण भी. और चढ़ा है. आदमियत का लेप. जिसे धोना -पोंछना. कितना मुश्किल है! इतना नुकीला है / तुम्हारा चेहरा. क़ि वह,. आसानी से समां सकता है. मेरे भावुक चहरे में. तुम जब चाहो. तब अलग कर लोगे अपना चेहरा. मेरे चेहरे से. फलस्वरूप,. बेदौल - लहूलुहान हो जायेगा. मेरे चेहरा. कोई फर्क नहीं पड़ता. तुम्हें. क्यूंकि ,. तुम्हारा असली चेहरा. Subscribe to: Post Comments (Atom).

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नारायण सिंह निर्दोष की कवितायेँ. Monday, August 2, 2010. मैं बेशरम का पेड़ हूँ. खूब पहिचाना मुझे. बेशरम का पेड़ हूँ. जी हाँ. मैं बेशरम का पेड़ हूँ. तुम चले गए मुझे. नाज़ुक हालत में छोड़ कर. मैं आड़ा तिरछा पड़ा रहा. बंज़र ज़मीन पर. गाड़ा अँधेरा ओढ़ कर. मरहम की ज़रुरत नहीं. मरहम का ढ़ेर हूँ. खूब पहिचाना मुझे. बेशरम का पेड़ हूँ. रोज़ कली खिले. भ्रमर पराग चूसे. मुझे क्या? इसे लोग. मेरी भूल तो कहेंगे. मेरे दुखते छितरते जख्मों को. कम से कम. बेशरम का फूल तो कहेंगे. हमदम की ज़रुरत नहीं. खुद ही. पढ़कर मज़&#236...

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नारायण सिंह निर्दोष की कवितायेँ. Sunday, January 30, 2011. उसके इर्द-गिर्द. खड़े थे. कुछ चुनिन्दा गुलाम. बे-वज़ह हंसी का. जो ओओ - - -र दार ठहाका लगाया. किसी की,. कुछ समझ नहीं आया ). लेकिन,. सब थे उसकी ख़ुशी में शामिल). एक हंसा. बत्तीसी खोल कर. दूसरा दिखा सका. सिर्फ दाँत भर. तीसरा मुस्करायाभर. वे कौन थे? वे क्रमशः पहले, दूसरे, तीसरे दर्जे के गुलाम थे. एक व्यक्ति. जो गुलाम नहीं था. गंभीर / चुप. असहाय - - - यह सब देखता रहा. वह कौन था? मेरा देश था. नारायण सिंह निर्दोष. Subscribe to: Post Comments (Atom).

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अविराम: 03/04/15

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समग्र साहित्य का मासिक संकलन (इस ब्लॉग पर प्रकाशित सामग्री मुद्रित प्रारूप में प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका "अविराम साहित्यिकी" से अलग है।). आपका परिचय. बुधवार, 4 मार्च 2015. ब्लॉग का मुखप्रष्ठ. अविराम ब्लॉग संकलन :. वर्ष : 4, अंक. जनवरी-फ़रवरी 2015. प्रधान संपादिका :. मध्यमा गुप्ता. संपादक :. डॉ. उमेश महादोषी. मोबाइल: 09458929004). संपादन परामर्श :. डॉ. सुरेश सपन. ई मेल :. लेवल/खंड में दी गयी है।. छाया चित्र : श्रद्धा पाण्डेय. 2404;।सामग्री।।. सम्पादकीय पृष्ठ. सम्पादकीय पृष्ठ. कविता अनवरत. महेश प&#23...

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बोतल खाली नहीं है: दो कविताएँ

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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Monday, March 18, 2013. दो कविताएँ. झूठी कविता. परिस्थितियाँ. माँ से बड़ी हो गयीं हैं. और सुबह-शाम. दोनों समय की मिलाकर. उनकी कुल दो रोटियाँ भी. हम पर भारी पड़ गयीं हैं. ठीक ही है शायद. माँ की परवरिश में. कोई कमी रही होगी. छाया चित्र : उमेश महादोषी. जो हमें वो शक्ति नहीं दे पायी. कि हम ‘परिस्थितियों’ से लड़ पाते. और पूरे चौबीस घंटों के दिवस में. दो समय पर. उसे दो रोटियाँ दे पाते. सिवाय इसके कि किसी अज्ञात से. पता नहीं. समझ नहीं आता है. आँखों स...आँस&#2369...

