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ठहाका: नवंबर 2007
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त्वरित टिप्पणियों की टकसाल: हिन्दी कवि सम्मेलन. टिप्पणियों के बेताज बादशाह: श्याम ज्वालामुखी. ब्लाग पर टिप्पणियाँ देने का चलन आम है. मेरी जानकारी में हिन्दी ब्लाग पर टिप्पणियाँ देने मे. उड़न तश्तरी. कोई चार दिन की जिन्दगी मे सौ काम करता है. किसी की सौ बरस के जिन्दगी में कुछ नही होता. मेरी समझ से यही समीर भाई का राज है. अशोक चक्रधर. सुभाष काबरा ,अरुण जैमिनी ,. कुमार विश्वास. किरण जोशी ,. सुनील जोगी. पेमेंट. बिहारी. मैं देर तक उस नशे मे रहा. बसंत आर्य. 7 टिप्पणियां:. Links to this post. अरे काम...लाख...
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कभी कभी: फिर एक शाम गुज़री
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कभी कभी. कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है. Saturday, March 22, 2014. फिर एक शाम गुज़री. फिर एक दिन गया , फिर एक शाम गुज़री,. ज़िन्दगी बस यूँ ही तमाम गुज़री।. तू नही, तेरी आरजू तेरी यादें ही सही. मेरी सांसो की हर शै बेआराम गुज़री. तेरे तसव्वुर में बस थक गयीं आँखें. रात का हर लम्हा बे जाम गुज़रा. प्रस्तुतकर्ता क्षितिज. Subscribe to: Post Comments (Atom). कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है. लिंक्स. फुरसतिया. मीडिया युग. मस्ती की बस्ती. मुम्बई ब्लॉग्स. किस्से हैं. मोहल्ला. हमारे मेहमान.
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कभी कभी: गालिब का एक शेर...........
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कभी कभी. कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है. Sunday, September 16, 2007. गालिब का एक शेर. बहुत दिनो के बाद आज आपसे मुखातिब हुये हैं.आज एक शेर. गालिब का एक शेर याद आ रहा है. हम कहां के दाना थे किस हुनर में यकता थे. बेसबब हुआ दुश्मन गालिब आसमां अपना।. हुई मुद्दत कि गालिब मर गया पर याद आता है. वो हरेक बात पर कहना कि,यूं होता तो क्या होता।. प्रस्तुतकर्ता क्षितिज. September 16, 2007 at 5:44 PM. Subscribe to: Post Comments (Atom). लिंक्स. फुरसतिया. मीडिया युग. मस्ती की बस्ती. मोहल्ला.
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इक बंजारा गाये: May 2008
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इक बंजारा गाये. बुधवार, 7 मई 2008. डॉ. सुनील जोगी – एक परिचय. आजकल वे भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों व राजनेताओं के सलाहकार हैं और एक ‘हास्य वसंत’ त्रैमासिकी का संपादन करते हैं. Aap unhen dekh, pad aur sun sakte hain. Unki nai nai hasya kavitayen aur shayri padne ke liye. और गीत पढने के लिए. Par aapke vicharon ka swagat hai. Hasya kavitayen sunne ke liye . Me sunil jogi search Karen. Me sunil jogi search Karen. DR SUNIL JOGI, Delhi. Add PS TO EX- SPEAKAR, LOK SABHA, PARLIAMENT OF INDIA. वो अमृ...
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इक बंजारा गाये: मां
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इक बंजारा गाये. बुधवार, 7 मई 2008. डॉ. सुनील जोगी – एक परिचय. आजकल वे भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों व राजनेताओं के सलाहकार हैं और एक ‘हास्य वसंत’ त्रैमासिकी का संपादन करते हैं. Aap unhen dekh, pad aur sun sakte hain. Unki nai nai hasya kavitayen aur shayri padne ke liye. और गीत पढने के लिए. Par aapke vicharon ka swagat hai. Hasya kavitayen sunne ke liye . Me sunil jogi search Karen. Me sunil jogi search Karen. DR SUNIL JOGI, Delhi. Add PS TO EX- SPEAKAR, LOK SABHA, PARLIAMENT OF INDIA. वो अमृ...
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कभी कभी: वो अपने जाने का सामान कर बैठे
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कभी कभी. कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है. Thursday, July 31, 2014. वो अपने जाने का सामान कर बैठे. वो अपने जाने का सामान कर बैठे. यूँ मेरी जिंदगी की शाम कर बैठे. कैसे कटेगा बेसब्र तन्हाई का आलम. कैसे कटेगा वक़्त. वो जुदाई का आलम. न दिन गुजरेगा न रात गुजरेगी. वो तन्हा शाम बेबात गुजरेगी. अपनी तम्मनाओ को देकर परवाज़. मेरी हसरतों को विराम दे बैठे. तसव्वुर उनके ख्यालात उनके. बातें उनकी वाक्यात उनके. गुज़र के गयी जो सबा उनकी थी. बहा ले गयी वो सदा उनकी थी. Subscribe to: Post Comments (Atom).
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कभी कभी: अरमान
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कभी कभी. कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है. Friday, June 12, 2015. ग़मज़दा बैठा हूँ कि मेले भी हैं महफ़िल भी. ग़मज़दा बैठा हूँ कि मेले भी हैं महफ़िल भी. खड़ी वो सामने मेरे मंज़िल हँसा करती तो है. वक़्त था तो साथ मेरे सारा जहाँ आता था अब. शब भर मेरे साथ मेरी तन्हाइयां जगा करती तो हैं. प्रस्तुतकर्ता क्षितिज. Subscribe to: Post Comments (Atom). कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है. लिंक्स. फुरसतिया. मीडिया युग. मस्ती की बस्ती. मुम्बई ब्लॉग्स. किस्से हैं. मोहल्ला. हमारे मेहमान.
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कभी कभी
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कभी कभी. कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है. Saturday, March 22, 2014. सर्द रात में क़हर बन गया. वो लम्हा मेरी जीस्त का ज़हर बन गया. वो शाम का मंज़र. वो बेहया रात. वो बेखौफ़ निगाहे. बेसब्र जज्बात. प्रस्तुतकर्ता क्षितिज. Subscribe to: Post Comments (Atom). कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है. लिंक्स. फुरसतिया. मीडिया युग. मस्ती की बस्ती. मुम्बई ब्लॉग्स. किस्से हैं. मोहल्ला. हमारे मेहमान.
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कभी कभी: एक दिन तो मुकम्मल मोहब्बत करो
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कभी कभी. कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है. Monday, July 6, 2015. एक दिन तो मुकम्मल मोहब्बत करो. एक दिन तो मुकम्मल मोहब्बत करो. रफ्ता रफ्ता यूँ ज़िन्दगी गुज़र जायेगी. शाम ठहरी है ठहरी रहेगी सनम. यूँ पत्थर न मारो बिखर जायगी. एक दिन तो . प्रेम हृदय बने प्रेम नयन बने. प्रेम प्रातः बने प्रेम शयन बने. प्रेम नभ् से परे क्षितिज बने. प्रेम ही प्रेम हो भरा वहां दूर जहाँ तक तुम्हारी नज़र जायेगी. एक दिन तो मुकम्मल . प्रेम रस रिश्तों में हो इतना भरा. एक दिन तो . Subscribe to: Post Comments (Atom).