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                                        फ़ैज़ अहमद फ़ैज़: February 2011
                                        http://faizahmadfaiz.blogspot.com/2011_02_01_archive.html
                                        फ़ैज़ अहमद फ़ैज़. Sunday 13 February 2011. तुम न आये थे तो. तुम न आये थे तो हर चीज़ वही थी कि जो है. आसमां हद-ए-नज़र, राह-गुज़र राह-गुज़र, शीशा-ए-मय शीशा-ए-मय. और अब शीशा-ए-मय, राह-गुज़र, रंग-ए-फ़लक. रंग है दिल का मेरे ख़ून-ए-जिगर होने तक. चम्पई रंग कभी, राहत-ए-दीदार का रंग. सुरमई रंग के है साअत-ए-बेज़ार का रंग. ज़र्द पत्तों का, ख़स-ओ-ख़ार का रंग. सुर्ख़ फूलों का, दहकते हुए गुलज़ार का रंग. ज़हर का रंग, लहू-रंग, शब-ए-तार का रंग. आसमां, राह-गुज़र, शीशा-ए-मय. एक जगह पर ठहरे. Subscribe to: Posts (Atom). 
                                     
                                    
                                        
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                                        फ़ैज़ अहमद फ़ैज़: आज के नाम
                                        http://faizahmadfaiz.blogspot.com/2011/01/blog-post.html
                                        फ़ैज़ अहमद फ़ैज़. Monday 24 January 2011. आज के नाम. आज के नाम. आज के ग़म के नाम. आज का ग़म कि है ज़िन्दगी के भरे गुलसिताँ से ख़फ़ा. ज़र्द पत्तों का बन. ज़र्द पत्तों का बन जो मेरा देस है. दर्द का अंजुमन जो मेरा देस है. किलर्कों की अफ़सुर्दा जानों के नाम. किर्मख़ुर्दा दिलों और ज़बानों के नाम. पोस्ट-मैंनों के नाम. टांगेवालों के नाम. रेलबानों के नाम. कारख़ानों के भोले जियालों के नाम. जिस के ढोरों को ज़ालिम हँका ले गए. जिस की बेटी को डाकू उठा ले गए. धज्जियाँ हो गई हैं. जिनके बदन. वहाँ अपने ...बँट रह...
                                     
                                    
                                        
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                                        फ़ैज़ अहमद फ़ैज़: FWD: Found interesting opportunity!!
                                        http://faizahmadfaiz.blogspot.com/2011/11/fwd-found-interesting-opportunity.html
                                        फ़ैज़ अहमद फ़ैज़. Sunday 27 November 2011. FWD: Found interesting opportunity! Despite the circumstances I stayed positive this couldnt have come at a better time these days nobody tells me what to do keep this between us. देवाशीष प्रसून. Subscribe to: Post Comments (Atom). इनको भी पढ़िये. सुनिए: आज के नाम. फ़ैज़ अहमद फ़ैज़. फ़ैज़ अहमद फ़ैज़. फ़ैज़ अहमद फ़ैज़. फ़ैज़ अहमद फ़ैज़. FWD: Found interesting opportunity! देवाशीष प्रसून. परिचय छोटा-सा है कि अहा! View my complete profile. 
                                     
                                    
                                        
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                                        फ़ैज़ अहमद फ़ैज़: बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे
                                        http://faizahmadfaiz.blogspot.com/2011/01/blog-post_26.html
                                        फ़ैज़ अहमद फ़ैज़. Wednesday 26 January 2011. बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे. बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे. बोल ज़बाँ अब तक तेरी है. तेरा सुतवाँ जिस्म है तेरा. बोल कि जाँ अब तक् तेरी है. देख के आहंगर की दुकाँ में. तुंद हैं शोले सुर्ख़ है आहन. खुलने लगे क़ुफ़्फ़लों के दहाने. फैला हर एक ज़न्जीर का दामन. बोल ये थोड़ा वक़्त बहोत है. जिस्म-ओ-ज़बाँ की मौत से पहले. बोल कि सच ज़िंदा है अब तक. बोल जो कुछ कहने है कह ले. देवाशीष प्रसून. Subscribe to: Post Comments (Atom). इनको भी पढ़िये. सुनिए: आज के नाम. आज के नाम. 
                                     
                                    
                                        
