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मैंने पढ़ी है: गुरु को नमन
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मैंने पढ़ी है. वन्देमातरम जय हिन्द. शुक्रवार, 15 जुलाई 2011. गुरु को नमन. गुरु ब्रह्म गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरः. गुरु साक्षात् पर ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः. गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।. बलिहारी गुरु आपकी, गोविंद दियो बताए।।. बंदउ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि।. महामोह तम पुंज जासु बचन रबि कर निकर।।. बंदउ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा।।. जथा सुअंजन अंजि दृग साधक सिद्ध सुजान।. राम भक्ति जहँ सुरसरि धारा। सरसइ ब्र...बिधि निषेधमय कलि मल हरन...हरि हर कथा ब...बटु...
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मैंने पढ़ी है: मित्रता दिवस की शुभकामनाये
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मैंने पढ़ी है. वन्देमातरम जय हिन्द. शनिवार, 6 अगस्त 2011. मित्रता दिवस की शुभकामनाये. सीस पगा न झगा तन में प्रभुए जानै को आहि बसै केहि ग्रामा ।. धोति फटी.सी लटी दुपटी अरुए पाँय उपानह की नहिं सामा ।।. द्वार खड्यो द्विज दुर्बल एकए रह्यौ चकिसौं वसुधा अभिरामा ।. पूछत दीन दयाल को धामए बतावत आपनो नाम सुदामा ।।. बोल्यौ द्वारपाल सुदामा नाम पाँड़े सुनिए. छाँड़े राज.काज ऐसे जी की गति जानै कोघ्. द्वारिका के नाथ हाथ जोरि धाय गहे पाँयए. नैन दोऊ जल भरि पूछत कुसल हरिए. वैसे मित्रता दि...ने कहा…. यह आपने सह&#...
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Hindi Bloggers Forum International (HBFI): ब्लॉगर्स मीट वीकली (37) Truth Only
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मुख्य पृष्ठ. Blogging for social awakening. मुख्य पृष्ठ. ब्लॉगर्स मीट वीकली (37) Truth Only. Monday, April 2, 2012. Labels: DR. ANWER JAMAL. अस्-सलामु अलैकुम व ओउम् शांति! दोस्तो! ग़र्ज़ यह कि काशी से काबा तक यही एक शिक्षा है कि झूठ का त्याग करो और सत्य का अनुसरण करो।. भारत जब विश्व गुरू था तो हमारा तरीक़ा यही था।. एक अप्रैल के मौक़े पर जम कर झूठ बोला गया।. यह दुखद घटना हिंदी ब्लॉग्स पर भी देखी गई।. 8216;हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल‘ HBFI. आया अतिथि स्वरूप, आप की कि...रहा कूप-मंडूक, ...आया ब्ल&#...वोह...
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शख्स - मेरी कलम से: August 2011
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शख्स - मेरी कलम से. बुधवार, 3 अगस्त 2011. जिजीविषा की झलक - महेश्वरी कनेरी. ब्लॉग http:/. पर जिजीविषा की झलक. जहाँ स्वच्छंद प्रकृति राग सुनाए '. रश्मि प्रभा जी को बहुत-बहुत धन्यवाद उनके अनुकंपा से मै आप सब के सामने अपना ह्रदय खोल रही हूँ………………. महेश्वरी कनेरी …. पिता को मुझ से बहुत आशाएँ और उम्मीदें थीं मुझे हमेशा कहा करते थे “ बेटा! तू मेरी बेटी नहीं बेटा है “. विवाह के बंधन में भी बँध गई. पता ही नहीं चला ।. सोचते थे मंजिल मिलेगी भी या नही. राष्ट्रपति पुरस्कार. प्रस्तुतकर्ता. सोनल रस्तो...और मí...
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अभिव्यक्ति: कथा जारी है...
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अभिव्यक्ति. कल,आज और कल. Friday, February 11, 2011. कथा जारी है. मृगतृष्णा. भीतर का-. सूनापन,. पसरा है मरुभूमि में-. रेत के टीलों सा-. दूर दूर तक कहीं नहीं. आशा रूपी हरियाली. सूरज सी परिस्थितियां. जलाती है,. करती है संतप्त।. मरूस्थल तङप उठता है,. भीतर की बैचेनी-. भ्रमाती है-. मृगतृष्णा बन,. उठता है-. आशाओं का बवण्डर,. फैल जाता है दूर दूर तक-. किसी बूंद की तलाश में,. पर कहां मिटती है-. बूंदों से प्यास,. अतृप्त मरूस्थल लेता है-. रूप तूफान का,. उङ आसमान में. बादल को,. पी लेता है रस. Labels: कविता.
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