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चरैवेति चरैवेति

चरैवेति चरैवेति. समसामयिक विषयों पर साम्प्रतिक साहित्य व समाचार. शनिवार, 8 जनवरी 2011. यह भारत माँ के कलंक हैं । इनसे बचकर रहना मित्रोँ! सत्य अहिंसा परम धर्म है ।. भेदभाव मत सहना. मित्रों ।. शासन मे बैठे लोगों के. बड़े बड़े घोटाले देखे ।. नैतिकता पर ताले देखे ।. नेता . अफसर और. माफिया. हम बिस्तर. हम प्याले देखे ।. राष्ट्रवाद का स्वर. भ्रष्ट आचरण वाले देखे ।. ऊपर से चिकने चुपड़े हैँ. अन्दर अन्दर काले देखे ।. यह भारत माँ के कलंक हैं. इनसे बचकर रहना मित्रो! घूसखोर हैं पक्के. व्यस्त हैं. इधर से उधर ।. इस सæ...

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चरैवेति चरैवेति. समसामयिक विषयों पर साम्प्रतिक साहित्य व समाचार. शनिवार, 8 जनवरी 2011. यह भारत माँ के कलंक हैं । इनसे बचकर रहना मित्रोँ! सत्य अहिंसा परम धर्म है ।. भेदभाव मत सहना. मित्रों ।. शासन मे बैठे लोगों के. बड़े बड़े घोटाले देखे ।. नैतिकता पर ताले देखे ।. नेता . अफसर और. माफिया. हम बिस्तर. हम प्याले देखे ।. राष्ट्रवाद का स्वर. भ्रष्ट आचरण वाले देखे ।. ऊपर से चिकने चुपड़े हैँ. अन्दर अन्दर काले देखे ।. यह भारत माँ के कलंक हैं. इनसे बचकर रहना मित्रो! घूसखोर हैं पक्के. व्यस्त हैं. इधर से उधर ।. इस स&#230...
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चरैवेति चरैवेति | kaviarunesh.blogspot.com Reviews

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चरैवेति चरैवेति. समसामयिक विषयों पर साम्प्रतिक साहित्य व समाचार. शनिवार, 8 जनवरी 2011. यह भारत माँ के कलंक हैं । इनसे बचकर रहना मित्रोँ! सत्य अहिंसा परम धर्म है ।. भेदभाव मत सहना. मित्रों ।. शासन मे बैठे लोगों के. बड़े बड़े घोटाले देखे ।. नैतिकता पर ताले देखे ।. नेता . अफसर और. माफिया. हम बिस्तर. हम प्याले देखे ।. राष्ट्रवाद का स्वर. भ्रष्ट आचरण वाले देखे ।. ऊपर से चिकने चुपड़े हैँ. अन्दर अन्दर काले देखे ।. यह भारत माँ के कलंक हैं. इनसे बचकर रहना मित्रो! घूसखोर हैं पक्के. व्यस्त हैं. इधर से उधर ।. इस स&#230...

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चरैवेति चरैवेति: December 2010

http://www.kaviarunesh.blogspot.com/2010_12_01_archive.html

चरैवेति चरैवेति. समसामयिक विषयों पर साम्प्रतिक साहित्य व समाचार. शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010. व्यंग्य मे बड़ी दम है । साहित्य की माँग कम है ।. व्यंग्य के पाठक भी अधिक हैं और टिपकर्त्ता भी लेकिन गालियाँ भी आशातीत मिलती हैं ; शब्दकोश की परिधि से परे ।. व्यस्त हैं. महापुरुष. प्रेरणाएँ. अस्त हैं ।. वैज्ञानिक. सौन्दर्य. रचनाधर्मिता. साहित्य. संस्कृति. संत्रस्त हैं ।. सच्चरित्र पस्त हैं ।. दुश्चरित्र जबर्दस्त हैं ।. बुद्धिजीवी व्यस्त हैं ।. राजनेता अभ्यस्त हैं. इधर से उधर ।. वाह रे! नई पोस्ट. अटका है.

