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हिन्दी-पन्ने: पंक्ति प्रिया स्वाति की कवितावली: some wonderful poetry
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हिन्दी-पन्ने. Hindi-Panne. Finding the best Hindi pages on Internet. Saturday, August 30, 2008. पंक्ति प्रिया स्वाति की कवितावली: some wonderful poetry. यदि आप नए कवियों की रचनाएं पढ़ना पसंद करते हैं तो आपके लिए एक और poetry blog हाज़िर है। पढ़िये स्वाति जी का blog, कवितावली।. कवितावली का web address है: http:/ kavitavali.blogspot.com/. Blog पर भी लिखती हैं।. Labels: कविता-शायरी. September 5, 2009 at 8:58 PM. Subscribe to: Post Comments (Atom). पुराने पन्ने. Benefits of Writing Bad! View my complete profile.
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मीत: May 2009
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तुम्हारा, उसका और सबका. मुख्यपृष्ठ. तोड़ के सूरज का टुकड़ा, ओप में ले आऊं मैं! हो जलन हांथों में, तो क्या! कुछ अँधेरा कम तो हो. -मीत. सरहद पे वो मौत से जूझता है. सरहद पे वो मौत से जूझता है,. उसकी मुहब्बत का दुप्पटा,. उसकी यादों के आंसू पोंछता है,. माँ की आँखों में बिछड़ने का. दर्द अब भी ताजा है. टूटने को तैयार,. एक एक वादा है. पिता रोज उसके गर्व में,. सीना ठोकता है. सरहद पे वो मौत से जूझता है. 169; 2008-09 सर्वाधिकार सुरक्षित! 18 टिप्पणियां. मैं पंख लगा उड़ जाऊंगा. कहता है मुझसे,. बोला यार. क्या...सोच...
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हिन्दी-पन्ने: August 2008
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हिन्दी-पन्ने. Hindi-Panne. Finding the best Hindi pages on Internet. Saturday, August 30, 2008. Benefits of Writing Bad! ख़राब लिखने के फायदे. चलिए, अब शुरू करते हैं।. कमाल है भइया।. इनका web address है: http:/ hindini.com/fursatiya/? Labels: ब्लॉग. अगड़म बगड़म: आलोक पुराणिक (Hindi Satires). अगर आप आलोक जी को जानते हैं तो सीधे खोलिए alokpuranik.com. हैं।. व्यंग्य. पंक्ति प्रिया स्वाति की कवितावली: some wonderful poetry. यदि आप नए कवियों की रचनाएं पढ़ना...Dubai, United Arab Emirates में र...कभी...
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उदास आँखों का ख़्वाब: 6/1/09 - 7/1/09
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उदास आँखों का ख़्वाब. 160; बारहा सन्नाटों की आवाज़. 160; ग़ज़ल बन जाती है! Friday, June 19, 2009. टूट कर बिखरा, तारा था कोई. टूट कर बिखरा, तारा था कोई. दिल भी मेरा बंजारा था कोई. सहरा-सहरा, दरिया-दरिया. भटका बहुत, आवारा था कोई. तमाम उम्र तन्हाईओं के तले रहा. कितना बेआसरा-बेसहारा था कोई. ज़िक्र भूले से मेरा जो आ गया. इतना कहा- 'बेचारा था कोई'. उनको हमसे कोई वास्ता ही नहीं. कैसे कहें कि हमारा था कोई. हम भी उनको प्यारे होते. क़लमकार:- क्षितीश. 7 टिप्पणियाँ. Subscribe to: Posts (Atom). रì...
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उदास आँखों का ख़्वाब: 4/1/14 - 5/1/14
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उदास आँखों का ख़्वाब. 160; बारहा सन्नाटों की आवाज़. 160; ग़ज़ल बन जाती है! Thursday, April 10, 2014. क्या हो रहा है उन्हें. बुक्क फटता है उनका. भींगी आँखों के आगे चेहरे नाचते हैं. ता थई. ता थई. और उन्हें रोना आता है।. मास्सा'ब दौड़ पड़े थे, लेकिन तब तक बहुत देर हो गई थी. एक क्षण में क्या कुछ हो गया था! कैसे-कैसे लोग हैं इस दुनिया में? यदि बच्चे को कुछ हो गया तो? क्या जवाब देंगे वे मोहना की माँ को? क़लमकार:- क्षितीश. 0 टिप्पणियाँ. प्रतिक्रियाएँ:. Subscribe to: Posts (Atom). मैंन...मेर...