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बोतल खाली नहीं है: June 2011

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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Thursday, June 30, 2011. एक व्यक्ति का होना. महत्वपूर्ण. व्यक्ति. दोनों. महत्वपूर्ण. कुर्सी. व्यक्ति. पॉलीथीन. व्यक्ति. दिनों. महत्वपूर्ण. जायेगा. व्यक्ति. उद्देश्य. पहुँचता. उद्देश्य. व्यक्तियों. क्यों. व्यक्ति. उद्देश्य. व्यक्ति. उमेश महादोषी. Labels: २००९ के बाद की कवितायें. Subscribe to: Posts (Atom). १९९२ तक की कवितायेँ. २००९ के बाद की कवितायें. २००९ के बाद की कवितायेँ ( हाइकु). एक व्यक्ति का होना. उमेश महादोषी. View my complete profile.

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बोतल खाली नहीं है: September 2010

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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Sunday, September 26, 2010. कुछ हाइकु. टालना छोड़ो. होने दो एक बार. होना है जो भी! अलविदा, हे! शब्दों का यह गुच्छा. तुम्हारे लिए. फिर मिलेंगे. जो नहीं निभ सका. निभाने उसे. मैं देखूं बस. मछली की सूरत. इस झील में. उमेश महादोषी. Labels: २००९ के बाद की कवितायेँ ( हाइकु). Subscribe to: Posts (Atom). १९९२ तक की कवितायेँ. २००९ के बाद की कवितायें. २००९ के बाद की कवितायेँ ( हाइकु). 2009 के बाद की कवितायें(हाइकु). कुछ हाइकु. उमेश महादोषी. View my complete profile.

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बोतल खाली नहीं है: September 2013

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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Wednesday, September 11, 2013. एक कविता. छाया चित्र : उमेश महादोषी. ओढ़ी हुई चादर. स्वप्न में. मैं उत्तराखण्ड के. सी एम की कुर्सी पर था. और नींद के साथ. मेरा चैन भी गायब था. कानों में. मृत्यु से भी भयंकर तबाही झेलते. लोगों का कृन्दन. और आँखों में. किसी बूढ़े-सठियाए हाईकमान का चेहरा. पसीने से तर-बतर किए था. राम जाने! मैं कितना बेवश था. अचानक मेरी नींद टूटी. मैंने ओढ़ी हुई चादर को. उतारकर फेंक दिया. अपनी आँखें बन्द कीं. और कानों को. Subscribe to: Posts (Atom).

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बोतल खाली नहीं है: December 2012

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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Monday, December 31, 2012. एक और कविता. मित्रो! आज जो कविता आपके समक्ष रख रहा हूँ, पता नहीं वह क्या प्रभाव छोड़ेगी। पर आज जिन हालातों के बीच हम खड़े हैं, वहां ऐसी कल्पना को हवा में नहीं उड़ाया. जा सकता। हमें संभावनाओं के हर कोने की पड़ताल करनी ही होगी! ऐसे हथियार तैयार करो. आओ वैज्ञानिक! मुझ कवि के साथ मिलकर. काम करो. मैं दूंगा तुम्हें कुछ विचार/कुछ कल्पनाएं. तुम हथियार तैयार करो. बारूद और मारक रसायनों में. पहचान सकें. सही को, गलत को. Friday, December 7, 2012.

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बोतल खाली नहीं है: July 2010

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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Thursday, July 22, 2010. विध्वंस तुम्हारे वश में नहीं है. तुम्हारे. थोड़े. दिलोदिमांग. थोड़े. निर्दोष. जानों. क्रूरता. बोरों. मौतों. तिजौरी. शिक्षा. तुम्हारी. प्रक्रिया. स्थिति. व्यापारिक. तुम्हें. क्यों. क्रूरता. पहुंचते. ब्रह्मा. अनुयायी. तुम्हारे. गहराइयों. ध्यानस्थ. उन्होंने. तुम्हारे. विद्यमान. तुम्हारी. प्रकिया. तुम्हें. तुम्हारे. कर्मों. अपेक्षित. व्यापारिक. विश्राम. ब्रह्मा. तुम्हारे. क्योंकि. दैत्यों. दोनों. चिन्हों. साक्षी. वास्तविक. फिर भी. सूख...