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चरैवेति चरैवेति: January 2011

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चरैवेति चरैवेति. समसामयिक विषयों पर साम्प्रतिक साहित्य व समाचार. शनिवार, 8 जनवरी 2011. यह भारत माँ के कलंक हैं । इनसे बचकर रहना मित्रोँ! सत्य अहिंसा परम धर्म है ।. भेदभाव मत सहना. मित्रों ।. शासन मे बैठे लोगों के. बड़े बड़े घोटाले देखे ।. नैतिकता पर ताले देखे ।. नेता . अफसर और. माफिया. हम बिस्तर. हम प्याले देखे ।. राष्ट्रवाद का स्वर. भ्रष्ट आचरण वाले देखे ।. ऊपर से चिकने चुपड़े हैँ. अन्दर अन्दर काले देखे ।. यह भारत माँ के कलंक हैं. इनसे बचकर रहना मित्रो! घूसखोर हैं पक्के. नई पोस्ट. मुखपृष्ठ.

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चरैवेति चरैवेति: एक छन्द : त्यागने वाले मिले ।

http://www.kaviarunesh.blogspot.com/2010/09/blog-post_18.html

चरैवेति चरैवेति. समसामयिक विषयों पर साम्प्रतिक साहित्य व समाचार. शनिवार, 18 सितंबर 2010. एक छन्द : त्यागने वाले मिले ।. रस रंग की बात. करो न अली! बस रूप को. माँगने वाले मिले ।. सुख जानने वाले. अनेक मिले . दुख देखकर. भागने वाले मिले ।. सुमनोँ को मिला. जहाँ गन्ध पराग. वहाँ कण्टक. मतवाले मिले ।. कितनी बड़ी त्रासदी. है जग मेँ. त्यागने वाले मिले ।. प्रस्तुतकर्ता अरुणेश मिश्र. 46 टिप्‍पणियां:. प्रवीण पाण्डेय. ने कहा…. 18 सितंबर 2010 को 11:20 pm. ने कहा…. कितनी बड़ी त्रासदी. है जग मेँ. ने कहा…. जीवन क&#2375...

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चरैवेति चरैवेति: व्यंग्य मे बड़ी दम है । साहित्य की माँग कम है ।

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चरैवेति चरैवेति. समसामयिक विषयों पर साम्प्रतिक साहित्य व समाचार. शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010. व्यंग्य मे बड़ी दम है । साहित्य की माँग कम है ।. व्यंग्य के पाठक भी अधिक हैं और टिपकर्त्ता भी लेकिन गालियाँ भी आशातीत मिलती हैं ; शब्दकोश की परिधि से परे ।. व्यस्त हैं. महापुरुष. प्रेरणाएँ. अस्त हैं ।. वैज्ञानिक. सौन्दर्य. रचनाधर्मिता. साहित्य. संस्कृति. संत्रस्त हैं ।. सच्चरित्र पस्त हैं ।. दुश्चरित्र जबर्दस्त हैं ।. बुद्धिजीवी व्यस्त हैं ।. राजनेता अभ्यस्त हैं. इधर से उधर ।. वाह रे! ने कहा…. आपकी पोस&#...चर्...

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चरैवेति चरैवेति: माँ की असीम शक्ति एक छन्द

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चरैवेति चरैवेति. समसामयिक विषयों पर साम्प्रतिक साहित्य व समाचार. शनिवार, 9 अक्तूबर 2010. माँ की असीम शक्ति एक छन्द. अवगाहन मे उस. अमृत तत्त्व के. कौन कहे. अपरूप मे खोया ।. रश्मियाँ दिव्य. विकीर्ण हुई. तो लगा अनमोल. स्वरूप मे खोया ।. साध लिया जब. शाश्वत शक्ति ने. मानस बोध. अरूप मे खोया ।. धार मिली रसधार. अनन्त मेँ. अन्तर रूप. अनूप मेँ खोया ।. प्रस्तुतकर्ता अरुणेश मिश्र. 21 टिप्‍पणियां:. गिरीश बिल्लोरे. ने कहा…. Waah aruNesh jee ek alag see baat hai. 9 अक्तूबर 2010 को 9:39 pm. ने कहा…. लेखन के ...यह आप अर&...

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व्यंग्यम शरणम गच्छामि: May 2011

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व्यंग्यम शरणम गच्छामि. रविवार, मई 15, 2011. बच्चों के लिए. ब्लैक - मनी. रोटी खाना चाहते हो ,. वो भी सिर्फ रूखी तो. कमाओ व्हाइट मनी. यदि खाना चाहते हो ,. बटर और हनी ,तो. जमकर कमाओ ब्लैक मनी. ब्लैक मनी का सीधा सम्बन्ध. होता है लक्ष्मीजी और उलूक से. यानिकी ,. पैसे वालों की भूख से. उलूक लक्ष्मीजी का ड्राइवर है ,. और घोर अंधकार का लवर है. इसीलिए लक्ष्मीजी को. हमेशा पसंद है -ब्लैक मनी. क्या समझे माई-डियर - हनी. छोटा -बड़ा ,नेता -अभिनेता ,. जिसे देखो वोही. काला धन ही सगा है . खाने में. मान्यवर ,. Aajkal har sac...