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उदास आँखों का ख़्वाब: 9/1/11 - 10/1/11
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उदास आँखों का ख़्वाब. 160; बारहा सन्नाटों की आवाज़. 160; ग़ज़ल बन जाती है! Monday, September 26, 2011. दर्द से भींगती रहीं आँखें. दर्द से भींगती रहीं आँखें, परवाह न किया. हाथ रखा सीने पर, फिर भी आह न किया. यूँ तो मुझसे भी हँसकर मिली थी ख़ुशी. दो पल से मगर ज्यादा निबाह न किया. सूखी धरती, बंजर सपने, बयाबान दिल. मेरी तरह किसी ने जिंदगी तबाह न किया. मुन्तजिर रहकर एक उम्र काट दी मैंने. किसी ने मगर, इस तरफ निगाह न किया. क़लमकार:- क्षितीश. 8 टिप्पणियाँ. Wednesday, September 21, 2011. जब तु...
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उदास आँखों का ख़्वाब: 5/1/12 - 6/1/12
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उदास आँखों का ख़्वाब. 160; बारहा सन्नाटों की आवाज़. 160; ग़ज़ल बन जाती है! Saturday, May 5, 2012. जब दिन बुझ जाए. क़लमकार:- क्षितीश. 1 टिप्पणियाँ. प्रतिक्रियाएँ:. Subscribe to: Posts (Atom). एक टुकड़ा मैं! क्षितीश. दुबई, United Arab Emirates. लम्हों के कुछ क़तरे थे. वक़्त के समन्दर में बहते-बहते अचानक साहिल से आ लगे! View my complete profile. चेहरों की क़िताब! मेरे हमराह! आपके ई-मेल पर! Enter your email address:. ख़त के पुरजे! जब दिन बुझ जाए. गुलाबी कोंपल...किस्से इध...उडन तश्तर...
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उदास आँखों का ख़्वाब: 6/1/12 - 7/1/12
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उदास आँखों का ख़्वाब. 160; बारहा सन्नाटों की आवाज़. 160; ग़ज़ल बन जाती है! Saturday, June 2, 2012. रोशनी क़तरा-क़तरा. क़लमकार:- क्षितीश. 1 टिप्पणियाँ. प्रतिक्रियाएँ:. Subscribe to: Posts (Atom). एक टुकड़ा मैं! क्षितीश. दुबई, United Arab Emirates. लम्हों के कुछ क़तरे थे. वक़्त के समन्दर में बहते-बहते अचानक साहिल से आ लगे! View my complete profile. चेहरों की क़िताब! मेरे हमराह! आपके ई-मेल पर! Enter your email address:. ख़त के पुरजे! रोशनी क़तरा-क़तरा. गुलाबी कोæ...किस्स...उडन तश...
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उदास आँखों का ख़्वाब: 5/1/09 - 6/1/09
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उदास आँखों का ख़्वाब. 160; बारहा सन्नाटों की आवाज़. 160; ग़ज़ल बन जाती है! Friday, May 29, 2009. उदास सी तुम. सुनो सुनयना, भरे-भरे से क्यों हैं तेरे नैना. ग़म क्या है तुझको, देखो- मुझे दे दो ना. रूठी खुद से हो कि खफा हो जिंदगी से. छोड़ो भी ना, मिलता क्या है यहाँ बँदगी से. जो हुआ, हुआ - अब जाने दो ना. आओ ना- तमन्ना की राह पर चलेंगे मिलके. खुली फ़िज़ा में साथ उड़ेंगे दो पंछी दिल के. आओ ना साथ मेरे, आसमाँ छू लो ना. क़लमकार:- क्षितीश. 5 टिप्पणियाँ. Friday, May 22, 2009. तुम्हे&...दर्द क...
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उदास आँखों का ख़्वाब: 5/1/08 - 6/1/08
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उदास आँखों का ख़्वाब. 160; बारहा सन्नाटों की आवाज़. 160; ग़ज़ल बन जाती है! Wednesday, May 21, 2008. तुम्हारे बदन के. उजास में,. चाँदनी. घुल गई है शायद,. ये चाँदनी. तुमसे है या. चाँद से,. पता नहीं चलता! क़लमकार:- क्षितीश. 3 टिप्पणियाँ. प्रतिक्रियाएँ:. अपना निशाँ नहीं रहेगा. ये धरती वही रहेगी, आसमाँ वही रहेगा. मगर ऐ दोस्त, अपना निशाँ. नहीं रहेगा. कुछ दूर तक चलकर गुम हो जायेंगे नक्शे-पा. जिंदगी का सिलसिला यूँ ही रवाँ. नहीं रहेगा. अधूरे अरमाँ. कुछ, कुछ राजे-दिल. वक्ते-रुखसत. भीनी...बि&...