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बोतल खाली नहीं है: कुछ हाइकु

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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Tuesday, December 31, 2013. कुछ हाइकु. समिधा बने. वक्ष पे खड़े वृक्ष. यज्ञ में जले. उड़ता धुआं. पहन लेगा टोपी. किसे था पता! फुनगी पर. हाथी चढ़ बैठा है. क्या होगा अब! अलाव जला. लपटें उठी खूब. वर्फ में सनी. पेड़ पे चढ़ा. तरेरता बिलाव. आँख पे आँख! लौ धधकती. ओस के ईंधन से. दूब जलती. सूखी थी क्यारी. टोंटी खोल नल की. भूल गये वे! चिटकी कली. गेहूँ की बाली पर. बिजली गिरी. नीम की छांव. आम और बबूल. दोनों के गांव! घूमता शीत. कांपती धूप! रोई है रात-भर. आज की भोर!

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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Wednesday, September 11, 2013. एक कविता. छाया चित्र : उमेश महादोषी. ओढ़ी हुई चादर. स्वप्न में. मैं उत्तराखण्ड के. सी एम की कुर्सी पर था. और नींद के साथ. मेरा चैन भी गायब था. कानों में. मृत्यु से भी भयंकर तबाही झेलते. लोगों का कृन्दन. और आँखों में. किसी बूढ़े-सठियाए हाईकमान का चेहरा. पसीने से तर-बतर किए था. राम जाने! मैं कितना बेवश था. अचानक मेरी नींद टूटी. मैंने ओढ़ी हुई चादर को. उतारकर फेंक दिया. अपनी आँखें बन्द कीं. और कानों को. एक कविता.

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बोतल खाली नहीं है. उमेश महादोषी की कविताएं. Monday, August 15, 2011. कुछ हाइकु. हो न हो आज. कागज की नाव भी. होगी ही पार! कौन से दिन. रौशनी दिखायेगी. चाँदनी बन! आंगन मेरे. दाना-दाना ढूँढ़ती. गौरैया डोले. माप ले सारे. श्याम को थे भेजे जो. तन्दुल न्यारे. दाल गली ना. मल्टी के पाउच में. खारा पानी था! उमेश महादोषी. Labels: 2009 के बाद की कवितायें(हाइकु). Wednesday, August 3, 2011. हाँ यहीं. इस कस्बे की इन्ही गलियों में. मेरा भरा-भरा बचपन बीता है. कहां गया वो,. मुझे याद आता है-. उसके नंगे बदन पर. शरीर पर म...

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കാവ്യ കൈരളി. 2011, ആഗസ്റ്റ് 13, ശനിയാഴ്‌ച. രാഖി വര്‍ഗ്ഗീയ വല്ക്കരിക്കപ്പെടുമ്പോള്‍. രാഖി ഒരു ആശയ വിനിമയമാണ്‌.ഭാഷയുടെ മറ്റൊരു രൂപം.കൈകൊട്ടലും ,. ചൂളമടിയും കണ്‍ മുന യേറ് മൊന്നും. അടയാള ങ്ങളിലൂടെ ആശയ വിനിമയം നടത്തുക എന്ന രീതി. ചുവന്ന കൊടി കാണുമ്പോള്‍ അപകടമാണെന്നും നാം. മനസ്സിലാക്കുന്നത്. മുകളില്‍ സൂചിപ്പിച്ച ഈ രണ്ടു. അവസരങ്ങളും. യുദ്ധവുമായി ബന്ധപ്പെട്ടതാണ്. പ്പെടുന്നത്. കുത്താന്‍ ഓങ്ങി യവനോട്. അണിഞ്ഞവന്‍. മരണാ നന്തരം. ഓര്‍മ്മിപ്പിക്ക. പെടെണ്ടത്. ഭാ രാതാംബയുടെ. Links to this post. മുറിവേറ&#...സൈറണ&#339...

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काव्य किरण | जीवनाचे स्मरण… भावनांचे वर्णन… मूर्खाचे विचार… माझ्या आयुष्याचे सार…

Get me outta here! ज वन च स मरण… भ वन च वर णन… म र ख च व च र… म झ य आय ष य च स र…. August 23, 2015. ओठ वर आल म द व र. बहरल मनस स र व सर न य. आन द व ह मन मन. July 12, 2014. ब ग त द सत त भरप र ग गलग य ,. पण मन त प रश न पड ,. त च य न व त ग य क बर? बघ र त च स दर य…. पण त य कवच च क य उपय ग…. य त ज व ह त य च य वर प य पडण य च य ग. द सत मल ग गलग य …. हज र ग गलग य प ह …. फ रच स दर. July 12, 2014. फ रच स दर…. फ रच स दर…. तल व च कमळ,. फ रच स दर…. फ रच स दर…. July 11, 2014. ड गर वर न पळण र त झर ,. कष ट च कर म. Ra ïk...

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