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तीन पत्ती: July 2012

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तीन पत्ती. विजेट आपके ब्लॉग पर. मंगलवार, 10 जुलाई 2012. बाज़ार. Monday, July 2, 2012. बादल हैं या. हवा के जाल फँसी. ह्वेल मछलियाँ हैं ,. घसीटता मछुआरा. ले जाता खैंच. पश्चिमी बाज़ार. क्या इनको भी. डालेगा बेंच? प्रस्तुतकर्ता. अरुण चवाई. 2 टिप्‍पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. ऐसे भागा. जैसे गलत पते पर बरस गया हो ,. अपने उस भाई से. जो सूरज ढके हुए था. हटने को बोल गया. ताकि बरसा हुआ पानी. जल्दी सूख जाए. और इस तरह उसने. बीज क&#2...

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व्यंग्यम शरणम गच्छामि: Comments

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व्यंग्यम शरणम गच्छामि. डॉ.राकेश शरद. 27 -प्रतीक्षा एन्क्लेव ,दयालबाग. मोबाईल - 919259021616. इमेल -vyangguru @gmail .com. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. मुख्यपृष्ठ. सदस्यता लें संदेश (Atom). मेरे बारे में. Aajkal har sachai vyangy ho gayee hai. Jeevan itna vidrup ho gaya hai ki samaj ne use hi sach ke roop mein dekhana shuru kar diya hai. vyang dham ,27-pratiksha enclave ,dayalbagh ,agra. अपरिचित परिचय. जन्म -स्थल -आगरा.

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व्यंग्यम शरणम गच्छामि: November 2010

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व्यंग्यम शरणम गच्छामि. गुरुवार, नवंबर 04, 2010. दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें. दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें. लक्ष्मीजी सीधे आपके घर आयें,. इसके लिए आप उलूक्जी की आरती गायें-. जैसेही उलूक्जी आपके द्वार पर लेण्ड करें. लक्ष्मीजी जी को लोंकर से बेन्ड करें ,. उल्लूजी से साधें अपना उल्लू -. द्वार करें बंद -कहें राम राम ,. रघुपति राघव रजा राम ! प्रस्तुतकर्ता Dr. Rakesh Sharad. 6 टिप्‍पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. नई पोस्ट. अपरिचित परिचय. Picture Window ट...

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तीन पत्ती: May 2012

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तीन पत्ती. विजेट आपके ब्लॉग पर. शनिवार, 26 मई 2012. अक्लमंदी. झोपड़ी में. दस लोग खड़े थे. पाँच ने सोंचा पाँच ही होते. तो बैठ सकते थे. दो ने सोंचा दो ही होते. तो लेट सकते थे. एक ने सोंचा केवल मैं ही होता. तो बाकी जगह. किराए पर उठा देता! प्रस्तुतकर्ता. अरुण चवाई. 3 टिप्‍पणियां:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. अपने घर को घुमा कर मैंने. उसका रुख समंदर की ओर कर दिया है. वह पोखर जो कभी घर के सामने था. हुमक कर आ जाता है. अरुण चवाई. क्य&#...

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तीन पत्ती: December 2011

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तीन पत्ती. विजेट आपके ब्लॉग पर. शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011. आज प्रसिद्ध अर्थशास्त्री गिरीश मिश्र का जन्मदिन है। इस मौके पर उनका एक लेख पढ़ें-. आरंभ से ही पूंजीवाद की प्रवृत्ति हर चीज-मूर्त हो या अमूर्त- को माल यानी खरीद-फरोख्त की वस्तु बनाने की रही है। - गिरीश मिश्र. का आधार बनाना वास्तविकता से मीलों दूर होता है।. प्रस्तुतकर्ता. अरुण चवाई. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. धब्बे और खराशें. चीजें अब. अरुण चवाई. गाब&#2...