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                                        फ़ैज़ अहमद फ़ैज़: November 2011
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                                        फ़ैज़ अहमद फ़ैज़. Sunday 27 November 2011. FWD: Found interesting opportunity! Despite the circumstances I stayed positive this couldnt have come at a better time these days nobody tells me what to do keep this between us. देवाशीष प्रसून. Subscribe to: Posts (Atom). इनको भी पढ़िये. सुनिए: आज के नाम. फ़ैज़ अहमद फ़ैज़. फ़ैज़ अहमद फ़ैज़. फ़ैज़ अहमद फ़ैज़. फ़ैज़ अहमद फ़ैज़. FWD: Found interesting opportunity! देवाशीष प्रसून. परिचय छोटा-सा है कि अहा! View my complete profile. 
                                     
                                    
                                        
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                                        फ़ैज़ अहमद फ़ैज़: January 2011
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                                        फ़ैज़ अहमद फ़ैज़. Wednesday 26 January 2011. बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे. बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे. बोल ज़बाँ अब तक तेरी है. तेरा सुतवाँ जिस्म है तेरा. बोल कि जाँ अब तक् तेरी है. देख के आहंगर की दुकाँ में. तुंद हैं शोले सुर्ख़ है आहन. खुलने लगे क़ुफ़्फ़लों के दहाने. फैला हर एक ज़न्जीर का दामन. बोल ये थोड़ा वक़्त बहोत है. जिस्म-ओ-ज़बाँ की मौत से पहले. बोल कि सच ज़िंदा है अब तक. बोल जो कुछ कहने है कह ले. देवाशीष प्रसून. Monday 24 January 2011. आज के नाम. आज के नाम. आज के ग़म के नाम. जिनके बदन. बेमो...
                                     
                                    
                                        
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                                        फ़ैज़ अहमद फ़ैज़: May 2008
                                        http://faizahmadfaiz.blogspot.com/2008_05_01_archive.html
                                        फ़ैज़ अहमद फ़ैज़. Thursday 29 May 2008. हम देखेंगे. हम देखेंगे. लाज़िम है. देखेंगे. वोः दिन. जो लौह -. लिक्खा. जब ज़ुल्म -. रूई की. जायेंगे. हम महकूमों. पाँवों -. और अह्ल -. जब बिजली. जायेंगे. अह्ल -. सफ़ा ,. मर्दूद -. बिठाये. जायेंगे. जायेंगे. गिराये. जायेंगे. जो ग़ायब. जो मंज़र. है ,. उट्ठेगा '. जो मैं. जो मैं. देवाशीष प्रसून. Labels: मेरे दिल मेरे मुसाफ़िर व अन्य. Wednesday 28 May 2008. चलो फिर से मुस्कुराएँ. मुस्कुराएँ. चलो फिर. जो गुज़र. रातें. उन्हें फिर. जो बिसर. बातें. बुलाएँ. चलो फिर. की ,. 
                                     
                                    
                                        
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                                        फ़ैज़ अहमद फ़ैज़: मुझ से पहली सी मुहब्बत मेरी महबूब नः माँग
                                        http://faizahmadfaiz.blogspot.com/2007/07/blog-post_06.html
                                        फ़ैज़ अहमद फ़ैज़. Friday 6 July 2007. मुझ से पहली सी मुहब्बत मेरी महबूब नः माँग. मुझ से पहली सी मुहब्बत मेरी महबूब नः माँग. मैंने समझा था केः तू है तो दरख़्शाँ है हयात. तेरा ग़म है तो ग़म-ए-दह्र का झगडा क्या है? तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात. तेरी आँखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है? तू जो मिल जाए तो तक़दीर निगूँ हो जाए. यूँ नः था मैं न फ़क़त चाहा था यूँ हो जाए. और भी दुख हैं ज़माने में मुहब्बत के सिवा. देवाशीष प्रसून. Labels: नक़्श-ए-फ़रियादी. Amit K. Sagar. 28 May 2008 at 8:18 PM. 
                                     
                                    
                                        
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                                        फ़ैज़ अहमद फ़ैज़. Monday 2 July 2007. आज की रात. आज की रात साज़-ए-दर्द नः छेड़. दुख से भरपूर दिन तमाम हुए. और कल की ख़बर किसे मालूम. दोश-ओ-फ़र्दा की मिट चुकी हैं हुदूद. हो नः हो अब स़हर किसे मालूम. ज़िंदगी हेच! लेकिन आज की रात. ए़ज़दीयत है मुमकिन आज की रात. आज की रात साज़-ए-दर्द नः छेड़. अब न दौहरा फ़साना-हाए-अलम. अपनी क़िस्मत पे सोगवार नःहो. फ़िक्र-ए-फ़र्दा उतार दे दिल से. उम्र-ए-रफ़्ता पे अश्कबार नःहो. अहद-ए-ग़म की हिकायतें मत पूछ. देवाशीष प्रसून. Subscribe to: Post Comments (Atom).