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तीन पत्ती: February 2012

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तीन पत्ती. विजेट आपके ब्लॉग पर. रविवार, 26 फ़रवरी 2012. धूमिल आकाश पर. शाम जब इधर-उधर. लाल लाल खून फ़ैल गया था ,. जान लिया था हमने. कि रात के काले बिलार ने. आज फिर अपना शिकार कर लिया है! सहमें सिकुड़ रहे दिन औ' फूल रही रातें! डरता हूँ. दिन न कहीं रह जाएँ. हल्की -सी कौंध भर. वह भी यदा-कदा! प्रस्तुतकर्ता. अरुण चवाई. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. चुनावों का मौसम ,. प्रस्तुतकर्ता. अरुण चवाई. होंठो&#2306...प्रस&#238...

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तीन पत्ती: January 2012

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तीन पत्ती. विजेट आपके ब्लॉग पर. शुक्रवार, 27 जनवरी 2012. Shashikant: आम जनता को मिले संविधान की सत्ता : उदय प्रकाश. Shashikant: आम जनता को मिले संविधान की सत्ता : उदय प्रकाश. प्रस्तुतकर्ता. अरुण चवाई. कोई टिप्पणी नहीं:. इसे ईमेल करें. इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें. Facebook पर साझा करें. Pinterest पर साझा करें. सोमवार, 23 जनवरी 2012. विद्ध्वंस की दया पर? तुम्हारी भुजाओं की पेशियों से. कहीं मजबूत हैं. मेरी कोख की पेशियाँ ,. बस इन्हें. भुजाओं की तरह ,. रहना होगा. अरुण चवाई. मुम्बई क&#237...हम अपन&#2...

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तीन पत्ती: May 2011

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तीन पत्ती. विजेट आपके ब्लॉग पर. गुरुवार, 19 मई 2011. जिन्हें शब्द नहीं मिले. मैं शहर की गलियों में. दिन-रात भटकता रहता हूँ . उन अर्थों की तरह. जिन्हें शब्द नहीं मिले. और अगर मिले तो. भाषा से निर्वासित कर दिए गए. अशांति की आशंका में! हर घटना के. अदि,मध्य और अंत को टटोलते हुए. उन निर्वासित शब्दों की टोह में. भटकता रहता हूँ. इस सच के साथ. कि जिस दिन हम. भाषा में घटित होंगे ,. कई जगहों से टूटी हुई भाषा पूरी होकर. हमारे पक्ष में खड़ी हो जायेगी,. बेदखल कर दी जायेंगी. प्रस्तुतकर्ता. अरुण चवाई. सीताप...अब न व&#2...

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तीन पत्ती: September 2010

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तीन पत्ती. विजेट आपके ब्लॉग पर. शुक्रवार, 17 सितंबर 2010. रोशनी की यह गली बहुत तंग है. रोशनी की यह गली बहुत तंग है ,. हम यहाँ से होकर जो जायेंगे -. अंधेरों में सन जायेंगे! हमने अपनी तड़प से कई बार पूछा -. कि तू क्यों उन अंधेरी ,गुमनाम गलियों की ,. रोज़ जीती और मरती कथा कहती आ रही है,. क्यों मुझे चैन से जीने नहीं देती,. क्यों सता रही है ,. यह रोशनी,यह रौनक ,यह रंग -. क्यों नहीं भाता ,. क्यों तुझे भी राजपथ पर चलना नहीं आता,. मगर कोई जवाब नहीं आया -. सिवा इसके कि भीतर. कुछ धसक गया! अरुण चवाई. फिर ज&#2...

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கவியருவி ம. ரமேஷ். நவம்பர் 22, 2017. கற்புத் தாழ்பாள் - கஸல். உன்னைக் கண்டபின். கற்புத் தாழ்பாளை. கனமாய்ப் போட்டிருந்தும். ஒரு எளிய புன்னகையினாலேயே. திறந்து விட்டாளே? தேவதையின் பிரார்த்தனை. என்னிடமிருந்து பிரித்திருக்கும். சாமியின். பாதத்தில் விழுவதுபோல். உன் காலில் விழுகிறேன். இடுகையிட்டது கவியருவி ம. ரமேஷ். 6:29:00 முற்பகல். 0 கருத்துகள். இந்த இடுகையின் இணைப்புகள். இதை மின்னஞ்சல் செய்க. Twitter இல் பகிர். Facebook இல் பகிர். Pinterest இல் பகிர். லேபிள்கள்: கஸல். நவம்பர் 17, 2017. கடவுளுக&#3...லேப...

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